"केंद्र सरकार द्वारा फोन टैप करवाना लोकतंत्र का अपमान", कर्नाटक के नेता

2 नवंबर 2019 को उपचुनाव से पहले बेंगलुरु में संवाददातो सम्मेलन को संबोधित करते पूर्व मुख्य मेत्री एचडी कुमारस्वामी जिनके निजी सचिव सतीश का नाम भी पेगासस सूची में है. जगदीश एनवी\ईपीए

इजराइली कंपनी एनएसओ समूह द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए जासूसी कराए जाने की दि वायर में प्रकाशित रिपोर्ट पर कर्नाटक के दो बड़े नेताओं ने उनके और उनके कर्मचारियों के फोन नंबरों को टैप करने की निंदा की है. एनएसओ समूह दुनिया भर की सरकारों को निगरानी तकनीक प्रदान करने वाली फर्म है. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जनता दल (सेक्युलर) के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के निजी सचिव सतीश पर भी अवैध रूप से की निगरानी रखी जा रही थी. कुमारस्वामी ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा कि इस तरह के प्रयास किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का पूर्ण रूप से उल्लंघन हैं. उन्होंने कहा, "मेरी राय में इस तरह के घटनाक्रम किसी भी पार्टी और किसी भी नेता की अच्छी छवि प्रस्तुत नहीं करते. इस तरह के काम में साथ देने वाले लोगों को इसका परिणाम भुगतना होगा."

कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर का नाम भी सूची में है. उन्होंने मुझसे कहा, “यह लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है. किसी के टेलीफोन को कैसे निगरानी में रखा जा सकता है? ऐसा करना कानून के खिलाफ है. मेरी जानकारी में यह सरकार के अलावा किसी और ने नहीं किया. हो सकता है कर्नाटक सरकार जवाब देने में सक्षम नहीं हो लेकिन भारत सरकार को इस पर जवाब देने होगा. 20 जुलाई की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे और इस कथित निगरानी मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका की जांच की मांग की.

इन रिपोर्टों के अनुसार पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया संगठन फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा हासिल कि गई लीक जानकारी से पता चला है कि पेगासस का उपयोग विश्व भर में  50000 से अधिक लोगों की निगरानी रखने के लिए किया जा रहा है. इनमें से 300 से अधिक सत्यापित मोबाइल फोन नंबर भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, कानूनी समुदाय के सदस्यों, व्यापारियों, सरकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हैं. भारत से दस मोबाइल फोन पर किए गए स्वतंत्र फॉरेंसिक विश्लेषण में पेगासस द्वारा हैक के प्रयास या सफलतापूर्ण हैकिंग होने के संकेत मिले हैं.

20 जुलाई को भारत से लीक हुए डेटाबेस की जांच करने वाले दि वायर ने बताया कि उसने जिन रिकॉर्ड की समीक्षा की है, उनसे संकेत मिलता है कि कांग्रेस और जद (एस) से जुड़े प्रमुख सदस्यों के फोन नंबरों की 2019 के मध्य से अवैध रूप से निगरानी की जा रही थी. जुलाई 2019 में कर्नाटक में दोनों दलों के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार अपने 17 विधायकों के इस्तीफे के कारण संकट में आ गई थी. आखिरकार, बहुमत साबित करने में विफल रही. जिसके बाद 26 जुलाई 2019 को भारतीय जनता पार्टी के नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बीजेपी ने सामूहिक रूप से दिए गए इस्तीफों में अपनी कोई भी भूमिका होने से इनकार किया. कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किए गए सभी 17 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. दिसंबर 2019 में हुए उपचुनावों में 12 फिर से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे और मंत्री पद ग्रहण किया. दि वायर द्वारा हासिल की गई जानकारी में जिन नंबरों को सूचीबद्ध किया गया था उनमें जद (एस)-कांग्रेस गठबंधन के कई प्रमुख राजनेताओं से जुड़े लोग शामिल थे.

सूची में परमेश्वर, सतीश, पूर्व मुख्यमंत्री और उस समय गठबंधन की समन्वय समिति के अध्यक्ष रहे सिद्धारमैया के निजी सचिव वेंकटेश का नंबर भी शामिल है. दि वायर ने बताया कि सिद्धारमैया कई वर्षों से फोन का उपयोग नहीं कर रहे हैं और महत्वपूर्ण कॉल करने के लिए अपने सहयोगियों की मदद लेते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) के अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा की सुरक्षा में काम करने वाले पुलिसकर्मियों में से एक मंजूनाथ मुद्देगौड़ा का नंबर भी है. परमेश्वर ने कहा, "यहां सिर्फ एक व्यक्ति को निशाना नहीं बनाया गया है और हम कोई आतंकवादी नहीं हैं. उन्होंने ऐसा सिर्फ सरकार गिराने के लिए किया." कुमारस्वामी ने कहा कि यह पहले से ही साफ था कि, "केंद्र सरकार राज्य सरकार गिराने की कोशिश कर रही थी."

15 अगस्त 2019 को राज्य में जारी राजनीतिक संकट के बीच विधानसभा से इस्तीफा देने वाले कर्नाटक जद (एस) के पूर्व अध्यक्ष एएच विश्वनाथ ने आरोप लगाया कि कुमारस्वामी अवैध रूप से उनके फोन को टैप कर रहे थे. उन्होंने दावा किया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के 300 अन्य नेताओं के फोन भी टैप किए गए हैं. विश्वनाथ ने खास तौर से बताया कि अवैध रूप से इस प्रकार निगरानी रखना एक कानूनी अपराध है. वह उस वर्ष बाद में बीजेपी में शामिल हो गए और जुलाई 2020 में राज्य की विधान परिषद के लिए नामांकित हुए. वर्तमान में कर्नाटक सरकार के राजस्व मंत्री आर अशोक और पूर्व केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा सहित कर्नाटक के कई बीजेपी नेताओं ने भी ऐसे ही आरोप लगाए. सिद्धारमैया जैसे कांग्रेस नेताओं ने भी टैपिंग के इन आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग की. कुमारस्वामी ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वह जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं. अगस्त 2019 में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया. लेकिन सीबीआई ने अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है.

दि वायर की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस और जद (एस) के नेताओं ने केंद्र सरकार को उस समय जांच के लिए दिया गया आदेश याद दिलाया. कुमारस्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा, "जो केंद्र सरकार खुद मेरी निगरानी कर रही है उसी ने मुझ पर पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया और सीबीआई जांच कराई." कर्नाटक राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा, "येदियुरप्पा ने सत्ता में आने के बाद आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश देने में बिलकुल देरी नहीं दिखाई. मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिश के नेतृत्व में न्यायिक जांच का आदेश उसी तेजी के साथ दिया जाए जिस तरह से श्री येदियुरप्पा ने जांच का आदेश दिया था."

दि वायर ने उल्लेख किया कि केंद्र द्वारा गुपचुप तौर पर कर्नाटक में गठबंधन सरकार को गिराने के प्रयास किए जा रहे थे. रिपोर्ट में कहा गया कि, "भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के फैसलों ने बीजेपी की मदद की." अप्रैल 2019 में कर्नाटक में राजनीतिक उथल-पुथल शुरू होने से दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के एक कर्मचारी ने सार्वजनिक रूप से गोगोई पर यौन उत्पीड़न और अत्याचार का आरोप लगाया था. सुप्रीम कोर्ट की जल्दबाजी में बुलाई गई विशेष सुनवाई में गोगोई ने खुद को सभी आरोपों से मुक्त कर लिया. सुप्रीम कोर्ट के उनके तीन सहयोगियों ने उन्हें इन-हाउस कार्यवाही के दौरान निर्दोष घोषित कर दिया जिससे शिकायतकर्ता शत्रुतापूर्ण माहौल का हवाला देते हुए पीछे हट गई.

पेगासस से जुड़े लीक हुए डेटाबेस पर अपनी जांच के पहले भाग में दि वायर ने खुलासा किया कि शिकायतकर्ता द्वारा गोगोई पर अपने आरोप लगाने के तुरंत बाद ही शिकायतकर्ता और उसके परिवार से जुड़े कुल 11 लोगों के फोन नंबरों को निगरानी की सूची में डाला गया. गोगोई के सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के छह महीने से भी कम समय के बाद उन्हें केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किया गया. परमेश्वर ने 2019 में कर्नाटक में राजनीतिक उथल-पुथल में गोगोई की भूमिका के बारे में कहा, "मैं उस पर विस्तार से टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन यह सब कहानी का एक हिस्सा है. यह उस योजना का एक हिस्सा है जिसे वे लोग पूरा करना चाहते थे और इसी तरह उन्होंने काम किया."