कांग्रेस ने पिछले चार वर्षों में हिंदुत्व को बढ़ावा दिया है: असदुद्दीन ओवैसी

01 April, 2019

सोनू मेहता/हिन्दुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

लोकसभा चुनाव के लिए, हैदराबाद स्थित ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, या एआईएमआईएम बिहार, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है. 91 साल पुरानी पार्टी का नेतृत्व इसके एकमात्र सांसद असदुद्दीन ओवैसी कर रहे हैं, जो हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र से लगातार 4 बार जीत हासिल करते आए हैं. एआईएमआईएम ने आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन देने की घोषणा की है और पिछले साल कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जनता दल (सेक्युलर) का समर्थन किया था. महाराष्ट्र में, एआईएमआईएम “वंचित बहुजन अघड़ी” का हिस्सा है - जो दलितों, मुस्लिमों और हाशिए के अन्य समूहों का एक गठजोड़ है - जिसका नेतृत्व भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर कर रहे हैं.

एआईएमआईएम का पारंपरिक आधार हैदराबाद के पुराने शहर में है, जहां से ओवैसी ने 2014 के आम चुनावों में दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. उस वर्ष, तेलंगाना में एआईएमआईएम को एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता दी गई थी. इसके 20 में से 7 उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनाव जीता था. 2018 के विधानसभा चुनावों में, इसने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से 7 पर फिर से जीत हासिल की. एआईएमआईएम 1998 से आंध्र प्रदेश में अविभाजित कांग्रेस का समर्थन करता रहा था और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का हिस्सा भी रहा, लेकिन 2012 में वह गठबंधन से बाहर हो गया. 2014 के आम चुनावों के बाद, एआईएमआईएम ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ गठबंधन किया और आज भी उसके नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का कट्टर समर्थक है.

हैदराबाद के दारुस्सलाम स्थित पार्टी मुख्यालय में कारवां की रिपोर्टिंग फेलो, नीलिना एमएस के साथ एक साक्षात्कार में, ओवैसी ने आगामी चुनावों और एआईएमआईएम की योजनाओं और सहयोगियों के बारे में बात की. अन्य बातों के अलावा ओवैसी ने चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस द्वारा भारतीय जनता पार्टी की हिंदुत्व की विचारधारा को अपनाए जाने, सभी हाशिए के समूहों को एक साथ आने की आवश्यकता और लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका के बारे में चर्चा की. ओवैसी ने कहा, "भाजपा को हराने के इस बोझ को सब समान रूप से साझा करें, केवल क्षेत्रीय दल ही क्यों इस बोझ को उठाएं?"

निलीना एमएस: “2019 के आम चुनाव इस बारे में नहीं होंगे कि सरकार क्या दे सकती है. यह दौड़ अब यह साबित करने के लिए है कि भारत में कौन बड़ा हिंदू है.” आपने यह बात हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित इंडिया कॉन्फ्रेंस 2019 में कही. आज के राजनीतिक माहौल में यह किस तरह से दिखाई देता है
असदुद्दीन ओवैसी: पिछले 3 वर्षों में खासकर हमने जो कुछ देखा है, उससे कांग्रेस और भाजपा में क्या अंतर है? वह अदृश्य रेखा अब गायब हो चुकी है. इसलिए मैं कहता हूं, भारत में केवल एक राष्ट्रीय पार्टी है- एक भाजपा है और दूसरी आधी भाजपा है. इसका ताजा उदाहरण (मध्य प्रदेश) में 3 मुसलमानों पर लगाया गया एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) है, जिन्हें पहले से ही मप्र गौहत्या निषेध अधिनियम के तहत कैद किया गया था. (कांग्रेस) ने कानून से बाहर जाकर उन पर एनएसए लगाया. क्या यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है? यह दर्शाता है कि आपकी प्राथमिकताएं रोजगार, अर्थव्यवस्था, अनौपचारिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करना या कृषि संकट को देखना नहीं है. आपकी मुख्य प्राथमिकता यह है कि आपको लगता है कि जब तक आप भाजपा की तरह नहीं हो जाते, तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकते.

एनएमएस: कांग्रेस बार-बार कहती है कि वह धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और राहुल गांधी ने अप्रैल 2018 में "संविधान बचाओ" अभियान शुरू किया था.
एओ: जब कोई कहता है कि मैं संविधान के साथ खड़ा हूं, तो संविधान को उसका उत्प्रेरक दस्तावेज होना चाहिए. लेकिन यह वैसा नहीं है. यह केवल जुबानबाजी है. यदि आप संविधान का पालन करते हैं, तो इसे एक जीवित दस्तावेज बनाएं. आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं.

एनएमएस: आप अब कांग्रेस के इतने बड़े आलोचक हैं, लेकिन 1998 से 2012 तक वह आपकी सहयोगी थी. यह रुख क्यों बदला?

एओ: पिछले 4 वर्षों में, कांग्रेस पार्टी द्वारा हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह नरम हिंदुत्व भी नहीं है. वे किसी अलग विचारधारा के साथ नहीं, बल्कि एक ही विचारधारा को अपनाकर भाजपा के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. जब एआईएमआईएम यहां कांग्रेस का समर्थन कर रही थी, तब आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, किरण कुमार रेड्डी की सरकार राज्य में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में विफल रही. हमने महसूस किया कि सरकार उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए गंभीर नहीं थी, इसलिए हमने यहां राज्य में और केंद्र में अपना समर्थन वापस ले लिया.

उसके बाद हमने महाराष्ट्र, यूपी, बिहार और कर्नाटक में अपनी पार्टी का विस्तार करना शुरू किया और फिर अचानक मुझे “भाजपा का एजेंट” कहा जाने लगा.

एनएमएस: आपने दावा किया है कि मुसलमानों की मौजूदा हालत के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है. आप ऐसा क्यों सोचते हैं?

एओ: बेशक, कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता है. नेली नरसंहार, मुंबई दंगे, हाशिमपुरा नरसंहार, भागलपुर नरसंहार को ही लीजिए ...सूची लंबी है. यह सब कब हुआ? जब कांग्रेस सत्ता में थी. वे मुंबई दंगों पर जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट को भी लागू नहीं कर पाए, जब स्वर्गीय विलासराव देशमुख या पृथ्वीराज चव्हाण सत्ता में थे. भाजपा से अलग होने के उनके दावे में कितनी पवित्रता है? फरवरी 1998 में, बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक आयोग की जांच ने 1992-1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए मुंबई दंगों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें अन्य बातों के अलावा यह उल्लेख किया गया था कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ पुलिस के "अंतर्निहित पूर्वाग्रह" को दूर करने के लिए पुलिस सुधारों की आवश्यकता है.

2017 में, तीन तालक विधेयक पर पहली बहस के दौरान कांग्रेस के दो मुस्लिम सांसद थे. उनमें से एक थे किशनगंज से सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी. उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उनकी पार्टी ने उन्हें तीन तलाक पर बोलने की अनुमति नहीं दी. वह दारुल उलूम देवबंद (भारत में इस्लामी विचार के सबसे बड़े केन्द्रों में से एक) के विद्वान हैं. कांग्रेस ने उन्हें बोलने की अनुमति क्यों नहीं दी? पहले कांग्रेस ने तीन तलाक का विरोध किया; फिर उसके पक्ष में मतदान किया. बाद में, जब मुस्लिम महिलाएं विधेयक के खिलाफ निकलीं, तो उन्हें एहसास हुआ कि वे जमीन खो रहे हैं. अचानक, वे कहने लगे कि यह गलत था. इसलिए मैं कहता हूं कि भाजपा की विचारधारा से निपटने के लिए कांग्रेस के पास एक निश्चित दृष्टिकोण नहीं है.

एनएमएस: इस राजनीतिक संदर्भ में, 2019 के चुनावों के लिए, वंचित बहुजन अघड़ी द्वारा प्रचारित दलित-मुस्लिम गठबंधन का क्या महत्व है?

एओ: हम दलितों और मुसलमानों के पास अन्य पिछड़ा वर्ग और हाशिए के अन्य समुदायों के साथ आने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. भाजपा के शासन के पिछले 4 वर्षों में, मुसलमानों और दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं. पीड़ितों के साथ खड़े होने के लिए कोई कड़ी निंदा या कोई प्रयास नहीं किया गया है. तथाकथित राष्ट्रीय दल (प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं) कि कौन बेहतर हिंदू है. अत्याचार, हाशिए पर धकेल दिए जाने, राजनीतिक सशक्तीकरण और आर्थिक उत्थान से संबंधित मुद्दों को दरकिनार किया जाता रहा है. ऐसे में यह एक वैकल्पिक मार्ग है, और यदि हम एक वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरते हैं, तो लोग उत्साह से प्रेरित होंगे. यह काम केवल चुनावी उद्देश्य के लिए ही नहीं, बल्कि उन सामाजिक मंचों पर भी किया जाना चाहिए, जहां हाशिए पर खड़े समुदाय आएंगे और साथ मिलकर काम करेंगे. वीबीए प्रकाश अंबेडकर का विचार था - वे इसके पीछे मुख्य ताकत हैं. हमने उनका समर्थन करने का फैसला किया क्योंकि इसका उद्देश्य हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

एनएमएस: आपके अनुसार, भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में प्रमुख क्षेत्रीय दल कौन होंगे और यह राष्ट्रीय राजनीति को कैसे प्रभावित करेगा?

एओ: जहां तक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बारे में माना जाता है, केसीआर और जगन मोहन रेड्डी चुनाव जीतने जा रहे हैं. सरकार बनाने का समय आने पर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कोई भी जीत रहा हो वह बहुत मजबूत स्थिति में होगा. महाराष्ट्र में, हमने प्रकाश अम्बेडकर के साथ समझौता किया है. अब तक, हमने सार्वजनिक बैठकों में जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है, लेकिन सार्वजनिक बैठकों से चुनावी सफलता का आंकलन नहीं लगाया जा सकता है. अगर इसे वोटों में बदल दिया जाता है, तो मुझे यकीन है कि चुनाव के बाद प्रकाश अंबेडकर एक बहुत महत्वपूर्ण खिलाड़ी हो जाएंगे.

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में गठबंधन कर लिया है, और तृणमूल बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने जा रही है. इसलिए, मुझे नहीं पता कि चुनाव के बाद के गठबंधन किस तरह के होंगे.

एनएमएस: आपके सहयोगी, केसीआर ने गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी क्षेत्रीय दलों के गठबंधन "फेडरल फ्रंट" का विचार बनाया है. राष्ट्रीय राजनीति में केसीआर की भूमिका के बारे में आप क्या सोचते हैं?

एओ: यह पूरी लड़ाई संघवाद को लेकर है. समवर्ती सूची में इतने सारे विषय क्यों होने चाहिए? इसे राज्यों पर छोड़ दें. जब हम स्वतंत्र हुए, उस समय एक मजबूत केंद्र और कमजोर राज्य की अवधराणा थी. लेकिन, 70 साल बाद ऐसा नहीं है. ये ऐसे राज्य हैं जिन्होंने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है. दिल्ली की सरकार को विदेश मामलों और रक्षा जैसे मुख्य विषयों पर बात करने दें. लेकिन उन्हें यह क्यों तय करना चाहिए कि हैदराबाद में कितनी डिस्पेंसरी होनी चाहिए? यही केसीआर का लक्ष्य है और यही उनकी आकांक्षा है, वे अपने वास्तविक अर्थ में संघवाद चाहते हैं.

मुझे पूरा यकीन है कि अगर केसीआर और जगन तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में जीत जाते हैं, तो इससे न केवल इन दो राज्यों को फायदा होगा, बल्कि हर उस राज्य को फायदा होगा जहां क्षेत्रीय दल सत्ता में हैं. यह केसीआर का बड़ा लक्ष्य है. उन्होंने राज्य के लिए बहुत कुछ किया है... जैसे कलेश्वरम सिंचाई परियोजना (तेलंगाना की गोदावरी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय सिंचाई). उनके पास राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण कार्य करने हेतु राजनीतिक बुद्धिमत्ता है.

एनएमएस: एआईएमआईएम आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ था लेकिन अब आप टीआरएस का समर्थन करते हैं, जिन्होंने विभाजन के लिए लड़ाई लड़ी. विचारों में इस बदलाव का क्या कारण है?

एओ: हमने विभाजन का विरोध किया था... लेकिन मुझे यह स्वीकार करना होगा कि हमारी आशंकाएं अब तक गलत हैं. पिछले साढ़े चार वर्षों में, विशेष रूप से तेलंगाना और हैदराबाद ने कुछ छोटी घटनाओं को छोड़कर एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं देखा है. भारत के अन्य हिस्सों में मुसलमानों में प्रचलित मनोविक्षिप्तता का माहौल तेलंगाना में मौजूद नहीं है. सरकार लगभग 200 अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय चला रही है, कक्षा 6 से 12 तक अंग्रेजी शिक्षा प्रदान की जाती है. सरकार प्रत्येक छात्र पर लगभग 100000 रुपये खर्च कर रही है. वहां पर 50000 लड़के और लड़कियां पढ़ते हैं. कृपया मुझे किसी और राज्य का एक उदाहरण दिखाएं जहां इस तरह का काम किया जा रहा है.

मुस्लिम छात्रों के लिए विदेशी छात्रवृत्ति योजना है. पिछले दो वर्षों में, लगभग 800 मुस्लिम लड़के और लड़कियां संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और सिंगापुर के विश्वविद्यालयों में गए हैं. फिर शादी मुबारक योजना (तेलंगाना में एक कल्याणकारी योजना है जो अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं को विवाह के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है). हम प्रगति चाहते हैं, और तेलंगाना में शासन अच्छा है. तो, उनका समर्थन करने में क्या गलत है?

उनके साथ हमारा गठबंधन सफल साबित हुआ है. लोगों ने उन्हें बहुत बड़ा जनादेश दिया है. अब, लोकसभा चुनावों में, हम 17-0 का परिणाम चाहते हैं. आंध्र प्रदेश में, जगन को भी 20 से अधिक सीटें जीतनी चाहिए.

एनएमएस: तेलंगाना के विकास मॉडल की अक्सर आलोचना होती है, जैसे कि सर्पिल ऋण (स्पायर्लिंग डेट), भ्रष्टाचार और परियोजनाओं में देरी की शिकायतें? आप इस तथाकथित "बीमार विकास" की आलोचना का जवाब कैसे देते हैं?

एओ: किसानों के लिए रयथु बंधु योजना को लीजिए, (जो किसानों को प्रति एकड़ 4000 रुपये देती है) केसीआर ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति थे. अब, प्रधानमंत्री इसे कॉपी कर रहे हैं. जो तेलंगाना योजना से बदतर है. मैं कोई अर्थशास्त्री नहीं हूं, लेकिन जब मैं एक निर्वाचन क्षेत्र में जाता हूं और अपने चेहरे को घूरती वास्तविकता को देखता हूं और कभी-कभी, जब मैं इन अर्थशास्त्रियों को बोलते हुए सुनता हूं, तो मैं जमीनी हकीकत के बारे में उनकी नासमझी से चकित रह जाता हूं. गरीब लोग कहां जाएंगे? वे अपनी आजीविका कैसे बनाए रखेंगे?

अगर हम केसीआर किट को देखें, तो गरीब गर्भवती महिलाएं इसकी हकदार हैं और यह गरीब से गरीब व्यक्ति को दिया जाता है. यह उन लोगों के लिए नहीं, जो अमीर हैं. इन योजनाओं को जारी रखा जाना चाहिए. लेकिन हां, राजस्व जुटाना, उसके रिसाव को बंद करना, भ्रष्टाचार की जांच करना भी महत्वपूर्ण है.

एनएमएस: यह देखते हुए कि तेलंगाना, कृषि संकट की मार झेल रहा है, रयथु बंधु की आलोचना के बारे में आपका क्या कहना है?

एओ: यह एक शुरुआत है. इसमें बहुत सारे सुधार किए जा सकते हैं, जो आगे किए जाएंगे. उन्होंने इसे बहुत पहले शुरू किया था, वर्तमान केंद्र सरकार की तरह नहीं, जिसने चुनाव से कुछ दिन पहले ही इसे शुरू किया. इसका जमीन पर, एक निश्चित प्रभाव था. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इसने सभी ग्रामीण संकटों को मिटा दिया है. लेकिन कोई भी इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता है कि इसने किसानों की बहुत मदद की है और इस तरह की प्रतिक्रिया शानदार रही.

एनएमएस: दलित समुदाय के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार के बढ़ते मामलों से निपटने के टीआरएस सरकार के तरीकों की भी आलोचना की जाती है. इस पर आपके क्या विचार हैं?

एओ: ये जातिगत हत्याएं ज्यादातर अंतर-विवाह के मुद्दे हैं, जो नहीं होने चाहिए थे. मुझे उम्मीद है कि भविष्य में अधिकारी सतर्क होंगे. अगर कोई शिकायत करता है कि उसे कोई खतरा है, तो मुझे उम्मीद है कि वे तुरंत प्रतिक्रिया देंगे और लड़कियों या लड़कों के माता-पिता को उन पर हमला करने के लिए गुंडे भेजे जाने तक का इंतजार नहीं करेंगे. पुलिस ने कुछ सबक सीखा होगा, वे और अधिक सक्रिय होंगे.

एनएमएस: मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण जैसे मुद्दों पर टीआरएस और एआईएमआईएम के बीच क्या राजनीतिक मतभेद हैं?

एओ: वे अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, और हम अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

एनएमएस: यह धारणा है कि एआईएमआईएम के साथ टीआरएस का गठबंधन एक रणनीतिक कदम है, इसकी केंद्र में भाजपा का समर्थन करने की संभावना है. आप इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं?

एओ: मान लें कि उन्होंने यह सोचा है, तो कांग्रेस से कोई यह क्यों नहीं पूछ रहा है कि क्या उन्हें 120 सीटें मिलने जा रही हैं या नहीं? उन्हें 120 मिलें, खेल खत्म हो गया. यह वास्तव में मुझे परेशान करता है कि यह सवाल हर बार पूछा जाता है. तेलंगाना में, भाजपा की ताकत कम हुई है. सभी 105 निर्वाचन क्षेत्रों में उनकी जमानत जब्त हो गई. क्या कांग्रेस ने यहां भाजपा को हराया? नहीं, टीआरएस ने ऐसा किया. फिर यह प्रश्न कैसे उठता है?

यह बहुत ही चयनात्मक प्रश्न है कि क्षेत्रीय दलों को क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए.

एनएमएस: लेकिन अगर टीआरएस केंद्र में भाजपा का समर्थन करने का फैसला करती है तो क्या होगा?

एओ: जहां तक मुझे पता है, ऐसा नहीं होना चाहिए. कांग्रेस को 120 सीटें हासिल करनी चाहिए. भाजपा को हराने का यह बोझ समान रूप से बांटे. केवल क्षेत्रीय दल ही इसे क्यों उठाएं?

एनएमएस: मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तेलंगाना चुनावों में रुपयों ने एक बड़ी भूमिका निभाई. टीआरएस पर मतदाता सूची से नाम हटाने और चुनाव प्रक्रिया में हेरफेर करने के आरोपों का भी मुद्दा है. आप इस बारे में क्या सोचते है?

एओ: चंद्रबाबू नायडू ने यहां पैसा खर्च नहीं किया है? उन्होंने अपने राजनीतिक हित को आगे बढ़ाने के लिए यहां पुलिस का इस्तेमाल किया था.

कुछ नाम गायब थे, मैं इससे इनकार नहीं करता. लेकिन यह कहना कि यह जानबूझकर रची गई साजिश थी, पूरी तरह से गलत है. कांग्रेस अदालत गई और आधारहीन ​बेहूदे आरोपों में लिप्त रही. आप ईसीआई (भारत निर्वाचन आयोग) पर उंगलियां उठा रहे हैं. गलतियां हुई हैं, जिन्हें सुधारना होगा. आपको आभारी होना चाहिए कि अगर वे नाम होते, तो आप आधे से ज्यादा बहुमत से हार जाते.

हर संसदीय क्षेत्र में मतों का औसत अंतर 1.5 लाख से अधिक था. अगर वे नाम होते, तो वे दो लाख वोटों से हार जाते.

मुद्दा यह है कि कांग्रेस कोई आत्मनिरीक्षण नहीं करना चाहती. वे मुझे दोष देना चाहते हैं कि मेरी वजह से वोट बंट जाते हैं. आप अपने बारे में बताइए? क्या वे यह कहना चाह रहे हैं कि उनकी पार्टी में सब कुछ सही चल रहा है? उन्हें शुभकामनाएं. जब तक वे ऐसा करते रहेंगे, हम जीतते रहेंगे.

एनएमएस: आंध्र प्रदेश के लिए एआईएमआईएम की क्या योजनाएं हैं? क्या यह इस राज्य से चुनाव लड़ेगी?

एओ: हम जगन रेड्डी का समर्थन कर रहे हैं. अगर जगन रेड्डी चाहते हैं कि मैं जाकर उनके लिए प्रचार करूं, तो मैं अवश्य जाऊंगा. हम आंध्र प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ेंगे.