भारत में एड हॉक न्यायिक जांच आयोगों का कड़वा सच

2008 में बाटला हाउस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के व्यवहार को लेकर न्यायिक जांच की मांग करते प्रदर्शनकारी. भारत में कहीं न कहीं कोई व्यक्ति हमेशा न्यायाधीशों से तथ्यों की पुष्टि करने और सच्चाई को उजागर करने की मांग कर रहा है.
मनप्रीत रोमाना/एएफपी/गैटी ईमेजिस
2008 में बाटला हाउस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के व्यवहार को लेकर न्यायिक जांच की मांग करते प्रदर्शनकारी. भारत में कहीं न कहीं कोई व्यक्ति हमेशा न्यायाधीशों से तथ्यों की पुष्टि करने और सच्चाई को उजागर करने की मांग कर रहा है.
मनप्रीत रोमाना/एएफपी/गैटी ईमेजिस

14 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बुल गरही गांव में, बाजरे के खेत में 19 वर्षीय दलित युवति का गांव के कुछ लड़कों ने बलात्कार कर अधमरी हालत में छोड़ दिया. घटना के बाद उसके परिजन उसे  सदमे की हालत में पास के चांदपा पुलिस थाने ले गए. पीड़िता ने कटी हुई जीभ से घटना और कथित अपराधियों के बार में बताया. लेकिन ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने पीड़िता की शिकायत पर ही सवाल खड़ा करते हुए मदद की गुहार को खारिज कर दिया. बाद में परिवार ने उसे अलीगढ़ के स्थानीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया और जनता के आक्रोश को देखते हुए अधिकारियों ने मामला दर्ज कर पीड़िता का बयान लिया. कथित घटना के आठ दिन बाद की गई फॉरेंसिक जांच के नतीजे आने के बाद पुलिस ने दावा किया कि बलात्कार के सबूत नहीं हैं.

पीड़िता की गंभीर हालत को देखते हुए परिवार ने पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन एक दिन बाद, 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई. उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार, गला घोंटना और  रीढ़ की हड्डी में लगी चोट का उल्लेख है. पुलिस ने परिवार को उसका शव नहीं ले जान दिया और गरही लाकर और इलाके की घेराबंदी करके रिश्तेदारों को बिन बताए ही दाह संस्कार कर दिया.

इस घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा लेकिन अधिकारी मामले में किसी भी गड़बड़ी की बात से इनकार करते हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने का आदेश दिया जबकि विपक्षी दलों ने इस कदम को खानापूर्ती बताया है.

कम्युनिस्ट पार्टियों ने स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की, तो वहीं बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के जज के नेतृत्व में न्यायिक जांच कराने की मांग की. दलित अधिकार संगठन भीम आर्मी ने भी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से पुलिस की कार्रवाई की जांच कराने की मांग की है.

परिवार की भी यही मांग थी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हम चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कराई जाए." राज्य सरकार द्वारा मुआवजे की पेशकश का जवाब देते हुए पीड़िता के पिता ने बीबीसी के एक रिपोर्टर से कहा, "मुझे न्याय चाहिए पैसे नहीं. मैं दिहाड़ी मजदूर हूं, दो सौ रुपए रोज कमाता हूं और मैं पचास रुपए पर गुजारा कर सकता हूं, लेकिन न्याय जरूर लूंगा."

शुभांकर दाम ब्रिटेन की युनिवर्सिटी ऑफ पोर्टस्माउथ में कानून के प्रोफेसर हैं.

Keywords: judicial independence Supreme Court of India judges Supreme Court
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