मुंबई में सांप्रदायिकता के खतरे और कश्मीर पर पूर्व पुलिस कमिश्नर जूलियो रिबेरो से बातचीत

विजयानंद गुप्ता/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस
विजयानंद गुप्ता/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

अभिमन्यु चंद्रा : पंजाब में अशांति और उग्रवाद से लड़ने के आपके अनुभव से कश्मीर में भारतीय राज्य के हाल के कदम को कैसे देखते हैं?

जूलियो रिबेरो : मेरा विचार एकदम स्पष्ट है कि सैन्यवादी नीति काम नहीं करेगी. हम कश्मीर में जिस तरह की ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं इससे कुछ हासिल नहीं होगा. आतंकवाद केवल बल प्रयोग से खत्म नहीं होता. सेना का इस्तेमाल गुमराह लोगों के लिए किया जाना चाहिए लेकिन जनता के दिलों को जीतना जरूरी है. आतंकवाद से लड़ने का एकमात्र उपाय जनता के बड़े हिस्से को अपने पक्ष में करना है और इसे उनका आत्मसम्मान और न्याय सुनिश्चित कर, किया जा सकता है.

अभिमन्यु चंद्रा : बतौर पूर्व पुलिस अधिकारी, कश्मीर में सेना और पुलिस के हालिया इस्तेमाल को कैसे देखते हैं?

जूलियो रिबेरो : सेना को अपनी जनता से लड़ने के लिए नहीं बल्कि दुश्मन से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. यदि आप कहते हैं कश्मीरी मुसलमान भारत का अभिन्न अंग हैं तो आपको उनके साथ वैसा ही बर्ताव करना चाहिए. सीमा राज्य होने के कारण वहां सेना जरूरी है लेकिन जहां आप अपने लोगों से लड़ रहे होते हैं वहां सेना के प्रयोग से बचाना चाहिए.

अभिमन्यु चंद्रा : हाल में आप मुंबई में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए काम कर रहे हैं. इस शहर में सांप्रदायिक संबंधों की क्या स्थिति है?

अभिमन्यु चंद्रा शिकागो विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं.

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