17 अगस्त 2019 की दोपहर मोहम्मद अयूब खान और उनका परिवार मस्जिद में नमाज अता करके घर लौटा और अभी बस खाना खत्म ही किया था कि खान ने बाहर शोर सुना. यह देखने के लिए कि क्या हो रहा है खान श्रीनगर के डाउनटाउन में अपने पड़ोस के नवाकादल मोहल्ले चले गए. उनके परिवार के मुताबिक, पास में एक विरोध प्रदर्शन हो रहा था जहां पुलिस प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दाग रही थी.
“कुछ समय बाद एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर मेरे पिता के साथ हमारे घर आया,” खान की 20 साल बेटी मेहविश अयूब ने कहा. “उसने हमें बताया कि मेरे अब्बू ने बहुत ज्यादा धुंआ सूंघ लिया है. उनकी सांस फूल रही थी और वह बात नहीं कर पा रहे थे.” सदमे और घबराहट में परिवार उसी ऑटोरिक्शा में अस्पताल की ओर दौड़ पड़ा. “लेकिन दस मिनट के अंदर उनकी मौत हो गई,” खान की पत्नी खजिरा सुबकते हुए मुझे बता रही थीं.
5 अगस्त को भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा छीन लिया था. इस कदम के बाद भारी सुरक्षा नाकाबंदी कर दी गई जिसके बाद अंधाधुंध आंसू गैस फायरिंग और व्यापक गिरफ्तारियां हुईं. तीन महीने बाद गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में कहा कि 5 अगस्त को कश्मीर में पुलिस गोलीबारी में किसी नागरिक की मौत नहीं हुई. उन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को पूरी तरह से सामान्य बताया. हालांकि, जनवरी 2020 में जारी एक रिपोर्ट में दो नागरिक समाज समूहों, जम्मू-कश्मीर एलायंस ऑफ सिविल सोसाइटी और एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स ऑफ डिसअपिएर्ड पर्सन्स ने दावा किया है कि 5 अगस्त से सुरक्षा बलों ने छह नागरिकों को मारा है. रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से तीन लोगों की मौत "सशस्त्र बलों द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोलों से दम घुटने की वजह से हुई." पिछले महीने मैंने इनमें से दो लोगों के परिवारों से बात की.
खान के घर पर मेहविश अपने परिवार के साथ बैठी बारहवीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा परिणाम जानने के लिए एक मित्र से संपर्क करने की कोशिश कर रही थी. उस दिन परिणाम घोषित होने वाले थे. खजीरा और उनकी दो छोटी बहनें भी मेहविश का परीक्षा परिणाम जानने की कोशिश में इधर-उधर कॉल कर रहीं थी. हालांकि कश्मीर पिछले कई महीनों से बंद था फिर भी मेहविश अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाए हुए थीं. पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है. जल्द ही मेहविश को पता चला कि उसने केवल परीक्षा पास ही नहीं की बल्कि उसे 83.2 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं.
खजीरा ने कहा कि वह अपनी तीनों बेटियों : मेहविश, मुस्कान और मेहरीन के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. मेहविश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "हमारे पास अब कमाने वाला कोई नहीं है, मेरी बेटी नौकरी करने के लिए बहुत छोटी है. मैं उसे पढ़ाना चाहती हूं और उसके लिए एक बेहतर भविष्य चाहती हूं." महविश ने कहा कि खान की मौत के बाद से उसकी मां की हालत नाजुक हो गई है. "जब मैं अपनी मां और बहनों को देखती हूं, तो मुझे लगता है कि अब इनकी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है," शांत लहजे में उसने मुझे बताया.
खान लकड़हारा थे और घर के एकमात्र कमाने वाले. 17 अगस्त को परिवार ने उन्हें श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल पहुंचाया. मेहविश ने मुझे बताया कि अस्पताल के अधिकारियों ने उनके मृत्यु प्रमाण पत्र पर मृत्यु के कारण का उल्लेख करने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि एक डॉक्टर ने उसे बताया कि उसे "उच्च अधिकारियों" से निर्देश मिले हैं. खान की मौत के तुरंत बाद, परिवार ने सफाकदल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद पुलिस ने मौखिक रूप से उन्हें आश्वासन दिया कि वे प्राथमिकी दर्ज करेंगे और परिवार को मुआवजा मिलेगा. खान की मौत हुए पांच महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन परिवार को न तो मुआवजा मिला है और न ही एफआईआर की कोई कॉपी ही.
परिवार ने बताया कि वे पैसों की तंगी और कोई सहयोग न मिलने के चलते अदालत का रुख नहीं कर सकते. मेहविश ने कहा, ''मेरे चाचा अभी हमारा खर्चा उठा रहे हैं लेकिन वह कब तक हमारी मदद करेंगे? उनका अपना भी परिवार है. अगर मेरे पिता नहीं मारे जाते, तो जिंदगी इतनी कठिन नहीं होती.”
डाउनटाउन क्षेत्र से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बसे एक मोहल्ले में, मैंने इसी तरह की एक और घटना सुनी. श्रीनगर के बेमिना इलाके की फिरदौस कॉलोनी में एक 32 वर्षीय गृहिणी फहमीदा के परिवार को भी उनकी मौत का सामना करना पड़ा.
फहमीदा के पति रफीक शागो के मुताबिक, 9 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के विरोध में हुए प्रदर्शन में पुलिस और सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में आंसू गैस के गोले दागे थे. शागो ने याद करते हुए कहा कि शाम करीब 6.30 बजे फहमीदा रसोई में थी. पुलिस ने घर की ओर आंसू गैस के गोले दागे. खिड़की के शीशे को तोड़ते हुए गोले रसोई में घुसे और रसोई धुएं से भर गई. फहमीदा की सांस फूलने लगी और दम घुटने लगा. वह रसोई से बाहर निकल कर जमीन पर गिर पड़ी. परिवार के लोग फौरन वहां पहुंचे. शागो ने कहा कि जब उन्हें वह मिली तो ''उसे खून की उल्टी हो रही थी. हम तुरंत अस्पताल पहुंचे. कुछ घंटों के बाद वह मर गई.”
शागो बेमिना में एक दुकान चलाते हैं. शागो ने बताया कि पत्नी की मौत के बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया. अपनी पत्नी की मृत्यु के कारण का सबूत पाने के लिए, उन्होंने एसकेआईएमएस अस्पताल से पूछताछ की, जहां उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए ले जाया गया था. शागो के अनुसार, उन्होंने प्रशासन के डर से पहले तो मना कर दिया. "लेकिन मैं तब तक मेडिकल सर्टिफिकेट मांगता रहा जब तक कि वह मुझे मिल नहीं गया."
फहमीदा के रोगी पंजीकरण कार्ड में लिखा था, "रोगी के कुछ जहरीली गैस सूंघने की आशंका है" और कोष्ठक में जोड़ा गया, "कथित आंसू गैस." "मृत्यु के कारण का चिकित्सा प्रमाणपत्र" मृत्यु के तत्काल कारण को "अचानक दिल की धड़कन रुक जाने" के रूप में सूचीबद्ध करता है. बीमारी के कारण वाले कॉलम में तीन प्रविष्ठियां हैं, जिनमें से एक में अनुमान लगाया गया है : "फेफड़े पर गंभीर चोट (विषाक्त गैस भर जाना)"
20 सितंबर को शागो ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज किया. ''गोलाबारी के दौरान, पुलिस और सुरक्षा बलों ने याचिकाकर्ता के घर को निशाना बनाया और बिना किसी कारण के उनके घर की ओर आंसू गैस के गोले दागे," शागो की याचिका में कहा गया है. याचिका में फेहमीदा की मृत्यु के बाद की परिस्थितियों को याद किया गया था. "शाम के लगभग 6.30 बजे जब मृतक खाना बना रही थी और अपनी रसोई में घर के काम कर रही थी, पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोले रसोई में घुसे... जिससे घर में धुआं (जहरीली गैस) भर गया,'' याचिका में कहा गया. "भारी आंसू गैस के गोले के कारण, धुआं जल्दी से रसोई और आस-पास के कमरों में भर गया."
फहमीदा की स्थिति के बारे में बताते हुए, याचिका में कहा गया, "अस्पताल ले जाते समय, मृतक के मुंह से लगातार खून बह रहा था. मृतक ने डॉक्टरों से अत्यधिक घुटन होने की शिकायत की. लगभग 7.40 बजे, जब डॉक्टर उसका इलाज करने की कोशिश कर रहे थे, उसके मुंह से झाग निकलने लगा और उसी समय उसकी मृत्यु हो गई.”
मैंने शागो के वकील शाह फैसल से बात की. "यह अदालत में दायर उन कुछ मामलों में से एक है जहां आंसू गैस के धुएं के कारण मौतें हुई हैं," उन्होंने कहा. फैसल ने मुझे बताया कि अदालत को दिए अपने जवाब में, पुलिस ने फहमीदा की मौत की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है और दावा किया है कि वह बीमार थी.
फहमीदा और शागो के दो बेटे हैं : दस साल का अयान और सात साल का माहिर. फहमीदा को दफनाए जाने के कुछ दिनों बाद, शागो अपने बेटों को उनकी कब्र दिखाने के लिए ले गए, जो उनकी अपनी मां के बगल में थी. दो कब्रों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने अपने बच्चों को बताया, "वह कब्र मेरी मां की है और यह तुम्हारी मां की." शागो की भाभी तबस्सुम ने मुझे बताया, "वह अपने बच्चों से झूठ नहीं बोलना चाहते, क्योंकि वह कहते हैं कि कल वे उससे एक लाख सवाल पूछ सकते हैं कि उनकी मां कहां है."
अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद दाढ़ी बढ़ा चुके शागो ने कहा कि उन्हें अपने बच्चों की देखभाल करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि माहिर अक्सर रोता है और फहमीदा के बारे में पूछता है. हर बार शागो चुप रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास कोई और चारा नहीं है.
2019 की आउटलुक की एक रिपोर्ट के अनुसार आंसू गैस के गोले कश्मीर में एक सार्वजनिक-स्वास्थ्य जोखिम बन गए हैं. रिपोर्ट में कश्मीर में एक गुमनाम वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले आंसू गैस के गोले के बारे में बताया गया है. "2016 में लगभग एक लाख से अधिक आंसू गैस के गोले इस्तेमाल किए गए थे और तब से हर साल औसतन 70000 गोलों का इस्तेमाल किया गया है," उन्होंने बताया. "जंगी हथियारों का इस्तेमाल करने में हम शायद देश में सबसे अव्वल हैं."
मैंने बेमिना और सफाकदल पुलिस स्टेशनों के पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया. बेमिना पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. सफाकदल पुलिस स्टेशन ने टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.