आंसू गैस के धुएं से कश्मीरियों की मौत के बाद जिम्मेदारी लेने से पुलिस का इनकार

21 फ़रवरी 2020
रफीक शागो ने बताया कि मौत से पहले उनकी पत्नी फहमीदा खून की उल्टियां कर रही थीं.
शाहिद तांत्रे/कारवां
रफीक शागो ने बताया कि मौत से पहले उनकी पत्नी फहमीदा खून की उल्टियां कर रही थीं.
शाहिद तांत्रे/कारवां

17 अगस्त 2019 की दोपहर मोहम्मद अयूब खान और उनका परिवार मस्जिद में नमाज अता करके घर लौटा और अभी बस खाना खत्म ही किया था कि खान ने बाहर शोर सुना. यह देखने के लिए कि क्या हो रहा है खान श्रीनगर के डाउनटाउन में अपने पड़ोस के नवाकादल मोहल्ले चले गए. उनके परिवार के मुताबिक, पास में एक विरोध प्रदर्शन हो रहा था जहां पुलिस प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दाग रही थी.

“कुछ समय बाद एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर मेरे पिता के साथ हमारे घर आया,” खान की 20 साल बेटी मेहविश अयूब ने कहा. “उसने हमें बताया कि मेरे अब्बू ने बहुत ज्यादा धुंआ सूंघ लिया है. उनकी सांस फूल रही थी और वह बात नहीं कर पा रहे थे.” सदमे और घबराहट में परिवार उसी ऑटोरिक्शा में अस्पताल की ओर दौड़ पड़ा. “लेकिन दस मिनट के अंदर उनकी मौत हो गई,” खान की पत्नी खजिरा सुबकते हुए मुझे बता रही थीं.

5 अगस्त को भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा छीन लिया था. इस कदम के बाद भारी सुरक्षा नाकाबंदी कर दी गई जिसके बाद अंधाधुंध आंसू गैस फायरिंग और व्यापक गिरफ्तारियां हुईं. तीन महीने बाद गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में कहा कि 5 अगस्त को कश्मीर में पुलिस गोलीबारी में किसी नागरिक की मौत नहीं हुई. उन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को पूरी तरह से सामान्य बताया. हालांकि, जनवरी 2020 में जारी एक रिपोर्ट में दो नागरिक समाज समूहों, जम्मू-कश्मीर एलायंस ऑफ सिविल सोसाइटी और एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स ऑफ डिसअपिएर्ड पर्सन्स ने दावा किया है कि 5 अगस्त से सुरक्षा बलों ने छह नागरिकों को मारा है. रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से तीन लोगों की मौत "सशस्त्र बलों द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोलों से दम घुटने की वजह से हुई." पिछले महीने मैंने इनमें से दो लोगों के परिवारों से बात की.

खान के घर पर मेहविश अपने परिवार के साथ बैठी बारहवीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा परिणाम जानने के लिए एक मित्र से संपर्क करने की कोशिश कर रही थी. उस दिन परिणाम घोषित होने वाले थे. खजीरा और उनकी दो छोटी बहनें भी मेहविश का परीक्षा परिणाम जानने की कोशिश में इधर-उधर कॉल कर रहीं थी. हालांकि कश्मीर पिछले कई महीनों से बंद था फिर भी मेहविश अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाए हुए थीं. पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है. जल्द ही मेहविश को पता चला कि उसने केवल परीक्षा पास ही नहीं की बल्कि उसे 83.2 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं.

खजीरा ने कहा कि वह अपनी तीनों बेटियों : मेहविश, मुस्कान और मेहरीन के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. मेहविश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "हमारे पास अब कमाने वाला कोई नहीं है, मेरी बेटी नौकरी करने के लिए बहुत छोटी है. मैं उसे पढ़ाना चाहती हूं और उसके लिए एक बेहतर भविष्य चाहती हूं." महविश ने कहा कि खान की मौत के बाद से उसकी मां की हालत नाजुक हो गई है. "जब मैं अपनी मां और बहनों को देखती हूं, तो मुझे लगता है कि अब इनकी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है," शांत लहजे में उसने मुझे बताया.

कुरतुलैन रहबर श्रीनगर में स्वतंत्र पत्रकार हैं. @ainulrhbr पर उनसे टि्वटर पर संपर्क किया जा सकता है.

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