केरल बीजेपी पर लगे काले धन के आरोप पर पिछले चार महीने से चल रही जांच में 24 जुलाई को उस वक्त एक नाटकीय मोड़ आ गया जब राज्य पुलिस ने दायर किए आरोप पत्र में बीजेपी के किसी भी नेता को आरोपी नहीं बनाया. हवाला के जरिए 3.5 करोड़ रुपए के मुद्रा शोधन के इस मामले में कई सीनियर बीजेपी नेताओं के नाम सामने आए थे. राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से तीन दिन पहले 3 अप्रैल को त्रिशूर जिले में कोडकारा राजमार्ग पर एक कार से भारी मात्रा में पैसे चोरी हो गए थे. राज्य पुलिस ने बाद में कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन और राज्य के आयोजन सचिव एम गणेश की मिलीभगत से यह पैसा बीजेपी की अलाप्पुझा जिला इकाई को दिया जाना था. बाद के महीनों में विपक्षी नेताओं ने बीजेपी नेताओं पर चुनाव से पहले बड़ी रकम की पेशकश करने का भी आरोप लगाया. बीजेपी आखिरकार चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई.
कोडाकारा डकैती का मामला बीजेपी की केरल इकाई के खिलाफ काले धन का पहला मामला था. 2 जून को जनाधिपति राष्ट्रीय सभा की राज्य कोषाध्यक्ष प्रसीदा अझिकोड ने कहा कि सुरेंद्रन ने जेआरएस अध्यक्ष और आदिवासी नेता सीके जानू को चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन का साथ देने के लिए 10 लाख रुपए दिए थे. जानू उस समय वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के साथ बातचीत कर रही थीं. अझिकोड के आरोप उनके और सुरेंद्रन के बीच हुई बातचीत के लीक हुए एक ऑडियो क्लिप के बाद सामने आए, जिसमें उन्होंने सुरेंद्रन को बताया कि जानू ने 10 लाख रुपए मांगे हैं. तीन दिन बाद बहुजन समाज पार्टी के नेता के सुंदरा ने कहा कि केरल बीजेपी ने उन्हें मंजेश्वर निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेने के लिए 15 लाख रुपए की पेशकश की थी. वह इस क्षेत्र से सुरेंद्रन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे. सुंदरा ने घोषणा की कि उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया लेकिन बीजेपी ने उन्हें केवल 2.5 लाख रुपए और 15000 रुपए का एक फोन दिया. सुरेंद्रन अंततः चुनाव हार गए.
विभिन्न आरोप हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में धांधली के गंभीर प्रयासों के बारे में बताते हैं. हालांकि केरल पुलिस को कोडकारा मामले में बहुत कम सबूत मिले हैं, आरोप पत्र में आरोपियों से सहयोग की कमी और 1.47 करोड़ रुपए की वसूली का हवाला दिया गया है. जबकि चार्जशीट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केरल विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खर्चों को पूरा करने के लिए हवाला एजेंट के माध्यम से बेंगलुरु से अवैध रूप से धन प्राप्त किया गया था, पर आरोपियों में एक भी बीजेपी नेता का नाम नहीं है. यहां तक कि धर्मराजन, जिसे चार्जशीट में हवाला एजेंट बताया गया है, जो जांच के दौरान विभिन्न बीजेपी कार्यालयों में पैसे पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है, उसे चार्जशीट में केवल एक गवाह के रूप में नामित किया गया है. फिर भी चुनावी हार के मद्देनजर सुंदरा और अझिकोड द्वारा उठाए गए मामले और आरोपों ने राज्य बीजेपी इकाई में बेचैनी पैदा कर दी है.
कोडकारा हाईवे डकैती 6 अप्रैल को हुए राज्य चुनाव से तीन दिन पहले हुई थी लेकिन एक दिन बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई. 7 अप्रैल को वाहन के चालक शमजीर शमसुद्दीन ने कोडकारा पुलिस थाने में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि नौ लोगों के एक गिरोह ने उनकी कार को हाईवे पर रोक कर 25 लाख रुपए लूट लिए. लेकिन चार्जशीट के अनुसार, जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि यह राशि वास्तव में 3.5 करोड़ रुपए थी, जो उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्मराजन नाम के एक सदस्य ने दी थी. इसमें केरल बीजेपी के कई नेता शामिल थे.
15 जून को त्रिशूर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त वीके राजू ने जांच के बारे में इरिंजालकुडा जिला अदालत को एक स्थिति रिपोर्ट सौंपी. “यह स्पष्ट है कि बीजेपी के राज्य कार्यालय सचिव गिरीशन नायर और आयोजन सचिव गणेश के निर्देश पर हवाला के जरिए कर्नाटक से 3.5 करोड़ रुपए लाए गए थे और यह लूट 03/4/2021 को रास्ते में उस वक्त हुई जब अलाप्पुझा जिले के बीजेपी के कोषाध्यक्ष गोपालकृष्ण पैसे ले कर जा रहे थे,” रिपोर्ट में कहा गया है. पुलिस ने बताया है कि धर्मराजन की भूमिका हवाला के पैसे को मांग करने वाले को देने की थी और उसे इसके लिए कमीशन भी मिला. स्थिति रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 21 और 27 मई को पूछताछ के दौरान धर्मराजन ने कबूल किया कि पार्टी कोषाध्यक्ष को 3.5 करोड़ रुपए पहुंचाने का आदेश नायर और गणेश ने दिया था.
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