काले धन के आरोपों के बावजूद चार्जशीट से गायब केरल बीजेपी नेताओं के नाम

3 अप्रैल 2021 को केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के नेमोम निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के चुनाव कार्यालय के बाहर का दृश्य. केरल बीजेपी अध्यक्ष के. सुरेंद्रन (सबसे दाएं) पर इस साल अप्रैल में हुए राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान काला धन से जुड़े कई आरोप लगे हैं. आर एस अय्यर / एपी फोटो
17 August, 2021

केरल बीजेपी पर लगे काले धन के आरोप पर पिछले चार महीने से चल रही जांच में 24 जुलाई को उस वक्त एक नाटकीय मोड़ आ गया जब राज्य पुलिस ने दायर किए आरोप पत्र में बीजेपी के किसी भी नेता को आरोपी नहीं बनाया. हवाला के जरिए 3.5 करोड़ रुपए के मुद्रा शोधन के इस मामले में कई सीनियर बीजेपी नेताओं के नाम सामने आए थे. राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से तीन दिन पहले 3 अप्रैल को त्रिशूर जिले में कोडकारा राजमार्ग पर एक कार से भारी मात्रा में पैसे चोरी हो गए थे. राज्य पुलिस ने बाद में कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन और राज्य के आयोजन सचिव एम गणेश की मिलीभगत से यह पैसा बीजेपी की अलाप्पुझा जिला इकाई को दिया जाना था. बाद के महीनों में विपक्षी नेताओं ने बीजेपी नेताओं पर चुनाव से पहले बड़ी रकम की पेशकश करने का भी आरोप लगाया. बीजेपी आखिरकार चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई.

कोडाकारा डकैती का मामला बीजेपी की केरल इकाई के खिलाफ काले धन का पहला मामला था. 2 जून को जनाधिपति राष्ट्रीय सभा की राज्य कोषाध्यक्ष प्रसीदा अझिकोड ने कहा कि सुरेंद्रन ने जेआरएस अध्यक्ष और आदिवासी नेता सीके जानू को चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन का साथ देने के लिए 10 लाख रुपए दिए थे. जानू उस समय वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के साथ बातचीत कर रही थीं. अझिकोड के आरोप उनके और सुरेंद्रन के बीच हुई बातचीत के लीक हुए एक ऑडियो क्लिप के बाद सामने आए, जिसमें उन्होंने सुरेंद्रन को बताया कि जानू ने 10 लाख रुपए मांगे हैं. तीन दिन बाद बहुजन समाज पार्टी के नेता के सुंदरा ने कहा कि केरल बीजेपी ने उन्हें मंजेश्वर निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेने के लिए 15 लाख रुपए की पेशकश की थी. वह इस क्षेत्र से सुरेंद्रन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे. सुंदरा ने घोषणा की कि उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया लेकिन बीजेपी ने उन्हें केवल 2.5 लाख रुपए और 15000 रुपए का एक फोन दिया. सुरेंद्रन अंततः चुनाव हार गए.

विभिन्न आरोप हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में धांधली के गंभीर प्रयासों के बारे में बताते हैं. हालांकि केरल पुलिस को कोडकारा मामले में बहुत कम सबूत मिले हैं, आरोप पत्र में आरोपियों से सहयोग की कमी और 1.47 करोड़ रुपए की वसूली का हवाला दिया गया है. जबकि चार्जशीट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केरल विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खर्चों को पूरा करने के लिए हवाला एजेंट के माध्यम से बेंगलुरु से अवैध रूप से धन प्राप्त किया गया था, पर आरोपियों में एक भी बीजेपी नेता का नाम नहीं है. यहां तक कि धर्मराजन, जिसे चार्जशीट में हवाला एजेंट बताया गया है, जो जांच के दौरान विभिन्न बीजेपी कार्यालयों में पैसे पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है, उसे चार्जशीट में केवल एक गवाह के रूप में नामित किया गया है. फिर भी चुनावी हार के मद्देनजर सुंदरा और अझिकोड द्वारा उठाए गए मामले और आरोपों ने राज्य बीजेपी इकाई में बेचैनी पैदा कर दी है.

कोडकारा हाईवे डकैती 6 अप्रैल को हुए राज्य चुनाव से तीन दिन पहले हुई थी लेकिन एक दिन बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई. 7 अप्रैल को वाहन के चालक शमजीर शमसुद्दीन ने कोडकारा पुलिस थाने में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि नौ लोगों के एक गिरोह ने उनकी कार को हाईवे पर रोक कर 25 लाख रुपए लूट लिए. लेकिन चार्जशीट के अनुसार, जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि यह राशि वास्तव में 3.5 करोड़ रुपए थी, जो उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्मराजन नाम के एक सदस्य ने दी थी. इसमें केरल बीजेपी के कई नेता शामिल थे.

15 जून को त्रिशूर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त वीके राजू ने जांच के बारे में इरिंजालकुडा जिला अदालत को एक स्थिति रिपोर्ट सौंपी. “यह स्पष्ट है कि बीजेपी के राज्य कार्यालय सचिव गिरीशन नायर और आयोजन सचिव गणेश के निर्देश पर हवाला के जरिए कर्नाटक से 3.5 करोड़ रुपए लाए गए थे और यह लूट 03/4/2021 को रास्ते में उस वक्त हुई जब अलाप्पुझा जिले के बीजेपी के कोषाध्यक्ष गोपालकृष्ण पैसे ले कर जा रहे थे,” रिपोर्ट में कहा गया है. पुलिस ने बताया है कि धर्मराजन की भूमिका हवाला के पैसे को मांग करने वाले को देने की थी और उसे इसके लिए कमीशन भी मिला. स्थिति रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 21 और 27 मई को पूछताछ के दौरान धर्मराजन ने कबूल किया कि पार्टी कोषाध्यक्ष को 3.5 करोड़ रुपए पहुंचाने का आदेश नायर और गणेश ने दिया था.

स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है, "यह पता चला है कि धर्मराजन, शमजीर और राशिद के साथ, धर्मराजन के भाई ने 5 मार्च 2021 से 5 अप्रैल 2021 के बीच केरल विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी पदाधिकारियों को अनधिकृत धन सौंपने के लिए केरल के कई हिस्सों का दौरा किया." इसमें आगे कहा गया है कि धर्मराजन ने पुलिस को बताया कि शिकायत करने में देरी इसलिए हुई क्योंकि उन्हें डर था कि चुनावी के दौरान उन्हें पैसे के स्रोत के बारे में बताना होगा. रिपोर्ट में कहा गया है, ''इस बयान के आधार पर पूर्व जांच अधिकारी ने एक नोटिस जारी कर पैसे के स्रोत का खुलासा करने की मांग की थी. आज तक कोई कानूनी दस्तावेज पेश नहीं किया गया है.” जब पुलिस ने रिपोर्ट जमा की तब तक मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका था, सुरेंद्रन, नायर और गणेश सहित कई बीजेपी नेताओं से पूछताछ की जा चुकी थी और 9 लाख रुपए से अधिक के सोने के आभूषणों के अलावा चोरी हुए धन में से 1.40 करोड़ रुपए बरामद किए जा चुके थे.

2 मई को आए चुनाव परिणामों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे को स्पष्ट जीत मिली और बीजेपी को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली और यहां तक कि 2016 में जिस एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र में उसे जीत मिली थी वह भी हाथ से चली गई. तीन दिन बाद त्रिशूर पुलिस की अपराध शाखा ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया. अगले दो महीनों में एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान केरल बीजेपी के सुरेंद्रन, उनके बेटे हरिकृष्णन, गणेश और त्रिशूर बीजेपी अध्यक्ष केके अनीश कुमार सहित कई नेताओं से पूछताछ की.

एसआईटी ने 24 जुलाई को इरिंजालकुडा जिला अदालत के समक्ष अपना आरोप पत्र प्रस्तुत जिसमें बीजेपी के किसी नेता का नाम नहीं है. चार्जशीट में कहा गया है कि सुरेंद्रन को केरल में बीजेपी के चुनाव प्रचार खर्च के लिए कर्नाटक से पैसे लाने की योजना के बारे में पता था. इसमें आगे कहा गया है कि धर्मराजन गणेश और नायर के निर्देशों पर काम कर रहा था और उसे अलाप्पुझा जिले के कोषाध्यक्ष गोपालकृष्ण कर्ता को पैसा देना था. चार्जशीट में कहा गया है, "यह पाया गया है कि इस मामले में चुराए गए 3.5 करोड़ रुपए अवैध रूप से बेंगलुरु से 2021 के केरल विधानसभा चुनावों के संबंध में बीजेपी के चुनाव प्रचार के लिए लाए गए थे." लेकिन इनमें से कोई भी व्यक्ति अभियुक्तों में शामिल नहीं है. इसके बजाय उन सभी को बतौर गवाह दर्ज किया गया है.

चार्जशीट में 22 लोगों पर कोडकारा हाईवे पर दुर्घटना करने और कार के गुप्त डिब्बे से पैसे चुराने का आरोप लगाया गया है. राशिद पर बशीर को पैसे ले जाने के बारे में जानकारी लीक करने का आरोप है. बशीर डकैती को अंजाम देने वालों में शामिल था. राशिद के बारे में कहा जाता है कि उसने पहले बीजेपी जिला कार्यालयों में पैसा पहुंचाया था. पुलिस के अनुसार शमजीर ने जो कुछ हुआ उसके बारे में तुरंत धर्मराजन को बताया. जिसने बाद में त्रिशूर में पार्टी के जिला कोषाध्यक्ष सुरेंद्रन, नायर, कार्थी और सुजय सेनन को इसकी खबर दी. चार्जशीट में कहा गया है कि सेनन और पार्टी के क्षेत्रीय महासचिव काशीनाथन ने भी घटना के तुरंत बाद व्यक्तिगत रूप से घटनास्थल का दौरा किया.

ऐसा लगता है कि जांच में कोडकारा डकैती के अलावा भी कई जानकारियां सामने आई हैं. चार्जशीट में कहा गया है कि धर्मराजन और उसके सहयोगियों ने इस साल चुनाव से पहले पूरे केरल में बीजेपी के विभिन्न कार्यालयों में 40 करोड़ रुपए पहुंचाए थे. केरल के त्रिशूर रेंज के पुलिस महानिदेशक ए अकबर कोडकारा एसआईटी के जांच अधिकारी हैं. जब मैंने उनसे यह जानने के लिए संपर्क किया कि बीजेपी सदस्यों को गवाह के रूप में क्यों दर्ज किया गया बजाए आरोपी के तो उन्होंने न तो कोई जवाब दिया और न ही मेरा कॉल उठाया.

मैंने काले धन के आरोपों के बारे में धर्मराजन और इस मामले में शामिल कई बीजेपी नेताओं- सुरेंद्रन, गणेश, नायर, कार्था और सेनन से संपर्क करने की भी कोशिश की. गणेश, धर्मराजन और कार्थ ने जवाब दिया कि वे मुझसे मामले के बारे में बात नहीं करेंगे क्योंकि जांच अभी जारी है, जबकि अन्य ने मेरे कॉल या संदेशों का जवाब नहीं दिया. चार्जशीट में कहा गया है कि इसकी प्रतियां आगे की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और राज्य चुनाव आयोग को भेजी जाएंगी और कोडकारा पुलिस बाकी 3.5 करोड़ रुपए की वसूली के लिए अपनी जांच जारी रखेगी.

इस तरह के करोड़ों रुपए के मामले में आमतौर पर प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना की जांच करता है. अप्रैल में जैसे ही कोडकारा मामला सामने आया एक क्षेत्रीय दल, लोकतांत्रिक युवा जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सलीम मदवूर ने एजेंसी को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की. मदवूर ने बताया कि उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय की जांच की मांग को लेकर केरल उच्च न्यायालय का रुख किया. अदालत ने निदेशालय को याचिका पर जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी किया लेकिन यह केंद्रीय एजेंसी मामले पर अपने पैर खींचती रही. उसने दो बार जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की.

मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष पीके नवास ने मुझे बताया, “केरल में चुनाव से पहले ईडी जैसी जांच एजेंसियों ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामूली मामलों में सीधे हस्तक्षेप किया. लेकिन न तो ईडी और न ही कोई अन्य राष्ट्रीय जांच एजेंसी या यहां तक कि केरल अपराध शाखा भी बड़े पैमाने पर हुए सौदे में स्वत: संज्ञान मामला दर्ज करने के लिए आगे आई है.”

नवास ने कोडकारा मामले के अलावा सुरेंद्रन और जेआरएस की अध्यक्षा जानू के खिलाफ भी अझिकोड द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की मांग की है. विधानसभा चुनावों में एनडीए के साथ गठबंधन करने के एवज में जानू को 10 लाख रुपए के भुगतान की बातचीत वाली एक फोन रिकॉर्डिंग लीक हो गई थी. रिकॉर्डिंग लीक होने के कुछ देर बाद ही अझिकोड ने इसकी पुष्टि की और मीडिया को बताया कि सुरेंद्रन ने 7 मार्च को जानू को पैसे दिए थे.

जानू केरल की अग्रणी आदिवासी नेता हैं. उन्होंने 2016 में जेआरएस का गठन किया और तुरंत बाद एनडीए में शामिल हो गईं. दो साल बाद उन्होंने घोषणा की कि उनका संगठन गठबंधन से हट रहा है क्योंकि बीजेपी ने उनकी पार्टी से किए किसी वादे को पूरा नहीं किया है. फरवरी 2019 के एक साक्षात्कार में जानू ने मुझसे कहा था, “अब हमारा एनडीए से कोई लेना-देना नहीं है." इस साल 8 मार्च को जानू ने घोषणा की कि जेआरएस 2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के साथ गठबंधन करेगी. जानू ने मीडिया से कहा, "चूंकि वे हमारी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार हैं इसलिए हमने मोर्चे में शामिल होने का फैसला किया है." उन्होंने वायनाड जिले के सुल्तान बथेरी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनावों में तीसरे स्थान पर रहीं.

जून के अंत में अझिकोड ने एक और रिकॉर्डिंग जारी की जिसमें उनके और सुरेंद्रन के बीच एक और बातचीत थी. अझिकोड के अनुसार, रिकॉर्डिंग में सुरेंद्रन ने उन्हें बताया कि गणेश ही हैं जो सारा पैसा संभालते हैं और जानू को उनके साथ बात करनी चाहिए. इन ऑडियो रिकॉर्डिंग के मद्देनजर जेआरएस ने जानू को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है.

जानू ने कॉल या मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया. लेकिन मीडिया के साथ पिछली बातचीत में उन्होंने अझिकोड द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है.

पहली रिकॉर्डिंग सार्वजनिक होने के एक दिन बाद, नवास ने केरल पुलिस के पूर्व महानिदेशक लोकनाथ बेहरा को एक शिकायत लिखी. नवास ने मुझे बताया, "सुरेंद्रन के खिलाफ मेरी पहली शिकायत 3 जून को डीजीपी के समक्ष दर्ज की गई थी, जिसमें प्रसीदा अझिकोड के खुलासे की जांच की मांग की गई थी. मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. मैंने डीजीपी कार्यालय को फोन किया तो उन्होंने कहा कि मामला वायनाड के एसपी को सौंप दिया गया है. मैंने वायनाड के एसपी को फोन किया तो उन्होंने कहा कि मामला मनंतवाडी में डीएसपी के पास है. डीएसपी ने मुझे बताया कि उनके पास फाइल नहीं है.”

नवास ने मुझे बताया कि उन्होंने फिर डीजीपी के कार्यालय को एक अनुस्मारक पत्र भेजा और उसके बाद एक और फोन किया. जवाब के लिए उन्हें वायनाड पुलिस अधीक्षक से संपर्क करने के लिए कहा गया. पुलिस ने जिला अदालत के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज कर ली. प्रथम सूचना रिपोर्ट तब दर्ज की जब नवास ने जिला अदालत में निर्देश की मांग की. पुलिस ने कथित तौर पर नवास की शिकायत के संबंध में गणेश और बीजेपी जिलाध्यक्ष साजी शंकर से पूछताछ की है. वायनाड पुलिस की अपराध शाखा के उपाधीक्षक आर मनोज कुमार ने मुझे बताया कि पुलिस ने वायनाड में मनीमाला होमस्टे का दौरा किया था, जहां सुरेंद्रन पर जानू को 10 लाख रुपए का भुगतान करने का आरोप है और वहां से सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा किए. लेकिन कुमार ने जुटाए गए सबूतों या जांच के निष्कर्षों के बारे में यह कहते हुए कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया कि जांच अभी भी जारी है.

सुरेंद्रन के खिलाफ अझिकोड के आरोपों के बाद के सुंदरा, जिन्हें मंजेश्वर से बसपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना था, ने सार्वजनिक रूप से कहा कि सुरेंद्रन के पास से 15 लाख रुपए की पेशकश के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया. सुंदरा ने जून की शुरुआत में मीडिया में आरोप लगाए कि सुरेंद्रन के करीबी सुनील नाइक ने उन्हें 2.5 लाख रुपए और 15000 रुपए का स्मार्टफोन दिया है. नाइक बीजेपी की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य कोषाध्यक्ष रह चुके हैं.

मार्च के अंत में सुंदरा ने अपनी दावेदारी वापिस लेने और बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की जिसके बाद नाइक ने अन्य बीजेपी नेताओं के साथ सुंदरा के घर के बाहर की एक तस्वीर भी पोस्ट की. लेकिन जब उन्होंने सुरेंद्रन के खिलाफ आरोप लगाए तो सुंदरा ने दावा किया कि उन्होंने दबाव में आकर नामांकन वापिस लिया. सुंदरा के आरोपों के बाद मंजेश्वर से एलडीएफ उम्मीदवार वीवी रमेश ने मामले में शिकायत दर्ज कराई थी. फिलहाल मामले की जांच कासरगोड पुलिस क्राइम ब्रांच कर रही है.

कासरगोड पुलिस के उपाधीक्षक सतीश कुमार ने मुझे बताया कि पुलिस ने मामले के संबंध में नाइक और बीजेपी की मंजेश्वर इकाई के अध्यक्ष मणिकांत राय से पूछताछ की थी. जब मैंने पूछा कि क्या पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी, तो उन्होंने जवाब दिया, "हम करेंगे." उन्होंने कहा, "हमने संबंधित धाराओं का फैसला नहीं किया है." कुमार ने यह भी कहा कि पुलिस ने सुंदरा को मिले धन का “लगभग 75 प्रतिशत” वसूल कर लिया है.

नाइक ने आरोपों से इनकार कर दिया. उन्होंने सुंदरा के इस दावे को खारिज कर दिया कि नाइक ने हंसते हुए उन्हें 25 लाख रुपये दिए थे और कहा, “मैंने उन्हें एक पैसा भी नहीं दिया है. मैंने केवल एक फोटो के लिए पोज दिया. बस इतना ही." यह पूछे जाने पर कि वह सुंदरा के घर आखिर क्यों गए थे, नाइक ने जवाब दिया, "मैं बीजेपी का एक साधारण सा सदस्य हूं. जब उन्होंने मुझे आमंत्रित किया तो मैं बीजेपी नेताओं के साथ चला गया. नेताओं से पूछो. मेरे जैसे बिना जिम्मेदारी वाले व्यक्ति से पूछने का क्या फायदा? खैर, जांच की जा रही है. हम देख लेंगे."

2016 के विधानसभा चुनाव में सुंदरा ने केरल के कासरगोड जिले की मंजेश्वर सीट से चुनाव लड़ा था. उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 467 वोट मिले, जबकि सुरेंद्रन इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के पीबी अब्दुल रजाक से 89 वोटों के मामूली अंतर से हार गए. इस साल सुरेंद्रन दो सीटों मंजेश्वर और कोनी से खड़े हुए और दोनों से ही हार गए. मंजेश्वर में सुंदरा के नामांकन वापिस लेने के बावजूद सुरेंद्रन आईयूएमएल उम्मीदवार एकेएम अशरफ से 1000 से अधिक मतों से हारे.

अशरफ के मुताबिक मंजेश्वर में बीजेपी के प्रचार में आरएसएस ने भी अहम भूमिका निभाई. उन्होंने मुझे बताया, ''यह इलाका आरएसएस की दक्षिण कन्नड़ जिला समिति के तहत आता है. आरएसएस के दस सदस्यों के एक समूह ने तीन महीने पहले यहां काम शुरू किया था और उन लोगों ने मोहल्लों में भोजन और अन्य आवश्यक चीजों के साथ साथ पैसे भी बांटे.

काले धन के आरोपों की आंच केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंची. सुरेंद्रन कथित तौर पर 9 जून को बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली आए थे. दो दिन पहले ही इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा गठित तीन नौकरशाहों के एक स्वतंत्र पैनल ने पार्टी की राज्य इकाई में चुनावी धन के वितरण के बारे एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. उस दिन राज्य विधानसभा में 7 जून को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बीजेपी पर 2021 के चुनाव प्रचार के दौरान बेहिसाब धन का उपयोग करने का आरोप लगाया था.

सुरेंद्रन के दिल्ली दौरे के तीन दिन बाद 12 जून को अझिकोड ने एक और फोन रिकॉर्डिंग जारी की. रिकॉर्डिंग से केरल बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में मतभेदों का पता चलता है. इन नेताओं के मुताबिक 7 मार्च को सुरेंद्रन ने फोन कर अनुरोध किया था कि केरल बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पीके कृष्णदास को जानू को दिए जा रहे पैसों का पता नहीं चलना चाहिए. बीजेपी में नायर और एझावा जाति लॉबी के बीच टकराव है. कृष्णदास के गुट को सुरेंद्रन का विरोधी माना जाता है. सुरेंद्रन एझावा हैं. काले धन के आरोपों के बाद कृष्णदास गुट ने कथित तौर पर पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं को सूचित किया कि वह सुरेंद्रन का बचाव नहीं करेंगे. उन्होंने राज्य में केंद्रीय नेतृत्व के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए आरोप लगाया कि सुरेंद्रन केरल बीजेपी को बर्बाद कर रहे हैं.

सुरेंद्रन पर ध्यान केंद्रित करने के बीच, आयोजन सचिव गणेश की भूमिका काफी हद तक जांच-पड़ताल से बच गई है. फिर भी आयोजन सचिव के रूप में गणेश बीजेपी और आरएसएस के बीच समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सुरेंद्रन और अझिकोड के बीच एक कथित फोन कॉल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने उनसे कहा कि पैसे की किसी भी जरूरत के बारे में वह गणेश से बात करें. ऑडियो क्लिप में जिस व्यक्ति की आवाज है उसने कॉल के दौरान गणेश का जिक्र करते हुए अझिकोड से कहा, "मुझे लगता है कि आप समझ नहीं पाए कि वह कौन है." “वह पार्टी के आयोजन सचिव हैं. मैं यहां का उम्मीदवार हूं. मैं ऐसी चीजों को हैंडल नहीं कर सकता."

गणेश ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और मामले के लगभग सभी आरोपियों और अन्य नेताओं ने कॉल या संदेशों का जवाब नहीं दिया.