केरल के इतिहास और वर्तमान को भगवा रंग में रंगने के हिंदू एक्य वेदी के प्रयास

1 दिसंबर 2022 को तिरुवनंतपुरम में हिंदू एक्य वेदी ने विरोध प्रदर्शन किया. केरल स्टोरी फिल्म की कहानी उन कई तरीकों में से एक है जिससे हिंदू एक्य वेदी केरल के अतीत और वर्तमान को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश कर रहा है.
एएनआई फोटो
1 दिसंबर 2022 को तिरुवनंतपुरम में हिंदू एक्य वेदी ने विरोध प्रदर्शन किया. केरल स्टोरी फिल्म की कहानी उन कई तरीकों में से एक है जिससे हिंदू एक्य वेदी केरल के अतीत और वर्तमान को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश कर रहा है.
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30 अप्रैल को दक्षिणपंथी संगठन हिंदू एक्य वेदी के आधिकारिक प्रवक्ता आरवी बाबू ने एक करोड़ इनाम की पेशकश की. यह प्रस्ताव विवादास्पद हिंदी फिल्म द केरला स्टोरी से जुड़े तथ्यों को सामने लाने के बदले पुरस्कार देने के चलन से जुड़ा था. नवंबर 2022 में आए फिल्म के टीजर में अदाकारा अदा शर्मा एक बुर्का पहनी महिला के रूप में नजर आती हैं, जो खुद को शालिनी उन्नीकृष्णन बताती है. वह कहती है कि वह अब फातिमा बा है, जो एक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की एक आतंकवादी है और एक अफगान जेल में बंद है. वह बताती है, "केरल में सामान्य लड़कियों को खूंखार आतंकवादियों में बदलने के लिए खुले तौर पर एक घातक खेल खेला जा रहा है."

अदाकारा ने दावा है कि यह फिल्म उन 32000 लड़कियों की कहानी है, जिन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया और फिर आईएसआईएस में भर्ती किया गया. बिना किसी आधार के इस भयावह आंकड़े को बार-बार फिल्म से जुड़ी चर्चा में शामिल किया गया है. केरल स्टोरी के ट्रेलर से पता चलता है कि इस्लामी शासन स्थापित करने की एक बड़ी साजिश के तहत मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को शादी के बंधन में फंसा रहे हैं. यह कहानी लव जिहाद के हौवे के अनुरूप है, जिसे बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू-राष्ट्रवादी विचारों की आड़ में आगे बढ़ाते आए हैं.

इसके तुरंत बाद इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की युवा शाखा मुस्लिम यूथ लीग की राज्य समिति ने अपने किसी भी जिला कार्यालय में आतंकवादी संगठन में भर्ती के लिए हिंदू महिलाओं के साथ हुए ऐसे किसी भी धर्मांतरण का सबूत देने के लिए एक पोस्टर निकाला. संस्था ने इनाम के तौर पर एक करोड़ रुपए देने की पेशकश की. बेहद बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए आंकड़ों के विरोध से फिल्म की टीम को अपने दावे से पीछे हटना पड़ा और ट्रेलर के कैप्शन में बदलाव किया कि यह कहानी तीन महिलाओं की कहानी है, न कि 32,000 की.

फिल्म निर्माताओं ने केरल उच्च न्यायालय के समक्ष इस संख्या को हटाने पर भी सहमति व्यक्त की. वेदी जैसे केरल के दक्षिणपंथी संगठन फिल्म की टीम की ओर से काम करते दिखाई दिए. तथ्यों के बदले इनाम की प्रवृत्ति के एक चक्कर में हिंदू-राष्ट्रवादी संगठन हिंदू सेवा केंद्रम के संस्थापक प्रतीश विश्वनाथ ने भी उस व्यक्ति को दस करोड़ रुपए देने की पेशकश की, जो यह साबित कर सके कि केरल से कोई भी आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया नहीं गया है. बाबू ने यह दावा करते हुए जवाब दिया था कि न तो फिल्म के टीजर और न ही ट्रेलर में यह उल्लेख किया गया है कि केरल से आईएसआईएस द्वारा 32000 लड़कियों की भर्ती की गई थी. हालांकि मार्च 2022 में रिलीज हुए फिल्म के टीजर के कैप्शन में अभी भी उल्लेख है कि, "केरल की खूबसूरत वादियों के पीछे छिपी 32000 लापता महिलाओं की डरावनी कहानी है."

हिंदू एक्य वेदी को लगभग बीस साल पहले हिंदुओं को एकजुट करने और केरल में हिंदुओं से जुड़े मुद्दों को उठाने के लक्ष्य के साथ स्थापित किया गया था. हिंदू एकता को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश में वेदी ने कई ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया है, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे हिंदुओं को खतरे में डालती हैं. 2018 में महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ लामबंदी करने में इस संगठन की केंद्रीय भूमिका थी. तब से संगठन हिंदुओं से जुड़ी घटनाओं के इर्द-गिर्द लामबंदी करने, इस्लामोफोबिक साजिश के सिद्धांतों को फैलाने और राज्य की वामपंथी नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करने के लिए काम करता है.

वेदी ने अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में पुनर्जागरण की अवधि के बाद राज्य के इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास किया है, जब चार-स्तरीय वर्ण व्यवस्था से बाहर रहने वाले कई अवर्ण नेताओं ने राज्य की गंभीर जाति व्यवस्था के खिलाफ विरोध का नेतृत्व किया था. वेदी तर्क देते हैं कि जाति विविधता को दर्शाती है और इसकी श्रेणीबद्ध प्रकृति को नकारती है. संगठन ने इसके बजाय धर्म के खिलाफ संघर्षों को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए नवधनम के नेताओं का सहयोग करने और उन्हें हिंदू के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया है. 9 अप्रैल को त्रिशूर के थेकिंकडु मैदान में वेदी के सबसे हालिया सम्मेलन में बोलते हुए वेदी की राज्य अध्यक्ष केपी शशिकला ने कहा कि संगठन उन सभी पुनर्जागरण आंदोलनों को आगे बढ़ा रहा है जो हिंदुओं को जगाने के लिए अतीत में हुए हैं. उन्होंने कहा "जब वे कहते हैं कि इस भूमि पर भगवा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, तो हमें जोर से और जोर से कहना चाहिए कि इस भूमि का रंग भगवा है."

उनके सामने बोलते हुए आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य राम माधव ने उनके साथ उन्हीं की भाषा में बात करने में असमर्थता के लिए माफी मांगी. माधव ने कहा, "दुर्भाग्य से केरल में हर जगह हिंदुओं को उनके हिंदू होने को लेकर और जिस धर्म से वह जुड़े हैं उसकी महानता के बारे में निरंतर अनुनय, निरंतर अनुस्मारक, निरंतर प्रोत्साहन की आवश्यकता है." उन्होंने कहा कि वेदी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के साथ हिंदू चेतना को जगाने में उनकी मुख्य साथी थी. भारत को एक हिंदू राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए आरएसएस-बीजेपी गठबंधन की खोज को पूरा करने में केरल अब तक दूर रहा है.

“अंग्रेजी में एक मजेदार कहावत है, 'रामा इज अ गुड बॉय. हिंदू ऐसे ही बन रहे हैं और वेदी हिंदुओं को एक सच्चे हिंदू की तरह जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं." माधव के संबोधन ने पूरे वेदी के कामकाज में स्पष्ट कर दिया था कि हिंदू धर्म को प्रोत्साहित करने के लिए उप-महाद्वीप के अन्य धर्मों को लक्षित करना चाहिए. “हम अपने लिए खड़े हैं, हम पर सांप्रदायिकता और इस्लामोफोबिक का ठप्पा लगा दिया गया है. इस्लाम के कुछ पहलुओं के बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह भय नहीं है. यह हकीकत है."

वेदी सबरीमाला मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है. अन्य रूढ़िवादी हिंदू समूहों की तरह संगठन का मानना ​​है कि मंदिर में मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए, क्योंकि इसके देवता अय्यप्पा को शाश्वत अविवाहित माना जाता है. 2018 में शशिकला सबरीमाला कर्म समिति की सामान्य संयोजक बनीं, जो फैसले के कार्यान्वयन को रोकने के उद्देश्य से गठित दक्षिणपंथी समूहों की एक छतरी संस्था थी. फैसले के बाद के हफ्तों में समिति ने हिंदू धर्म पर हमले के रूप में फैसले का विरोध करने के लिए केरल के जिलों में हजारों समर्थकों को जुटाया. भीड़ ने मंदिर के रास्ते में वाहनों को यह सुनिश्चित करने के लिए रोक दिया कि उनमें कोई महिला न हो. विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाली महिलाओं सहित पत्रकारों पर हमला किया गया.

17 नवंबर 2018 को केरल पुलिस ने शशिकला को सबरीमाला जाते समय गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उन्हें संदेह था कि वह मंदिर परिसर में एक आंदोलन शुरू करने की योजना बना रही थी. गिरफ्तारी के कारण हिंदू समूहों द्वारा राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया. मंदिर में जाने का प्रयास करने वाली महिलाओं के खिलाफ हिंसा का खतरा इतना अधिक था कि बिंदू अम्मिनी और कनक दुर्गा, पहली और धार्मिक रूप से प्रतिबंधित आयु वर्ग से सबरीमाला में प्रवेश करने वाली एकमात्र महिलाओं को पुलिस एस्कॉर्ट्स और रिश्तेदार ने मिलकर सुरक्षा दी थी.

यहां तक ​​कि सम्मेलन में वेदी ने सबरीमाला लामबंदी में अपनी भागीदारी का भारी प्रचार किया. सम्मेलन से सटे एक अन्य स्थान पर केरल के इतिहास के बारे में संघ की धारणा का वर्णन करने वाली एक प्रदर्शनी में मंदिर जाने का असफल प्रयास करने वाली बिंदू अम्मिनी, कनक दुर्गा और रेहाना फातिमा को असफल महिलाएं बताया गया था. सम्मेलन की दोपहर में अय्यप्पा को समर्पित एक लोकप्रिय भक्ति गीत, हरिवारासनम का सामूहिक पाठ हुआ, जबकि मंच पर लगी एक स्क्रीन पर महिलाओं के अनैतिक प्रवेश के खिलाफ वेदी द्वारा सबरीमाला बचाओ आंदोलन की तस्वीरों को दिखाया गया. उसी स्थान पर माधव ने घोषणा की थी कि हिंदू धर्म महिलाओं को सशक्त बनाता है. उन्होंने कहा, हम ऐसा समाज नहीं हैं जो महिलाओं को बुर्का में रखता है. हिंदू महिलाओं के उदाहरणों का हवाला देने के लिए उन्होंने वेदी अध्यक्ष शशिकला और धर्मगुरु अमृतानंदमयी को चुना, जिनकी बीजेपी और आरएसएस से निकटता छुपी नही हैं.

आतिरा कोनिक्करा कारवां के स्‍टाफ राइटर हैं.

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