चु​नावी समर : पश्चिम बंगाल

We’re glad this article found its way to you. If you’re not a subscriber, we’d love for you to consider subscribing—your support helps make this journalism possible. Either way, we hope you enjoy the read. Click to subscribe: subscribing

पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं. सीटों के हिसाब से यह प्रदेश उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद सबसे बड़ा प्रदेश है. राज्य के आकार का मतलब है कि जो पार्टी आम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है, वह दिल्ली में सरकार बनाने से संबंधित सौदेबाजी में मजबूत स्थिति में होती है. वाम मोर्चा, जिसने 1971 से 2004 के बीच लगातार दस आम चुनावों में राज्य की ज्यादातर सीटें जीतीं, ने कई गैर-कांग्रेसी गठबंधनों को खड़ा किया और पहली मनमोहन सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दिया. मौजूदा मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी, भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन या इंडिया गठबंधन में एक प्रमुख शख्सियत हैं. कहते हैं कि गठबंधन का यह संक्षिप्त नाम वही लेकर आई थीं. अगर उनकी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस राज्य में बड़ी संख्या में सीटें जीतती है और अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरा कार्यकाल जीतने में नाकाम रहते हैं, तो मुमकिन है कि बनर्जी शीर्ष पद की दावेदार हों.

प्रधानमंत्री बने रहने की मोदी की कोशिशों के केंद्र में पश्चिम बंगाल भी है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी हिंदी बेल्ट में जीतने वाली सीटों की संख्या की लगभग हद तक पहुंच गई है और उसे अपनी "डबल-इंजन" सरकारों का सामना करने वाली किसी भी सत्ता विरोधी लहर की भरपाई के लिए तटीय राज्यों में अपनी उपस्थिति का विस्तार करना होगा.

बीजेपी और टीएमसी हमेशा विरोधी नहीं थे. 1999 के आम चुनाव में, बनर्जी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो गईं और बीजेपी ने राज्य में पहली बार लोकसभा सीटें जीतीं. लेकिन मोदी के नेतृत्व में, पार्टी पश्चिम बंगाल में मुख्य विरोधी पार्टी बन गई, जिसे 2014 में कांग्रेस के पूर्ण पतन से लाभ हुआ. 2019 के पिछले आम चुनाव में वामपंथियों ने 18 सीटें जीतीं. और ज्यादा नुकसान से बचने की कोशिश में, कांग्रेस और वामपंथियों ने, जो अपने वजूद के ज्यादातर वक्त से कट्टर दुश्मन रहे हैं, 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले संयुक्त मोर्चा का गठन किया. लेकिन, एक साथ मिलकर भी वे बमुश्किल दस फीसदी वोट ला सके. उनके साथ गठबंधन करने के बजाय, बनर्जी ने उन्हें अपने उम्मीदवार खड़े करने दिए. चूंकि बीजेपी टीएमसी की तुलना में ऐसी दोगुनी सीटों पर लड़ रही है - जहां वह पांच अंकों से भी कम की बढ़त पर है, इसलिए संयुक्त मोर्चा द्वारा बनर्जी विरोधी वोटों को बांटने की गुंजाइश इसके बजाय मोदी विरोधी वोटों को बांटने के जोखिम से ज्यादा दिखती है.

राज्य के राजनीतिक हिंसा के इतिहास को देखते हुए, चुनाव आयोग ने आदेश दिया है कि पश्चिम बंगाल में 2024 के आम चुनाव के सभी सात चरणों में मतदान हों, जिससे वहां तैनात अर्धसैनिक बल एक समय में छोटे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकें. चुनाव आयोग का लंबा चुनावी कार्यक्रम मोदी और उनके सरोगेट्स को देश के बाकी हिस्सों में अपनी जागीरों की हिफाजत करते हुए महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्रों में लगातार अभियान कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देता है. मोदी के ये सरोगेट्स यानी बीजेपी की 40 स्टार प्रचारकों की सूची में तीन मुख्यमंत्री और कई केंद्रीय कैबिनेट सदस्य शामिल हैं. इसके खर्चों को निजी उम्मीदवारों के कुल खर्च में नहीं गिना जाता है.

Thanks for reading till the end. If you valued this piece, and you're already a subscriber, consider contributing to keep us afloat—so more readers can access work like this. Click to make a contribution: Contribute