11 जून को सुबह के तकरीबन 8 बजे जयपुर के उत्तर में बसे भदर्ना के रहने वाले कय्यूम खान घर से निकल कर अभी 50 मीटर ही चले थे कि अधेड़ उम्र की इंदिरा देवी उनके पास आ कर चिल्लाने लगी, “तू खुद को क्या समझता है? तेरी इतनी हिम्मत कि तू हमारी लड़की को पुलिस के पास भेजेगा?” कहते हुए महिला ने कय्यूम का गिरेबान पकड़ लिया और उसे तमाचा जड़ दिया. इससे पहले की कय्यूम कुछ समझ पाते, सामने खड़े ट्रक के बगल से एक युवती आई और कय्यूम की ओर इशारा कर शिकायत करने लगी, “यह मुझे परेशान करता है”. इसके बाद एक हट्टाकट्टा नौजवान कय्यूम को मुक्के मारने लगा. वह इंदिरा का बेटा इंद्रपाल चौधरी था. इसके कुछ पल बाद वृद्ध राजकुमार चौधरी और उनकी बीवी सरोज देवी आ गए और चारों मिल कर कय्यूम को मारने लगे. जब भीड़ बीच-बचाव करने लगी तो हमला करने वाले इस जाट परिवार ने लोगों से बताया कि कय्यूम ने 17 साल की उनकी बेटी सलोनी से छेड़छाड़ की है. वह लड़की भी पास खड़ी तमाशा देख रही थी.
कय्यूम का परिवार और चौधरी परिवार एक ही इलाके में रहते हैं. 2016 में पहली बार कय्यूम की मुलाकात चौधरी परिवार की बड़ी बेटी स्वेता से हुई थी. जल्द ही दोनों में प्यार हो गया और 2018 में दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. जब यह बात चौधरियों को पता चली तो उन लोगों ने स्वेता को मारा-पीटा. परिवार स्वेता को परेशान करता रहा और जब उसके पिता ने उसकी हत्या करने की धमकी दी तो इस साल 7 जून को स्वेता ने पुलिस से मदद मांगी. पुलिस ने स्वेता को ‘शक्ति स्तंभ’ भेज दिया. यह परेशानी का सामना कर रहीं महिलाओं के लिए एक सरकारी संस्था है. इसके चार दिन बाद चौधरियों ने कय्यूम पर हमला किया. कय्यूम खान के पिता अख्तर खान ने मुझे बताया कि, चौधरी लोग “कुछ वक्त से हमसे नाराज चल रहे थे और उनको लगता है कि उनकी बेटी को शेल्टर होम भेजने में हमारा हाथ है.”
जिस वक्त यह हमला हुआ उसके कुछ समय पहले जयपुर के विश्वकर्मा पुलिस स्टेशन से दोनों परिवारों के बीच के झगड़े को हल करने के लिए पुलिस को बुलाया गया था. पुलिस ने बुरी तरह चोटिल कय्यूम को जयपुर के शास्त्री नगर के हरी बक्श कनवंतिया अस्पताल भेज दिया. बाद में चौधरी परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. जब कय्यूम अस्तपताल में भर्ती थे तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दो संगठन- विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल और राजपूतों की सेना के तकरीबन 100 लोगों की एक भीड़ ने पुलिस चैकी का घेराव कर कय्यूम पर छेड़छाड़ का मामला दर्ज करने की मांग की. इन लोगों ने “लव-जिहाद” के खिलाफ नारेबाजी की. इस भीड़ में कांग्रेस पार्टी के दो सदस्य- युवा नेता संदीप जक्कड़ और विद्यानगर विधानसभा सीट के उम्मीदवार सीताराम अग्रवाल भी शामिल थे.
पुलिस ने कय्यूम के खिलाफ छह धाराओं में मामले दर्ज किए. इनमें यौन उत्पीड़न और यौन अपराधों से बाल सुरक्षा कानून (पोस्को) के तहत 4 धाराएं शामिल हैं. गौरतलब है कि कय्यूम के खिलाफ एफआईआर चौधरियों के खिलाफ दायर होने से पहले की गई थी. कय्यूम को इसके दूसरे दिन गिरफ्तार कर लिया गया और वह 20 जुलाई तक जेल में बंद रहे. उनकी पहली जमानत याचिका रद्द कर दी गई थी. इसके एकदम विपरीत चौधरी परिवार के किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया गया और उन पर लगीं भारतीय दण्ड संहिता की धाराएं, 323, 143, 341, मामूली और जमानती हैं.
कय्यूम के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाने के तुरंत बाद जक्कड़ ने फेसबुक पर “प्रेस विज्ञप्ति” पोस्ट की, जिसमें उसने दावा किया कि अन्य नेताओं के साथ उसने लव जिहाद के खिलाफ प्रदर्शन किया है. इस पोस्ट में उसने धमकी दी कि यदि कय्यूम को सजा नहीं दी गई तो विरोध को व्यापक बनाया जाएगा.
1 जुलाई को मानव अधिकार संस्था ‘पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ ने वक्तव्य जारी कर कहा कि, “कय्यूम पर हमला करने वालों ने लव-जिहाद का झूठा आरोप लगाया और पुलिस ने इन लोगों को नाबालिग लड़की के यौन शोषण का झूठा मामला दर्ज करने दिया.” इसके अलावा कय्यूम के खिलाफ एफआईआर के जवाब में स्वेता ने शेल्टरगृह से पत्र लिखकर बताया कि, “मेरी बहन सलोनी नाबालिग है और मेरा परिवार कय्यूम के खिलाफ झूठा पोस्को मामला दर्ज कराने के लिए सलोनी का इस्तेमाल कर रहा है.” उस पत्र में स्वेता ने यह भी लिखा है कि “बजरंग दल के गुंडे” पिछले एक साल से मेरे परिवार से मिल रहे हैं और इन लोगों ने मेरे बाप को “मुसलमानों के खिलाफ बातें कहीं जिससे मामला बिगड़ गया.”
गौरतलब है कि खान परिवार को पहले भी बजरंग दल सताता रहा है. 2014 में कय्यूम के छोटे भाई मोमिन की मुलाकात अपने काॅलेज की आशा सैनी से हुई. दोनों में प्यार हो गया. दोनों शादी करने के बारे में सोच ही रहे थे कि सांप्रदायिक रस्साकशी में फंस गए. मोमिन ने बताया, “वह एक हिन्दू लड़की है और मैं मुसलमान. तो दोनों परिवार की प्रतिक्रिया कैसी होगी?” 2016 में आशा के परिवार वालों को इस रिश्ते का पता चला तो वे उसे जबरन मोमिन से दूर करने लगे. मोमिन ने बताया कि बजरंग दल के लोग कई बार उसके घर आए और “अपने छोटे बेटे को काबू में रखने की धमकी दी.” फिर अगस्त 2018 और दिसंबर 2018 के बीच बजरंग दल के लोग सैनी परिवार से मुलाकात करने लगे. मोमिन ने मुझे बताया कि पिछले साल दिसंबर में आशा के परिवार वालों ने उसे बुरी तरह पीटा. 20 दिसंबर को आशा ने इसकी शिकायत पुलिस से की और पुलिस ने उसे ‘शक्ति स्तंभ’ भेज दिया. मई 2019 में आशा और मोमिन ने विशेष विवाह कानून के तहत अदालत में शादी कर ली और फिलहाल दोनों किसी अज्ञात स्थान पर रह रहे हैं.
हिन्दू लड़की के साथ अख्तर के सबसे छोटे बेटे की शादी से कुछ स्थानीय लोग नाराज थे. इस इलाके में यह एकमात्र मुस्लिम परिवार है. अफवाह यह भी थी कि खान परिवार को लव जिहाद के लिए 25 लाख रुपए मिले हैं. अख्तर ने मुझसे कहा, “लोग हल्के-फुल्के अंदाज में मुझसे पूछते थे क्या मुझे सच में यह रकम मिली है.” हालांकि कय्यूम पर हमले के बाद यह सब बदल गया. अचानक इस परिवार को बढ़ी हुई दुश्मनी का सामना करना पड़ा.
खान और चौधरी परिवार मूल रूप से राजस्थान के नहीं हैं. 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के वक्त खान परिवार जान बचाने के लिए भाग कर जयपुर आ गया था. वहीं, जाट चौधरी परिवार हरियाणा से आकर बसा है. गुज्जर बहुल इस औद्योगिक इलाके में दोनों साथ रहते आए हैं. अनपढ़ अख्तर ने परचून की दुकान खोल ली और अपने तीन बच्चों को पढ़ाया. कय्यूम ने कानून(विधि) की पढ़ाई की है और बार काउन्सिल के लाइसेंस का आवेदन दिया है. अख्तर की बेटी गुलशन खातून ने ग्रेजुएशन किया है और फिलहाल सोशल मीडिया में खाना पकाने वाला चैनल चलाती हैं. मोमिन ने ग्रेजुएशन किया है. खान ने छोटी सी जमीन खरीद ली और पड़ोसी लाला गुज्जर के साथ मिल कर कबाड़ का गोदाम खोल लिया.
कय्यूम पर हुए हमले के एक दिन पहले ईद के दिन अख्तर के गोदाम में आग लगा दी गई. अख्तर ने बताया, “मैं एक स्थानीय मस्जिद में ईद की नमाज अता कर रहा था जब मुझे फोन आया. मैं भाग कर वहां पहुंचा लेकिन आधा गोदाम खाक हो चुका था. जब मैंने अख्तर और लाला गुज्जर से पूछा कि यह कौन कर सकता है तो उन लोगों ने इस घटना को मामूली बताते हुए अपने व्यापार प्रतिस्पर्धी को इसका जिम्मेदार बताया. गुलशन बताती हैं, “उस दिन पापा का दिल टूट गया.” अख्तर इसके बाद भदर्ना में नहीं रहना चाहते थे, उन्होंने कहा, “मैं घर बेच कर कहीं और चला जाना चाहता हूं.” हालांकि अख्तर की मजबूरी का फायदा उठाने के लिए स्थानीय लोग बाजार से कम कीमत पर उनका मकान खरीदना चाहते थे. अख्तर को एक डर यह भी था कि अगर वह घर छोड़ कर चले गए तो उनकी सम्पत्ति पर लोग कब्जा कर लेंगे. गोदाम के नष्ट हो जाने और कय्यूम पर हमले के बाद पिता और बेटी दहशत में थे. गुलशन ने ट्यूशन जाना बंद कर दिया है, “मैं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी.” अख्तर केवल घर का सामान खरीदने के लिए और कय्यूम के मामले में अदालत और पुलिस के पास जाने के लिए ही घर से निकलते हैं.
हालांकि, लाला का कहना है कि समुदाय में कोई भी अख्तर या उनके परिवार का बुरा नहीं चाहता है. “बाहर के लोग इनके खिलाफ हैं.” सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीति के जानकार हरकेश बुगालिया ने कय्यूम पर हुए हमले के बाद हालात का जायजा लेने के लिए इलाके का दौरा किया था. उनका विचार भी लाला की तरह है. उन्होंने मुझसे कहा, “जब तक स्थानीय गुज्जर लोग खान परिवार के साथ हैं उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.” इसके अलावा भदर्ना औद्योगिक इलाका है जिसमें बड़ी संख्या में बाहर से आए लोग रहते हैं जिस कारण वीएचपी और बजरंग दल का इस क्षेत्र में पैर पसारना कठिन है. बुगालिया जो जाट समाज के हैं, उनका मानना है कि चौधरी हरियाणा के हैं इसलिए उनका स्थानीय समर्थन व्यापक नहीं है. “यहां तक की स्वयं जाट इस मामले से दूरी रख रहे हैं क्योंकि चौधरी निचला मध्यम वर्ग है और उनका राजनीतिक जुड़ाव नहीं है.” पुलिस थाने का घेराव करने वाली भीड़ के बारे में बुगालिया ने बताया, “राजपूत पहले से ही बीजेपी के समर्थक हैं, इसलिए मामले को सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं.”
इसके बावजूद लव-जिहाद का नारा लगाने वालों में कांग्रेस पार्टी के सदस्यों का होना क्षेत्र के जटिल जातीय, धार्मिक और राजनीतिक ताने-बाने को दर्शाता है. राजस्थान कांग्रेस समिति के एक सदस्य ने स्वीकार किया कि जक्कड़ कांग्रेस का युवा नेता है. जब मैंने जक्कड़ से मुलाकात की बात की तो उन्होंने मुझे कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्य कैबिनेट के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बंगले पर बुलाया. जब मैंने जक्कड़ से पूछा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्य होते हुए भी वह भीड़ में क्यों शामिल थे तो उनका कहना था, “चौधरी मेरी जाति के लोग हैं, इसलिए उन लोगों ने नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ के मामले में मुझसे मदद मांगी.” जक्कड़ के अनुसार, “छोटे बेटे ने सैनी की लड़की को बहला-फुसला कर शादी कर ली और बड़े बेटे ने ऐसा ही जाट लड़की के साथ करने की कोशिश की. दोनों लव-जिहाद कर रहे हैं.” जब मैंने उनसे पूछा कि क्या उनकी पार्टी लव-जिहाद में विश्वास रखती है तो जक्कड़ का कहना था, “मैं कांग्रेस का सदस्य हूं लेकिन यह विचारधारा का मामला नहीं है.”
मैंने किरण शेखावत से मुलाकात की. वह विश्वकर्मा पुलिस स्टेशन में प्रदर्शन करने वालों में से एक है. शेखावत करनी सेना की पूर्व सदस्य हैं. किरण ने बताया कि वह “शक्ति स्तंभ में स्वेता से मिलने गईं थीं और स्वेता को बताया कि हम लोग हिन्दू और वह लोग मुसलमान हैं. दोनों अलग-अलग समुदाय हैं.” शेखावत ने स्वेता से मुलाकात कय्यूम पर हुए हमले के कुछ ही दिन पहले की थी. “मुसलमानों का मिशन लव-जिहाद करना है. हिन्दू लड़कियों को फंसाने के लिए खाड़ी से इन लोगों को पैसा मिलता है. यहां तक कि भारत में इनके मौलवी इस काम के लिए जकात का पैसा इस्तेमाल करते हैं.” किरण ने उस भीड़ में शामिल बलोदा को फोन किया. बलोदा ने मुझसे कहा, “ये लोग हिन्दू संस्कृति को नष्ट करना चाहते है और मुसलमानों की आबादी बढ़ाना चाहते हैं, इसीलिए लव-जिहाद कर रहे हैं. जो राष्ट्र के खिलाफ है.”
राष्ट्रीय भारतीय महिला परिसंघ की कार्यकर्ता निशा सिंधू, पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव और अधिवक्ता और दलित अधिकार कार्यकर्ता ताराचंद वर्मा का कहना था कि राज्य में बीजेपी के शासनकाल में राजस्थान पुलिस, निचली न्यायपालिका और जेल प्रशासन में हिन्दू बहुसंख्यकवाद हावी हुआ है. जयपुर में रहने वाली पीयूसीएल की राष्ट्रीय सचिव कविता श्रीवास्तव ने मुझे बताया कि समुदाय संपर्क समूह (सीएलजी) बजरंग दल या वीएचपी के पक्ष में जा सकते हैं. सीएलजी समूहों में राजनीतिक कार्यकर्ता होते हैं जो पुलिस और नागरिकों के बीच आपसी संपर्क का काम करते हैं.
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर उपरोक्त कथन की पुष्टि की. उनका कहना था कि सीएलजी और ऐसी अन्य संस्थाओं में दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्य घुस गए हैं. “कांग्रेस पार्टी अभी अपनी विचारधारा को सामने नहीं कर पाई है. अभी तक यह संदेश नहीं गया है कि कांग्रेस सरकार का उद्देश्य एकता है.” वह कहते हैं, “बीजेपी पहले दिन से ही अपनी विचारधारा लागू करने लगती है और हम लोग अभी तक मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की रस्साकशी में फंसे हुए हैं.”
मैंने राजस्थान पुलिस के नवनियुक्त महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह से भी मुलाकात की. वह कहते हैं, “ध्रुवीकरण पुलिस में भी रहता है और समाज के जातीय और सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों से पुलिस को अछूता रखना बड़ी समस्या है.” उनका कहना था, “मैं अभी-अभी इस पद पर नियुक्त हुआ हूं लेकिन कह सकता हूं कि पूर्वाग्रह को कम करने के लिए पुलिस प्रशिक्षण में कुछ किया जा सकता है.”
मैं 28 जून को कय्यूम से सवाई मान सिंह सरकारी अस्पताल में मिला. कय्यूम की शिकायत है कि हमले के दिन से ही उन्हें सीधी आंख से दिखाई नहीं दे रहा है. जेल अधिकारियों ने उनकी शिकायत नहीं सुनी और उन्हें केवल दर्द की दवा देते रहे. नौ दिन बाद कय्यूम को इस अस्पताल लाया गया और डाॅक्टरों ने रेटीना (आंख का पर्दे) की खराबी नोट कर आपरेशन की सिफारिश की. जब मैं कय्यूम से मिल रहा था तो उसके हाथ पलंग से बंधे थे और पुलिस वाले उसके पास खड़े थे. वह मोमिन का लाया खाना खा रहे थे. मोमिन की शिकायत थी, “पीड़ित पक्ष धक्के खा रहा है.” वह पुलिस वालों के सामने कुछ भी कहने से डर रहा था.
मैंने कय्यूम से पूछा कि क्या हिन्दू लड़की के प्यार की खातिर यह मुसीबत उठाना लाजमी था. कय्यूम ने कहा, “हर किसी को आत्मसम्मान से जीने और प्यार पाने का हक है. मैंने स्वेता से किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की और अगर हम दोनों को साथ रहने के लिए यह कीमत देनी होगी तो मैं इसके लिए तैयार हूं.”