बिहार चुनाव में बड़े दलों को टक्कर देने में सक्षम कई जमीनी नेताओं के नामांकन किए गए थे रद्द

16 नवंबर 2020
9 अगस्त को बोधगया जिले में न्यू भारत मिशन की चुनावी रैली के शुरू होने का इंतजार करते ग्रामीण जन. चुनाव अधिकारियों ने पहली बार चुनाव लड़ रहे कई उम्मीदवारों के नामांकन खारिज कर दिए. इनमें एक्टिविस्ट या हाशिए के समुदायों के लोग शामिल हैं जो स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में या एनबीएम जैसी जमीनी पार्टियों के टिकट पर खड़े थे.
कुमार आकाश
9 अगस्त को बोधगया जिले में न्यू भारत मिशन की चुनावी रैली के शुरू होने का इंतजार करते ग्रामीण जन. चुनाव अधिकारियों ने पहली बार चुनाव लड़ रहे कई उम्मीदवारों के नामांकन खारिज कर दिए. इनमें एक्टिविस्ट या हाशिए के समुदायों के लोग शामिल हैं जो स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में या एनबीएम जैसी जमीनी पार्टियों के टिकट पर खड़े थे.
कुमार आकाश

ताजातरीन बिहार चुनावों में कुल 4463 में से 614 नामांकनों को निर्वाचन अधिकारियों ने खारिज कर दिया था. इनमें से एक भी सत्ताधारी गठबंधन या विपक्ष दलों से नहीं था. चुनाव अधिकारियों ने कई ऐसे उम्मीदवारों के नामांकन को खारिज किए जिन्होंने पहली बार नामांकन किया था. इनमें ऐसे भी हैं जो एक्टिविस्ट रहे हैं या हाशिए के समुदायों से हैं. कई एक्टिविस्टों ने मुझे बताया कि नामांकनों को बहुत ही लचर आधारों पर खारिज किया गया था और चुनाव अधिकारी का रवैया जमीनी स्तर के उम्मीदवारों के प्रति दुश्मनाना था लेकिन सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए दोस्ताना. राज्य में चुनाव से दो दिन पहले 26 अक्टूबर को पहली बार मुझसे संपर्क करने वाले कई उम्मीदवारों ने मुझसे कहा कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया पर विश्वास नहीं है.

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी और ग्रामीण संकट को दूर करने के अपने पहले के वादों को पूरा करने में विफल रहे थे. वे कल्याणकारी योजनाओं को भी ठीक से लागू नहीं कर पाए. जिसके चलते कई जमीनी स्तर के नेता और एक्टिविस्ट चुनाव में उतरे थे. कई निर्दलीय के रूप में खड़े थे और कुछ को हाल ही बने दो नए राजनीतिक दलों- न्यू भारत मिशन और प्लूरल्स पार्टी- का समर्थन था. एनबीए एक जमीनी स्तर की पार्टी है जिसकी स्थापना भूमि सुधार कार्यकर्ताओं अशोक प्रियदर्शी और पंकज ने की है. प्रियदर्शी सहित पार्टी के दस प्रत्याशियों में से दो को उन छोटी-छोटी गलतियों के चलते खारिज कर दिया गया था जिन्हें चुनावी हैल्प डेस्क खुद सुधार और संशोधित कर सकते थे. अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध चुनाव आयोग की गाइडलाइन जिसका शीर्षक है, "रिटर्निंग ऑफिसर्स के लिए चेकलिस्ट", के मुताबिक रिटर्निंग अधिकारियों को "मामूली तकनीकी या लिपिकीय त्रुटियों को नजरअंदाज करने में उदार होना चाहिए."

प्लूरल्स पार्टी की स्थापना इसी साल हुई थी. पार्टी ने कई उम्मीदवार हाशिए के समुदायों के स्थानीय कार्यकर्ता थे. इस चुनाव में सबसे ज्यादा प्लूरल्स पार्टी के उम्मीदवारों के ही नामांकन रद्द किए गए. पार्टी के महासचिव अनुपम सुमन ने कहा, "पूरे बिहार में चुनाव मैदान में कुल 184 उम्मीदवारों में से 38 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज कर दिए गए." प्लूरल्स पार्टी के जिन उम्मीदवारों के नामांकन खारिज कर दिए गए उनमें मणिकांत यादव और सुषमा हेम्ब्रम भी शामिल हैं.

यादव एक्टिविस्ट हैं. वह पहले उत्तरी बिहार में बहराइच पंचायत के प्रमुख रह चुके हैं. प्लूरल्स पार्टी ने यादव को हया घाट निर्वाचन क्षेत्र का टिकट दिया था. "रिटर्निंग ऑफिसर ने मुझे नामांकन की समय सीमा से एक दिन पहले बताया था कि मेरा नामांकन फॉर्म और शपथ पत्र पूरी तरह से सही भरा हुआ है लेकिन नामांकन के आखिरी दिन यानी 21 अक्टूबर को मेरा नामांकन खारिज करने का आदेश जारी करने से पहले ही मुझे बताया गया था कि मेरा नामांकन इसलिए खारिज कर दिया गया है क्योंकि एक कॉलम ठीक से नहीं भरा गया है. मेरा नामांकन खारिज करना सरासर गलत है.” जब मैंने यादव के नामांकन को खारिज करने के बारे में बात करने के लिए हाया घाट के रिटर्निंग अधिकारी वीएन चौधरी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, "मुझसे कोई सफाई न मांगो. ईसीआई से मांगो.”

हेम्ब्रम आदिवासी एक्टिविस्ट हैं जो अपने समुदाय के बीच स्वयं सहायता समूह चलाती हैं. उन्हें प्लूरल्स पार्टी ने कोटोरिया निर्वाचन क्षेत्र टिकट दिया था. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. सुमन ने मुझे बताया कि कटोरिया रिटर्निंग ऑफिसर रंजन के. चौधरी ने हेम्ब्रम को बैंक अकाउंट डिटेल्स की एक चेकलिस्ट भरने के लिए दी थी. सुमन ने कहा, "उन्होंने नामांकन के आखिरी दिन से पहले ही 9 अक्टूबर को सुबह 11 बजे भर कर दे ​दिया लेकिन कार्यालय में दाखिल होने के लिए उन्हें कतार में खड़ा होना पड़ा और उनके नामांकन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह सुबह 11.01 पर कार्यालय में दाखिल नहीं हुईं." सुमन ने कहा कि पार्टी को चुन कर निशाना बनाया जा रहा है. मैंने चौधरी को कई कॉल किए जिनका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

जुंबिश दिल्ली की पत्रकार हैं और द इंडियन एक्सप्रेस, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और अहमदाबाद मिरर में काम कर चुकी हैं.

Keywords: Bihar Elections 2020 RJD BJP Land Reforms Election Commission
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