भोपाल के हबीबगंज इलाके में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास बना मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का मुख्यालय 11 दिसंबर 2023 को शाम 4 बजे पार्टी कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से गुलज़ार था. विधानसभा की 230 में से 163 सीटों पर जीत के साथ बीजेपी अप्रत्याशित रूप से सत्ता में लौटी थी. इसके नवनिर्वाचित विधायक और केंद्रीय नेतृत्व द्वारा भेजे गए तीन पर्यवेक्षक एक नए मुख्यमंत्री का अभिषेक करने के लिए जुटे थे.
शहर भर में लगाए गए सीनियर बीजेपी नेताओं के पोस्टरों और कटआउटों से चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नदारदी साफ़ थी. चौहान को पार्टी में कभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रतिद्वंद्वी माना जाता था लेकिन इस चुनाव में वह किनारे लगा दिए गए थे. यहां तक कि पार्टी उम्मीदवारों की चौथी सूची में उन्हें शामिल किया गया था. मोदी ने अपने ज़्यादातर भाषणों में शिवराज और उनकी प्रमुख योजनाओं का ज़िक्र तक नहीं किया. फिर भी चौहान ने राज्य भर में 165 रैलियां और रोड शो किए.
जब बंद दरवाज़ों के पीछे पार्टी के कोर ग्रुप की चर्चा शुरू हुई, तो चौहान के समर्थक बाहर जमा हो कर उनके लिए पूजा-पाठ करने लगे. फिर जब विधायकों और पर्यवेक्षकों ने बैठक हॉल में प्रवेश किया, तो उन्होंने "मामा जी फिर एक बार!" का नारा लगाना शुरू कर दिया. प्रह्लाद सिंह पटेल ने पांच दिन पहले केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. अपने भाई की पूर्व विधानसभा सीट नरसिंहपुर से 30000 से ज़्यादा वोटों से जीतने के बाद, उनके समर्थकों ने "प्रदेश का सीएम कैसा हो, प्रह्लाद पटेल दादा जैसा हो!" के नारे के साथ जवाब दिया. वहीं पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, जिन्होंने इंदौर की एक सीट पर लगभग 60000 वोटों से जीत हासिल की थी, के समर्थक नारा लगा रहे थे, "भैया, भैया, कैलाश भैया!"