नरेन्द्र मोदी ने चुनावी हलफनामे में क्यों छिपाई जमीन की जानकारी?

साल 2012 में गुजरात के गांधीनगर में नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली.
सैम पंथकी/एएफपी/गैटी इमेजिस
साल 2012 में गुजरात के गांधीनगर में नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली.
सैम पंथकी/एएफपी/गैटी इमेजिस

सुप्रीम कोर्ट में 15 अप्रैल को दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी जमीन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी अपने चुनावी हलफनामे में छिपाई है. स्वतंत्र संचार और मारकेटिंग कन्सलटेंट और पूर्व पत्रकार साकेत गोखले ने यह याचिका दायर की है. 2007 के अपने चुनावी हलफनामे में मोदी ने घोषणा की थी कि वह गुजरात के गांधीनगर के सेक्टर-1 के प्लॉट नं- 411 के मालिक हैं. इसके बाद 2012 और 2014 के हफलनामों में और प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट पर हर साल दिए जाने वाले ब्यौरे में इस प्लॉट का जिक्र नहीं है. सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध अंतिम रिकार्ड में मोदी को प्लॉट 411 का एकमात्र मालिक बताया गया है.

2012 से दायर हलफनामों और दस्तावेजों में मोदी ने स्वयं को इसी सेक्टर के “प्लॉट 401/ए” का “एक चौथाई” स्वामी बताया है. इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक गुजरात राजस्व विभाग के गांधीनगर के भू-रिकार्ड में ऐसे किसी भी प्लॉट का नाम नहीं है.

दिलचस्प बात है कि इसी प्लॉट का उल्लेख वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने चुनावी हलफनामे में किया है. 2006 के अपने चुनावी हलफनामे में जेटली ने स्वयं को गांधीनगर के सेक्टर-1 के प्लॉट 401 का मालिक बताया था. उसके बाद के जेटली के हलफनामों में इस प्लॉट का कहीं जिक्र नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में और मोदी के कैबिनेट मंत्री के रूप में अपनी सार्वजनिक घोषणाओं में जेटली ने स्वयं को उपरोक्त “प्लॉट 401/ए” का “एक चौथाई” हिस्से का मालिक बताया है. जेटली ने अपने हलफनामे में बताया है कि उनको यह प्लॉट गांधीनगर के जिला कलेक्टर कार्यालय के अंतर्गत आने वाले भू-रिकार्ड कार्यालय अथवा मामलातदार ने उन्हें आवंटित किया है. सार्वजनिक रिकार्ड से पता चलता है कि जेटली प्लॉट 401 के वर्तमान और एकमात्र मालिक हैं.

यदि सुप्रीम कोर्ट में मीनाक्षी लेखी का वह कथन कि गुजरात में वर्ष 2000 के बाद से सरकारी कर्मचारियों को जमीन का आवंटन नहीं किया गया है सही है तो मोदी, जो 2001 में मुख्यमंत्री बने थे, जमीन के मालिक कैसे बन गए?

कई हफ्तों से कारवां द्वारा 2007 से मोदी के चुनावी हलफनामों और सार्वजनिक घोषणाओं में दिए गए संपत्ति विवरण की सत्यता का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं. खासकर इस बात की खोज की जा रही है कि कैसे प्लॉट 411 का मालिकाना अधिकार उनके पास आया और “प्लॉट 401/ए” कहां है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गांधीनगर में सरकारी जमीन पर मोदी के मालिकाने अधिकार पर सवाल उठाए गए हैं. कारवां के पास उपलब्ध दस्तावेज न केवल मोदी के हलफनामे में दर्ज भूमि की जानकारी की सत्यता पर सवाल उठाते हैं बल्कि यह भी सवाल खड़ा होता है कि मोदी कैसे सांसदों और विधायकों एवं सरकारी कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा आवंटित की जाने वाली जमीन के मालिक बन गए. 2012 में, जब सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार के कर्मचारियों को गुजरात में भूमि आवंटन से संबंधित याचिका की सुनवाई कर रही थी, तब भारतीय जनता पार्टी की नेता मीनाक्षी लेखी, जो उस वक्त राज्य की ओर से वकील थीं, ने सर्वोच्च अदालत को बताया था कि साल 2000 के बाद राज्य सरकार ने भूमि आवंटन नहीं किया है. मोदी, 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने और फरवरी 2002 में राजकोट-2 से उपचुनाव जीत कर विधानसभा में निर्वाचित हुए थे.

कौशल श्रॉफ स्वतंत्र पत्रकार हैं एवं कारवां के स्‍टाफ राइटर रहे हैं.

निलीना एम एस करवां की स्टाफ राइटर हैं. उनसे nileenams@protonmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

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