सिंधिया फैक्टर, एक हत्या और बुलडोजर ने बिगाड़ा नरेंद्र सिंह तोमर का चुनावी गणित

15 नवंबर 2023
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए. तोमर को उनकी पार्टी ने मध्य प्रदेश विधान सभा चुनावों में मैदान में उतारा है. वह खुद को चंबल क्षेत्र की उथल-पुथल वाली जाति की राजनीति और क्षेत्र के पूर्व शाही परिवार के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव के बीच झूलता पाते हैं.
एएनआई
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए. तोमर को उनकी पार्टी ने मध्य प्रदेश विधान सभा चुनावों में मैदान में उतारा है. वह खुद को चंबल क्षेत्र की उथल-पुथल वाली जाति की राजनीति और क्षेत्र के पूर्व शाही परिवार के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव के बीच झूलता पाते हैं.
एएनआई

एक जमाना ऐसा भी था जब इस रास्ते पर चलना खतरे से खाली नहीं था. अब, राजस्थान के धौलपुर को पीछे छोड़ने, चंबल नदी को पार करने और बीहड़ों को काटते राजमार्ग से मुरैना तक पहुंचने में मुश्किल से आधा घंटा लगता है. डकैत अब केवल ओटीटी प्लेटफॉर्म और बॉलीवुड में ही दिखते हैं.

मुरैना के ठीक पीछे, एक सड़क दिमनी निर्वाचन क्षेत्र से होकर गुजरती है जहां से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर 20 साल बाद राज्य विधान सभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वह उन सात लोकसभा सांसदों में एक हैं जिन्हें भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में उतारा है. इन सात में कम से कम तीन केंद्रीय मंत्री हैं.

तोमर के निर्वाचन क्षेत्र में लोग मजाक-मजाक में कहते हैं कि जनाब आए तो थे चंबल क्षेत्र के उम्मीदवार तय करने लेकिन खुद ही मैदान में उतरना पड़ गया. यह निर्वाचन क्षेत्र चुनावी रूप से महत्वपूर्ण उत्तरी क्षेत्र माना जाता है. तोमर समर्थक इस विचार के पक्ष में हैं कि अगर पार्टी योन-केन-प्रकारेण बीजेपी की सरकार बनाती है तो उन्हें शिवराज सिंह चौहान के स्थान पर मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाएगा. लेकिन इसमें एक पेंच है. शिवराज सिंह की जगह प्रह्लाद पटेल, जो अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं, या फग्गन सिंह कुलस्ते, जो अनुसूचित जनजाति के नेता हैं, ले सकते हैं. ये दोनों सांसद भी विधान सभा चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन बीजेपी नहीं चाहेगी कि वह चार बार के ओबीसी मुख्यमंत्री की जगह तोमर जैसे किसी ठाकुर को लाए, खासकर ऐसे समय में जब राष्ट्रीय जाति जनगणना का मुद्दा प्रमुखता हासिल कर रहा है.

इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि जिन सात सीटों पर सांसदों को उतारा गया है, उनमें बीजेपी की हार तय थी लेकिन अब लड़ाई टक्कर की हो गई है. इसके साथ ही बीजेपी ने सांसदों को टिकट दे कर इनके रिश्तेदारों को टिकट मिलने की संभावना को ही कुंद कर दिया है. उदाहरण के लिए पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर कर उनके बेटे की टिकट काट दी गई. उनका बेटा एक नगर निगम कर्मचारी को क्रिकेट बैट से पीटने के लिए सुर्खियों में आया था.

खबरों के मुताबिक तोमर खुद अपने बेटे देवेंद्र के लिए टिकट मांग रहे थे, जो एक बड़े विवाद का केंद्र भी बन गया है. कथित तौर पर एक खनन से संबंधित लेनदेन का देवेंद्र का एक वीडियो वायरल हो गया है. जैसा कि अनुमान था, कांग्रेस ने जांच की मांग की और देवेंद्र ने दावा किया कि वीडियो फेक है. मामले की सच्चाई जो भी हो, मैंने उनके पिता के निर्वाचन क्षेत्र में जिन लोगों से बात की उनमें से कई लोग टेप की बातों को लेकर हैरान नहीं थे.

हरतोष सिंह बल कारवां के कार्यकारी संपादक और वॉटर्स क्लोज ओवर अस : ए जर्नी अलॉन्ग द नर्मदा के लेखक हैं.

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