आदित्यनाथ का पुलिस राज

दो लोगों की हत्या और पुलिस की बर्बरता के बाद, बिजनौर के नहटौर में दहशत

21 साल के अनस का परिवार, जिसे 20 दिसंबर को नहटौर में उसके घर से कुछ मीटर की दूरी पर यूपी पुलिस ने गोली मार दी थी. ईशान तन्खा
28 December, 2019

21 साल का अनस ने अपने चाचा मुशर्रफ हुसैन से शुक्रवार को दिन का खाना साथ खाने का वादा किया था. चाचा हुसैन अनस से कुछ ही साल बड़े है. डेढ़ साल पहले अनस की शादी हुई थी और वह दिल्ली रहने आ गया था. यहां वह एक बेवरेज सप्लाई करने का काम करता था. अपनी बीवी और आठ महीने की बच्ची के साथ उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर नहटौर गांव में अनस कुछ दिन पहले ही आया था. अनस अपने ससुरालवालों के साथ घास मंडी में रह रहा था. दिन के तकरीबन 2 और 3 बजे के बीच अनस अपने चाचा हुसैन के घर, जो पास में ही है, जाने के लिए निकला. फिर अनस के ध्यान में आया कि उसके बच्चे को भूख लगी है. अनस के घर से 100 गज की दूरी पर उसके ताय अब्बू की डेरी है.

अनस के पिता अरशद हुसैन जालंधर में सिलाई का काम करते हैं और वह भी उस दिन मुशर्रफ के घर पर ही थे. उस दिन सारा परिवार मिल रहा था. ये दोनों घर एक ही गली में बने हैं जिनका दरवाजा मोहल्ले के सामने खुलता है और मकानों के दोनों तरफ दुकाने हैं. जब अनस गली से बाहर जा रहा था तो उसके पिता ने समझाया कि घर से निकलना बेकार है क्योंकि बाजार बंद है. लेकिन उसने जवाब में बताया कि उसे बस ताय अब्बू की दुकान से दूध लेकर आना है.

जैसे ही उसने घर से बाहर कदम रखा, एक गोली आकर उसकी आंख में धंस गई. उसकी आंख से खून की धार बहने लगे. उस दिन सुबह से ही अनस के घर के पास उत्तर प्रदेश पुलिस गश्त लगा रहा थी. गोली उनकी ओर से चली थी. कुछ देर बाद अनस की मौत हो गई.

इसी दिन पुलिस ने घास मंडी में एक दूसरे आदमी को तब अपनी गोली का निशाना बनाया जब वह नमाज पढ़कर लौट रहा था. 20 साल के मोहम्मद सुलेमान को पुलिस ने एकदम पास से छाती पर गोली दागी थी.

उस शुक्रवार से पहले दिल्ली सहित देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध शुरू हो चुके थे. बिजनौर उत्तर प्रदेश के उन जिलों में से एक था जहां के लोगों ने इस कानून के खिलाफ अपनी दुकाने बंद की थीं. नगीना और शेरकोट जैसे गांव में लोग सड़कों पर उतर कर कानून का विरोध कर रहे थे. हालांकि नहटौर में जुलूस की अपील नहीं की गई थी और लोगों ने बस अपनी दुकानें बंद की थीं लेकिन इस मुस्लिम बहुल इलाके में पुलिस की तैनात की गई थी.

23 दिसंबर को मैंने नहटौर का दौरा किया. मैंने मारे गए अनस और सुलेमान के परिवारवालों से बात की और उस जगह भी गया जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि वहां लोगों ने उस पर पथराव किया था. मैंने वहां कई प्रत्यक्षदर्शियों से बात की. लोगों ने मुझे बताया कि वहां पर किसी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ था. लोगों का कहना था कि वे सिर्फ शुक्रवार की नमाज पढ़ने के लिए घर से बाहर निकले थे. नहटौर के मुसलमानों ने मुझे उस बर्बरता की कहानी बताई जिसमें पुलिस ने नमाज पढ़ने आए लोगों पर गोलियां चलाई, सड़कों पर निकले लोगों को पीटा, उनके घरों में तोड़फोड़ की, उनके सामानों को लूटा और महिलाओं के साथ अभद्रता की और बलात्कार करने और पुरुषों को गिरफ्तार कर लेने की धमकी दी. इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस ने बूढ़े-बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा. पुलिस अपने साथ सादी वर्दी में जिन लोगों को लाई थी उन लोगों ने स्थानीय लोगों के साथ भयानक मारपीट की. लोगों ने बताया कि पुलिस ने उन्हें मारने के इरादे से उन पर सैन्य हथियारों से गोलियां चलाई. स्थानीय लोगों ने बताया कि पुलिस ने अनस पर निशाना साध कर गोली चलाई थी. अनस के परिवार का कहना है कि पुलिस ने उसे जानबूझकर मारा है. नहटौर के कई लोगों ने उसी दिन से अपनी दुकानें बंद रखी हैं और बहुतों ने इलाके से पलायन कर लिया है. उन्हें डर है कि पुलिस उन पर फिर हमला करेगी.

बिजनौर जिले के एसपी संजीव त्यागी ने स्थानीय लोगों की गवाहियों को मानने से इनकार किया. त्यागी ने दावा किया कि नहटौर के नया बाजार में बलवा हुआ था. उनका कहना है कि लोगों ने वहां सीएए के विरोध में जुलूस निकाला था. त्यागी ने बताया कि स्थानीय लोगों ने उनसे वादा किया था कि वह विरोध नहीं करेंगे. त्यागी ने दावा किया स्थानीय लोगों ने “वादाखिलाफी” की इसलिए पुलिस की कार्रवाई जायज थी.

त्यागी ने इस बात से इनकार किया है कि पुलिस ने अनस की हत्या की. सुलेमान के मामले में त्यागी का कहना था कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी. त्यागी ने यह भी दावा किया पुलिस ने न्यूनतम बल प्रयोग किया था, केवल भीड़ को पीछे धकेलने के लिए, जो धारा 144 का उल्लंघन कर बड़ी संख्या में सड़क पर उतर आई थी. त्यागी ने पुलिस पर लग रहे महिलाओं के साथ अभद्रता और बलात्कार करने की धमकी के आरोपों से इनकार किया लेकिन उन्होंने दावा किया कि उपद्रवियों के घर में घुसने का अधिकार पुलिस के पास होता है.

त्यागी ने इस बात से इनकार किया कि पुलिस ने सैन्य हथियारों से गोलियां चलाई लेकिन उन्होंने माना कि इलाके में 0.312 और 0.315 मिलीमीटर के कारतूस बरामद हुए हैं. उन्होंने जोर दिया कि स्थानीय लोगों के पास ऐसे हथियार थे और उन्होंने पुलिस पर इनसे हमला किया. लेकिन त्यागी ने वह सीजियर मेमो (जब्ती ज्ञापन) नहीं दिखाया जिस पर लिखा हो कि पुलिस ने लोगों से हथियार जमा किए थे. एसपी त्यागी ने माना कि सादी वर्दी में उनके साथ पुलिस मित्र थे जिनको पुलिस की मदद के लिए नियुक्त किया गया है. त्यागी ने बताया कि बिजनौर जिले से 131 लोगों को गिरफ्तार कर बलवा करने के आरोप में जेल भेजा गया है.

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बिजनौर में 55 फीसदी हिंदू और 43 फीसदी मुसलमान रहते हैं. बिजनौर लोक सभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा है और इस इलाके की पांचों विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. यह जिला उत्तर प्रदेश के उन जिलों में से एक है जिनमें अच्छी खासी संख्या में मुसलमान रहते हैं.

अनस के भाई मोहम्मद आरिफ ने मुझे बताया कि 20 दिसंबर को घास मंडी में अनस बहुत देर तक लहूलुहान पड़ा रहा. स्थानीय लोगों को डर था कि अगर वह अनस को उठाने गए तो पुलिस उन पर भी गोलियां चला देगी. दो स्थानीय लड़कों ने अनस के पिता को जब बताया कि अनस को गोली लगी है तो उसके बाद अरशद दौड़कर गली में पहुंचे. “मुझे अपने बेटे को उठाने के लिए गली में घिसटते हुए जाना पड़ा. मैंने उसे उठाया और स्थानीय अस्पताल ले गया जहां से उसे बिजनौर टाउन रेफर कर दिया गया. लेकिन हम लोग कुछ दूर ही पहुंच पाए थे कि अनस चल बसा.”

अरशद ने मुझे बताया कि इसके बाद पुलिस ने अनस के शव को अपने नियंत्रण में ले लिया और जबरदस्ती पोस्टमार्टम के लिए बिजनौर भेज दिया. उन्होंने परिवारवालों से कहा कि वे लोग वहां से चले जाएं और “कल सुबह आकर बॉडी ले जाना.” लेकिन रात के 1 बजे पुलिस ने अरशद को फोन किया और बिजनौर आकर शव ले जाने के लिए कहा. परिवारवाले जब अनस का शव लेने अस्पताल पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें शव को वापस नहटौर ले जाने से मना कर दिया और कहा कि अनस को बिजनौर में ही दफन कर दें.

अरशद ने मुझे रोते हुए बताया, “हमारे साथ बहुत नाइंसाफी करी. बड़े अधिकारी जो थे उन्होंने कहा, ‘यहीं दफनाओं, बिजनौर में. हम नहीं जाने देंगे बॉडी.” अरशद ने बताया कि बहुत मिन्नतें करने के बाद पुलिस में उन लोगों को अनस के शव को बिजनौर के करीब के गांव मितान में दफनाने दिया जो उसकी दादी का गांव है. अरशद ने बताया कि जब तक उन्होंने कब्र नहीं खोद ली तब तक पुलिस ने उन्हें अनस का शव नहीं सौंपा. अनस का शव सौंपने से पहले पुलिस ने अनस के कपड़े उतारे और उसके शव को गर्म पानी से धोया. अनस के परिवार के बहुत से लोग, उसकी बीवी समेत, अनस को आखरी बार नहीं देख पाए.

एक स्थानीय व्यक्ति, जिन्हें डर है कि पुलिस उनसे बदला ले सकती है, ने नाम न छापने की शर्त पर मुझे बताया, “जाइए जा कर देखिए कि पुलिस ने अनस को कितनी पास से गोली मारी. उसको पास से गोली मारी. गोली उसकी आंख में लगी. इसको कैसे समझते हैं. क्या ये लोग ऐसी बंदूकों का इस्तेमाल हम पर कर सकते हैं? चलिए मान लीजिए कि पुलिस प्रदर्शन को रोकने वहां आई थी लेकिन क्या उसके पास लोगों के सिर पर गोली मारने का हक था.”

त्यागी ने इस बात से इनकार किया कि अनस को पुलिस ने मारा है. उन्होंने मुझे बताया कि उनके पास मारे गए दोनों लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्टें हैं और यदि परिजन उनके पास आते हैं तो वह रिपोर्ट उनको सौंप देंगे. त्यागी ने यह भी कहा कि अगर परिवारवाले पुलिस में एफआईआर दर्ज कराना चाहते हैं तो उनकी एफआईआर दर्ज की जाएगी. “आप ले आओ उनको, उनको जो देना है वह लिखकर दे दे हमें.” त्यागी ने बताया कि अनस के शव को नहटौर इसलिए नहीं ले जाने दिया गया क्योंकि इससे कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाती.

एसपी ने बताया कि अनस के शव से 32 एमएम बोर की गोली मिली है जिसका इस्तेमाल पुलिस नहीं करती. सामान्य तौर पर पुलिस की गोली का आकार 9 एमएम बोर होता है. त्यागी ने दावा किया कि नहटौर के मुस्लिम इलाकों के लोग उस दिन पूरी तैयारी से सांप्रदायिक बलवा करने के लिए जमा हुए थे. त्यागी का विश्वास है कि बहुत से स्थानीय लोगों के पास हथियार थे और उन्होंने उनका इस्तेमाल पुलिस के खिलाफ किया. त्यागी ने दावा किया कि जो गोली अनस को लगी वह पुलिस की बंदूक से नहीं बल्कि उनके अपने लोगों की बंदूक से निकली है.

पुलिस की बर्बरता का बचाव करने वाले केवल त्यागी नहीं हैं, बल्कि राज्य के पुलिस महानिदेशक ने भी दावा किया है कि 20 दिसंबर को लोगों की मौत क्रॉस-फायर में हुई. उनका इशारा इस बात की ओर है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर गोली चलाई जिसके जवाब में पुलिस को गोली चलानी पड़ी. 

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पुलिस ने दावा किया है कि नया बाजार से प्रदर्शन शुरू हुआ लेकिन जब मैं वहां पहुंचा तो इलाका एकदम उजाड़ था. नहटौर की अधिकांश दुकानें बंद थीं. लोगों ने बताया कि उन्हें डर है कि अगर दुकानें खोलेंगे तो उनको गिरफ्तार कर लिया जाएगा. वहां त्यागी के दावों को मानने वाला कोई नहीं था. वहां एक भी ऐसा स्थानीय नहीं था जो मानता था कि स्थानीय लोगों ने किसी तरह की भड़काने वाली गतिविधि की थी. लोगों ने प्रदर्शन की बात से भी इनकार किया. यहां लोग इतने डरे हुए थे कि लोगों ने मुझ से अनुरोध किया कि मैं उनका नाम रिपोर्ट में शामिल न करूं. यहां ऐसे कई घर थे जिनमें परिवार का एक आदमी रह रहा था. बाकी लोग जान बचाने के लिए घर छोड़कर चले गए थे.

नया बाजार के दो बुजुर्गों और आधा दर्जन नौजवानों ने मुझे बताया कि इलाके में 20 दिसंबर को चारों तरफ पुलिस तैनात थी लेकिन दोपहर 2 बजे तक स्थिति शांत थी. यहां के लोगों ने पुलिसवालों को बैठने के लिए कुर्सियां दीं और उन्हें चाय पिलाई. लोगों ने बताया, “शुक्रवार को मस्जिद के पास वाले चौराहे पर लोग नमाज अता करने के लिए जमा हुए थे.  जैसे ही नमाज खत्म हुई एक जीप आई जिसमें सादी वर्दी पहने हुए लोग सवार थे. ये लोग जीप से निकलकर मस्जिद को घेर कर खड़े हो गए. उसी वक्त लोग मस्जिद से बाहर आ रहे थे.”

एक नौजवान ने मुझे बताया, “जीप में आए कुछ लोग स्थानीय लोगों की भीड़ में शामिल हो गए और पुलिस पर पथराव करने लगे. इसके तुरंत बाद पुलिस ने यहां के हर घर में घुसकर तोड़फोड़ की.” स्थानीय लोगों ने बताया कि जीप में आए लोगों को उन्होंने उस दिन से पहले कभी नहीं देखा था. एक आदमी ने बताया, “पुलिसवालों ने खुद ही अपनी जीप जला दी, वो जो आए थे बिना वर्दी वाले उन्होंने ही जलाई.”

जैसे ही नया बाजार में भगदड़ मची, पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी. पुलिस ने सुलेमान को उस वक्त गोली मारी जब वह नजदीकी मस्जिद से नमाज पढ़कर बाहर आ रहा था. सुलेमान को बेहद नजदीक से छाती पर गोली मारी. सुलेमान के परिवारवालों ने बताया कि उन्हें लोगों से पता चला कि सुलेमान की मौत हो गई है. तब तक पुलिस ने सुलेमान के शव को अपने कब्जे में ले लिया था और उसकी कमीज भी उतार ली थी.

वकील और पत्रकारों को देने के लिए 21 वर्षीय अनस के दस्तावेज और तस्वीरों की फोटोकॉपी करवाते अनस के परिवार के सदस्य

त्यागी ने दावा किया कि पुलिस ने आत्मरक्षा में सुलेमान पर गोली चलाई थी. त्यागी ने कहा, “सुलेमान ने देसी कट्टे से पुलिस के कांस्टेबल पर हमला किया था. कांस्टेबल का नाम मोहित है और मोहित ने आत्मरक्षा में सुलेमान को मारा.” त्यागी ने मुझे वह कट्टा नहीं दिखाया जिससे कथित रूप से सुलेमान ने गोली चलाई थी और न उनके पास कब्जे का ज्ञापन था. सुलेमान का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था लेकिन त्यागी ने दावा किया कि कुछ धार्मिक नेताओं ने उसका ब्रेनवाश किया था और उसने सड़क पर आकर पुलिस पर गोली चलाई. त्यागी ने कहा, “आपको लगता है कि जो हजार लड़के थे सड़क पर उस दिन, उन सब का क्रिमिनल रिकॉर्ड था. यह तो उन लोगों को कुछ लोगों ने चाबी दी होती है, ब्रेनवाश किया होता है.” गौरतलब है कि उस पुलिसवाले ने जिस पर कथित रूप से सुलेमान ने गोली चलाई थी, सुलेमान के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की है.

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मैं घास मंडी में सुलेमान के घर गया और उसके परिवारवालों से मुलाकात की. उसके घर पर पुलिस ने जो दावे किए हैं, उसका कोई निशान मौजूद नहीं है बल्कि पता चलता है कि सुलेमान एक महत्वाकांक्षी और पढ़ाई में आगे रहने वाला लड़का था जो घर से नमाज पढ़ने के लिए बाहर निकला था. इस साल उसका ग्रेजुएशन पूरा होने वाला था और पिछले साल उसने आईएएस की तैयारी के लिए कोचिंग लेनी शुरू की थी. घर में उसका छोटा सा कमरा है जिसके बिस्तर पर मच्छरदानी लगी है. वहां एक टेबल भी है जिस पर वह पढ़ाई किया करता था. एक कुर्सी है जिस पर वह बैठा करता था और एक सीमेंट की अलमारी जो किताबों और रिसर्च फाइलों से से भरी हुई है. पढ़ाई की मेज के पास एक टाइम-टेबल चिपका है. टाइम-टेबल बताता है कि सुलेमान सुबह 5 बजे सो कर उठता था और रात को 12 बजे तक जागता था. इन 19 घंटों में वह लगभग 15 घंटों तक पढ़ाई करता था. बाकी का वक्त नहाने, मुंह-हाथ धोने, खाना खाने, घर के काम करने और प्रार्थना करने में लग जाता था. सुलेमान अपने पढ़ाई के 15 घंटे अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, रिजनिंग, विश्व इतिहास,  मध्यकालीन इतिहास, समाचार पत्र पढ़ने और कोचिंग का होमवर्क करने में लगाता था. सुलेमान की मां अकबरी खातून ने मुझे बताया कि सुलेमान बड़ी सख्ती से अपने टाइम-टेबल का पालन करता था और वह बेसब्री से आईएएस परीक्षा का इंतजार कर रहा था. सुलेमान की कोचिंग क्लास नोएडा में थी. उसकी तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए कुछ दिनों के लिए घर आया था.

सुलेमान के भाई शोएब मलिक ने मुझे सुलेमान से अपनी आखिरी बातचीत के बारे में बताया, “उसने मुझे पानी दिया और कहा कि दिन का खाना साथ खाएंगे. मैं नमाज पढ़ के जल्दी लौट आऊंगा और साथ में खाना खाएंगे.” मलिक ने बताया कि मस्जिद में मौजूद लोगों ने उसे बताया कि पुलिस ने सुलेमान को मस्जिद के बाहर पकड़ा और बेरहमी से उसका कत्ल कर दिया. पुलिस ने मलिक की एफआईआर दर्ज नहीं की. उन्होंने बताया कि घरवाले स्थानीय अदालत में बिजनौर पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज कराने के बारे में विचार कर रहे हैं.

अनस के पिता की तरह ही मलिक ने भी कहा कि पुलिस ने सुलेमान के शव को नहटौर के बाहर दफनाने के लिए उन पर दबाव डाला. उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें नहटौर पुलिस स्टेशन बुलाया और उनसे सुलेमान के शव को बिजनौर ले जाकर दफनाने के लिए कहा. मलिक ने बताया कि पुलिस ने उनको और उनके पिता जाहिद हुसैन को धमकी दी कि अगर वे लोग ऐसा नहीं करेंगे तो उनको झूठे मामलों में फंसा दिया जाएगा. सुलेमान की बहन सना ने मुझे बताया, “हमारे पापा के सीने पर गन रखके धमकी दी, ले जाओ इसको बिजनौर. मेरे पापा दिल के मरीज हैं कुछ हो जाता तो?”

मलिक ने बताया, “रात को जब हमें बुलाया तो हमने देखा कि पुलिस ने 5-7 फायर किए. मैंने पूछा कि क्या हो रहा है तो कहा नली साफ हो रही है. सीओ साहब ने कहा अगर तुम नहीं गए पोस्टमार्टम करने तो इतने मुकदमे डालेंगे की पीछा नहीं छुड़ा पाओगे. वहीं जाना है और वहीं गड्ढा कर डालना है किसी कब्रिस्तान में.” नहटौर पुलिस स्टेशन के सर्किल अफसर ने मुझसे बात करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सिर्फ एसपी त्यागी को मीडिया से बात करने की मंजूरी है.

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दो लोगों की हत्या करने के बावजूद पुलिस को नहीं लगा कि नहटौर के मुसलमानों को डराने के लिए यह काफी है तो पुलिस और पुलिस मित्र ने स्थानीय लोगों के घरों में जमकर तोड़फोड़ की. नया बाजार के एक स्थानीय व्यक्ति ने मुझे बताया कि पुलिस ने लोगों के घरों में घुसकर उन्हें पीटा, औरतों के साथ बदसलूकी की और मर्दों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के लोग जीप पर सवार होकर एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले गए और लोगों के घरों में दबिश दी. पुलिस वालों ने लोगों के घरों में तोड़फोड़ की और उनका सामान बर्बाद कर दिया.

20 वर्षीय सुलेमान की तस्वीर ईशान तन्खा

जहां अनस को गोली मारी गई थी वहां के लोगों ने भी ऐसे ही विवरण सुनाएं. घास मंडी के लोगों ने बताया कि 20 दिसंबर को पुलिस के साथ आए सादी वर्दी वाले लोगों ने एक स्थानीय आदमी को पकड़ लिया जो अपनी बेकरी की दुकान बंद करने जा रहा था. उन लड़कों ने उसकी बाइक में आग लगा दी. लोगों ने बताया कि सादी वर्दी में आए मिलिशिया के लोगों ने गाड़ियों और घरों को नुकसान पहुंचाया.

नया बाजार में रहने वाले मोहम्मद इमरान अंसारी ने अपने दरवाजे का टूटा हुआ ताला मुझे दिखाया जिसे तोड़कर लगभग 10 पुलिसवाले उनके घर में घुस आए थे. पुलिसवालों ने उनकी आहते में खड़ी उनकी बाइक तोड़ डाली. फिर छत पर चढ़ गए और लोगों को डराने के लिए हवा में गोली चलाने लगे. इसके बाद पुलिसवाले नीचे आए और उनकी छोटी बहन को पीटा और उसके साथ बदसलूकी की.

अंसारी ने बताया कि वह नमाज पढ़ने घर से बाहर गए थे और अफरातफरी के चलते लौट नहीं पाए. पुलिस ने उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया. “मेरे पिता को लकवा है और वह चल-फिर नहीं सकते. पुलिस ने उन्हें घसीटते हुए घर से निकाला और मारपीट की. वे उन्हें उठाकर ले गए.” अंसारी को अगले 3 दिनों तक अपने पिता की कोई खबर नहीं मिली. बाद में उनके पड़ोसी ने बताया कि वह जेल में बंद हैं. अपनी हथेली में जेल की मोहर दिखाते हुए अंसारी ने मुझसे कहा कि उनके पिता गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें चिकित्सा की जरूरत है. अंसारी ने बताया, “उनके सिर पर चोट लगी है. पुलिस उनका इलाज तक नहीं करा रही है. उम्र के चलते उनका दिमाग भी कमजोर है.” जब मैंने पुलिस से पूछा तो एसपी ने मुझे नहीं बताया कि अंसारी को किन दफाओं में गिरफ्तार किया गया है.

जिस वक्त में मलिक से बात कर रहा था उस वक्त उन्हें अपने पिता की फिक्र कम और अपने घर और अन्य परिजनों को बचाने की फिक्र ज्यादा थी. उन्होंने अपनी बहन को नहटौर से बाहर भेज दिया था और घर पर अकेले रह रहे थे. अपने घर के दरवाजों को कीलों से जड़ दिया था और दरवाजे के पीछे रेत की दो बोरियां रख कर बाइक खड़ी कर दी थी ताकि पुलिस जबरदस्ती न घुस पाए.

अंसारी नया बाजार में रहने वाले उन 13 लोगों में से एक हैं जिनके घरों के लोग मकान छोड़कर कहीं और चले गए हैं. हमने ऐसे कई घर देखें जो खाली पड़े थे या दरवाजों पर ताले लगे थे. जो लोग वहां थे उन्होंने बताया कि उनके परिवारवाले और पड़ोसी दूसरे गांव भाग गए हैं. मोहम्मद जावेद का घर भी उजाड़ है. घर का मेन गेट टूटा है. घर के अंदर वाश बेसिन, लैट्रिन का दरवाजा और किचन टूटा पड़ा है. जावेद के पड़ोसियों ने बताया कि 20 दिसंबर को जावेद के घर में पुलिस ने घुस कर तोड़फोड़ की और जावेद को गिरफ्तार कर ले गई. जावेद के बीवी और बच्चे कहीं और चले गए हैं लेकिन पड़ोसियों को पता नहीं कि कहां.

शमा परवीन के घर के अंदर एक टीवी टूटा हुआ पड़ा है. घर के फर्श पर बर्तन बिखरे हुए हैं. 20 तारीख को शमा अपने मायके गई हुई थी. 6 महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी. उस दिन जब पुलिस उनके घर में घुसी तब वहां उनके पति, तीन ननद और सास थे. पुलिसवाले और उनके साथ आए सादी वर्दी वालों ने शमा परवीन के पति को बेरहमी से पीटा और लड़कियों के साथ बदसलूकी की. शमा परवीन ने बताया कि पुलिस ने गैस सिलेंडर का पाइप फाड़ दिया और धमकी दी कि लोगों को जला देगी. परवीन गर्भवती हैं लेकिन इस हालत में भी उन्हें अपने पति की तलाश में भटकना पड़ा. “तीन दिन बाद मुझे पता चला कि वह जेल में हैं. अब मुझे नहीं पता की जेल से निकालने के लिए मैं पैसों का इंतेजाम कहां से करुंगी.” परवीन का कहना था कि पुलिस ने उन्हें नहीं बताया है कि उनके पति को किस अपराध के लिए बंद किया गया है.

नया बाजार में रहने वाले सभी लोगों ने मुझे बताया कि सादी वर्दी में आए लोगों ने घरों के अंदर घुसपैठ की और लोगों की गाड़ियां तोड़ी. मजदूरी करने वाले तूतन ने मुझे बताया, “वे लोग हरी-नीली कमीज पहने थे और उनके हाथों में डंडे थे. वे लोग पुलिस के साथ घूम रहे थे, लोगों को मार रहे थे और गालियां दे रहे थे. इन्होंने लोगों के दरवाजों पर डंडे मारे.”

जब मैंने त्यागी से पूछा कि क्या सादी वर्दी वाले लोग पुलिस के सहयोगी थे तो उन्होंने कहा कि हां वे लोग पुलिस मित्र थे. “यह कोई गैरकानूनी अवधारणा नहीं है और ये लोग पुलिस  के मातहत काम करते हैं.”

फिलहाल यह नहीं पता है कि सामुदायिक पुलिस कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में कब शुरू हुआ लेकिन समाचारों के अनुसार इसका अस्तित्व बीजेपी के सत्ता में आने से पहले से ही है. दैनिक जागरण की 2015 की एक खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश पुलिस 1000 पुलिस मित्रों की भर्ती करने वाली थी जिनको किसी शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं थी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता शाहनवाज आलम ने मुझे बताया, “सामुदायिक पुलिस की अवधारणा द्वंदरत क्षेत्रों से ली गई है जहां पुलिस गुप्त जानकारी जुटाने और अपने ही लोगों की जासूसी करवाने के लिए स्थानीय लोगों की भर्ती करती है.” आलम ने आगे बताया कि अधिकतर ऐसे लोग आपराधिक पृष्ठभूमि के होते हैं या ऐसे जिनका इस काम में निजी स्वार्थ निहित होता है. “यह एक तरह से समाज के सैन्यकरण का तरीका है.”

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के शासन में पुलिस मित्र की उपस्थिति दिखाई देने की हद तक बढ़ी है. जुलाई 2017 में आदित्यनाथ प्रशासन ने पुलिस को निर्देश दिया था कि वह 72 घंटों के भीतर 15000 मित्रों की भर्ती करे. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड ऑर्डर) प्रवीण कुमार ने एक प्रेस सम्मेलन में घोषणा की कि राज्य पुलिस S10 योजना शुरू करेगी जिसके जरिए पुलिस मित्रों की भर्ती की जाएगी. कुमार ने दावा किया कि पुलिस मित्र समुदाय से सुझाव लेने में पुलिस की मदद करेंगे.

त्यागी ने बताया कि घटनास्थल में पुलिस मित्र मौजूद थे लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन लोगों ने महिलाओं से बदसलूकी और घरों में तोड़फोड़ की. त्यागी को पुलिस मित्र पर गर्व भी था. उन्होंने कहा, “मैं पुलिस मित्र का शुक्रगुजार हूं. हम यहां कानून और व्यवस्था बनाए रख सके क्योंकि हमें पुलिस मित्र का सहयोग मिला.”

शुक्रवार को पुलिस की कार्रवाई के बाद त्यागी का एक ऑडियो वायरल हुआ. ऑडियो में त्यागी को पुलिसवालों से प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने को कहते सुना जा सकता है. ऑडियो में त्यागी कह रहे हैं, “बहुत ही ज्यादा सख्ती से डील करिए, हाथ-पैर क्यों नहीं तोड़ रहे हैं ऐसे अपराधियों के?” ऑडियो में वह आगे कहते सुने जा सकते हैं कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों को लाठियों से मारने से परहेज नहीं करना चाहिए चाहे वहां कैमरे ही मौजूद क्यों न हों. त्यागी ने ऑडियो में कहा कि उनको ये निर्देश सीधे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिले हैं. “बहुत ही स्पष्ट निर्देश सीएम महोदय की मीटिंग में प्राप्त हुए हैं.”

नहटौर में शमा परवीन का घर. 20 दिसंबर को पुलिस ने उनके घर में तोड़फोड़ की. शाहीन अहमद

त्यागी ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कभी ऐसी भाषा में अपने कनिष्ठों से बात की है और उन्होंने यह भी अस्वीकार किया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें ऐसा कोई निर्देश दिया था लेकिन उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने कनिष्ठ अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि वह कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल प्रयोग करने से न हिचकें.

उत्तर प्रदेश और बीजेपी शासित अन्य राज्यों में पुलिस की कार्रवाई के दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में भाषण देते हुए पुलिस को शहीद बताया और कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उनके द्वारा बल प्रयोग को जायज ठहराया. मोदी ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में सप्ताह भर पहले पुलिस के हिंसक हमलों और अन्य स्थानों में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की ज्याद्तियों पर कोई टिप्पणी नहीं की. मोदी के भाषण के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री ने लोगों को पुलिस के बलिदान की याद दिलाई है और लोगों से प्रधानमंत्री के शब्दों का मान रखने को कहा.

जब मैं नहटौर से लौट रहा था तो मैंने देखा कि दंगा-रोधी पुलिस, बस में बैठी आराम से मूंगफलियां खा रही थी. मेरे साथ मौजूद वीडियो पत्रकार जब उनका फोटो लेने लगे तो एक पुलिसवाले ने हमें देख लिया और बोला, “रुकिए मुझे आप लोगों के लिए पोज देने दीजिए.” फिर उनके साथियों ने अपने हेलमेट पहने, हाथों में बंदूकें ली और कतार बना कर खड़े हो गए और उसने कहा, “अब लो फोटो.”