ठिठुरता लोकतंत्र

नेपाल की जेन-ज़ी बग़ावत से उठते सवाल

9 सितंबर, 2025 को नेपाल की संसद भवन के बाहर प्रदर्शनकारी. जेन-ज़ी आंदोलन में संसद को आग लगा दी गई. (अंबिर तोलांग/नूरफ़ोटो/गैटी इमेजिस)
9 सितंबर, 2025 को नेपाल की संसद भवन के बाहर प्रदर्शनकारी. जेन-ज़ी आंदोलन में संसद को आग लगा दी गई. (अंबिर तोलांग/नूरफ़ोटो/गैटी इमेजिस)

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काठमांडू विश्वविद्यालय में केमिकल इंजीनियरिंग के पहले वर्ष के छात्र स्मिथ गैरे 8 सितंबर की सुबह धुलिखेल से अपने घर लौट रहे थे. यह कस्बा काठमांडू घाटी की सीमा पर बसा है, जहां गैरे सप्ताहांत में अपने रिश्तेदारों के साथ रुके हुए थे. सुबह के 7.30 बज रहे थे. राजधानी रफ़्तार पकड़ चुकी थी और सड़कों पर लोगों की चहल-पहल शुरू हो गई थी. जैसे ही बस माइतीघर मंडला (दिल्ली के ‘जंतर मंतर’ जैसा एक प्रदर्शन स्थल) की ओर मुड़ी, गैरे ने देखा कि स्कूली यूनिफ़ॉर्म में कई छात्र हाथों में झंडे लेकर आगे बढ़ रहे हैं.

गैरे जानते थे कि उस दिन नेपाल के युवाओं ने सड़कों पर लामबंद होने का बिगुल बजाया था. देशभर में बीते तीन-चार महीनों से युवा, ख़ासकर 18 से 28 की उम्र वाली ‘जेन-ज़ी’ पीढ़ी, लगातार अपने गुस्से को ऑनलाइन ज़ाहिर कर रही थी. इंटरनेट पर ‘नेपो बेबीज़’, यानी रसूख़दार परिवारों की औलादों की आलीशान ज़िंदगी को भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा की तरह प्रसारित किया जा रहा था. उनके ऊपर तंज कसते वीडियो बड़ी तादाद में फैल रहे थे. यह लहर कुछ हद तक फिलीपींस में उठी मुहिम की तरह थी. ऐसे में सरकार ने नेपाल में अपंजीकृत मीडिया प्लेटफ़ॉर्म (जैसे एक्स और फ़ेसबुक) को बैन कर दिया. सरकार के इस फ़ैसले से जन आक्रोश की चिंगारी भड़कने में देर नहीं लगी.

28 वर्षीय स्नातकोत्तर छात्र कबि पौडेल कहते हैं, ‘नेपाल भ्रष्टाचार में सर तक डूबा है. युवाओं के पास रोज़गार नहीं है. शिक्षा की स्थिति भी बेहद ख़राब है. हम लंबे समय से इन मुद्दों को उठा रहे हैं. हम सब अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं और हममें से कुछ कंटेंट क्रिएटर भी हैं. इसलिए जब सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाया, तो हमें लगा जैसे हमारी आवाज़ भी कुचली जा रही है.’ पौडेल ने बताया कि यह आंदोलन मुख्य रूप से भ्रष्टाचार को समाप्त करने की मांग से शुरू हुआ था.

बैन के तुरंत बाद कई सोशल मीडिया पेज और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आंदोलन का आह्वान करने लगे. ऐसा ही एक पेज, gen.znepal, प्रदर्शन से सिर्फ़ दो दिन पहले, 6 सितंबर को सक्रिय हुआ और तुरंत ही 25,000 से अधिक लोग इसके फॉलोवर्स हो गए. पेज पर एक पोस्ट में छात्रों से माइतीघर मंडला में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए इकट्ठा होने की अपील की गई है. उसी दिन ‘हामी नेपाल’ नामक एक सामाजिक-राजनीतिक एक्टिविस्ट समूह ने भी अपील की. इसके 36 वर्षीय नेता, सुदन गुरुंग ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर नेपाल के युवाओं से कहा कि, ‘वे उठ खड़े हों और कहें, ‘अब पुग्यो’. यानी, अब बहुत हुआ.’ वीडियो के कैप्शन में लिखा था, ‘एक लंबे अरसे से भ्रष्टाचार ने हमारे भविष्य को खोखला किया है, हमारे सपनों को छीना है और हमारे राष्ट्र की गरिमा को मिटा दिया है. अब चुप नहीं रहा जा सकता. घर से निकलने का समय आ गया है.’

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