जामिया के छात्रों को नेपाल में समर्थन, भारतीय दूतावास के सामने लोगों ने किया प्रदर्शन

21 दिसंबर 2019
भारत में हाल ही पारित हुए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों को अंतराष्ट्रीय सुर्खियां और समर्थन मिल रहा है. 16 और 19 दिसंबर को नेपाल के छात्रों और नागरिक समाज के लोगों ने काठमांडू के माईतिघर मण्डला और लैनचौर स्थित भारतीय दूतावास के सामने प्रदर्शन किया.
साभार : बर्षा शाह
भारत में हाल ही पारित हुए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों को अंतराष्ट्रीय सुर्खियां और समर्थन मिल रहा है. 16 और 19 दिसंबर को नेपाल के छात्रों और नागरिक समाज के लोगों ने काठमांडू के माईतिघर मण्डला और लैनचौर स्थित भारतीय दूतावास के सामने प्रदर्शन किया.
साभार : बर्षा शाह

पिछले 12 दिनों से लगातार नागरिकता संशोधन कानून का पूरे भारत में विरोध हो रहा है. इन विरोधों का आयोजन देशभर के छात्र संगठन, नागरिक समाज के अगुवा और राजनीतिक दल कर रहे हैं. 13 और 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय और 15 दिसंबर को अलीगढ़ केंद्रीय विश्वविद्यालय में हुए प्रदर्शनों का पुलिस ने बर्बरता से दमन किया. जामिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों और अन्य लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे. छात्रों को गोली लगने के वीडियो भी सामने आए हैं. कानून के विरोध को अंतराष्ट्रीय सुर्खियां भी मिल रही हैं और विदेशों में भी लोग प्रदर्शकारियों को अपना समर्थन दे रहे हैं.

नेपाल में भी जामिया और भारत के अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के समर्थन में काठमांडू में लोग विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे हैं. 16 दिसंबर को नेपाल की राजधीना काठमांडू के माईतिघर मण्डला में और 19 दिसंबर को काठमांडू के लैनचौर स्थित भारतीय दूतावास के सामने 100 से अधिक लोगों ने प्रदर्शन कर भारत में छात्रों पर हो रही हिंसा को रोके जाने की मांग की है. इन दो प्रदर्शनों के अलावा 20 दिसंबर को मानव अधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की नेपाल शाखा ने भी काठमांडू के घंटाघर से लैनचौर तक रैली निकाली थी.

प्रदर्शनों में नेपाली छात्रों के अलावा स्थानीय लोगों, पत्रकारों और साहित्यकारों ने भी भाग लिया. प्रदर्शन कर रहे छात्रों के मुझे फोन पर बताया कि नागरिकता संशोधन कानून हालांकि भारत का आंतरिक मामला है लेकिन यह भारत के पड़ोसी देशों को भी प्रभावित करेगा. उन्होंने बताया कि भारत सरकार तीन देशों के नागरिकों पर मानवता दिखा रही है लेकिन अपने ही देश के नागरिकों के प्रति अमानवीय है.

9 दिसंबर को लोकसभा और 11 दिसंबर को राज्यसभा में पारित हुए संशोधित नागरिकता कानून का लाभ बंगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों- हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन- को मिलेगा. संशोधित कानून लक्षित कर मुसलमानों को इसके लाभ से वंचित रखता है.

16 दिसंबर को माईतिघर मण्डला के विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले और त्रिभुवन विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के छात्र संघर्ष दाहाल ने मुझे काठमांडू से फोन पर बताया, "नेपाल में भी राजनीतिक और धार्मिक ध्रुवीकरण हो रहा है. भारत में हिंदुत्ववादी ताकतों के मजबूत होने से यहां की ऐसी ही ताकतों को बल मिलेगा.”

अंकिता कारवां की ​एडिटोरियल इंटर्न हैं.

Keywords: Nepali hindu community Citizenship (Amendment) Act NRC
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