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मोहनदास गांधी ने 19 दिसंबर 1947 को विभाजन के हंगामे के बीच मेवात के घासेड़ा गांव का दौरा किया था. उन्होंने इस क्षेत्र के मेव मुस्लिमों को भरोसा दिलाया था कि उनके लिए यहां के मुसलमानों की सुरक्षा सबसे ऊपर है और वे पाकिस्तान न जाएं. बहुत सारे मेव मुसलमानों ने गांधी के शब्दों का एहतराम किया और पाकिस्तान नहीं गए. सत्तर साल बाद, समुदाय के लोग नागरिकता (संशोधन) कानून और गृहमंत्री अमित शाह के भारत व्यापी एनआरसी की घोषणा से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. 18 दिसंबर को हजारों की संख्या में मेवात के लोग घासेड़ा में सार्वजनिक बैठक और कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए.
वहां मौजूद लोगों ने मुझे बताया कि 12 दिसंबर को जब से सीएए लागू हुआ है, नूह भर के गांवों और कस्बों में छोटे-छोटे विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. घासेड़ा की बैठक में वक्ताओं ने सीएए और एनआरसी के खतरों पर चर्चा की. वकील और स्थानीय सामाजिक संगठन मेवात विकास सभा के अध्यक्ष सलाउद्दीन मेव ने कहा, "हमें नागरिकता कानून और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को एक साथ देखना होगा क्योंकि इससे मेवात में बड़ा नुकसान होने की आशंका है." उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री “मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि एनआरसी को लागू किया जाएगा. यह एक आपदा होगी क्योंकि यहां बहुत सारे लोग निरक्षर हैं और उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं." सरकारी आंकड़े भी उनके इस दावे की पुष्टी करते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, मेवात की औसत साक्षरता दर 54.08 प्रतिशत है.
सलाउद्दीन ने बताया, "अगर हमें गैर-नागरिक या अवैध आव्रजक घोषित कर दिया जाएगा तो हम अपनी आजीविका सहित अपने सभी अधिकारों को खो देंगे और हमें असम की तरह के डिटेंशन कैंपों में भेजा जा सकता है. यह हमारे साथ धोखा हैं. हमारे बाप-दादा इसलिए यहां रुके थे क्योंकि यह हमारा देश है और हम इसे उतना ही प्यार करते हैं जितना कोई और. अब हमें एक बार फिर अपनी ही धरती पर नागरिकता साबित करने के लिए कहा जा रहा है."
इस क्षेत्र के साथ महात्मा गांधी और स्वतंत्रता संग्राम के संबंधों के बारे में बैठक में अच्छी खासी बातचीत हुई. मेवात के एक अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद आरिफ ने बताया, "राष्ट्रपिता गांधी जी अन्य नेताओं के साथ मेवात आए थे और व्यक्तिगत रूप से हमें सुरक्षा और समृद्धि का भरोसा दिया. आज हमें ऐसा कोई भरोसा नहीं है. जब वे एनआरसी को देशव्यापी स्तर पर लागू करेंगे तब केवल मुसलमानों को निशाना बनाया जाएगा और हम अपनी नागरिकता के अधिकार को खो देंगे.” मेवात विकास सभा के पूर्व अध्यक्ष उमर मोहम्मद पाडला ने मुझसे कहा, “1857 के विद्रोह में भी हजारों मेवों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. ऐसा ही हमने आजादी की लड़ाई में किया था. हम हमेशा से इस देश के प्रति वफादार रहे हैं और अब हमें फिर से अपनी वफादारी साबित करने के लिए कहा जा रहा है. अगर हमें एनआरसी में शामिल नहीं किया जाता है तो हमें अपनी नागरिकता वापस नहीं मिलने वाली."
मेवात क्षेत्र हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को मिलाकर कहा जाता है. 2005 में मेवात जिले को गुरुग्राम से बाहर किया गया था और 2016 में इसका नाम नूह कर दिया गया था. दो साल बाद, नीति आयोग ने इसे भारत के सबसे पिछड़े जिले का दर्जा दिया. नूह की लगभग 79 प्रतिशत आबादी मुस्लिम हैं,जिनमें से ज्यादातर मेव मुस्लिम हैं, जिनके धार्मिक विश्वासों में इस्लामी और हिंदू रीति-रिवाज घुले-मिले हैं.
इस बीच नूह में भेदभाव की भावना गहरी हुई है. आरिफ ने मुझे बताया, "हमें जानबूझकर पिछड़ा रखा गया है क्योंकि हम मुस्लिम हैं और नूह मुस्लिम बहुल जिला है. जामिया को निशाना बनाया गया क्योंकि यह एक मुस्लिम विश्वविद्यालय है. पुलिस आखिर कैसे आंसू गैस के गोले दाग सकती है, लड़कियों के हॉस्टल में घुस सकती है और छात्रों के हाथ-पैर तोड़ सकती है? उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी ऐसा नहीं किया, जिसे वे राष्ट्र द्रोहियों का गढ़ बताते हैं.”
अलवर में मेवात और उसके आस-पास के इलाके हाल के वर्षों में मुस्लिम-विरोधी अपराधों के लिए चर्चा में रहे हैं - खासकर, गौ-रक्षकों द्वारा की गई भीड़ की हिंसा के लिए. नाहर के पास जयसिंहपुर गांव के एक डेयरी किसान पेहलू खान को 1 अप्रैल 2017 को अलवर में गौ-रक्षकों के झुंड ने पीट-पीटकर मार डाला था. जुलाई 2018 में रैकबर खान को अलवर से अपने घर हरियाणा में दुधारू गायों को ले जाते समय एक भीड़ ने मार डाला. नूह पुलिस मुठभेड़ों की कई घटनाओं का गवाह भी रहा है. फरवरी 2019 में, जिले के मेव मुस्लिम अरशद खान की बिसरू गांव में पुलिस द्वारा कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आरिफ ने कहा, "हरियाणा और राजस्थान में, बीजेपी सरकारों के तहत बहुत सारी पुलिस मुठभेड़ों और गौ-रक्षक गुंडों ने साफ-साफ हमारे मुस्लिम होने के आधार पर मेवों को निशाना बनाया है."
आर्थिक रूप से इस इलाके में दरिद्रता है. अलवर में भिवाड़ी जिले के रहने वाले अरशद खान, एसके एंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर हैं, जो कि स्टील टाई रॉड्स बनाने वाली फर्म है. "मेवात को बाहरी लोग मिनी पाकिस्तान कहते हैं और यहां कोई विकास नहीं हुआ है," खान ने कहा. "गुरुग्राम इसके एकदम बगल में है और वह भारत के सबसे विकसित शहरों में से एक है." 2014 में हरियाणा में अंतर-क्षेत्रीय असमानताओं के राज्य द्वारा वित्त पोषित एक अध्ययन में पाया गया कि गुरुग्राम की प्रति व्यक्ति आय 316512 रुपए है जबकि मेवात में यह 27791 रुपए है.
खान ने एक ऐसी घटना भी बताई जिसके बारे में उन्हें महसूस होता है कि यही भावना नूह और देशभर के मुसलमानों के बारे में है. “सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद, मेरे एक कर्मचारी और मेरे बीच बहस हो गई, जो बढ़ते—बढ़ते मुसलमानों के बारे में एक सामान्य बातचीत में बदल गई. उसने अचानक मुझसे पूछा, ‘ऐसा क्यों है कि सभी बलात्कारी मुसलमान हैं?’’ मुसलमानों के बारे में इतना जहर क्यों फैलाया जा रहा है? सुरक्षा के साथ-साथ, गांधीजी ने हमसे समृद्धि का भी वादा किया. आज हमारे पास दोनों नहीं है.”
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