“दिल्ली चलो” की पूर्वसंध्या पर हरियाणा सीमा पर पंजाब के किसानों का लंगर

26 नवंबर 2020
किसान आंदोलनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ गुस्सा बार-बार दिखाई पड़ा है. अक्टूबर के मध्य में जब राज्यभर में आंदोलन हो रहे थे तो होशियारपुर जिले के पास के राष्ट्रीय राजमार्ग 44 में हिसार-मंदसौर टोल प्लाजा में प्रधानमंत्री का छह फुट लंबा कार्डबोर्ड का कटआउट लगाकर उसे जूतों की माला पहनाई गई.
फोटो : प्रभजीत सिंह
किसान आंदोलनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ गुस्सा बार-बार दिखाई पड़ा है. अक्टूबर के मध्य में जब राज्यभर में आंदोलन हो रहे थे तो होशियारपुर जिले के पास के राष्ट्रीय राजमार्ग 44 में हिसार-मंदसौर टोल प्लाजा में प्रधानमंत्री का छह फुट लंबा कार्डबोर्ड का कटआउट लगाकर उसे जूतों की माला पहनाई गई.
फोटो : प्रभजीत सिंह

25 नवंबर को “दिल्ली चलो” मार्च की संध्या पर हजारों पंजाब के किसान हरियाणा बॉर्डर पर मौजूद थे. यह मार्च केंद्र सरकार द्वारा हाल में पारित विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर की किसान यूनियनों ने बुलाया है. हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और उसने पहले से ही घोषणा कर रखी थी कि वह पंजाब और दिल्ली से लगी अपनी सीमाओं को सील रखेगी ताकि किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली न पहुंच सकेें. प्रतिबंधों से किसान कमजोर नहीं पड़े बल्कि एक लंबी लड़ाई के लिए भारी संख्या में ट्रैक्टर -ट्रॉली में सवार होकर, महीनों का राशन लेकर वे वहां उपस्थित हैं. दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर सूबा खनौरी की बलवीर कौर ने मुझे बताया, “हमारे पास सब कुछ है. राशन है, खाना पकाने के लिए लकड़ियां हैं, दूध है. हम छह महीने की तैयारी कर निकले हैं.

“दिल्ली चलो” आंदोलन को देशभर के 300 से ज्यादा किसान संगठनों का समर्थन है. इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के किसान संगठन भी हैं. इसकी अगुवाई ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन समिति कर रही है जो कृषि कानूनों का विरोध करने वाले विभिन्न किसान यूनियन की छाता संगठन है. देशभर के किसानों को 26 और 27 नवंबर को पारित कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए अनिश्चितकाल के लिए दिल्ली पहुंचने का आह्वान किया गया है. भारत सरकार जून में इन कृषि कानूनों को अध्यादेश के मार्फत लाई थी और सितंबर में संसद ने मंजूरी दे दी.

खनौरी के साथ वाले राष्ट्रीय राजमार्ग में हरियाणा पुलिस आंदोलनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए मौजूद थी. पुलिस ने बड़े-बड़े सीमेंट के ब्लॉक हाईवे पर लगा दिए थे और 10 मीटर की दूरी पर कटीले तारों और बैरिकेड का घेरा लगा दिया था. हरियाणा की तरफ वाली सीमा पर भारी मात्रा में पुलिस बल मौजूद था जिन्होंने दंगारोधी उपकरण पहने हुए थे और पानी की तोपें जमा रखी थी. हरियाणा पुलिस उपमहानिरीक्षक ओम प्रकाश नरवाल और जिंद जिले के पुलिस अधीक्षक खनौरी बॉर्डर पर थे और वहीं से उन्होंने मीडिया को बताया कि राज्य में धारा 144 लगा दी गई है और पांच से अधिक लोगों का जमावड़ा मना है. उन्होंने बताया कि इलाके में भारी पुलिस बंदोबस्त है और चार स्तर पर बैरिकेड लगाए गए हैं ताकि आंदोलनकारी हरियाणा में प्रवेश न कर सकें.

हरियाणा सरकार ने दिल्ली से लगे चार राष्ट्रीय राजमार्गों को भी ब्लॉक कर दिया था और पंजाब से लगे डबवाली, अंबाला जिले के पास के शंभू और खनौरी के इलाकों में ब्लॉकेड लगा दिया था. खबरों के मुताबिक, राज्य सरकार ने पंजाब से हरियाणा के एंट्री प्वाइंट वाले जिले पंचकूला, कैथल, जिंद, फतेहाबाद और सिरसा को 25 नवंबर से तीन दिनों के लिए ब्लॉक कर दिया है.

लेकिन खनौरी में साफ संकेत मिल रहे थे कि किसान आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे. बहुत से किसान पहले ही वहां पहुंच गए थे ताकि अगले दिन आने वाले किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था कर सकें. सड़क के किनारे किसानों ने लंगर लगाया था और लकड़ी जलाकर चाय और पकौड़े बना रहे थे. बगल के गांव दत्तासिंहवाला के आदमी सब्जियां काट रहे थे. खनौरी के पास गलाली गांव के सुखविंदर सिंह अपनी कार में 100 किलो गोभी लेकर आए थे. उन्होंने मुझसे कहा हमने गांव से कहा है कि वह दूध की व्यवस्था करे.

प्रभजीत सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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