दिल्ली हिंसा का पर्दाफाश : भाग एक

आरएसएस और बीजेपी के सदस्यों ने हिंदू पहचान का हवाला देकर मौजपुर में हिंदुओं की भीड़ को कैसे भड़काया

2019 में बेंगलुरु में एक सीएए समर्थक हिंदुत्ववादी चर्च स्ट्रीट पर सीएए के समर्थन में लिखे नारे के सामने से जाते हुए. दिल्ली में हिंसा शुरू होने से पहले आरएसएस और बीजेपी के सदस्यों ने लोगों को जुटाया था. मंजुनाथ किरण/एएफपी/गैटी इमेजिस
01 March, 2021

23 फरवरी 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा शुरू होने के कुछ वक्त पहले भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संघ परिवार के अन्य समूह के सदस्यों ने मौजपुर की सड़कों पर हिंदू भीड़ को जमा किया था. उस दिन जाफराबाद मेट्रो के पास की सड़क पर, जहां नागरिकता संशोधन कानून (2019) का विरोध करने वाले आंदोलनकारी जमा थे, हिंदुओं की भीड़ और आंदोलनकारियों के बीच टकराव हुआ था. इस टकराव के साथ ही राजधानी में अगले तीन दिनों तक चली हिंसा की शुरुआत हुई थी. उस वक्त केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बयान जारी कर इस हिंसा को “स्वतःस्फूर्त” बताया था. लेकिन संघ परिवार के सदस्यों द्वारा उन दिनों किए गए फेसबुक लाइव और बाद में उनसे हुई मेरी बातचीत से ऐसे डिजिटल साक्ष्य सामने आते हैं जो स्पष्ट करते हैं कि मौजपुर में हिंदुओं का जमावड़ा राजनीतिक था और उन्हें सोच-समझ कर सांप्रदायिक आधार पर वहां इकट्ठा किया गया था.

23 फरवरी की सुबह बीजेपी की दिल्ली इकाई के एक वार्ड के अध्यक्ष अनुपम पांडे ने अपने फेसबुक पेज से हिंदुओं को कोसा था कि वह सीएए के खिलाफ बढ़ते आंदोलन के बावजूद अपने घरों में चुपचाप बैठे हैं. उससे एक रात पहले स्थानीय मुस्लिम महिलाओं ने सीएए के विरोध में जाफराबाद-मौजपुर सड़क पर चक्का जाम लगाया था. सुबह 10.46 पर अपनी एक पोस्ट में पांडे ने लिखा था, “तुम लोग अपने-अपने घरों में बैठे रहो और वे हमारे घरों के रास्ते को बंद कर रहे हैं. 100 करोड़ लोगों शर्म करो. मैं अपने हिंदू भाइयों से बड़ी संख्या में मौजपुर चौराहे में पहुंचने की अपील करता हूं. जय श्रीराम.”

उस वक्त पांडे सोनिया विहार मंडल के अध्यक्ष थे. सोनिया विहार उत्तर पूर्वी दिल्ली का एक वार्ड है. इसके तीन घंटे बाद पांडे ने तीन फेसबुक पोस्ट डालीं जिनमें उन्होंने लोगों से मौजपुर में जमा होने की अपील की. पांडे ने दिन में कई बार अपने पार्टी सदस्यों के साथ फेसबुक में पोस्टें डालीं और लाइव ब्रॉडकास्ट किए. वहां कपिल मिश्रा और कौशल मिश्रा, बाबरपुर से बीजेपी की निगम पार्षद कुसुम तोमर, मौजपुर मंडल के पार्टी अध्यक्ष सत्यदेव चौधरी भी मौजूद थे. अपनी प्रत्येक पोस्ट में पांडे ने हिंदुओं को हिंदू भाइयों की खातिर चौराहे में जमा होने की अपील की थी. 12.24 बजे की एक पोस्ट में पांडे ने लिखा था, “हम जाफराबाद को शाहीन बाग नहीं बनने देंगे. हम लोग सीएए और दिल्ली पुलिस के समर्थन में सड़कों पर निकलेंगे. 3 बजे बाजपुर चौक पर मिलते हैं.”

3.35 बजे दीपराज रावल ने मौजपुर से फेसबुक लाइव शुरू किया. शुरुआत में रावल ने पांडे जैसी अपील करते हुए “सभी भाइयों को जय श्रीराम, बड़ी संख्या में मौजपुर चौराहे पहुंचे” कहा. रावल उत्तर पूर्वी दिल्ली के बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष हैं और उससे पहले वह पांच सालों तक बजरंग दल के जिला प्रमुख थे. मौजपुर में उनके साथ खड़े लोग नारे लगाते हैं, “हिंदू एकता जिंदाबाद.” रावल के वीडियो में कई आदमियों को कहते देखा जा सकता है, “अब हम सोते नहीं रहेंगे. हम जाग उठे हैं. हम पुराने हिंदू नहीं हैं. हम जागे हुए हिंदू हैं.” इस वीडियो को 10 हजार से अधिक बार देखा गया.

उसी शाम भारतीय जनता युवा मोर्चा के नवीन शाहदरा इकाई के जिला कार्यकारी आकाश वर्मा ने भी मौजपुर से फेसबुक लाइफ किया. उस लाइव में वर्मा ने मौजपुर चौराहे का नजारा दिखाया जहां हिंदू भीड़ नारे लगा रही है, “मोदी जी तुम लट्ठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं. लंबे-लंबे लट्ठ बजाओ हम तुम्हारे साथ हैं.” इसके साथ ही वर्मा दर्शकों से मौजपुर में जमा होने की अपील करते हैं. इस वीडियो को 40 हजार से ज्यादा बार देखा गया. लाइव स्ट्रीम में वर्मा ने रोढ़ों से भरी गाड़ी दिखाई जो सड़क पर पत्थर गिरा रही थी. फिर वह कहते हैं, “देखिए पत्थर सड़कों पर आ गए हैं.” ऐसा कहने के बाद वह ड्राइवर को निर्देश देते हैं, “डालो बहन चोद डालो.” वीडियो में एक दूसरी आवाज सुनाई देती है, “विजय पार्क के मुल्लों के लिए यहीं गिराओ, बहन चोद.” जैसे ही वह वैगन पत्थर सड़क पर गिराने लगती है वर्मा और अन्य लोग जोर से चिल्लाने लगते हैं, “जय श्रीराम.”

पांडे, रावल और वर्मा बीजेपी से जुड़े उन दर्जनों लोगों में से हैं जो 23 फरवरी को सड़कों पर जमा हुए थे और हिंदू एकता के नारे लगा रहे थे और भय और घृणा का माहौल बना रहे थे. उस दिन शाम 4 बजे वहां जमा हिंदुओं और सीएए विरोधी आंदोलनकारियों के बीच टकराव हो गया. इसके बाद की हिंसा में 53 लोगों की जान गई जिनमें से 40 मुसलमान थे.

बीजेपी ने अगस्त-दिसंबर में पांडे को पदोन्नत कर उत्तरी दिल्ली का पार्टी अध्यक्ष बना दिया. उन्हें पार्टी के पूर्वांचल मोर्चा का जिला इंचार्ज का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया है. यह मोर्चा दिल्ली में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वांचलियों का मोर्चा है. रावल को पदोन्नत नहीं किया गया और वर्मा फिलहाल भारतीय जनता युवा मोर्चा के न्यू शाहदरा इकाई के सोशल मीडिया इंचार्ज हैं.

उन घटनाओं का दिल्ली पुलिस वर्जन अलग है. जुलाई 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपने शपथपत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि 22 फरवरी की रात सीएए विरोधी आंदोलनकारी जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर जमा हुए और उन्होंने 66 फुटा रोड ब्लॉक कर दी थी. अगले दिन खबर मिली कि अन्य लोग दोपहर 3 बजे लोग इकट्ठा होकर 66 फुट रोड को खोलने की मांग कर रहे हैं. यह रोड जाफराबाद मेट्रो स्टेशन से 750 मीटर दूर है. पुलिस ने शपथपत्र में कहा है कि इसके बाद आसपास के इलाकों से मौजपुर में लोग जमा हो गए. शपथपत्र में पुलिस ने तीन मुस्लिम बहुल इलाकों का नाम लिया है और उसके मुताबिक वहां से आए लोगों ने रोड खुलवाने की मांग कर रहे लोगों पर पथराव किया.

ऐसा नहीं है कि बस पांडे, रावल और वर्मा के ही वीडियो दिल्ली पुलिस के नैरेटिव को खारिज करते हैं. मैंने बीजेपी, आरएसएस और आरएसएस से जुड़े संगठनों के 20 से अधिक सदस्यों के ब्रॉडकास्टों की समीक्षा की है. उनके वीडियो और उनके साथ हुई मेरी बातचीत मौजपुर में जुटी हिंदू भीड़ के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालते हैं. जुटी भीड़ के उद्देश्य जो दिखाई देते हैं वे हैं, तत्काल हिंदू एकता की जरूरत, यह विश्वास कि अवैध शरणार्थियों से हिंदुओं के अस्तित्व को खतरा है और उनके साथ कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए, यह डर कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी उनके घरों पर हमला करेंगे और यह मान्यता कि आंदोलनकारी कानून को नहीं समझते.

सबसे जरूरी बात है कि इन वीडियो से स्पष्ट होता है कि मौजपुर में हिंदुओं का जमावड़ा न तो स्वतःस्फूर्त था और न शांतिपूर्ण. वह एक ऐसी भीड़ थी जिसे ऐसे सांप्रदायिक संदेशों के जरिए परिचालित किया गया था जो डर और घृणा से भरे थे और हिंसा की तैयारी के तहत थे.

संदेश भेजने वालों के साथ मेरी बातचीत से यह भी पता चला कि इनमें से अधिकांश लोग सीएए के बारे में प्रधानमंत्री मोदी के बयानों से निर्देशित थे जिसमें यह कहा गया था कि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोग “हिंदू विरोधी हैं और यह देश को तोड़ने का पाकिस्तान का षड्यंत्र”. मौजपुर से वीडियो ब्रॉडकास्ट करने वाली अंजली वर्मा ने मुझसे कहा, “मोदी जी ने साफ बताया है कि सीएए नागरिकता देने के लिए है, किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं.” अंजली के फेसबुक के मुताबिक वह 2019 से ही बीजेपी के साथ जुड़ी हुई हैं लेकिन मुझसे बात करते हुए उन्होंने इससे इनकार किया. उन्होंने बताया कि वह एक “हिंदूवादी” हैं और मौजपुर इसलिए पहुंची थीं क्योंकि “सीएए हिंदुओं के लिए अच्छा है” और “मोदी जी का समर्थन करने.”

फरवरी हिंसा के बाद के कई महीनों तक मैंने फेसबुक पर मौजपुर से डाली गई वीडियों और पिक्चरों का अध्ययन किया. मैंने 500 से अधिक प्रोफाइलों का अध्ययन किया ताकि मैं यह समझ सकूं कि हिंसा शुरू होने की परिस्थितियां क्या थीं.

23 फरवरी को मौजपुर में इकट्ठा होने के लिए हिंदुओं से अपील करने वाले लाइव प्रसारण और संदेश पोस्ट करने वाले व्यक्तियों के प्रोफाइल की जांच करने पर एक पैटर्न सामने आया जो भीड़ और संघ के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंधों का खुलासा करता है.

मैंने 23 फरवरी को हिंसा शुरू होने से पहले मौजपुर पहुंचे लोगों पर केंद्रित रहकर अध्ययन किया. ये वे लोग थे जिन्होंने हिंसा में भाग लिया था या जिन्होंने भीड़ को हिंसा में शामिल होने के लिए परिचालित किया था. अध्ययन से एक स्पष्ट पैटर्न उभर कर आता है जो दिखाता है कि इन लोगों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध संघ के साथ था, चाहे बीजेपी के सदस्य के रूप में या आरएसएस के सदस्य के रूप में अथवा भारतीय जनता युवा मोर्चा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और अन्य समूहों से जो संघ से संबद्ध हैं. कई लोगों ने बताया कि वे लोग शाखाओं में बढ़े हुए हैं. फेसबुक लाइव स्ट्रीम से इन लोगों की राजनीतिक पृष्ठभूमि और डेमोग्राफी के संबंध में भी एक जरूरी बात सामने आती है. लाइव स्ट्रीम करने वाले कम से कम 26 लोगों की फेसबुक प्रोफाइल से स्पष्ट होता है कि इनमें से 16 ब्राह्मण, पांच राजपूत और तीन पिछड़ा वर्ग और दो जाट थे. इनमें से कई लोगों के अपने-अपने संगठन हैं जो अपनी जाति के लोगों के कल्याण के लिए काम करते हैं, जैसे परशुराम सेना जो एक ब्राह्मण समूह है, राजपूतों की अखिल भारत क्षत्रीय महासभा और अन्य पिछड़ा वर्ग की पटेल सेना. ये लाइव स्ट्रीम उस दावे का खंडन करते हैं कि मौजपुर की हिंसा अराजनीतिक और सीएए के समर्थन में थी. इनमें से किसी भी लाइव स्ट्रीम में सीएए के पक्ष में कोई तर्क नहीं है बल्कि लोगों को हिंदुओं की एकता और एक काल्पनिक भय के विशिष्ट नैरेटिव का इस्तेमाल कर परिचालित किया गया था. उनकी फेसबुक प्रोफाइल से यह भी पता चलता है कि दिल्ली पुलिस के नैरेटिव से उलट मौजपुर में जमा भीड़ केवल जाफराबाद सड़क को जाम किए आंदोलनकारियों को जवाब देने के लिए नहीं थी, हालांकि वह एक अल्टीमेट अपील की तरह थी. वास्तविकता यह है कि हिंसा के पहले के कुछ हफ्तों में इनमें से कई लोगों ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक होने की अपील अपने फेसबुक वीडियो में थी और हर बार उनकी अपील में हिंदू पहचान केंद्रीय थी.

बीजेपी और आरएसएस के प्रशासनिक ढांचे में अनुक्रम एक जैसा है, हालांकि आरएसएस में शाखा सबसे मूल इकाई है. नीचे से ऊपर यह क्रम इस प्रकार होता है : शाखा के ऊपर मंडल होता है जो एक या एक से ज्यादा वार्डों की प्रशासनिक इकाई होता है. इसके ऊपर जिला होता है. जिला के ऊपर विभाग होता है जो दो या दो से ज्यादा जिलों को संचालित करता है. जिला के ऊपर प्रांत होता है जो राज्य के लिए होता है. प्रांत के ऊपर दो से अधिक राज्यों के लिए एक क्षेत्र होता है. हर इकाई में पदों का अनुक्रम होता है जिसके शीर्ष में अध्यक्ष होता है, उसके नीचे उपाध्याय, उसके बाद महामंत्री, फिर मंत्री और उसके बाद कार्यकारिणी सदस्य होते हैं.

मौजपुर में जमा होने वाले संघ परिवार के सदस्य इन्हीं पदों में थे और अधिकांश लोग सोनिया विहार, मौजपुर, बाबरपुर, दिलशाद गार्डन और नवीन शाहदरा के मंडलों के थे. ये सभी उत्तर पूर्वी दिल्ली और पड़ोस के शाहदरा जिला से हैं. हिंदुओं की एकता संभवतः वह सबसे बड़ी बात थी जिसकी खातिर 23 फरवरी को मौजपुर में लोग जमा हुए थे.

बीजेपी के सोनिया विहार मंडल के अध्यक्ष पांडे, जिन्होंने बार-बार हिंदुओं से मौजपुर में जमा होने की अपील की और कहा था कि धार्मिक एकता की जरूरत है, ने मुझे बताया, “भाई साहब क्या हिंदुओं के बारे में बात करना गलत है.” पांडे की उम्र 39 साल है. ऐसा लगता है कि उनका विश्वास है कि सीएए की मदद से वह हिंदू राष्ट्र बना लेंगे और उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि इसे हर कहीं लागू किया जाना चाहिए क्योंकि यह रामराज का पर्यायवाची है. उन्होंने कहा, “क्या हम यह भी नहीं कह सकते कि हम हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं? प्रत्येक राज्य में यही हमारा, बीजेपी का एजेंडा है और रामराज और हिंदू राष्ट्र एक ही बात है.

पांडे नहीं मानते कि उन्होंने हिंसा भड़काई थी या उन्होंने जानबूझ कर चौराहे पर भीड़ इकट्ठा की थी. “सीएए का समर्थन भड़काना नहीं है. मैं सीएए के पक्ष में काम कर रहा था. मैंने पहले भी ऐसा किया था और मैं भविष्य में भी ऐसा करूंगा.”

23 फरवरी को मौजपुर में इकट्ठा हुई एक हिंदू भीड़ और जफराबाद मेट्रो पर सड़क जाम किए सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई. इसके बाद की हिंसा में 53 लोगों की जान गई जिनमें से 40 मुसलमान थे. सोनू मेहता/ हिंदुस्तान टाइम्स

यह सच है कि पांडे ने 23 फरवरी को ही पहली बार हिंदुओं को परिचालित नहीं किया था. इससे पहले 22 दिसंबर 2019 को पांडे ने सीएए के समर्थन में एक मार्च निकाला था. उसी दिन मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली की थी. इसके एक दिन पहले संसद में सीएए कानून पास हुआ था जिसके बाद देशभर में विरोध शुरू हो गए थे. उस दिन पांडे ने फेसबुक लाइव किया था जिसमें वह भीड़ को संबोधित करते हुए चिल्ला रहे थे, “देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को.”

पांडे पहले आरएसएस में थे और संघ के साथ अपने जुड़ाव को वह सोशल मीडिया में बेबाकी से प्रकट भी करते हैं. उनकी एक फोटो में वह संघ की खाकी वर्दी में घोड़े पर हाथों में बंदूक लिए बैठे हैं. उन्होंने मुझे कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उन्होंने सांप्रदायिक आधार पर लोगों का जुटान किया था.

बीजेपी के किसान मोर्चा के स्थानीय अध्यक्ष रावल ने फेसबुक लाइव से हिंदू एकता की अपील की थी. रावल 28 साल के हैं और अखिल भारत क्षत्रीय महासभा के उपाध्यक्ष हैं और उत्तर पूर्वी दिल्ली के घोंडा में, जहां वह रहते हैं, एक अखाड़ा चलाते हैं. रावल ने मुझे बताया कि वह बजरंग दल के अपने साथियों के बुलावे पर मौजपुर गए थे. उन्होंने कहा, “वहां हिंदू संगठन के लोग थे. उन्होंने मुझसे कहा आने को तो मैं चला गया.” रावल ने कहा कि घोंडा के बहुत से लोगों को बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों से मौजपुर पहुंचने के लिए फोन आया था. भारतीय जनता युवा मोर्चा के नवीन शाहदरा जिले के कार्यकारी सदस्य वर्मा ने मुझसे कहा कि वह “अपने हिंदुत्व” के लिए मौजपुर गए थे. अपने वीडियो में वर्मा ने हिंदू सैनिक की तरह वहां मौजूद होने पर खुशी जाहिर की है. उनके माथे पर तिलक लगा हुआ है और भगवा कुर्ता पहने हुए हैं. वीडियो में वह कैमरे को ऊंचा उठाकर नाचते-गुनगुनाते हुए चल रहे हैं और लोगों को जय श्रीराम कह रहे हैं. वहां मौजूद लोग एक दूसरे के साथ संप्रदायिक बातें कर रहे हैं और जोर-जोर से हंस रहे हैं.

वीडियो में एक जगह वर्मा इस तरह उछल-कूद कर रहे हैं कि एक आदमी वर्मा से कहता है “जरा संभल के भाई तुम मेरे पैरों पर कूद रहे हो.” उस वीडियो में एक जगह कोई शख्स वर्मा को वीडियो बनाने से यह कह कर रोकता है कि मीडिया वाले देख लेंगे तो जवाब में वर्मा उसे आश्वासन देते हैं कि “लाइव है, लाइव. सारे हिंदू भाई हैं.” उन्होंने अपनी हिंदू पहचान बताकर भीड़ का भरोसा जीता और ब्रॉडकास्ट करते रहे. वहां का माहौल अशांत था. वहां कई समूह थे जो नारे लगा रहे थे.

वीडियो में वर्मा अपने दर्शकों को जमीन पर गिरे पत्थर दिखाते हुए कहते हैं, “यह वक्त हिंदू एकता के प्रदर्शन का है. हिंदू एकता जिंदाबाद.” जब वह पत्थरों से दूर जा रहे हैं तो वह अपने दर्शकों से अपील करते हैं, “दोस्तों सुबह तक हमें बड़ी संख्या में यहां जमा होना है. हमें अपनी ताकत दिखानी है. हमें दिखाना है कि हमारे पास ताकत है.” इसके बाद वह अपने कैमरे को एक आदमी की ओर घूमाते हैं जो शंख बजा रहा है. शंख बजाना ब्राह्मणवादी साहित्य में युद्ध का घोष है. वर्मा गर्व से कॉमेंट्री करते हैं, “शंख बजाया जा रहा है. यह हमारी हिंदू एकता है.”

भीड़ जुटाने के लिए हिंदू एकता का नैरेटिव सिर्फ पहले दिन ही इस्तेमाल नहीं हुआ. भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य कार्यकारणी सदस्य मोहित कौशिक, जो घोंडा विधानसभा की युवा शाखा के तत्कालीन इंचार्ज थे, 24 फरवरी को मौजपुर चौक से लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे थे. अपनी अपील में वह कह रहे हैं, “मैं अपनी सभी माताओं, बहनों और भाइयों से अपील करता हूं कि वे बाहर आकर समर्थन करें.” फिर वह अपना कैमरा भीड़ की ओर घूमाते हैं जहां बहुत सारी महिलाएं दिखाई दे रही हैं और नारे लगा रही हैं, “जय श्रीराम.”

उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट में उस दिन एक पोस्ट भी डाली. पोस्ट में उन्होंने लिखा था, “मैं पूरी दिल्ली के बारे में तो नहीं जानता लेकिन मौजपुर के हिंदू जाग चुके हैं, जय श्रीराम.”

इसके अगले दिन उन्होंने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट डाली और लिखा, “मैं सभी देशभक्तों और सनातन धर्म के मानने वालों से अपील करता हूं कि मौजपुर के लोगों के लिए यह केवल कठिन समय ही नहीं बल्कि यह हमारी परीक्षा की घड़ी भी है.” फिर वह अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि “एक खास समुदाय के लोग जो सीएए का विरोध कर रहे हैं, वे तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल हैं.”

कौशिक ने अपनी पोस्ट में लोगों को बदला लेने के लिए सड़क पर उतर आने की अपील की. उन्होंने लिखा, “एक होकर करारा जवाब दो. अपने परिवारों को बचाने के लिए आपको स्वयं बाहर निकलना होगा और अपने परिचितों को इकट्ठा करना होगा. मेरी मदद के लिए ऐसा मत करो बल्कि देश और परिवार की मदद के लिए ऐसा करो. जय हिंद, जय भारत.”

उनकी उस पोस्ट के बारे में मैंने कौशिक से पूछा तो उन्होंने बताया की संपूर्ण परिस्थिति ने उन्हें निजी तौर पर प्रभावित किया था. उन्होंने कहा, “मामा के घर पर हमला हुआ था. हमारे मामा के बच्चे भी थे तो उसमें थोड़ा अपने वाली बात हो जाती है, न.” उन्होंने कहा कि उनके मामा दिल्ली पुलिस में हैं लेकिन कौशिक ने यह भी कहा कि वह भीड़ को भड़काने या भीड़ जुटाने के लिए मौजपुर नहीं पहुंचे थे. कौशिक ने मुझसे कहा कि 24 फरवरी को वह मौजपुर के मंदिर में हनुमान चालीसा सुनने गए थे.

अंजली ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, “अपने को गृहयुद्ध के लिए तैयार रखो तभी जाकर यह गोल टोपी पहनने वाले मुसलमानों को सबक मिलेगा.”

लाइव स्ट्रीम में दिखता है कि उसके एक दिन पहले भी एक छोटा समूह मंदिर से लाइव ब्रॉडकास्टिंग कर रहा था और हिंदुओं को वहां आने की अपील कर रहा था. जब मैंने उनसे पूछा कि वह मौजपुर हनुमान चालीसा का पाठ सुनने गए थे तो वीडियो में हिंदुओं को वहां पहुंचने के लिए क्यों कह रहे थे तो उन्होंने मेरे सवाल को टाल दिया.

कौशिक एकमात्र ऐसे नहीं है जिन्होंने हनुमान चालीसा कार्यक्रम का ब्रॉडकास्ट किया था. अंजली वर्मा ने भी वहां से फेसबुक लाइव किया था. 24 फरवरी को सुबह 10 बज कर 6 मिनट में अंजलि मौजपुर से लाइव हुई थीं. वह मंदिर के सामने मर्दों और औरतों के छोटे समूह के साथ बैठी थीं और उनके पीछे हनुमान चालीसा का पाठ हो रहा था. वह कहती है, “अब लगता है कि हिंदू जाग उठा है. मैं सीएए के समर्थन में बड़ी संख्या में लोगों को उठ खड़े होते देखना चाहती हूं. हम लोग यहां उन मुसलमानों को खदेड़ने के लिए बैठे हैं जो जाफराबाद पर बैठे हैं. हम सब यहां से तब तक नहीं जाएंगे जब तक कि वे लोग नहीं हटेंगे.” अंजली के इस वीडियो को 265000 बार देखा गया है.”

इससे एक दिन पहले अंजली ने अपने फेसबुक पर पोस्ट डाली थी कि “अपने को गृहयुद्ध के लिए तैयार रखो तभी जाकर यह गोल टोपी पहनने वाले मुसलमानों को सबक मिलेगा.” जब चालीसा खत्म होती है तो वीडियो में एक आदमी की आवाज लाउडस्पीकर से सुनाई देती है, “जय श्रीराम, वंदे मातरम” और बाहर बैठी भीड़ जवाब में यही नारा लगाती है. अंजली वीडियो में अपने दर्शकों को बताती है कि हिंदुओं के लिए अपनी एकता दिखाने का समय आ गया है.

अंजली 23 फरवरी को मौजपुर चौक में रागिनी तिवारी सहित अन्य औरतों और मर्दों के साथ थीं. रागिनी तिवारी वही हैं जिनके एक बेशर्म सांप्रदायिक फेसबुक ब्रॉडकास्ट को मीडिया ने रिपोर्ट किया था. 24 फरवरी को सुबह 5 बजकर 35 मिनट पर अंजली लाइव हुईं और उन्होंने दिखाया कि तिवारी दर्जन भर आदमियों के साथ नारे लगा रही हैं, “मोदी जी लंबे-लंबे लट्ठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं”, “जरूरत पड़ी तो हमें बुलाओ, हम तुम्हारे साथ हैं”, “भारत में यदि रहना होगा जय श्रीराम कहना होगा.”

वीडियो में अंजली अपने दर्शकों को बताती है, “हम पूरी रात मौजपुर में मौजूद रहे हैं. हम यहां से नहीं हटे हैं. मैं सभी हिंदू भाइयों को यहां पहुंचने की अपील करती हूं. आज बहुत बड़ा तांडव करना है.” अपने ब्रॉडकास्ट के अंत में वह कहती हैं, “अब हिंदू जाग उठा है. हम पीछे नहीं हटेंगे. हमें पाकिस्तान नहीं बनना है.” इस वीडियो को 49000 बार देखा गया है.

हिंदू एकता की इस अपील के पीछे वस्तुतः हिंदू खतरे में है का एक पुराना हिंदुत्व कुप्रचार है. ब्रॉडकास्टों से यह खुलासा होता है कि मौजपुर के जुटान में इस कुप्रचार की बड़ी भूमिका थी. उदाहरण के लिए, अपने ब्रॉडकास्ट को सही ठहराने के लिए अंजली ने मुझसे कहा, “इसमें कोई शक नहीं है कि हिंदू धर्म खतरे में हैं. आपको यह पता होना चाहिए.” फिर उन्होंने उस कुप्रचार को दोहराया जिसका खंडन व्यापक रूप से हो चुका है कि मुसलमानों की बढ़ती आबादी 80 फीसदी हिंदुओं के लिए खतरनाक है. अंजली ने कहा, “अगर आबादी बढ़ेगी तो स्पष्ट रूप से हिंदुओं को खतरा होगा. यदि आबादी नियंत्रण का कानून लाया जाता है उनके लिए जिनकी आबादी बढ़ रही है तो इससे ऑटोमेटिकली आबादी के बढ़ने की रफ्तार धीमी होगी और इसलिए हम हिंदुओं को धीरे-धीरे जगा रहे हैं.” लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं कि उन्होंने अपने संदेश में मुसलमानों के खिलाफ गृह युद्ध की बात कही थी.

रावल का भी मानना है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन से हिंदुओं को खतरा था. उन्होंने कहा कि मुस्लिम बहुल पड़ोस होने से वह खतरा महसूस करते हैं. “सुनिए, उस दौरान साफ तौर पर हिंदुओं को खतरा था. हमारा घोंडा गांव चारों तरफ से मौजपुर से घिरा है. मेरा मतलब है कि मौजपुर और घोंडा मुसलमानों की आबादी के बीच फंसे हैं. इसके चलते हमारी बहनों और बेटियां पर भी खतरा है.” 2 फरवरी के रावल के लाइव स्ट्रीम से, जो उन्होंने मौजपुर चौक से किया था, संकेत मिलता है कि हिंदू औरतों पर खतरे को लेकर उनकी प्रतिक्रिया अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमान औरतों के खिलाफ बलात्कार की हिंसक और विशद धमकी थी. उस वीडियो में उन्होंने आजादी के नारे का भी मजाक उड़ाया था जो सीएए विरोधी प्रदर्शनों में काफी लोकप्रिय था. भीड़ के साथ अपने ब्रॉडकास्ट में रावल नारे लगा रहे हैं, “घुस कर देंगे, सामने तो आओ. ठोक के देंगे, डाल के देंगे, पूरा देंगे, लेटा कर देंगे, उल्टे हो के लो.” रावल ने उस दृश्य को फेसबुक में दिखाया और हिंसक और गालियों वाले नारे लगाए. हर बार उन्होंने भीड़ के साथ नारे लगाए, “आजादी तेरी मां को देंगे, तेरी बहन को देंगे, तेरी खाला को देंगे, तेरी बुआ को देंगे, तेरी चाची को देंगे.” नारे लगाते हुए ये लोग जोर-जोर से हंस भी रहे हैं.

रावल ने इन गालियों वाले नारों का बचाव सीएए विरोधी आंदोलनकारियों पर यह आरोप लगाते हुए किया कि वे लोग शाहीन बाग की तरह चक्का जाम करना चाहते थे. उन्होंने कहा, “चक्कर क्या है न यह जो इन्होंने शाहीन बाग में करा था वही यहां करना चाह रहे थे. मतलब समझ रहे हो न आप? आप भी समझदार होंगे. तो इसमें जो हमारी लोकल जनता है या हमारी संख्या है या हमारा समाज है या जो भी है उसको परेशानी है.”

अन्य हिंदू नेताओं ने भी कहा कि सीएए विरोधी आंदोलन से स्थानीय हिंदू आबादी को खतरा था. अंजली के ब्रॉडकास्ट में जाह्नवी दिव्या सिंह को दिखाया गया है. सिंह ने मुझे बताया कि प्रदर्शनकारियों ने हिंदुओं के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया था और इस बात को वह सहन नहीं कर सकती थीं.

24 फरवरी को सुबह 10 बजे उन्होंने अंजली के ब्रॉडकास्ट से दर्शकों को कहा, “मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि हमारे बीच फेसबुक में कई हिंदू शेरनियां हैं लेकिन वे हैं कहां? अन्य अवसरों पर हिंदू औरतें कहती हैं कि वह कंधे से कंधा मिला कर काम करती हैं लेकिन आज यहां कोई नहीं है. हम सिर्फ चार महिलाएं यहां मौजूद हैं.”

सिंह राजपूत हैं और उन्होंने मुझे बताया कि वह स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी की सदस्य हैं. हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी एक राजपूत समूह है जिसे चंद्रशेखर आजाद के पड़पोते अमित आजाद चलाते हैं. (इस समूह को पहले हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन कहा जाता था लेकिन 1920 के अंत में इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन कर दिया गया था. फ्रंटलाइन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस संगठन ने अपने घोषणापत्र में धर्मनिरपेक्ष और क्रांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. फ्रंटलाइन की रिपोर्ट में कहा गया है कि वह घोषणापत्र ऐसे वक्त में प्रकाशित हुआ था जब हिंदू सांप्रदायिकता राष्ट्रीय स्वयंसेवक और हिंदू महासभा के रूप में मजबूत हो रही थी. अमित के नेतृत्व में, जिन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को दंगाई कहा है, संगठन ने अपने नाम से सोशलिस्ट हटा लिया है.)

सिंह ने जोर देकर कहा कि हिंदुओं को उस वक्त खतरा था. उन्होंने कहा, “यह सच्चाई है कि खतरा था. लगातार नारे लग रहे थे कि “हिंदुओं दिल्ली छोड़ो”, “दिल्ली पाकिस्तान बनाई जाएगी”, “हिंदुस्तान पाकिस्तान बन जाएगा” तो ऐसे में और क्या हो सकता है?” मैंने उनसे पूछा कि ऐसे नारे कब लगे थे तो वह नहीं बता पाईं बल्कि उन्होंने गुस्से से जवाब दिया कि मैं खुद जाकर इस पर शोध करूं. उन्होंने कहा, “जब आपने मेरे बारे में इतना कुछ पता लगा लिया है तो आप इसका भी पता लगा सकते हैं.”

वास्तविकता यह है कि बीजेपी के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय और दिल्ली के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा जैसे नेताओं ने इन नारों के बारे में भ्रामक जानकारियां फैलाई थीं जिनके झूठ का समाचार संगठनों ने तुरंत खुलासा किया था. 16 दिसंबर 2019 को मालवीय और बग्गा ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र नारे लगा रहे हैं, “हिंदुत्व की कब्र खुदेगी एएमयू की छाती पर.” लेकिन मालवीय ने इसके नीचे झूठा कैप्शन लगाया कि छात्र कह रहे हैं कि हिंदुओं की कब्र खुदेगी. बग्गा ने इस वीडियो को यह कहते हुए साझा किया कि हिंदुओं की नस्लीय सफाई के लिए नारे लगाए जा रहे हैं. दिल्ली हिंसा के एक साल बाद भी ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो बताए कि विरोध प्रदर्शन स्थलों पर हिंदू विरोधी नारे लगाए गए थे. दिल्ली, कानपुर और बिजनौर में चले प्रदर्शनों की दो महीने लंबी रिपोर्टिंग के दौरान मैंने कहीं भी ऐसे नारे नहीं सुने.

तो भी सिंह ने “गोली मारो सालों को” नारे को सही ठहराया. उन्होंने मुझे चुनौती दी, “तो आप एक बात बताइए, तो क्या कहना चाहिए कि देश के गद्दारों को भारत रतन दो.” सिंह ने कहा कि वह नहीं मानती कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी देश के नागरिक हैं. उन्होंने कहा कि उनको विश्वास है कि “ये लोग अवैध शरणार्थी हैं जो देश को जला देना चाहते हैं.”