दिल्ली हिंसा का पर्दाफाश : भाग दो

मोदी के भाषणों से भड़की थी नफरत, सीएए विरोधी आंदोलनकारियों के खिलाफ हिंदुत्ववादी जुटान में भाषणों से मिला हौसला

22 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली की और विपक्ष पर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के बारे में जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर ताना मारते हुए मोदी ने कहा, "अगर जरा सा भी भगवान ने दी है (बुद्धि) तो थोड़ा उपयोग करो.” मोदी की भाषणबाजी ने सीएए को लेकर मौजपुर में जुटी भीड़ को उत्तेजित करने में और आंदोलनकारियों के खिलाफ प्रयोग करने में भूमिका निभाई. कमल किशोर/ पीटीआई
02 March, 2021

संसद में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित होने के चार दिन बाद 15 दिसंबर 2019 को इसके खिलाफ शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन शुरू हुआ. उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के दुमका जिले में एक रैली को संबोधित किया और मुसलमानों पर सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान आगजनी करने का आरोप लगाया. मोदी ने कहा, “जो आग लगा रहे हैं, उनकी तस्वीरें टेलीविजन पर आ रही हैं. ये आगजनी करने वाले कौन हैं? उन्हें उनके कपड़ों से ही पहचाना जा सकता है.”

उसके ठीक एक सप्ताह बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली की. उन्होंने विपक्षी दलों पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और दावा किया कि कानून केवल नागरिकता प्रदान करेगा, किसी की नागरिकता छीनेगा नहीं. प्रधानमंत्री ने इसके बाद उत्साहजनक अंदाज में अपनी कनपटी की तरह हाथ से इशारा करते हुए कहा, "अगर जरा सा भी भगवान ने दी है तो थोड़ा उपयोग करो.”

उनके और पार्टी में उनके अधीनस्थों द्वारा दिए गए ऐसे भाषण मौजपुर में जुटी हिंदू भीड़ की नागरिकता कानून के बारे में सोच और इसके विरोधियों के खिलाफ समझदारी बनाने में मुख्य भूमिका निभाते दिखाई देते हैं. मुख्यधारा की मीडिया की मदद से मोदी इस नैरेटिव को सफलतापूर्वक भुना सके कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी कानून के बारे में नहीं जानते, विरोध करने वाले मूर्ख हैं और राष्ट्र के हित के खिलाफ काम कर रहे हैं. मोदी और उनकी पार्टी के जन प्रतिनिधियों ने बेहयाई के साथ कानून में धार्मिक बहिष्कार और दूसरों की रक्षा करने की आड़ में एक अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय के उत्पीड़न के बारे में बात नहीं की.

उन्होंने यह नहीं बताया कि अमित शाह ने नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के कार्यान्वयन को कैसे प्रस्तावित किया है और एनआरसी का उपयोग करके "घुसपैठियों" को बाहर खदेड़ने से पहले शरणार्थियों को सीएए के तहत नागरिकता कैसे दी जाएगी. बीजेपी का नैरेटिव मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के इस डर को संबोधित नहीं करता कि एनआरसी के कार्यान्वयन के दौरान सीएए केवल हिंदुओं की रक्षा करेगा और उन्हें सुरक्षा से वंचित करेगा. इसके चलते मौजपुर चौक पर जमा मोदी के कई अनुयायियों की कानून की समझ सीमित हुई और साथ ही वे यह भी मानते रहे कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी कानून के बारे में नहीं जानते थे और विरोध करने वाले देशद्रोही हैं.

सौरभ चातक, जो उस समय भारतीय जनता युवा मोर्चा के मौजपुर मंडल के अध्यक्ष थे, उन लोगों में से एक थे जो 23 फरवरी की दोपहर को फेसबुक के माध्यम से भीड़ जुटा रहे थे. उन्होंने दोपहर 12.24 बजे पोस्ट किया, "हम आज दोपहर 3 बजे दिल्ली पुलिस और सीएए के समर्थन में मौजपुर लाल बत्ती पर बैठ रहे हैं. कृपया भारी संख्या में पहुंचें.” चातक ने मुझे बताया कि उन्होंने स्थानीय लोगों से सड़कों को खाली कराने की अपील की थी क्योंकि "दूसरे" पक्ष ने "कानून के बारे में कम जानकारी के चलते" इसे ब्लॉक कर दिया था. उन्होंने कहा, "बात यह है कि सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनता है. किसी भी चीज के बारे में अधूरा ज्ञान हमेशा हानिकारक होता है. सीएए देश के हित में है.”

जाति से ब्राह्मण चातक युवा हिंदू संघ के सदस्य हैं जो फेसबुक पर खुद को "एक राष्ट्रवादी संगठन'' बताता है ''जिसका उद्देश्य हिंदू धर्म की सुरक्षा करना है." इसका फेसबुक पेज और इसके द्वारा आयोजित होने वाले ईवेंट से संकेत मिलता है कि समूह मुख्य रूप से सवर्ण समुदायों के हितों की सेवा करता है. इससे यह भी पता चलता है कि इसने दिल्ली के मंदिरों में कई हनुमान चालीसा कार्यक्रम आयोजित किए हैं. यह स्थानीय हिंदू समुदायों को अपनी विचारधारा और पार्टी से जोड़ने के लिए बीजेपी और विहिप नेताओं द्वारा नियमित रूप से अपनाए जाने वाला तरीका है. मौजपुर में मौजूद भीड़ के कई सदस्यों ने मुझे बताया था कि उन्होंने अपने जाति आधारित संगठनों की ओर से चालीसा कार्यक्रम आयोजित किए थे. नवंबर 2020 में हुए पार्टी कैडर के फेरबदल में चातक को किसी नए पद पर नियुक्त नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक नया पद इसलिए नहीं लिया क्योंकि उन्हें अपने करियर पर ध्यान देना है. उन्होंने कहा कि "पार्टी के दिशानिर्देश" अपने पूर्णकालिक नेताओं से "पार्टी गतिविधियों के लिए निश्चित समय और संगठन" की मांग करते हैं.

उत्तर पूर्वी दिल्ली में भारतीय जनता युवा मोर्चा की नवीन शाहदरा इकाई के जिला कार्यकारी अधिकारी आकाश वर्मा का मानना ​​है कि कानून का विरोध ''दिखावा'' था. वर्मा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों का सड़कें कब्जाने का असल कारण "हिंदुओं के खिलाफ साजिश" करना था. उन्होंने मुझसे पूछा, “आपको एनआरसी, सीएए से डरने की क्या जरूरत है, आप मुझे बताएं? जब आप किसी दूसरे देश में जाते हैं, तो आपको वीजा की जरूरत होती है. इसलिए अगर सरकार आपसे देश में रहने का प्रमाण मांगती है तो यह अच्छा है. इसमें लड़ने की बात कहां है?” उनकी टिप्पणियों से पता चलता है कि वह भारतीय मुस्लिम समुदाय के उत्पीड़न के डर को नहीं समझे पाए थे और यह भी संकेत दिया कि उनकी सोच शाह की टिप्पणियों से बनी थी.

कई अन्य लोगों की तरह वर्मा ने भी सीएए प्रदर्शनकारियों की बात करते हुए मोदी के नाम और अन्य बीजेपी नेताओं द्वारा इस्तेमाल किए गए नारों और भाषा का इस्तेमाल किया. सभी लाइव स्ट्रीम में शायद ही कभी सीएए के लाभों से संबंधित कोई भाषण या नारा दिखाया गया. हालांकि इनमें धारा प्रवाह सांप्रदायिक अपशब्दों और गालियों का अनवरत प्रयोग होता है, जैसे कि मुसलमानों का जिक्र करते हुए "मुल्ला" या "कटुआ" शब्दों का उपयोग. उन्होंने मोदी से प्रदर्शनकारियों को पीटने ("मोदीजी, लट्ठ बजाओ") और देशद्रोहियों को गोली मारने का ("देश के गद्दारो को, गोली मारो सालो को") आह्वान किया. वर्मा का मानना ​​था कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर जो हिंसा हुई वे उसी के लायक थे. "उन्होंने गलत विकल्प चुना. अगर उन्होंने सड़क बंद नहीं की होती तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ होता." अपने लाइव स्ट्रीम में मुस्कुराते हुए उन्होंने अपने दर्शकों के सामने घोषणा की, "जाफराबाद खाली करा के रहेंगे और शाहीन बाग भी साथ-साथ खाली होगा. इन्होंन बहुत गलत जगह हाथ डाला है."

प्रदर्शनकारियों के सड़कों को जाम करने के प्रति गुस्सा और हिंदू निवासियों के लिए इसका मतलब क्या हो सकता है, इससे जुड़ी आशंकाएं भी मोदी सहित बीजेपी नेताओं द्वारा गढ़े गए एक निराधार नैरेटिव का नतीजा थीं. 3 फरवरी 2020 को दिल्ली के तत्कालीन विधानसभा चुनावों के लिए अपने पहले अभियान के दौरान, सीएए विरोध का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा था, “दोस्तो, इस मानसिकता को रोकना आवश्यक हो गया है. अगर साजिश रचने वालों की शक्ति बढ़ती है, तो कल किसी और सड़क, किसी और गली को जाम कर दिया जाएगा. हम ऐसी अराजकता में दिल्ली नहीं छोड़ सकते.'' प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सीएए के विरोध को "देश के खिलाफ साजिश" और विरोध में शामिल लोगों को "साजिशकर्ता" बताया.

मौजपुर में जुटी भीड़ के कई सदस्यों के साथ हुई बातचीत से स्पष्ट था कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को सड़कों से खदेड़ने के लिए लोगों के बाहर आने में मोदी के भाषण ने हौसला बढ़ाया. उस समय भाजयुमो के सोनिया विहार मंडल के अध्यक्ष सोनू पंडित, जो पांडे के लाइव स्ट्रीम में थे, ने कहा कि वह मौजपुर इसलिए गए थे क्योंकि उन्हें लगा था कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी उन्हें उनके ही घर में कैद कर देंगे. पंडित ने कहा, "जो लोग शाहीन बाग में धरने पर बैठे थे और जिसके बाद यहां भजनपुरा में हमारे पड़ोस में भी लोग धरने पर बैठे, उन्होंने सड़क पर जाम लगा दिया था और उन्होंने हमारे लिए सब कुछ बंद कर दिया था. वे हमें अपने घरों से बाहर निकलने से रोक रहे थे… अगर वे हर दिन ऐसा करते रहे, सड़कों को बंद करते रहे, तो हम क्या करेंगे? हम कहां जाएंगे?"

मौजपुर में जुटी भीड़ के बीच यह धारणा थी कि उनकी कार्रवाई को बीजेपी सरकार का समर्थन है और पंडित के फेसबुक पोस्ट से भी यह स्पष्ट होता है. 27 वर्षीय ब्राह्मण ने 24 और 25 फरवरी की मध्यरात्रि के आसपास फेसबुक पर पोस्ट किया, "जो कोई भी इस समय जाग रहा है, वह मेरे साथ विजय घोष करे : जयकारा वीर बजरंगी." तब तक उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा फैल गई थी. आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत सार्वजनिक कर्फ्यू लगाया गया था और क्षेत्र में मेट्रो सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था. यहां तक ​​कि पत्रकारों को भी नहीं जाने दिया जा रहा था. नतीजतन पंडित की पोस्ट से लोगों ने जमीनी स्थिति के बारे में जानकारी ली.

एक फेसबुक यूजर ने पंडित से पूछा, "भाई, अब हमें कुछ खबर सुनाओ जिससे हमारा दिल खुश हो जाए." पंडित ने उत्तर दिया, "कौन सी?" यूजर ने फिर से अनुरोध. उसने गृहमंत्री शाह के ब्राह्मणवादी यज्ञ अनुष्ठान की चर्चा करते हुए कहा, "मोटा भाई ने यज्ञ की शुरुआत की है. वह कैसा चल रहा है?" पंडित ने जवाब दिया "हां, यह जल्द ही हो जाएगा." एक अन्य यूजर ने पंडित को उस रात न सोने के लिए कहा. “सोनू, भले ही हर कोई सो जाए लेकिन आप युवाओं को सोना नहीं है. यह रात फतेह करने की रात है.” पंडित ने उत्तर दिया, "बिल्कुल, भाई."

पंडित ने इस बातचीत को स्वीकार किया लेकिन जोर देकर कहा कि इसका संबंध उनके परिवार और समुदाय की सुरक्षा को लेकर था. उन्होंने कहा कि उन्होंने हिंसा में भाग नहीं लिया. पंडित ने मुझे बताया, "हमें रुकना पड़ा. करावल नगर में हमारे पड़ोस में दंगाई हमारे लिए मुश्किल बन रहे थे. इसलिए अपनी सुरक्षा और यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमें कुछ नहीं होगा, हमने अपने दोस्तों के बीच चर्चा की कि सभी को सतर्क रहना चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई गड़बड़ी न हो, कोई दंगा न हो.” जब मैंने पंडित से जीत की रात के संदर्भ में पूछा कि यह किसी की सुरक्षा को लेकर डर के बारे में नहीं बताता, तो उसने मेरी बात खारिज कर दी. "ऐसा कुछ भी नहीं है." पंडित अब बीजेपी के पूर्वांचल मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं.

मणि बंसल, जो उस समय बीजेपी की महिला शाखा महिला मोर्चा की उत्तर पूर्व जिला इकाई की अध्यक्ष थीं, ने इस बात पर सहमति जताई कि सीएए के समर्थन में मौजपुर में जुटी भीड़ को बीजेपी का समर्थक था. बंसल उन लोगों में शामिल थीं, जो घटना स्थल से फेसबुक पर लाइव थे, हालांकि वह यमुना विहार में थीं, न कि मौजपुर में. लेकिन वहां भी हिंदू एकता और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा उत्पन्न खतरों के बारे में संदेश वही था. मैंने उनसे पूछा कि नैरेटिव सीएए का समर्थन करने से बदलकर कैसे हिंदू एकता पर जा पहुंचा. बनिया समुदाय से आने वाली बंसल ने इस पर सहमति जताई कि यह बीजेपी के संदेश के कारण हुआ है. "मुझे नहीं लगता कि यह पूर्व नियोजित था. बीजेपी के लोग समर्थन में सामने आए. फिर हर पार्टी कार्यकर्ता समर्थन में सामने आया. ”

बिहार के मधुबनी में भाजयुमो के प्रवक्ता सचिन मिश्रा 23 और 24 फरवरी को मौजपुर से लाइव थे. उन्होंने अपनी उपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर पंडित की ही बात दोहराई. उन्होंने कहा कि वह मौजपुर गए थे क्योंकि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने "घृणा का माहौल बना दिया था." उन्होंने मुझे बताया कि वह "शांति से इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करने" क्षेत्र में गए थे. लेकिन उनका ब्रॉडकास्ट इस दावे के झोल को दिखाता है. उसमें उन्हें सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बार-बार सांप्रदायिक, गाली-गलौज भरी नारेबाजी करते हुए देखा जा सकता है. इसे चार हजार बार देखा गया था.

27 फरवरी को किए एक ब्रॉडकास्ट में मिश्रा ने अपने दर्शकों से कहा, "अगर हम पर हमला होता है तो हमें अपने लिए जरूर कुछ करना होगा." उन्होंने तब उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंदू बहुल इलाकों को संबोधित किया. "करावल नगर, भजनपुरा, यमुना विहार, घोंडा, मौजपुर के सभी निवासी, सतर्क रहें और अपने बचाव के लिए तैयार रहें ... हम दिल्ली में दंगाइयों को मारेंगे." उन्होंने अपने दर्शकों को यह बताते हुए गलत सूचना फैलाई कि मुसलमान “मस्जिदों से घोषणा कर रहे हैं कि हिंदू आपके घरों को खाली कर दें” और वे “हिंदुओं के घरों में तोड़-फोड़ कर रहे हैं और उन्हें मार रहे हैं.” इस बात को सही ठहराने वाली एक भी रिपोर्ट नहीं थी.

मिश्रा ने मुझे बताया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लोगों को जुटाने के लिए हिंदू पहचान को भड़काने में उन्हें कुछ भी गलत नहीं लगता. उन्होंने कहा, "हिंदुओं के बाहर आने का मतलब है हिंदुओं का एकजुट होना. सभी को एकजुट होने का अधिकार है. हम अपनी एकता कर रहे थे. हम दंगे कराने की कोशिश नहीं कर रहे थे ... मुझे यह अपना कर्तव्य लगता है क्योंकि बाकी सभी लोग अपने धर्म की खातिर एकजुट होते हैं."

इसी तरह भाजयुमो की नवीन शहादरा इकाई के उपाध्यक्ष आकाश भारद्वाज ने मौजपुर से अपने वीडियो में हिंदू एकता का आह्वान किया था लेकिन मुझे बताया कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से विश्वास नहीं था कि सीएए-विरोधी आंदोलन हिंदुओं के खिलाफ था. मौजपुर में सांप्रदायिक माहौल का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा, "एक माहौल था वहां." उन्होंने कहा कि वह मौजपुर गए थे क्योंकि लोग शाहीन बाग के सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से नाराज थे और वह स्थानीय हिंदुओं के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करना चाहते थे. अरुण कुमार शर्मा, जो उस समय भाजयुमो की नवीन शहादरा इकाई के उपाध्यक्ष भी थे, का मानना ​​था कि सीएए के पक्ष में "सकारात्मक विरोध" की आवश्यकता थी क्योंकि कानून का विरोध करने वालों ने देश में "नकारात्मक माहौल" बना दिया था. शर्मा ने कहा कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को पता नहीं था कि वे किसी चीज का विरोध कर रहे हैं. भारद्वाज ने कहा कि उन्हें कोई नया पद नहीं मिला है लेकिन शर्मा अब नवीन शाहदरा इकाई के प्रवक्ता और बाबरपुर इकाई के भाजयुमो प्रभारी हैं.

प्रदर्शनकारियों ने कानून को नहीं समझा यह नैरेटिव गढ़ने के अलावा मोदी के भाषणों ने इसके विरोध के लिए एक स्पष्टीकरण भी पेश किया, जो फिर से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर आधारित था और मौजपुर में जुटी भीड़ ने इसे सच्चाई के रूप में ग्रहण किया था. 15 दिसंबर को दुमका में अपनी सार्वजनिक रैली के दौरान मोदी ने कहा, “जब राम मंदिर पर फैसला आया, तो पाकिस्तानियों ने लंदन में भारतीय दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया. जब धारा 370 का फैसला किया गया था, तब पाकिस्तानियों ने लंदन में भारतीय उच्चायुक्त के सामने प्रदर्शन किया था.” प्रधानमंत्री ने तब सीएए विरोधी प्रदर्शनों को भी इसी के समानांतर रखने की बात की. “लंदन में पाकिस्तान ने जो भी किया, वही कांग्रेस ने यहां किया… देश को बदनाम करने की साजिश चल रही है. उनके कामों से साबित होता है कि संसद में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित करने का निर्णय 1000 प्रतिशत सही है.” प्रधानमंत्री का अक्सर "षड्यंत्रकारियों," "पाकिस्तानियों" या "कांग्रेस समर्थकों" जैसे शब्दों का उपयोग सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के लिए किया गया प्रतीत होता है और मौजपुर में जुटी भीड़ के साथ हुई बातचीत से पता चला कि मोदी के शब्दों ने उनमें से कई के लिए वैचा​रिक खाका तैयार किया.

23 फरवरी को मौजपुर में इकट्ठा होने के लिए हिंदुओं से अपील करने वाले लाइव प्रसारण और संदेश पोस्ट करने वाले व्यक्तियों के प्रोफाइल की जांच करने पर एक पैटर्न सामने आया जो भीड़ और संघ के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंधों का खुलासा करता है.

उस समय दिलशाद गार्डन मंडल के अध्यक्ष रहे श्रेयदीप कौशिक ने 24 फरवरी को मौजपुर से सीधा प्रसारण किया. "यहां के हिंदू भाइयों ने हिंदू भाईचारे की मिसाल दी है," उन्होंने कहा. मैंने उनसे पूछा कि वह क्यों मानते हैं कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी हिंदुओं के खिलाफ थे. अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर बनाने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए श्रेयदीप ने कहा, "वे राम मंदिर के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते. सब कुछ आसानी से हुआ. कई बिल उनके पक्ष में नहीं गए. इसलिए वे सोचने लगे कि मोदी सरकार मुस्लिम विरोधी है.”

24 फरवरी की रात को श्रेयदीप ने अपनी लाइवस्ट्रीम पर कैप्शन दिया, "मुझे थोड़ा समय लगा क्योंकि मैं दिल्ली से बाहर था लेकिन अपने हिंदू भाइयों के लिए मैं मौजपुर पहुंचा." फिर उन्होंने उन दिनों उत्तर पूर्वी दिल्ली में फैले सांप्रदायिक नारे लगाए, जैसे "हिंदुस्तान में रहना होगा, वंदे मातरम कहना होगा," और "एक धक्का और दो, जामा मस्जिद तोड़ दो.'' एक बिंदु पर भीड़ में से कोई चिल्लाया, "कटुओं की मां चोद दो." इसके जवाब में श्रीदीप ने हंसते हुए और प्रियांक जैन की तरफ झुकते हुए, जो उस समय भाजयुमो के नवीन शाहदरा मंडल के अध्यक्ष और संगठन में श्रेयदीप के तत्काल श्रेष्ठ थे, उनसे कहा, "मेरे वीडियो में लोगों ने बहुत कसम खाई थी." जैन हंसे. "मेरे भी."

उनके फेसबुक पेज के अनुसार, ब्राह्मण श्रेयदीप जब छह साल के थे, तब से आरएसएस की शाखा में जा रहे हैं. उन्होंने मुझे बताया कि वह पूर्णकालिक स्वयंसेवकों के लिए आरएसएस द्वारा आयोजित "तीन वर्षीय पाठ्यक्रम" में शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि उनके पास कार्यक्रम की "प्रथम वर्ष की डिग्री" है और उनके पिता के पास "द्वितीय वर्ष की डिग्री" है. अंतिम वर्ष नागपुर में संघ के मुख्यालय में होता है.

श्रेयदीप ने उत्तेजक नारों के इस्तेमाल पर खेद व्यक्त किया लेकिन कहा कि यह उस संदर्भ में उचित थे. “उत्तेजक क्षणों में ऐसा हो जाता है. मुझे शामिल नहीं होना चाहिए था लेकिन मैं हुआ. आप कह सकते हैं कि चूंकि मैं हिंदू समुदाय से संबंध रखता हूं इसलिए मैं हिंदू समुदाय के पक्ष में कुछ कहे बिना नहीं रह सकता.” दिसंबर 2020 में श्रेयदीप भाजयुमो से बीजेपी में आ गए, जहां वह वर्तमान में पार्टी की नवीन शहादरा जिला इकाई के उपाध्यक्ष हैं.

ऋषभ कौशिक, जो दिल्ली हिंसा के दौरान भाजयुमों की नवीन शाहदरा इकाई के सचिव थे, मोदी के शब्दों से प्रभावित थे. उन्होंने दावा किया कि वह 23 फरवरी को "शांतिपूर्वक" ढंग से सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से सड़कें खाली करने को कहने गए थे. हालांकि उनका फेसबुक लाइव स्ट्रीम एक अलग कहानी बताता है. उसमें उन्हें भीड़ के साथ देखा जा सकता है जो आक्रामक रूप से चिल्ला रही थी, "जय श्रीराम!" ऋषभ ने "देशद्रोहियों को गोली मारो" के नारे लगाना स्वीकार किया लेकिन इसका बचाव भी किया. "हमने यह देशद्रोहियों के लिए कहा जो देश से गद्दारी की बात करते हैं और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले हैं," हालांकि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने ऐसे नारे लगाए इसका कहीं कोई तथ्यात्मक रूप से उल्लेख नहीं है. दो महीनों तक जमीनी स्तर पर इन विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करने के दौरान मैंने ऐसे नारे कभी नहीं सुने. वास्तव में बिना किसी स्पष्ट आधार के उन्होंने दावा किया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी देश के कानूनी नागरिक नहीं हैं. ऋषभ भी ब्राह्मण हैं. अब वह भाजयुमो के सबोली मंडल के अध्यक्ष हैं.

मौजपुर में जुटी भीड़ के कई सदस्यों ने खुले तौर पर अधिक भयावह, सांप्रदायिक रणनीतियों को व्यक्त किया, जिसके लिए उन्हें बाद में भी कोई अफसोस नहीं था. बीजेपी के रोहिणी मंडल में राज्य के कार्यकारी संजीव शर्मा ने 23 फरवरी को एक फेसबुक लाइव में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को राशन की आपूर्ति में पूरी तरह कटौती करने का आह्वान किया. अपने वीडियो में संजीव माथे पर तिलक लगाए और गले में केसरिया दुपट्टा डाले सोफे पर बैठे थे. "आपको बस इतना करना है कि सीएए के समर्थन में उन सभी सड़कों पर बैठना है," उन्होंने कहा.

संजीव ने अपने दर्शकों से विशेष रूप से सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा विरोध स्थलों तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल की गई सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए कहा. “एनपीआर, सीएए, एनआरसी के समर्थन में, आपको बस इतना करना है कि इन सड़कों को जाम करना है जिनके जरिए उनका राशन, उनकी बिरयानी और उनके इस्तेमाल का बाकी सामान पहुंचता है. आपको उन चीजों को उनके विरोध स्थलों तक नहीं पहुंचने देना होगा. आइए, सभी अपने घरों से बाहर निकलें. हम अब तक शांत थे लेकिन अब हमें अपने घरों से बाहर आना होगा और उन्हें रोकना होगा नहीं तो वे हमारे घरों में घुस जाएंगे. जय श्रीराम. भारत माता की जय! " 

संजीव ने अपनी रणनीति पर कोई पश्चाताप या अफसोस जाहिर नहीं किया. "अगर कुछ भी उन तक नहीं पहुंचेगा, तो उनके नेता कितने दिनों तक भूखे-प्यासे बैठे रहेंगे, और कब तक?" उन्होंने पूछा. “एक गुस्सा भी था, तो बाना दिया वीडियो. जिसे गलत लग रहा है, लगता रहे,'' उन्होंने मुझसे कहा.

गाजियाबाद में बजरंग दल के जिला समन्वयक हरदीप सिंह ने 24 फरवरी को फेसबुक पर सांप्रदायिक भाषा के साथ पोस्ट किया था. सिंह ने लिखा, "जिहादी सूअरों की कब्रगाह, जो भजनपुरा में पेट्रोल पंप के सामने थी, अब नहीं है." हिंसा के दौरान कब्रिस्तान को तबाह कर दिया गया था. मैंने सिंह से पूछा कि क्या वह उस दिन कब्रिस्तान के आसपास भजनपुरा में थे और क्या हुआ था. उन्होंने कहा कि वह उस दिन भजनपुरा के पास यमुना विहार में दिल्ली जल बोर्ड में पानी आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी नियमित नौकरी कर रहे थे.

सिंह ने कहा कि वह अपने कार्य स्थल पर ही रहे और हिंसा के दौरान बाहर नहीं निकले लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर प्राप्त एक संदेश को कॉपी करके फेसबुक पर जरूर पोस्ट किया था. "सोशल मीडिया पर चल रहा होगा तो कॉपी पेस्ट हो गया होगा," सिंह ने कहा. "बाकी मेरा कोई इनवॉल्वमेंट नहीं है." उन्होंने बजरंग दल का उल्लेख करते हुए कहा, "भजनपुरा जाने के लिए मेरे संगठन से कोई आदेश या कोई कॉल नहीं आया था."

शायद मोदी के भाषणों के प्रभाव को सबसे ज्यादा स्पष्ट करने वाला साक्षात्कार रुचि शर्मा के साथ था, जो मध्य प्रदेश में स्थित एक हिंदुत्व संगठन,​ उत्थिष्ठ भारत की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हैं. अपनी वेबसाइट के अनुसार उत्थिष्ठ भारत "हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिंदुओं को एकजुट करने का एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम" चलाते हैं, जिसके लिए "21 राज्यों के 70 हिंदू संगठन एक साथ आए हैं." (मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके, जिसमें कम से कम छह लोग मारे गए और 80 से अधिक लोग घायल हो गए थे, का एक आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी उत्थिष्ठ भारत का राष्ट्रीय अध्यक्ष है. विस्फोट के समय चतुर्वेदी अभिनव भारत का राष्ट्रीय महासचिव था. इस चरमपंथी संगठन पर हमले को अंजाम देने का आरोप लगा था.)

अंजली वर्मा और रागिनी तिवारी के साथ रुचि भी मौजपुर चौक पर बैठी महिलाओं के समूह में शामिल थीं. उनके पीछे हनुमान चालीसा चल रही थी. सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बारे में उनकी समझ मोदी और अन्य बीजेपी नेताओं द्वारा फैलाई गई गलत सूचना पर आधारित थी. उन्होंने मुझे बताया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी "देश विरोधी नारे लगा रहे थे", और कहा कि "वह देश को नष्ट करने की मांग करने वाले किसी भी विरोध को बर्दाश्त नहीं कर सकती." रुचि ने कहा, “प्रदर्शनकारी मुसलमानों ने जाफराबाद और मौजपुर को बंद कर दिया था. मुझे व्यक्तिगत रूप से लगा कि एक एकजुट हिंदू शक्ति की आवश्यक है. और अगर वे देशद्रोही एकजुट हो सकते हैं, तो हम देश हित में एक साथ क्यों नहीं खड़े होंगे?”

रुचि ने कहा कि वह अपनी विचारधारा और मोदी के प्रति समर्पण से प्रेरित थीं. "हम किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करते," उन्होंने कहा. “हमारे पास एक विचारधारा है जो बीजेपी से मिलती है. जो भी देश के हित में है, मैं उनके साथ हूं. वे कोई भी हो सकते हैं.” उन्होंने जोर देकर कहा कि मौजपुर में भीड़ हिंसा के लिए जिम्मेदार नहीं थी क्योंकि “अगर वे चाहते तो इससे भी बदतर हो सकता था.” रुचि ने कहा,"मोदीजी हमारे आदरणीय हैं. अगर वह चाहते, अगर उनकी एक कॉल पर हम मोमबत्तियां जला सकते हैं तो हम कई और चीजें भी जला सकते हैं. हम बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन मोदीजी देश में दंगे नहीं होने देना चाहते.”