संसद में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित होने के चार दिन बाद 15 दिसंबर 2019 को इसके खिलाफ शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन शुरू हुआ. उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के दुमका जिले में एक रैली को संबोधित किया और मुसलमानों पर सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान आगजनी करने का आरोप लगाया. मोदी ने कहा, “जो आग लगा रहे हैं, उनकी तस्वीरें टेलीविजन पर आ रही हैं. ये आगजनी करने वाले कौन हैं? उन्हें उनके कपड़ों से ही पहचाना जा सकता है.”
उसके ठीक एक सप्ताह बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली की. उन्होंने विपक्षी दलों पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और दावा किया कि कानून केवल नागरिकता प्रदान करेगा, किसी की नागरिकता छीनेगा नहीं. प्रधानमंत्री ने इसके बाद उत्साहजनक अंदाज में अपनी कनपटी की तरह हाथ से इशारा करते हुए कहा, "अगर जरा सा भी भगवान ने दी है तो थोड़ा उपयोग करो.”
उनके और पार्टी में उनके अधीनस्थों द्वारा दिए गए ऐसे भाषण मौजपुर में जुटी हिंदू भीड़ की नागरिकता कानून के बारे में सोच और इसके विरोधियों के खिलाफ समझदारी बनाने में मुख्य भूमिका निभाते दिखाई देते हैं. मुख्यधारा की मीडिया की मदद से मोदी इस नैरेटिव को सफलतापूर्वक भुना सके कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी कानून के बारे में नहीं जानते, विरोध करने वाले मूर्ख हैं और राष्ट्र के हित के खिलाफ काम कर रहे हैं. मोदी और उनकी पार्टी के जन प्रतिनिधियों ने बेहयाई के साथ कानून में धार्मिक बहिष्कार और दूसरों की रक्षा करने की आड़ में एक अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय के उत्पीड़न के बारे में बात नहीं की.
उन्होंने यह नहीं बताया कि अमित शाह ने नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के कार्यान्वयन को कैसे प्रस्तावित किया है और एनआरसी का उपयोग करके "घुसपैठियों" को बाहर खदेड़ने से पहले शरणार्थियों को सीएए के तहत नागरिकता कैसे दी जाएगी. बीजेपी का नैरेटिव मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के इस डर को संबोधित नहीं करता कि एनआरसी के कार्यान्वयन के दौरान सीएए केवल हिंदुओं की रक्षा करेगा और उन्हें सुरक्षा से वंचित करेगा. इसके चलते मौजपुर चौक पर जमा मोदी के कई अनुयायियों की कानून की समझ सीमित हुई और साथ ही वे यह भी मानते रहे कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी कानून के बारे में नहीं जानते थे और विरोध करने वाले देशद्रोही हैं.
सौरभ चातक, जो उस समय भारतीय जनता युवा मोर्चा के मौजपुर मंडल के अध्यक्ष थे, उन लोगों में से एक थे जो 23 फरवरी की दोपहर को फेसबुक के माध्यम से भीड़ जुटा रहे थे. उन्होंने दोपहर 12.24 बजे पोस्ट किया, "हम आज दोपहर 3 बजे दिल्ली पुलिस और सीएए के समर्थन में मौजपुर लाल बत्ती पर बैठ रहे हैं. कृपया भारी संख्या में पहुंचें.” चातक ने मुझे बताया कि उन्होंने स्थानीय लोगों से सड़कों को खाली कराने की अपील की थी क्योंकि "दूसरे" पक्ष ने "कानून के बारे में कम जानकारी के चलते" इसे ब्लॉक कर दिया था. उन्होंने कहा, "बात यह है कि सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनता है. किसी भी चीज के बारे में अधूरा ज्ञान हमेशा हानिकारक होता है. सीएए देश के हित में है.”
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