2024 के आम चुनाव के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश के संभल लोकसभा क्षेत्र में पुलिस द्वारा हिंसा के आरोप सामने आए. मुसलमानों पर लाठीचार्ज किए जाने और उनके पहचान पत्र जब्त किए जाने की खबरें आईं. पुलिस ने दावा किया कि उसने चुनाव में धोखाधड़ी रोकने के लिए कार्रवाई की, लेकिन विपक्ष ने इन घटनाओं को देखते हुए आरोप लगाया कि जहां सत्ताधारी बीजेपी को चुनाव हारने की संभावना है उन सीटों पर चुनाव को प्रभावित करने के लिए पार्टी राज्य मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है.
यह पहली बार नहीं है कि उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान पुलिस पर चुनाव को दबाने का आरोप लगा है. दिसंबर 2022 में, रामपुर विधानसभा सीट पर हुआ उपचुनाव पुलिस हिंसा की भेंट चढ़ गया, जिसमें खबरों के मुताबिक मुस्लिम मतदाताओं को पीटा गया और वोट नहीं देने दिया गया. उस चुनाव में मतदान प्रतिशत केवल 27.8 प्रतिशत रहा था, जो किसी उपचुनाव के लिए बहुत कम आंकड़ा है. बीजेपी ने यह सीट भारी बहुमत से जीत थी, जिस पर सपा नेता आजम खान के परिवार का दो दशकों से कब्जा था. उस वक्त रामपुर के पुलिस सर्कल अधिकारी, पूर्व ओलंपिक पहलवान अनुज कुमार चौधरी, वर्तमान में संभल उपखंड में सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं.
7 मई की सुबह, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के एक गांव ओबरी के निवासी अबरार वोट डालने के लिए लाइन में खड़े थे. गांव में पांच हजार से ज्यादा मतदाता हैं, जिनमें से लगभग सभी मुस्लिम हैं. गांव के चारों मतदान केंद्रों वाले स्कूल में लंबी कतारें थीं और मतदान अभी शुरू हुआ था. उन्होंने मुझे फोन पर बताया, सुबह करीब 8.30 बजे बीस से ज्यादा पुलिस गाड़ियां पहुंचीं.
अबरार ने कहा, "जैसे ही पुलिस पहुंची, उन्होंने मतदान रोकने का आदेश दिया और सभी के पहचान पत्र ले लिए. उन्होंने बिना कोई कारण बताए बूथ बंद कर दिए. महिलाएं घबराकर कहने लगीं कि वे अब वोट नहीं डालेंगी.'' उन्होंने बताया कि पुलिस ने औरतों और बुजुर्गों सहित बेतरतीब ढंग से लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया और कई घंटों के लिए मतदान को लगभग रोक दिया गया. अबरार के मुताबिक इस घटना में तीस लोग घायल हुए थे.