लक्षद्वीप के द्वीपों में सबसे दक्षिणी प्रवाल द्वीप मिनिकॉय के एक दुकानदार मुहम्मद फोन पर चिंतित लग रहे थे. उनकी सामान और स्टेशनरी की दुकान में बिक्री चरमरा गई थी. मार्च 2022 तक उनकी मासिक आमदनी 60000 रुपए से घट कर 10000 रुपए हो गई थी. “खरीदारी कम हो गई है. हर किसी को अपने कारोबार में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,” उन्होंने मुझे बताया. उन्हें अपने कुछ कर्मचारियों को निकालना भी पड़ा था. "कुछ काम ही नहीं है."
मिनिकॉय के उत्तर में लगभग ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती के एक निवासी, जो सरकारी आंकड़ों पर गहरी नजर रखते हैं, ने नाम न छापने की शर्त पर मुझे बताया कि अन्य सभी द्वीपों की कहानी भी इसी तरह की है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी और कोविड-19 महामारी के आर्थिक झटकों से कारोबार बहुत जल्दी उबर गए थे लेकिन यह समय अलग है. उन्होंने कहा, "मैंने जिन दुकानदारों से बात की है, जिनमें दवा की दुकान चलाने वाले भी शामिल हैं, पिछले कुछ महीनों में बिक्री में कम से कम सत्तर प्रतिशत की गिरावट का हवाला देते हैं."
लक्षद्वीप में स्थानीय लोगों ने मंदी के उभार को द्वीपों के प्रशासक गुजरात के पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रफुल्ल खोड़ा पटेल से जोड़ा, जिन्हें दिसंबर 2020 में द्वीपसमूह में नियुक्त किया गया था. मैंने जिन निवासियों से बात की उन्होंने कहा कि पटेल के आर्थिक और प्रशासनिक फैसलों ने करीब-करीब सभी स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को खत्म कर दिया है. केवल दो उदाहरणों के हवाले से समझें तो, पटेल के प्रशासन ने द्वीपसमूह के लिए माल ढुलाई करने वाले जहाजों की संख्या को सात से घटा कर दो कर दिया और पंचायतों और सहकारी समितियों को बजटीय सहायता में कटौती की. हालांकि उनके फरमानों का एक बड़ा झटका था तीन हजार अस्थायी और आकस्मिक सरकारी कर्मचारियों को काम से बाहर कर दिया जाना. इस लैगून-फ्रिंजिंग एटोल (खाड़ीय सीमांत द्वीप) में राज्य रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है और नौकरी से निकाल दिए गए कर्मचारियों को खपा पाने में स्थानीय अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर है. जैसे-जैसे इन परिवारों ने अपना पेट कसना शुरू किया है, दुकानों, होटलों और अन्य कारोबारों की द्वीप की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है.
दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली के केंद्र शासित प्रदेशों में विवादास्पद और उथल-पुथल भरा कार्यकाल बितातने के बाद पटेल लक्षद्वीप आए. पटेल के हिंदू-राष्ट्रवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ घनिष्ठ संबंध को देखते हुए मुस्लिम-बहुल लक्षद्वीप में उनकी तैनाती को स्थानीय लोगों ने भारी घबराहट के साथ देखा. लगता है कि निवासियों के डर ने पटेल की हरकतों का पूर्वाभास दे दिया था. उनके कार्यकाल के दौरान, द्वीपों ने विरोध, दबदबे, मनमानी नीति परिवर्तन, अभूतपूर्व आर्थिक कठिनाई और राज्य और नागरिकों के बीच समझौते का लगभग टूटना देखा है.
लेकिन द्वीपों में अशांति से केंद्र पटेल के कान में जूं तक नहीं रेंगी है. गुजरात के एक कांग्रेसी नेता अर्जुन मोढवाडिया ने मुझे बताया कि पटेल अपने राजनीतिक करियर का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देते हैं. पटेल पहली बार 2010 में प्रमुखता से उभरे जब मोदी ने, जो उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्हें गृह राज्य मंत्री नियुक्त किया. "आरएसएस वाली कट्टरता है उसकी सोच में," मोढवाडिया ने कहा. "क्रूर फैसले ले सकते हैं."
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