ब्राह्मणों का दिल जीतने में कितनी कामयाब प्रियंका गांधी?

29 मार्च को एक अभियान रोड शो के दौरान, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हनुमान मंदिर के बाहर प्रियंका गांधी. प्रियंका का उत्तर प्रदेश की राजनीति में आगमन राज्य के ब्राह्मणों को साथ लाता प्रतीत होता है, जो बीजेपी की ओर बढ़ गए थे.
अतुल लोक/गैटी इमेजिस
29 मार्च को एक अभियान रोड शो के दौरान, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हनुमान मंदिर के बाहर प्रियंका गांधी. प्रियंका का उत्तर प्रदेश की राजनीति में आगमन राज्य के ब्राह्मणों को साथ लाता प्रतीत होता है, जो बीजेपी की ओर बढ़ गए थे.
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लोकसभा चुनावों के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश का इंचार्ज बन कर प्रियंका गांधी के राजनीतिक क्षितिज पर प्रकट होते ही दिल्ली और मुख्यधारा की मीडिया में तूफान आ गया. जमीनी हकीकत यह है कि उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्य तौर पर ब्राह्मणों का समर्थन मिल रहा है.

राज्य में ब्राह्मणों की अनुमानित आबादी 10 से 12 प्रतिशत है और प्रदेश के पूर्वी भाग में इनकी स्थिति मजबूत है. उम्मीद थी कि कांग्रेस पार्टी प्रियंका गांधी को वाराणसी संसदीय क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतारेगी लेकिन पार्टी ने अजय राय को टिकट दे दिया. आबादी के लिहाज से वाराणसी में ब्राह्मण दूसरे नंबर पर हैं. इस के बावजूद प्रियंका गांधी का राजनीति में आना पारंपरिक रूप से कांग्रेस का वोट बैंक रहे ब्राह्मण समुदाय को वापस पार्टी में लाने का महत्वपूर्ण प्रयास है जो पिछले सालों में बीजेपी के करीब चला गया है.

सभी पार्टियों के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण महत्वपूर्ण हैं. पारंपरिक रूप से कांग्रेस का यह वोट बैंक पिछले सालों में बीजेपी सहित अन्य दलों के करीब गया है. 2007 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों ने बसपा की जीत में असरदार भूमिका निभाई थी. इस बीच ठाकुर समुदाय के योगी आदित्यनाथ को आगे बढ़ाने से बीजेपी के ब्राह्मण और ठाकुर समर्थकों के बीच दरार पैदा हो गई है. इसके अतिरिक्त सपा और बसपा गठबंधन ने अन्य पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और दलित मतदाताओं पर ध्यान दिया है जिससे कांग्रेस को ब्राह्मणों को अपने पक्ष में करने का अवसर मिला है. इस हिसाब से प्रियंका का राजनीति में प्रवेश करना सफल रहा है.

इस साल मार्च में मैंने पूर्वी उत्तर प्रदेश के सात जिलों का दौरा किया. ये जिले हैं- बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, भदोई, सलेमपुर, देवरिया और मऊ. ये सभी जिले अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र हैं और इनमें बड़ी संख्या में ब्राह्मण मतदाता हैं. इन सभी जिलों में प्रियंका के लिए समर्थन बढ़ता दिखाई दे रहा है. लग तो रहा है कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ब्राह्मणों को पार्टी के करीब लाने में सफल हुईं हैं. वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक जानकार अमृत पांडे के अनुसार, इस समुदाय के अंदर “बीजेपी के खिलाफ बोलने को लेकर डर था” लेकिन “अब यह समुदाय राज्य और केन्द्र में सत्तारूढ़ दल के खिलाफ मुखर होने लगा है. यह दिखाता है कि यह लोग अपने मार्गदर्शन के लिए किसी के इंतजार में थे और प्रियंका ने उन्हें राह दिखाई है”.

लोगों का कहना है कि 2014 में मोदी लहर और कांग्रेस के खिलाफ माहौल था लेकिन इस बार यह स्थिति बदल रही है और इस बार ब्राह्मण वोटर बीजेपी से छिटक कर कांग्रेस की झोली में जा सकता है.

अखिलेश पांडे दिल्ली के पत्रकार हैं.

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