14 फरवरी की शाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले से 28 किलो मीटर दूर और मुख्य राज्य मार्ग से लगभग पांच किलो मीटर की दूरी पर बसे मछरौली गांव में पुलवामा हमले के शहीदों की याद में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. दो साल पहले जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग में एक आत्मघाती हमलावर ने भारतीय सुरक्षा बल के एक काफिले से विस्फोटक से भरी कार टकरा दी थी. उस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान मारे गए थे.
उस दिन दोपहर को जब मैं सींगरा पहुंचा जहां से मछरौली की तरफ जाती सड़क के मुहाने पर मेरे संपर्क साइकिल लिए मेरा इंतजार कर रहे थे. एक हाथ से साइकिल ठेलते हुए बराबर में चलते हुए उन्होंने मुझे कार्यक्रम की मोटामोटी रूपरेखा बतानी शुरू ही की थी कि सैनिक भर्ती का आकांक्षी एक नौजवान पीछे से नमूदार हुआ. फौरन ही वह अपनी लंबाई में एक इंच की उस निर्णायक कमी के बारे में बहुत दुख से बताने लगा जिसके चलते वह सेना में भर्ती होने के काबिल नहीं पाया गया था. इसके बाद वह मेरे बिना पूछे ही सुनाने लगा कि उसके पूरे परिवार ने मोदी के नाम पर बीजेपी को वोट दिया था लेकिन अब सरकार अंबानी-अडानी की हो गई है.
अभी उस नौजवान ने हमसे विदा ली ही थी कि सेना/पुलिस भर्ती के आकांक्षी तीन नौजवान सड़क किनारे कपड़े बदल कर दौड़ने की तैयारी करते मिले. उनका इस तरह मिल जाना कोई असामान्य बात भी नहीं थी. सड़कों, खाली हुए खेतों, मैदानों पर पसीना बहाते नौजवान इन खेतिहर इलाकों की नई फसल हैं.
एक नौजवान ने गुस्से से कहा, “जब यह निकम्मी सरकार चली जाएगी, तब ही मैं शहीदों की याद में मोमबत्ती जलाऊंगा." मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाला यह नौजवान बाकी नौजवानों का उस्ताद था. मालूम पड़ा कि यहां हुनर और तजुर्बे के चलते उस्ताद और चेले की यह अघोषित परंपरा काम करती है. हम आगे बढ़ गए. नौजवान दौड़ने निकल पड़े.
गांव के भीतर घुसते ही स्थानीय मंदिर के माइक से शाम 6 बजे पुलवामा के शहीदों और किसान आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले किसानों की याद में मोमबत्ती मार्च में शामिल होने का आह्वान किया जा रहा था. अभी 6 बजने में दो घंटा बाकी था. अनाउंसमेंट करने वाला नौजवान आकाश शामली डिग्री कॉलेज से बीए का छात्र है. हम लोगों को आते देख वह फौरन हमारे पास आया और मेरे साथ चल रहे नौजवान को तैयारियों के बारे में बताने लगा. “एक पैकेट मोमबत्ती आ गई हैं, बाकी उसी वक्त देख लेंगे.”
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