नीतीश कुमार की दुविधा

बिहार शरीफ में रामनवमी की हिंसा बिहार के लिए क्या इशारा करती है

15 मई 2023
रामनवमी के एक दिन बाद 31 मार्च 2023 को एक जुलूस के दौरान हिंसा भड़कने के बाद बिहारशरीफ में पुलिस.
पीटीआई
रामनवमी के एक दिन बाद 31 मार्च 2023 को एक जुलूस के दौरान हिंसा भड़कने के बाद बिहारशरीफ में पुलिस.
पीटीआई

नालंदा जिले के एक कस्बे बिहार शरीफ में, जहां मैं पला-बढ़ा, हिंसा कैसे शुरू हुई, इसका कोई आधिकारिक बयान अब तक मौजूद नहीं है. राज्य पुलिस के मुताबिक, 30 मार्च को बिहार शरीफ से महज छह घंटे की दूरी पर बसे सासाराम में रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंदू-मुस्लिम युवकों के बीच तीखी नोकझोंक के चलते सांप्रदायिक हिंसा हुई. कई निवासियों ने मुझे बताया कि अगले दिन, शहर के दक्षिणी छोर के एक मुस्लिम इलाके, गगन देवन में तलवारों से लैस कुछ मदमस्त लोगों के सड़क किनारे एक कब्रिस्तान में घुस जाने पर बिहार शरीफ में झगड़ा शुरू हो गया. इसके बाद हुई हिंसा में, एक हिंदू भीड़ ने गगन देवन से कुछ गज की दूरी पर मुरारपुर में एक मस्जिद और एक सदी पुराने मदरसे में आग लगा दी. कई दुकानों, इमारतों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. इस हिंसा में कई लोग घायल हुए थे और एक हिंदू व्यक्ति के मारे जाने की सूचना मिली थी जो अन्य पिछड़ा वर्ग से था.

1998 के बाद से शायद ही अब तक बिहार शरीफ ने कभी सांप्रदायिक हिंसा देखी हो. इस शहर की आबादी चार लाख है, जिसमें 33 प्रतिशत मुस्लिम है. कभी यह मगध साम्राज्य की गद्दी हुआ करती थी जिसने तीन सौ से ज्यादा सालों तक उपमहाद्वीप पर शासन किया था. साम्राज्य बौद्ध धर्म को राजनीतिक संरक्षण देने के लिए जाना जाता था. बिहार शरीफ के दलित मूल निवासी के रूप में, मैं मुस्लिम और हिंदू त्योहारों को मनाते हुए बड़ा हुआ हूं. हम हिंदू मंदिरों और दो मजारों में दर्शन के लिए जाया करते जो क्रमश: एक हिंदू पहलवान बाबा मनीराम और एक मुस्लिम सूफी बाबा मखधूम को समर्पित थे. मनीराम की दरगाह पर लंगोटा और मखधूम की दरगाह पर रोशनी का मेला नामक सालाना जलसा हुआ करता था. हिंदू और मुसलमान बिना किसी परहेज के इन त्योहारों में शामिल होते थे. जुलूस में ज्यादातर लाठी से मार्शल आर्ट की नुमाइश होती- यह लंगोटा की एक पहचान थी, जो गलियों से होकर गुजरता था. मुझे याद नहीं है कि रामनवमी इतने बड़े पैमाने पर मनाई जाती थी और बेशक इसमें तलवार, भाला या किसी तरह का हथियार शामिल नहीं होता था.

1998 में दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मूर्ति विसर्जन के दौरान, कुछ हिंदुओं ने गगन देवन से बमुश्किल एक किलोमीटर दूर कटरापार के मुस्लिम इलाकों में भड़काऊ नारे लगाए. इसने इलाके में सांप्रदायिक हिंसा की सबसे बुरी घटनाओं में से एक को जन्म दिया. मैं कटरापार से कुछ गज की दूरी पर ही रहता था. मुझे याद है कि उसके बाद के दिनों में रोजमर्रा की जिंदगी में रुकावट आ गई थी, स्कूल बंद कर दिए गए, कर्फ्यू और पथराव हुआ. खासकर मजदूर वर्ग के इन मुस्लिम इलाकों के साथ रिश्तों को सुधारने में हमें लगभग एक दशक लग गया. इसमें दोस्ती और कारोबार को फिर से पटरी पर लाना भी शामिल था. एक पूरी पीढ़ी कटरापार में दलितों, बहुजनों और मुसलमानों के बीच करीबी रिश्तों को जाने बिना ही बड़ी हुई.

 घटना के बाद प्रशासन ने रिहायशी इलाकों से किसी भी तरह के जुलूस निकालने पर रोक लगा दी. लगभग दो दशक तक धार्मिक उत्सव प्रदर्शन, भव्यता या सामुदायिक भागीदारी की चीज नहीं रह गए थे. उस अवधि के दौरान, अगर आपने इनमें से किसी भी त्यौहार के बारे में और जिस तरह से वे हुआ करते थे, किसी स्थानीय व्यक्ति से पूछा होता तो वह शायद पुरानी यादों को जाहिर करता, लेकिन शायद राहत भी महसूस करता क्योंकि इससे सांप्रदायिक हिंसा के फिर से भड़क उठने की गुंजाइश कम हो गई थी. छोटे पैमानों पर जुलूस उन सड़कों से निकाले जाते जो बहुत कम आबादी वाले थे. उन्हें उस समय बायपास सड़कों के जरिए मोड़ दिया जाता था. लेकिन, पिछले 25 सालों में शहर के विस्तार के साथ, रांची रोड, जो गगन देवन की ओर जाती है, अब एक हलचल भरा रिहाइशी इलाका है. दो नए मंदिर यहां और बन गए हैं. और देश की राजनीति नाटकीय ढंग से बदल गई है.

दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मूर्ति विसर्जन के दौरान कटरापार के मुस्लिम मोहल्लों में कुछ हिंदुओं ने भड़काऊ नारे लगाए और बिहार शरीफ में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी. . पीटीआई दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मूर्ति विसर्जन के दौरान कटरापार के मुस्लिम मोहल्लों में कुछ हिंदुओं ने भड़काऊ नारे लगाए और बिहार शरीफ में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी. . पीटीआई
दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मूर्ति विसर्जन के दौरान कटरापार के मुस्लिम मोहल्लों में कुछ हिंदुओं ने भड़काऊ नारे लगाए और बिहार शरीफ में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी.
पीटीआई

सागर कारवां के स्टाफ राइटर हैं.

Keywords: Nitish Kumar BJP Tejashwi Yadav Bihar Police Ram Navami violence Amit Shah Janata Dal (United)
कमेंट