ग़ायब भी और हाज़िर भी

अपंजीकृत संगठन आरएसएस की छिपी संरचना का नक़्शा

झंडेवालान एक्सटेंशन में स्थित केशव कुंज, जो दिल्ली में संघ का नया मुख्यालय है, उसके आस-पास के क्षेत्र का एक मानचित्र. (चित्र: तुषार अग्रवाल)
झंडेवालान एक्सटेंशन में स्थित केशव कुंज, जो दिल्ली में संघ का नया मुख्यालय है, उसके आस-पास के क्षेत्र का एक मानचित्र. (चित्र: तुषार अग्रवाल)

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दिल्ली के झंडेवालान में देशबंधु गुप्ता रोड पर बना फुटब्रिज अक्सर गंदा और धूल भरा रहता है. रात को यह बेघरों का आसरा हो जाता है. इसकी सीढ़ियां चढ़ते हुए एक विशाल इमारत दिखाई देती है. इस इमारत की 12 मंज़िलों में से हर एक की खिड़की से तेज़ रोशनी आती है. झंडेवालान की सभी इमारतों की, चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न हों, रात में रोशनी फ़ीकी पड़ जाती हैं, लेकिन इसकी नहीं.

यह भव्य इमारत और इसके पीछे इसी तरह की दो और इमारतें, केशव कुंज का हिस्सा हैं. यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का दिल्ली मुख्यालय है. आज संघ दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठनों में से एक है और दशकों से भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के उद्देश्य पर काम कर रहा है.

इस साल संघ अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा है. भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद वगैरह और हिंदू स्वयंसेवक संघ जैसे विदेशी समूह और सेवा इंटरनेशनल जैसे गैर-सरकारी संगठनों से मिल कर संघ परिवार बनता है. संघ लंबे समय से ख़ुद को मितव्ययी और सादगी पसंद संगठन के रूप में पेश करता रहा है, लेकिन 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से यह अपनी दौलत और अपने रसूख़ की नुमाइश बड़े ज़ोरदार तरीक़े से करने लगा है. केशव कुंज इसकी एक मिसाल है.

19,000 वर्ग गज में फैले इस परिसर में तीन इमारतें हैं जिनमें सभागार, एक हनुमान मंदिर, आरएसएस से जुड़े लोगों के कार्यालय, सम्मेलन कक्ष, आवास, एक पुस्तकालय और एक अस्पताल भी है. आरएसएस का दावा है कि इस इमारत की लागत 150 करोड़ रुपए है, जिसे स्वयंसेवकों से जुटाया गया है. इसके उद्घाटन पर, सरसंघचालक मोहन भागवत ने इसकी भव्यता को स्वीकारा था. उन्होंने कहा, 'समृद्धि ज़रूरी है, लेकिन यह अनुशासन और सीमाओं के साथ आनी चाहिए. हमारा काम इस नई इमारत की भव्यता को कायम रखना चाहिए.'

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