राजनीतिक मौकापरस्ती है अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन

12 जून 2021 को शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा चंडीगढ़ में गठबंधन की घोषणा करते हुए. दोनों पार्टियां 2022 का विधानसभा चुनाव साथ मिल कर लड़ेंगी. बसपा और अकाली दल ने 25 साल बाद गठबंधन बनाया है.
केशव सिंह / हिंदुस्तान टाइम्स
12 जून 2021 को शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा चंडीगढ़ में गठबंधन की घोषणा करते हुए. दोनों पार्टियां 2022 का विधानसभा चुनाव साथ मिल कर लड़ेंगी. बसपा और अकाली दल ने 25 साल बाद गठबंधन बनाया है.
केशव सिंह / हिंदुस्तान टाइम्स

बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ कर सिखों और धनी जट्टों की प्रतिनिधि मानी जाने वाली शिरोमणि अकाली दल ने दलितों की प्रतिनिधि पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ 25 साल बाद दुबारा रिश्ता कर लिया है.

इस साल 12 जून को शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल और बसपा के महासचिव सतीश मिश्रा ने ऐलान किया कि दोनों पार्टियां 2022 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगी. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से अकाली दल 97 सीटों पर और बसपा 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बसपा को दी गई 20 सीटों में 8 सीटें दलित प्रभाव वाले दोआबा क्षेत्र में, 7 सीटें मालवा और 5 सीटें माझा क्षेत्र में हैं.

सुखबीर बादल ने गठजोड़ को हकीकत बनाने का सेहरा बसपा सुप्रीमो मायावती के सिर डाला है. उन्होंने कहा है, “यह गठजोड़ सिर्फ 2022 के विधानसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं है बल्कि भविष्य में भी बना रहेगा. अकाली दल जिसका हाथ एक बार पकड़ लेती है तो जल्दी नहीं छोड़ती, अंत तक निभाती है. अकाली दल व बसपा की विचारधारा एक है, दोनों किसानों, दलितों और खेत मजदूरों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे.”

इस अवसर पर बसपा नेता सतीश मिश्रा ने कहा, “यह दिन पंजाब के इतिहास में बड़ा दिन है जब बसपा ने हिंदुस्तान की एक पुरानी क्षेत्रीय पार्टी से गठजोड़ किया है.” बसपा सुप्रीमो मायावती ने अकाली दल के साथ गठजोड़ को नई राजनीतिक और सामाजिक पहल करार देते हुए कहा है कि दोनों पार्टियों के मिल कर काम करने से पंजाब में तरक्की और खुशहाली का नया युग आरंभ होगा. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मायावती को फोन पर बधाई देते हुए आने वाले समय में पंजाब से चुनाव लड़ने का न्यौता भी दिया है. कुछ अकाली नेता और अकाली समर्थक पत्रकार इस गठबंधन को सिखों और दलितों की साझेदारी और देश के संघीय ढांचे को बचाने वाला गठजोड़ बता रहे हैं.

करीब 26 साल पहले 1995 में अकाली दल ने बठिंडा जिला के गीदड़बाहा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बसपा से सहयोग लिया था. उस सीट से अकाली दल के उम्मीदवार प्रकाश सिंह बादल के भतीजे और पंजाब के मौजूदा वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल चुनाव लड़ रहे थे. वह मनप्रीत का पहला चुनाव था. मनप्रीत बहुत कड़े मुकाबले के बाद वह सीट जीत पाए थे. 2010 में एक विवाद के बाद अकाली दल ने मनप्रीत को पार्टी से निकाल दिया जिसके बाद उन्होंने पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब बना ली. फिर 2016 में मनप्रीत ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया.

शिव इंदर सिंह स्वतंत्र पत्रकार और पंजाबी वेबसाइट सूही सवेर के मुख्य संपादक हैं.

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