अगर सत्ता में आए तो पत्थलगड़ी राजद्रोह के मामलों को वापस लेंगे : झामुमो प्रमुख शिबु सोरेन

प्रकाश सिंह/एएफपी/गैटी इमेजिस
13 December, 2019

30 नवंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान हुआ. राज्य में फिलहाल रघुबर दास के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. 11 दिसंबर की सुबह झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन झारखंड के शहर दुमका में अपने दो मंजिल के मकान की बालकनी में बैठ हुए अखबार पढ़ रहे थे. 81 सीटों वाली राज्य विधानसभा में झामुमो 19 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी है. जब तब आकर झामुमो कार्यकर्ता और अधिकारी उन्हें कागज की छोटी-छोटी पर्चियां सौंप जाते. यह शायद पार्टी के पदाधिकारियों के संदेश होते. शिबू के कई समर्थक, जो ज्यादातर आदिवासी समुदायों से हैं, उनके दुमका स्थित निवास पर पहुंचते हैं. पार्टी के सदस्य उन्हें लोकप्रिय अंदाज में गुरुजी पुकारते हैं. एक करीबी पार्टी-सहयोगी ने मुझे बताया, “सर्दियों में, गुरुजी बालकनी में इसी तरह बैठे अपनी दोपहर बिताते हैं. कोई भी व्यक्ति उनके पास आ सकता है और उनसे मिल सकता है.” झारखंड के संथाल परगना डिवीजन में स्थित यह घर पार्टी का मुख्यालय है.

शिबू दुमका लोकसभा सीट से आठ बार सांसद भी रहे हैं. हालांकि, वह दुमका से 47000 से अधिक मतों के अंतर से 2019 का आम चुनाव हार गए. इस सीट पर बीजेपी के सुनील सोरेन ने जीत दर्ज की. शिबू ने लोकसभा चुनावों में अपनी हार के बाद से राष्ट्रीय मीडिया के साथ औपचारिक रूप से बातचीत नहीं की है और अपनी सार्वजनिक उपस्थिति को सीमित कर दिया है.

कभी शिबू के गढ़ माने जाने वाले दुमका में अब बीजेपी झामुमो को चुनौती दे रही है. नतीजतन, इस विधानसभा चुनाव को झामुमो के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. आने वाले झारखंड चुनावों में, बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ सहित स्टार प्रचारकों की झड़ी लगा दी. दूसरी ओर, शिबू के बेटे और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन झामुमो के लिए अकेले हाई-प्रोफाइल प्रचारक हैं. हेमंत दुमका विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें बीजेपी के लुइस मरांडी के खिलाफ खड़ा किया गया है, जो वर्तमान में क्षेत्र से विधानसभा सदस्य हैं.

इस मोड़ पर झामुमो की मदद करने के लिए, शिबू ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बावजूद सीमित संख्या में चुनावी रैलियों में भाग लेना शुरू कर दिया है. वह आदिवासी समुदाय के नेताओं के साथ गुप्त बैठकें भी कर रहे हैं. फिलहाल, वह केवल हवाई मार्ग से विधानसभा क्षेत्रों के बीच यात्रा कर रहे हैं . झामुमो जानती है कि उसके प्रमुख अब ज्यादा शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रह सकते हैं. इसलिए पार्टी बुद्धिमानी से अपने प्रमुख का उपयोग कर रही है. झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "भले ही वे किसी आदिवासी क्षेत्र में चुनावी रैली के दौरान हाथ भर हिला दें, लेकिन इससे आदिवासी मतदाताओं में उत्साह पैदा होता है. लेकिन इन रैलियों के दौरान उनके भाषण कुछ पंक्तियों तक सीमित होते हैं."

उनके दुमका स्थित निवास पर, मैंने शिबू से मिलने के लिए लगभग पांच घंटे इंतजार किया और उम्मीद की कि वह अपनी मीडिया चुप्पी तोड़ेंगे. कई प्रयासों के बाद, वह अंततः इंटरव्यू के लिए राजी हुए. हमने विधानसभा चुनाव, झामुमो के खिलाफ बीजेपी के आरोपों और झारखंड में पत्थलगड़ी आंदोलन पर चर्चा की.

पत्थलगड़ी स्व-शासन की मांग करने वाला आदिवासी आंदोलन है. 2017 और 2018 के बीच, झारखंड के कई आदिवासी गांवों ने पत्थर के सजीले टुकड़ों को अपनी ग्राम सभा का संप्रभु शासक प्राधिकरण घोषित किया. पत्थर के सजीले टुकड़ों पर भारतीय संविधान के प्रावधानों से उकेरे गए और संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्रों को दी गई विशेष स्वायत्तता पर प्रकाश डाला गया. इसके बाद, पुलिस ने आंदोलन को विफल कर दिया, हजारों आदिवासियों पर देशद्रोह का आरोप लगाया और उन्हें राष्ट्र-विरोधी बताया.

इंटरव्यू में, शिबू ने पत्थलगड़ी आंदोलन और उसके समर्थकों का बचाव किया. उन्होंने कहा कि “पत्थलगड़ी आदिवासियों की परंपरा है. आदिवासियों की अपनी परंपराएं हैं और किसी भी सरकार को इस तरह के मुद्दों पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. नई सरकार को इन राजद्रोह के मामलों को वापस लेना चाहिए.” विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

अमित भारद्वाज: झारखंड विधानसभा चुनाव चल रहा है और आपकी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है. लेकिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा का नेतृत्व कौन कर रहा है?

शिबू सोरेन: चुनाव एक ऐसे नेता के तहत लड़ा जा रहा है जो कड़ी मेहनत कर रहा है और मतदाताओं पर अपनी छाप छोड़ रहा है. यह चुनाव हेमंत सोरेन के तहत लड़ा जा रहा है, इसलिए नहीं कि वह मेरा बेटा है, बल्कि इसलिए कि वह मतदाता को समझता है. चाहे वह मैं हूं या हेमंत, केवल वही नेता जो मतदाताओं के बीच लोकप्रिय होगा, चुनाव अभियान का नेतृत्व करता रहेगा.

अमित भारद्वाज: बीजेपी ने जेएमएम को "एक परिवार की पार्टी" करार दिया है और लोगों से इस वंशवादी पार्टी को वोट नहीं देने के लिए कहा है. इन आरोपों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

शिबू सोरेन: बीजेपी के पास झारखंड में राजनीतिक मामलों की रत्ती भर समझ नहीं है. मेरा बेटा पार्टी का नेतृत्व कर रहा है क्योंकि वह कड़ी मेहनत कर रहा है और उसने पार्टी में अपना स्थान अर्जित किया है. बीजेपी को ऐसा करने से किसने रोका है? क्योंकि बीजेपी के पास चुनावी मुद्दों की कमी है इसलिए वह इस तरह के आरोप लगा रही है.

अमित भारद्वाज: 2000 में राज्य निर्माण के बाद से, क्या आपको लगता है कि पिछले 19 वर्षों में आपके सपनों का झारखंड बन पाया है?

शिबू सोरेन: किसी भी राज्य की स्थिति और जरूरतें बदलते समय के साथ बदलती रहती हैं. मेरे सपनों का झारखंड क्या था जब मैं राज्य के गठन के लिए लड़ रहा था, वह अध्याय अब खत्म हो गया है. अब, हमें आज के झारखंड और उसके युवाओं की जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुसार योजनाएं और नीतियां बनानी होंगी.

अमित भारद्वाज: क्या आप मानते हैं कि पत्थलगड़ी आंदोलन में शामिल लोग देशद्रोही थे? और अगर नहीं, तो जब उन्हें सरकार द्वारा देश विरोधी करार दिया जा रहा था, झामुमो ने प्रदर्शनकारियों का खुल कर बचाव क्यों नहीं किया?

शिबू सोरेन: पत्थलगड़ी आदिवासियों की परंपरा है. आदिवासियों की अपनी परंपराएं हैं और किसी भी सरकार को इस तरह के मुद्दों पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. यह उनकी सांस्कृतिक परंपरा और पहचान की बात है. इसके अलावा, बीजेपी किसी भी समुदाय और उनकी परंपराओं की परवाह नहीं करती है. यह अपने चुनावी लाभ के लिए विभिन्न समुदायों के बीच परेशानी पैदा करती है.

अमित भारद्वाज: अगर आपकी पार्टी सत्ता में आती है तो क्या पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मुकदमे वापस लेगी?

शिबू सोरेन: हां, हम ऐसे मामलों को वापस लेंगे. नई सरकार को इन राजद्रोह के मामलों को वापस लेना चाहिए.