“फडणवीस का कार्यकाल प्रदेश के 14000 किसानों की आत्महत्या का इतिहास है”, सुप्रिया सुले

प्रदीप गौड़/मिंट/गैटी इमेजिस

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सुप्रिया सुले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय समिति की सदस्य हैं और महाराष्ट्र के बारामुड़ा निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार संसद सदस्य रही हैं. एनसीपी प्रमुख और अनुभवी मराठा राजनीतिज्ञ शरद पवार की बेटी सुले, पार्टी के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक हैं. महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एनसीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. लोकसभा चुनावों में, महाराष्ट्र में एनसीपी ने सिर्फ चार और कांग्रेस ने केवल एक सीट जीती जबकि भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना गठबंधन ने कुल 48 में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

कारवां के रिपोर्टिंग फेलो तुषार धारा ने 16 अक्टूबर को उनके मुंबई कार्यालय में उनका इंटरव्यू किया. सुले ने एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की चुनावी तैयारियों, बीजेपी के अभियान की रणनीति और उन मुद्दों पर चर्चा की जो मौजूदा चुनावी राजनीति से गायब हैं.

तुषार धारा : पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी का मजबूत आधार है. बीजेपी ने इसमें सेंध लगाने की कोशिश की है और एनसीपी तथा कांग्रेस के कई सारे नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. क्या आप किसी और क्षेत्र से सीटें हासिल करने की उम्मीद करती हैं?

सुप्रिया सुले: हम अब भी अच्छा करेंगे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वे नेता थे, पार्टी ने उन्हें बनाया था. भले ही वे जीत जाएं लेकिन समय बताएगा कि वे अपने दम पर कितने समय तक टिके रह सकते हैं. हमने बहुत सारे नए उम्मीदवारों, अच्छे विधायकों को खड़ा किया है जो अभी भी हमारे साथ हैं - वे जीतेंगे. हमें पूरे राज्य और यहां तक ​​कि पश्चिमी महाराष्ट्र से भी सीटें मिलेंगी.

तुषार धारा: पिछले पांच सालों में, बीजेपी ने पश्चिमी महाराष्ट्र में चीनी सहकारी समितियों पर एनसीपी और कांग्रेस की पकड़ को तोड़ने की कोशिश की. वे कुछ हद तक सफल हुए हैं. क्या इससे एनसीपी-कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में नुकसान होगा?

सुप्रिया सुले: सवाल नुकसान का नहीं है, सवाल संस्थानों का है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह सरकार संस्थानों को पसंद नहीं करती. यह सरकार संस्थानों को नुकसान पहुंचाती है और इसका ऐसा करना बड़ी समस्या है. मुझे नहीं पता कि ये लोग चीनी मिलों को क्यों बुरा मानते हैं जबकि ये मिलें किसानों के लिए धन और रोजगार पैदा करती हैं. अगर चीनी मिल अच्छी तरह से चलती है तो किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए? सभी चीनी मिल खराब नहीं हैं.

तुषार धारा: चीनी सहकारी समितियों से जुड़ा एक राजनीतिक संरक्षण है, जो मूल रूप से कांग्रेस और एनसीपी द्वारा बनाया गया था. लेकिन बीजेपी ने आपकी पार्टी को इन संरक्षण नेटवर्क से एक हद तक अलग कर दिया है. क्या यह बीजेपी को फायदा पहुंचाता है?

सु​प्रिया सुले: कांग्रेस और एनसीपी ने दशकों तक इस राज्य और देश पर शासन किया लेकिन चुनाव हार जाने के बाद पुनर्निर्माण और कड़ी मेहनत करने में क्या गलत है?

तुषार धारा: मराठा वोट आमतौर पर कांग्रेस और एनसीपी के बीच ही बंटता आया है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग और उच्च जातियों का वोट बड़े पैमाने पर बीजेपी के साथ रहा है. लेकिन भाजपा ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की शुरुआत करके और मराठा चीनी उद्योगपतियों को अपने साथ करके मराठों पर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की पकड़ को तोड़ने की कोशिश की. क्या इससे एनसीपी को नुकसान होगा?

सु​प्रिया सुले: एनसीपी ने कभी जाति की राजनीति नहीं की. हमारी राजनीति केवल विकास को लेकर है. हमारा ध्यान इस पर है कि लोगों की बेहतरी हो और राष्ट्र की सेवा करें जिससे बदलाव आए.

तुषार धारा: महाराष्ट्र में पानी की कमी, बेरोजगारी, कृषि संकट जैसे मुद्दों की कोई कमी नहीं है लेकिन बीजेपी की रणनीति राष्ट्रवाद और संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने पर केंद्रित है. अपने लोकसभा और हरियाणा चुनाव अभियानों में बीजेपी ने पार्टी की आर्थिक नीतियों और अर्थव्यवस्था की हालत जैसे मुद्दों को राजनीति से हटा दिया. क्या वे महाराष्ट्र में भी ऐसा कर पाएंगे?

सुप्रिया सुले: यह साफ तौर पर उनकी रणनीति का एक हिस्सा है और सभी को रणनीति बनाने का अधिकार है -लेकिन किस कीमत पर?

तुषार धारा: तो क्या आपको लगता है कि बीजेपी की रणनीति सफल होगी?

सुप्रिया सुले: बहुत सारे लोग तो यही महसूस करते हैं, लेकिन मुझे निराशा होती है कि हम मुख्य मुद्दों से भाग रहे हैं. यह जीत या हार की बात नहीं है. अगर मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस होती, तो मैं अपराधबोध महसूस करती कि बीजेपी सरकार की खराब नीतियों के कारण चौदह हजार महिलाएं विधवा हो गईं. (सूचना का अधिकार कानून से मिली जानकारी के अनुसार 2014 से फरवरी 2019 तक की अवधि में महाराष्ट्र में कुल 14456 किसानों ने खुदकुशी की.) किसानों की आत्महत्या हमारे समय में भी हुई थी, इसलिए मैं यह नहीं कहूंगी कि इसके लिए सिर्फ वे ही दोषी हैं.

शासन का मतलब सिर्फ चुनाव जीतना नहीं होता है, लोगों की जिंदगी में भी बदलाव आना चाहिए. मैं कल कल्याण-डोंबिवली में थी. ( मुंबई से सटा कल्याण-डोंबिवली शहर केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन का हिस्सा है, जिसके तहत पूरे भारत में 100 "स्मार्ट सिटी" बनाए जाने की पेशकश है. 2015 में फडणवीस ने शहर के लिए 6500 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी.) उन्होंने वादा किया 6000 करोड़ रुपए का जबकि एक रुपया वहां नहीं पहुंचा. कौन सा शहर स्मार्ट हो गया?

तुषार धारा: आपको क्या लगता है कि महाराष्ट्र में कौन से प्रमुख मुद्दे हैं?

सु्प्रिया सुले: मेरे लिए यह एकमात्र मुद्दा विकास है - किसानों की आत्महत्या, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा. उन सभी वादों को जरा देखें जो उन्होंने किए थे. उन्होंने सड़कों के बारे में बात की - गड्ढों को देखें, सफर करना एक बड़ी भारी चुनौती है.

तुषार धारा: क्या राष्ट्रवाद और अनुच्छेद 370 के बारे में बात करना मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश है?

सु्प्रिया सुले: बिल्कुल, क्योंकि उन्होंने बहुत कुछ नहीं किया है. माननीय मुख्यमंत्री कहते हैं कि कोई विरोधी नहीं है. ठीक है बढ़िया. अगर कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है और आप जीतने जा रहे हैं, फिर आपको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दस रैलियों, गृह मंत्री अमित शाह की बीस रैलियों और बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ, निर्मला सीतारमण, रवि शंकर प्रसाद की जरूरत क्यों है?

तुषार धारा: बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी की छवि का इस्तेमाल एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में किया है और इसे राज्यों में भ्रष्ट राजनीतिक राजवंशों के खिलाफ खड़ा किया है. महाराष्ट्र में, पार्टी ने पवार परिवार को निशाना बनाया है. मतदाताओं को यह कितना प्रभावित करेगा?

सु्प्रिया सुले: मुझे लगता है कि यह ठीक है. उनके पास हमारे खिलाफ कोई ठोस मुद्दे नहीं हैं, इसलिए वे हमें निशाना बनाते रहते हैं. मैं यह देख कर खुश हूं कि उनके दिमाग में पवार परिवार भरा हुआ है और उन्हें लगता है कि जब तक पवार परिवार को निशाना नहीं बनाते तब तक काम नहीं बनेगा या खबरों में नहीं आएंगे.

तुषार धारा: लेकिन क्या मतदाताओं पर आपका असर होगा?

सुप्रिया सुले: मुझे यकीन है कि होगा. क्यों नहीं होगा? क्योंकि हम आरोपबाजी नहीं कर रहे हैं. हम कह रहे हैं कि सरकार के प्रदर्शन पर चर्चा हो. मुझे बहुत बुरा लगता है कि इधर तो हम एक अधिक आधुनिक भारत बनने की ओर बढ़ रहे हैं और उधर कोई भी बुनियादी मुद्दों पर बात नहीं कर रहा है. मैं इंडियन एक्सप्रेस को इंटरव्यू दे रही थी कि किसी ने मुझसे पूछा, भारतीय संसद जलवायु परिवर्तन पर कब बहस करेगी? हमने अपने घोषणा पत्र में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को रखा है. हमें गंभीर होने की जरूरत है, "तू—तू, मैं—मैं" से आगे बढ़ना चाहिए.

तुषार धारा: महाराष्ट्र की अपनी हालिया यात्राओं में, मैंने बीजेपी के खूब सारे चुनाव होर्डिंग्स देखे जबकि एनसीपी या कांग्रेस के लगभग नहीं के बराबर ही दिखे. क्या यह संबंधित पार्टी के पास खर्च करने के लिए उपलब्ध धन में असंतुलन की ओर इशारा करता है?

सुप्रिया सुले: निश्चित रूप से. धनबल और बाहुबल के मामले में पूरे देश में बीजेपी के मुकाबले कोई दूसरी पार्टी नहीं है.

तुषार धारा: बीजेपी को पैसा कहां से मिल रहा है?

सुप्रिया सुले: यह सवाल आपको उनसे ही पूछना चाहिए.

तुषार धारा: क्या यह विपक्ष के लिए नुकसानदायक है?

सुप्रिया सुले: मुझे नहीं लगता कि पैसा सब कुछ खरीद सकता है. इससे खुशी नहीं खरीदी जा सकती.

तुषार धारा: चुनाव खुशी के बारे में नहीं होते हैं.

सुप्रिया सुले: बेशक चुनाव खुशी के बारे में ही होते हैं - यह काम के प्रदर्शन के बारे में है. देवेंद्र फडणवीस के पास दुनिया का सारा पैसा और शक्ति हो सकती है लेकिन वह इतिहास में एक ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाएंगे जिनके कार्यकाल में 14000 किसानों ने आत्महत्या की. उनका कार्यकाल कुख्यात होगा.

तुषार धारा: लेकिन क्या बीजेपी इसके बावजूद भी जीत सकती है?

सुप्रिया सुले: महाराष्ट्र की जनता यह तय करेगी. मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन अच्छा प्रदर्शन करेंगे.

तुषार धारा: लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने चार सीटें जीतीं और कांग्रेस ने एक. विधानसभा चुनावों में आपको कितनी सीटें जीतने की उम्मीद है?

सुप्रिया सुले: ऐसा पहले भी हुआ है कि लोगों ने राज्य के चुनावों और राष्ट्रीय चुनावों में अलग-अलग तरीके से मतदान किया है.


तुषार धारा कारवां में रिपोर्टिंग फेलो हैं. तुषार ने ब्लूमबर्ग न्यूज, इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट के साथ काम किया है और राजस्थान में मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ रहे हैं.