"हिंदी हिंदू हिंदुस्तान के एजेंडे के तहत हटाया 370", तमिल सांसद थिरुमावलवन

थोल थिरुमावलवन, तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी विड़ूदलाई चिरुतैगल कच्ची (वीसीके) के अध्यक्ष हैं और राज्य की चिदंबरम निर्वाचन क्षेत्र के सांसद हैं. 1990 के दशक में वह दलित नेता के रूप में लोकप्रिय हुए. वे 2019 में दूसरी बार सांसद चुने गए. उनकी पार्टी वर्तमान में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) के साथ गठबंधन में है. चुनावी राजनीति में शामिल होने से पहले, वे दलित पैंथर इय्यक्कम या दलित पैंथर आंदोलन के नेता थे, जो बाद में वीसीके में बदल गया.

कारवां के एडिटोरियल इंटर्न श्रीराग पीएस के साथ बातचीत में थिरुमावलवन ने कश्मीर में सरकार के हालिया कदमों और भारत के संघीय ढांचे को खत्म करने के खतरों पर चर्चा की. उन्होंने कहा, “हिंदू हिंदी हिंदुस्तान, बीजेपी केवल इस एजेंडे पर काम कर रही है. राष्ट्रवाद का मतलब देश की बहुलता को नष्ट करना नहीं होता."

श्रीराग पीएस: आप जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को प्रभावी रूप से निष्क्रिय करने के सरकार के हालिया फैसले काे कैसे देखते हैं?

थोल थिरुमावलवन: हमारी पार्टी इसके विरोध में खड़ी है. वे इसे संसद के संज्ञान में भी नहीं लाए. वे इसे लेकर आए और तुरंत इस विषय पर चर्चा शुरू कर दी. यह निरंकुश, अलोकतांत्रिक और पूरी तरह से असंवैधानिक है. हमारे पास कश्मीर को भारत में शामिल होने के लिए मजबूर करने की कोई शक्ति नहीं है - इसका मतलब है कि हमारे पास अपनी विशेष स्थिति को खोने के लिए कहने की कोई शक्ति नहीं है, न ही हमारे पास अनुच्छेद (370) को भंग करने या संशोधित करने की शक्ति है. यह वास्तव में एक ऐतिहासिक विश्वासघात है जो न केवल कश्मीर के लोगों के साथ हुआ बल्कि यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है. यह आरएसएस और संघ परिवार के सभी संगठनों का एजेंडा है. अब लोकसभा और राज्यसभा में भी उनकी ताकत है इसलिए उन्होंने विपक्षी दलों की भावनाओं और आकांक्षाओं पर गौर किए बिना ऐसा किया. मैं इसका विरोध करता हूं.

हम तमिलनाडु में डीएमके गठबंधन का हिस्सा हैं, इसलिए 10 अगस्त को, हमने डीएमके के सभी सहयोगी दलों के साथ बैठक की और कश्मीर मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया. हमारी पार्टी वीसीके की ओर से हम इस मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ एक प्रदर्शन का आयोजन करने जा रहे हैं. अमित शाह कहते हैं कि हमने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को निरस्त कर दिया है इसलिए कोई भी जम्मू-कश्मीर जाकर जमीन खरीद सकता है. यह क्या है? आप सभी के लिए द्वार क्यों खोल रहे हैं?

एसपीएस: बीआर अंबेडकर की जयंती मनाने के लिए चेन्नई में हुए एक हालिया कार्यक्रम में आपने कहा था कि कश्मीर में सरकार के कदमों ने "अडाणी और अंबानी के स्वागत के लिए दरवाजे खोल दिए हैं और रेड कार्पेट बिछाए हैं." इसका बयान का क्या मतबल था?

टीटी: सच कहें तो, मोदी सरकार केवल कॉरपोरेट और पारदेशीय कंपनियों के लिए है. मोदी कॉर्पोरेट जगत का उत्पाद हैं. वे केवल कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कल्याण के लिए सब कुछ करने के लिए बाध्य हैं. यह निर्णय भारत के लोगों के लिए नहीं है, यह केवल कॉर्पोरेट के लिए है. निश्चित रूप से, कुछ वर्षों के भीतर सभी कॉर्पोरेट जम्मू-कश्मीर को खरीद लेंगे - वे हावी हो जाएंगे, वे निवेश करेंगे और वहां से सभी खनिजों और सभी प्राकृतिक संसाधनों को चूस लेंगे.

एसपीएस: उस भाषण में आपने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कुडनकुलम परमाणु संयंत्र जैसी परियोजनाएं ला रही है क्योंकि तमिलनाडु में अनुच्छेद 370 जैसी किसी चीज का संरक्षण नहीं है. क्या आप इसे और विस्तार से बता सकते हैं?

टीटी: यह केवल इसलिए है क्योंकि हम देश में संघीय प्रणाली में विश्वास करते हैं कि हम हर राज्य में केंद्र सरकार से सभी कार्यक्रमों और योजनाओं को स्वीकार कर रहे हैं, इसलिए वे संघीय प्रणाली के नाम पर निवेश कर सकते हैं और जो मन आए वह कर सकते हैं. (संसद के) इस अंतिम सत्र में वे दोनों सदनों में जो बिल लाए हैं, वे सभी राज्य के अधिकारों के खिलाफ हैं, जो कि संघीय व्यवस्था के खिलाफ है. एनआईए बिल [राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक], आरटीआई बिल [सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक], डैम सेफ्टी बिल- ये सभी चीजें राज्य कल्याण के खिलाफ हैं.

जो बिल सदनों में लाए गए हैं, वे केवल जम्मू-कश्मीर के खिलाफ नहीं हैं - केंद्र सरकार सभी राज्यों के खिलाफ काम कर रही है. वे हर चीज पर एकाधिकार करना चाहते हैं- "एक राष्ट्र, एक संस्कृति"; "एक राष्ट्र, एक परीक्षा"; "एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड"; "एक राष्ट्र, एक नियम संहिता" - यह उनका अगला कदम है. उसके बाद वे राम मंदिर के मुद्दे पर फिर से आगे बढ़ेंगे, इसलिए वे आधुनिक भारत को एक सनातन भारत (एक रूढ़िवादी हिंदू भारत की चर्चा करते हुए) बनाना चाहते हैं, वे हमारे राष्ट्र को दो हजार साल पीछे ले जा रहे हैं. बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने बिना किसी सनातन विचारधारा के भारत को जाति और धर्म से मुक्त करने का सपना देखा था. लेकिन मोदी सरकार आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रही है. वे इसे नया भारत कह रहे हैं लेकिन वे लोग वास्तव में एक पुराना सनातन भारत बना रहे हैं.

एसपीएस: क्या आपको लगता है कि कश्मीर पर सरकार के फैसले भारत की संघीय व्यवस्था में बाधा डालते हैं?

टीटी: निश्चित रूप से. यह भारतीय संविधान के लिए एक बड़ी आपदा है और निश्चित रूप से यह संघवाद के खिलाफ है क्योंकि यहां सत्ता पक्ष को बिल पास करने से पहले सभी विपक्षी दलों के साथ चर्चा करनी होती है (जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक का जिक्र करते हुए जिसने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया). उन्होंने कांग्रेस, द्रमुक, वामपंथी दलों, वीसीके और अन्य सहयोगी दलों जैसे किसी भी विपक्षी दलों के रुख के बारे में कभी चिंता नहीं की. हमने इसके खिलाफ मतदान किया, लेकिन वे इससे परेशान नहीं हुए, इसलिए उन्होंने (बिल) पास कर लिया और अपना एजेंडा हासिल कर लिया.

एसपीएस: आप और आपकी पार्टी सरकार के कश्मीर निर्णयों का समर्थन करने वाले ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम का जवाब कैसे देते हैं?

टीटी: यह वास्तव में दयनीय है, क्योंकि एआईएडीएमके को छोड़कर, तमिलनाडु के अन्य सभी लोकसभा सदस्य मोदी के संविधान विरोधी निर्णय का विरोध करते हैं. उनके पास, कोई मौका नहीं है - उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, उन्हें वही करना है जो बीजेपी चाहती है. वे बीजेपी और आरएसएस के समर्थन से तमिलनाडु में अपनी राज्य सरकार चला रहे हैं. लोकसभा में उनका केवल एक सदस्य है. इसलिए दोनों सदनों में, वे मोदी सरकार के सभी प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं.

एसपीएस: क्या आप यह कह रहे हैं कि तमिलनाडु राज्य सरकार बीजेपी और आरएसएस द्वारा नियंत्रित है?

टीटी: बिल्कुल, यह सच है.

एसपीएस: आपको क्या लगता है कि हम तमिलनाडु में बीजेपी -आरएसएस गठबंधन के प्रभाव से क्या उम्मीद कर सकते हैं?

टीटी: एक धर्म जो हिंदू है, एक भाषा जो हिंदी है और एक राष्ट्र जो हिंदू राष्ट्र है. तो, हिंदू हिंदी हिंदुस्तान, बीजेपी केवल इस एजेंडे पर काम कर रही है. उसे हमारे राष्ट्र के वास्तविक विकास से कोई लेना—देना नहीं हैं, वह नए भारत का निर्माण नहीं कर रहा है. राष्ट्रवाद का मतलब देश की अन्य सभी बहुलता को नष्ट करना नहीं है. उनके राष्ट्रवाद का अर्थ है तमिलों को अपनी पहचान खोने के लिए मजबूर करना, केरलवासियों को उनकी संस्कृति को (लागू) करने की अनुमति नहीं देना. हमें संघीय प्रणाली के साथ अपने देश में बहुलवाद को बनाए रखना है. वास्तविक संघवाद राष्ट्रवाद है. संघवाद का अर्थ है बहुलवाद. लेकिन मोदी सरकार और आरएसएस सोच रहे हैं कि एक राष्ट्र, एक संस्कृति राष्ट्रवाद है.

एसपीएस: बहुजन समाजवादी पार्टी ने अनुच्छेद 370 के समर्थन में यह कहते हुए मतदान किया है कि अंबेडकर इसके खिलाफ थे. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

टीटी: यह सच है कि अंबेडकर जम्मू और कश्मीर के इस विशेष दर्जे से सहमत नहीं थे. उनका रुख यह था कि जो बौद्ध और हिंदू ज्यादातर जम्मू और लद्दाख में रहते हैं, वे भारत में शामिल हो सकते हैं, और कश्मीर घाटी में लोग, जो ज्यादातर मुस्लिम हैं, पाकिस्तान के साथ जुड़ सकते हैं. इसलिए, उन्होंने अपने समकालीनों, जैसे कि जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल, को सलाह दी “कश्मीर मुद्दे के बारे में बार-बार शिकायत न करें, हम केवल कश्मीर घाटी के लोगों के लिए जनमत संग्रह कर सकते हैं, जो मुस्लिम हैं, चाहे वे भारत के साथ जुड़ना चाहते हैं या फिर पाकिस्तान के.” उनका मानना ​​था कि जम्मू और लद्दाख के लोग निश्चित रूप से भारत के साथ जुड़ेंगे. विशेष स्थिति बनाकर इस जटिलता को छुपाने की उनकी मानसिकता नहीं थी.

संघ परिवार और बीजेपी इस बिंदु को अपने फायदे के लिए उठा रहे हैं, (लेकिन) वास्तव में वह अनुच्छेद 370 या 35ए के खिलाफ कुछ भी नहीं बता रहे थे. संघ परिवार के लोग डॉ. अंबेडकर की विचारधाराओं का गलत अर्थ निकाल रहे हैं. वे कह रहे हैं कि अंबेडकर मुस्लिम या ईसाई के साथ जुड़ना पसंद नहीं करते थे, उन्होंने केवल बौद्ध धर्म अपनाया क्योंकि बौद्ध धर्म हिंदू धर्म की एक शाखा है और इसलिए अंबेडकर भी हिंदू नेता हैं. यह डॉ. अंबेडकर की गलत व्याख्या है. ऐसे में वे उनके पूरे लेखन और भाषणों का गलत अर्थ निकाल रहे हैं. मुझे नहीं पता कि बीएसपी डॉ. अंबेडकर के नाम पर बीजेपी का समर्थन क्यों कर रही है.

एसपीएस: आप जम्मू-कश्मीर में सैनिकों की बढ़ती तैनाती को कैसे देखते हैं?

टीटी: यह एक तरह का दमन और राज्य आतंकवाद है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य हिस्सों के संपर्क से अलग कर दिया और पूरे जम्मू और कश्मीर में अधिक से अधिक सैन्य बल तैनात कर दिया और उन्होंने सभी मुख्यधारा के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. वे (इस) प्रकार की फासीवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. वे (जम्मू और कश्मीर के लोग) भारत से पूरी तरह से अलग हो गए हैं. निश्चित रूप से, यह पीढ़ी मोदी सरकार के रुख से सहमत नहीं होगी और इसे स्वीकार नहीं करेगी. आजकल शायद हम जम्मू और कश्मीर में कुछ शांति और एक स्थिर माहौल देखते हैं, क्योंकि वे मोदी सरकार द्वारा दबाए और नियंत्रित किए जाते हैं. लेकिन वास्तव में, भविष्य में नई पीढ़ी मोदी सरकार के खिलाफ उठेगी और वे इसे क्रांतिकारी दृष्टिकोण के साथ करेंगे. वे मोदी सरकार के खिलाफ अपना संघर्ष करेंगे. इस निर्णय का परिणाम रक्तपात हो सकता है.

एसपीएस: आपको क्या लगता है कि वर्तमान सरकार के लिए आगे की राह क्या है?

टीटी: उन्होंने जम्मू और कश्मीर के बारे में आरएसएस का मुख्य एजेंडा लागू किया है. उनका अगला एजेंडा एक समान नागरिक संहिता और राम मंदिर होगा. उत्तर पूर्व के राज्यों जैसे नागालैंड, असम को भी कुछ विशेष दर्जा प्राप्त है, यह सरकार निश्चित रूप से इस तरह का दर्जा छीन लेगी. राजनीतिक रूप से, बीजेपी का लक्ष्य अपनी पार्टी को विकसित करना और केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में सत्ता में आना है. लेकिन मैं एक बात कह सकता हूं - वे तमिलनाडु में नियंत्रण पाने के अपने प्रयासों में कभी सफल नहीं होंगे. तमिलनाडु शेष भारत से बहुत अलग है, तमिलनाडु में सांप्रदायिक ताकतों और जातीय ताकातों के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए बीजेपी और आरएसएस तमिलनाडु में सफल नहीं हुए.