जुलाई में 17 अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने अपनी एक संयुक्त पड़ताल, जिसे उन्होंने पेगासस प्रोजेक्ट कहा है, में खुलासा किया कि इजराइली कंपनी एनएसओ द्वारा विकसित पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के 50000 फोन नंबरों की जासूसी करने के लिए किया गया है. भारत में ऐसे लोगों की सूची में पत्रकार, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, नेता और एक पूर्व चुनाव आयुक्त शामिल हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में एक और अप्रत्याशित समूह निगरानी के संभावित निशाने पर दिखाई दिया है. यह है तिब्बती की निर्वासित सरकार.
तिब्बत के आध्यात्मिक नेता तेनजिन ग्यात्सो या दलाई लामा के करीबी तिब्बती अधिकारियों और सलाहकारों के फोन नंबर संभवत: पेगासस के माध्यम से सुने गए हैं. एनएसओ का कहना है कि वह केवल सरकारों को पेगासस स्पाइवेयर बेचती है.
निर्वासित तिब्बती समुदाय की सरकार, जिसे केंद्रीय तिब्बती प्रशासन कहा जाता है, का मुख्यालय धर्मशाला में है. 1959 में चीनी सरकार की कार्रवाई से बच कर दलाई लामा के भारत आने के कुछ समय बाद ही इसकी स्थापना की गई थी. एक कार्यकारी, विधायी और एक न्यायिक शाखा के साथ इसकी संरचना संसदीय लोकतंत्र की तरह है.
ऐसे संभावित लोगों की सूची में, जिनकी निगरानी की आशंका है, निर्वासित तिब्बती सरकार के पूर्व अध्यक्ष लोबसांग सांगे और धर्मगुरु लोबसांग तेनजिन के नाम शामिल हैं. तेनजिन को पांचवें समधोंग रिनपोछे के रूप में जाना जाता है. अन्य लोगों में नई दिल्ली में दलाई लामा के दूत टेंपा त्सेरिंग, दलाई लामा के दोनों सहयोगी- तेनजिन ताकला और चिम्मी रिग्जेन- और सत्रहवें करमापा लामा उरग्येन ट्रिनले दोरजी भी हैं जो तिब्बती बौद्ध धर्म में सर्वोच्च पद वाली शख्सियतों में से एक हैं. जानकारी के अनुसार दलाई लामा खुद कोई निजी मोबाइल फोन नहीं रखते हैं.
मैंने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मीडिया प्रवक्ता तेनजिन लेक्षय से बात की. यह पूछे जाने पर कि क्या इससे भारत सरकार के बारे में तिब्बती सरकार की धारणा बदल सकती है उनका जवाब संक्षिप्त था, "नहीं, बिल्कुल नहीं," उन्होंने कहा. "मीडिया रिपोर्टों के सिवा हमारे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है... इसलिए हम इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं. और जहां तक भारत और तिब्बत के संबंधों की बात है तो वह मजबूत है और अधिक मजबूत हो रहा है.”
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