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कारवां ने 2002 की गुजरात हिंसा को लेकर ब्रिटेन की सरकार द्वारा की गई जांच की एक प्रति प्राप्त की है, जिसे हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म इंडिया: द मोदी क्वेश्चन में दिखाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा की योजना विश्व हिंदू परिषद द्वारा पहले ही बना ली गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है : “27 फरवरी को गोधरा में ट्रेन को निशाना बनाया गया. अगर ऐसा न हुआ होता तो कोई और तरीका ढूंढा जाता.”
रिपोर्ट में हिंसा को पूर्व नियोजित बताते हुए सबूतों का हवाला दिया गया है : “पुलिस संपर्कों ने पुष्टि की कि दंगाइयों ने मुस्लिम घरों और दुकानों को निशाना बनाने के लिए कम्प्यूटर से निकाली गई सूचियों का उपयोग किया था.” मुस्लिमों के स्वामित्व वाले व्यवसायों की सूचियों की सटीकता और विवरण से पता चलता है कि वे पहले से तैयार किए गए थे.
रिपोर्ट में गुजरात राज्य सरकार को भी इंगित करते हुए कहा गया है कि "मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी सीधे तौर पर इसके जिम्मेदार हैं." वीएचपी और उसके सहयोगियों ने राज्य सरकार के समर्थन से काम किया. वे राज्य सरकार द्वारा सजा न मिलने के आश्वासन के बिना इतना नुकसान नहीं पहुंचा सकते थे. इसके लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जिम्मेदार हैं.
उनके कार्यों को न केवल राजनीतिक लाभ प्राप्त करने की सनक बल्कि 1995 में सत्ता में आने के बाद से बीजेपी के हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के एक वास्तुकार के रूप में निर्देशित किया गया है. वह हमेशा से विहिप की वैचारिक प्रेरणा में विश्वास करते आए है.
रिपोर्ट हिंसा के पैमाने और मुस्लिम महिलाओं के बलात्कार में पुलिस की संलिप्तता के बारे में भी बताती है कि "विश्वसनीय मानवाधिकार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मौतों का आंकड़ा 2000 तक था. ... कई क्षेत्रों में मुस्लिम महिलाओं के व्यापक और व्यवस्थित बलात्कार हुए जिसके कई मामलो में पुलिस भी संलिप्त थी." रिपोर्ट में कहा गया है, "पुलिस सूत्र स्वीकार करते हैं कि निहित राज्य सरकार के दबाव के कारण उनकी हिंसा को लेकर प्रतिक्रिया कमजोर रही."
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