उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में हो रहे आंदोलन में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें गोलियां लगी हैं. हालांकि प्रदेश सरकार और पुलिस ने फायरिंग की बात से इनकार किया है. पुलिस का कहना है कि इन लोगों की मौत क्रॉस फायरिंग में हुई है.
23 दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में 174 मुकदमे दर्ज कर 705 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. कथित तौर पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट लिखने पर 81 मुकदमे दर्ज कर 120 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. डीजीपी मुख्यालय के अनुसार 23 दिसंबर तक कुल 1786 ट्विटर, 3037 फेसबुक, 38 यूट्यूब पोस्ट पर कार्रवाई की गई है.
21 दिसंबर को आईजी लॉ एंड आर्डर ने बताया कि सीएए आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 4500 लोगों को निजी मुचलके पर पाबंद किया गया है. उन्होंने बताया कि अब तक 263 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं जिसमें 57 पुलिस कर्मियों को बुलेट इंजरी आई है. हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में 405 खोखा कारतूस बरामद हुए हैं.
उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन 17 दिसंबर से ही शुरू हो गए थे लेकिन 19 दिसंबर को देशव्यापी विरोध के दौरान हालात बिगड़ गए. अगले चार दिनों में यूपी के एक दर्जन से अधिक जिलों में बड़े प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन को रोकने के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जगह-जगह टकराव हुआ.
लखनऊ में 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में मीडिया की दो ओवी वैनों में आग लगा दी गई. दो पुलिस चौकियों में भी आग लगा दी गई. कुछ और वाहनों में आगजनी व तोड़फोड़ हुई. इसी दौरान गोली लगने से मोहम्मद वकील की मौत हो गई. परिजनों के अनुसार वकील राशन और दवा लेने गए थे जब पुलिस फायरिंग में उन्हें गोली लगी. तीन अन्य जख्मी लोगों को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया जिनका इलाज चल रहा है.
वाराणसी में 20 दिसंबर को प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में आठ वर्ष के एक बच्चे की मौत हो गई हालांकि पुलिस ने बच्चे की मौत को भगदड़ में होना बताया है.
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय द्वारा स्थापित हेल्प लाइन पर अब तक पूरे प्रदेश में 26 लोगों की मौत की सूचना दी गई है. कांग्रेस नेता दिनेश सिंह ने बताया कि लोगों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार कानपुर देहात में 3, कानपुर शहर में 2, मुजफ्फरनगर में 6, फिरोजाबाद में 2, संभल में 4, मेरठ में 3, वाराणसी व लखनऊ में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है. संभल में दो लोगों की भगदड़ के दौरान नाले में गिरने से मौत हुई. शेष लोगों की मौत गोली लगने से बताई जा रही है.
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिजनौर में गोली लगने से मरे दो लोगों के परिजनों से 22 दिसंबर को मुलाकात की. यहां पर मोहम्मद सुलेमान और अनस नाम के दो नौजवानों की मौत हुई है. प्रियंका गांधी ने प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों की जांच की मांग करते हुए कहा कि पीड़ित परिवारों ने जब पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की तो उन्हें धमकी दी गई कि उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया जाएगा. प्रियंका गांधी ने प्रदेश में “पुलिसिया हिंसा” में लोगों की मौत होने का आरोप लगाया है. उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा कि आदित्यनाथ सरकार बर्बर दमन व हिंसा कर रही है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी यही आरोप लगाया है. उन्होंने 22 दिसंबर की प्रेस कॉन्फ्रेस में आरोप लगाया कि “पूरे सूबे में अब तक करीब दो दर्जन लोग पुलिसिया हिंसा में मारे जा चुके हैं. हापुड़, बिजनौर, रामपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद, कानपुर, लखनऊ समेत अन्य जिले जहां पर हिंसा की खबरें आईं हैं वहां पर तत्काल न्यायिक जांच होनी चाहिए.”
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि “जब खुद मुख्यमंत्री बदला लेने की बात करते हों तो पुलिस निष्पक्ष नहीं रह जाती है.” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पक्षपाती सीएए को लेकर जनता में विश्वास पैदा करने के बजाय “बदला लेने” जैसी अलोकतांत्रिक भाषा का प्रयोग कर रही है, जिसकी वजह से कई जगह हालात बिगड़े हैं.”
19 दिसंबर को लखनऊ और संभल में हिंसा, आगजनी की घटना के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने बहुत कड़ा बयान दिया था. इस बयान में “उन्होंने सख्ती से निपटने, उपद्रवियों से बदला लेने, उपद्रवियों की प्रॉपर्टी जब्त करने की बात कही थी.”
इस बयान के बाद उन्होंने अफसरों की एक बैठक भी की थी. इस बैठक के बारे में बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी का एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें वह पुलिस कर्मियों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि “सीएम साहब की बैठक में स्पष्ट निर्देश प्राप्त हुए हैं कि आपके ऊपर पत्थर, डंडे चलाए तो पुलिस इतनी कायर है कि आप किसी को मार नहीं सकते. सबक सिखाइए. चाहे वीडियोग्राफी हो रही है, फोटोग्राफी हो रही है चाहे कुछ भी हो रही है आपका ओवर रिएक्शन सपोर्ट किया जाएगा. आपकी सख्त कार्रवाई को संरक्षण मिलेगा. बिजनौर पुलिस ने बहुत अच्छा कार्य किया है. आप बधाई के पात्र हैं.”
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इसी ऑडियो का उल्लेख करते हुए कहा है कि बिजनौर के कप्तान के ऑडियो से पता चलता है कि किस तरह शांतिपूर्ण तरीके से प्रर्दशन कर रहे आंदोलनकारियों का दमन किया जा रहा है.”
विभिन्न जिलों से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बहुत ज्यादा सख्ती दिखाई है जिसके कारण प्रदर्शन और आंदोलन के हताहतों की संख्या बढ़ी है. अभी तक घायलों के बारे में ठीक-ठीक संख्या नहीं मालूम है. लखनऊ में 3 और वाराणसी में 7 लोग ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं. लोगों को हिरासत में लेने के बाद बुरी तरह पीटे जाने के आरोप पुलिस पर लग रहे हैं.
समाजिक कार्यकर्ता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता सदफ जाफर की हिरासत में पिटाई करने का आरोप पुलिस पर लगा है. सदफ जफर को 19 दिसंबर को लखनऊ में प्रदर्शन के वक्त गिरफ्तार किया गया था. वह प्रदर्शन को फेसबुक पर लाइव कर रही थी. फेसबुक लाइव पर उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जो “लोग आगजनी कर रहे हैं उन्हें पुलिस पकड़ नहीं रही है.”
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्र मोना ने 23 दिसंबर को लखनऊ जेल में जाकर सदफ जफर से मुलाकात की. लल्लू ने आरोप लगाया कि सदफ जफर के साथ “रूह कंपा” देने वाली बर्बरता हुई है. पुलिस वालों ने उनके पेट में बंदूक के कुंदों से मारा जिससे उन्हें ब्लीडिग शुरू हो गई. पुलिस ने उन्हें गैरकानूनी तरीके से उठाया, उनकी गिरफ्तारी की सूचना को 24 घण्टे तक छिपाए रखा. पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है.
हर जिले में पुलिस ने सैकड़ों लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. गोरखपुर में 20 दिसंबर को हुए प्रदर्शन के दौरान पथराव की घटना में 1200 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. अब तक 28 लोग गिरफ्तार भी किए गए हैं. इसी तरह कुशीनगर. महराजगंज, देवरिया में 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. वाराणसी में 19 दिसंबर के प्रदर्शन के बाद 61 लोग गिरफ्तार किए गए. बाद में 7 और लोगों को पकड़ा गया. लखनऊ में 150 से अधिक लोग गिरफ्तार हैं. मेरठ, संभल, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर आदि जिलों में सैकड़ों लोगों के खिलाफ दंगा भड़काने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, हत्या के प्रयास, दो समुदायों के बीच धार्मिक विद्वेष फैलाने जैसे गंभीर अपराधों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं और रोज गिरफ्तारियां भी की जा रही हैं. पुलिस उपद्रव के आरोपियों के पोस्टर मीडिया में जारी कर रही है और जगह-जगह चिपका भी कर रही है.
लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद आदि स्थानों पर जाने-पहचाने कई सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, संस्कृति कर्मी गिरफ्तार किए गए हैं और उन पर हिंसा भड़काने व साजिश रचने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया गया है. लखनऊ से रिटायर्ड आईजी एसआर दारापुरी, रिहाई मंच के संस्थापक अध्यक्ष एवं सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद शोएब एडवोकेट, संस्कृति कर्मी दीपक कबीर, रिहाई मंच के नेता रॉबिन वर्मा, वाराणसी में भाकपा (माले) की केंद्रीय समिति के सदस्य मनीष शर्मा, आईआईटी के शोध छात्र दिवाकर, पर्यावरण एक्टिविस्ट रवि शेखर व एकता शेखर, आईसा नेता राजेश, विवेक, विक्रम व आशुतोष, ब्लू पैंथर से जुड़े डॉ. सुशील गौतम सहित एससी, एसटी फोरम के कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बीएचयू के आठ छात्रों को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
रिहाई मंच के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद शोएब को 18 दिसंबर की शाम को ही हाउस अरेस्ट कर लिया गया था. अगले दिन उन्हें पुलिस घर से ले गयी और करीब 24 घंटे बाद पता चल पाया कि उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है. 76 वर्षीय मोहम्मद शोएब ने मुकदमा लड़कर 14 ऐसे नौजवानों को रिहा कराया है जिन पर आतंकवादी घटनाओं में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था.
इसी तरह पूर्व डीआईजी 75 वर्षीय एसआर दारापुरी भी 19 दिसंबर को हाउस अरेस्ट थे. उन्हें 20 दिसंबर को दोपहर गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर हिंसा भड़काने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
लखनऊ में “द हिंदू” के रिपोर्टर ओमर राशिद को पुलिसवाले पकड़ कर ले गए और कई घंटे तक प्रताड़ित किया. पुलिस कर्मियों ने उन्हें दाढ़ी नोचने, बलवा और देशद्रोह के केस में जेल भेजने की धमकी दी.
राईट टू फूड आंदोलन से जुड़ीं अरूंधति धुरू जब मीरा संघमित्रा, माधवी कुकरेजा के साथ हिरासत व गिरफ्तार किए गए लोगों के बारे में जानकारी लेने गईं तो उन्हें भी हजरतगंज थाने में कई घंटे तक हिरासत में रखा गया.
वाराणसी में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करते हुए जिला प्रशासन ने अखबारों में उनकी फोटो छपवाकर कहा कि उनके बारे में सूचना देने वालों को इनाम दिया जाएगा. महाराजगंज जिले में भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. गोरखपुर में पत्रकार परवेज के भाई को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वह शादी का कार्ड बांटने जा रहा था.
फैज की नज्म गाए जाने पर आईआईटी कानुपर में छात्रों पर जांच कमेटी
आईआईटी कानपुर के परिसर में 17 दिसंबर को जामिया के विद्यार्थियों पर हुई पुलिस बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन हुआ जिसमें विद्यार्थियों ने फैज की नज्म “हम देखेंगे” भी गाया. इस वीडियो के आधार पर वहां के एक अध्यापक ने यह शिकायत दर्ज कराई कि चूंकि इसमें “सब बुत उठवाए जाने” और आखिर में “बस अल्लाह का नाम रहने” का जिक्र है, इसलिए यह एक सांप्रदायिक बयान है. उनकी शिकायत पर संस्थान के प्रशासन ने एक जांच कमेटी गठित कर दी है और कहा है कि उसकी रिपोर्ट के आधार पर विद्यार्थियों पर कार्रवाई की जाएगी.
इंटरनेटबंदी
उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों तक लगभग 20 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं. इन जिलों में लखनऊ, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, मेरठ, संभल, मुजफ्फरनगर, प्रयागराज, अलीगढ़, सुल्तानपुर, आगरा, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद और रामपुर शामिल हैं. लखनऊ में 25 दिसंबर की रात आठ बजे तक इंटरनेट बंद रखने का फैसला लिया गया है. मऊ में सात दिन और आजमगढ़ में पांच दिन बाद इंटरनेट सेवा शुरू हो पाई है. प्रयागराज में भी पांच दिन बाद इंटरनेट सेवा बहाल हो पाई है. इंटरनेट सेवाएं बंद होने से न केवल कारोबारी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं बल्कि लोगों को सामान्य कामकाज-मसलन बैंकिंग, टिकट बुकिंग आदि भी प्रभावित हुए. टीईटी की परीक्षा टालनी पड़ी.
...और अब सिमी कनेक्शन
उत्तर प्रदेश की पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को अब स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जोड़ दिया है. पुलिस का कहना है कि उसे इस बात के सबूत मिले हैं कि सिमी से जुड़े संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) ने प्रदेश में हिंसा भड़काने की साजिश रची थी. इस सिलसिले में संगठन के स्टेट हेड वसीम अहमद समेत तीन लोगों को गिरफतार किया गया है.
लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने 23 दिसंबर को बताया कि पीएफआई केरल का संगठन है जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी. इसका यूपी के 20 जिलों में संगठन है. यूपी में प्रदर्शन-आंदोलन के लिए इस संगठन ने फंड जुटाया था. इसी तरह का बयान यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने एक दिन पहले दिया था.