“क्रीमी लेयर” प्रावधान में अस्पष्टता से अधर में लटका यूपीएससी में उत्तीर्ण 70 ओबीसी अभ्यर्थियों का भविष्य

2014 से लेकर अब तक ऐसे 70 युवा बेरोजगार हैं जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास तो कर ली है लेकिन क्रीमी लेयर प्रावधान का हवाला देकर उन्हें नियुक्ति से वंचित रखा जा रहा है.
ऋषि कोछड़/कारवां
2014 से लेकर अब तक ऐसे 70 युवा बेरोजगार हैं जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास तो कर ली है लेकिन क्रीमी लेयर प्रावधान का हवाला देकर उन्हें नियुक्ति से वंचित रखा जा रहा है.
ऋषि कोछड़/कारवां

वर्ष 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत में अन्य पिछड़ा वर्ग की अहम भूमिका थी. चुनाव प्रचार में नरेन्द्र मोदी ने बार-बार खुद को ओबीसी बताया था. यहां तक कि अपने दूसरे कार्यकाल के पहले भी नरेन्द्र मोदी ने ओबीसी की छवि को भुनाया. लेकिन ओबीसी के प्रति नरेन्द्र मोदी कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2014 से लेकर अबतक ऐसे 70 युवा बेरोजगार हैं जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पास कर ली है लेकिन क्रीमी लेयर प्रावधान का हवाला देकर उन्हें नियुक्ति से वंचित रखा जा रहा है. ये सभी नियुक्तियां केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (डीओपीटी) के तहत आती हैं जिसके मंत्री स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं.

डीओपीटी के मनमानेपन की एक शिकार मध्य प्रदेश की ज्येष्ठा मैत्रेयी हैं. उन्होंने वर्ष 2017 में यूपीएससी की परीक्षा पास की. उनकी रैंक 156 थी. उनकी नियुक्ति पर डीओपीटी ने रोक लगा दी. बाद में ज्येष्ठा को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी बन जाने को कहा गया. जबकि उनके अंक ओबीसी कोटे के तहत आईएएस अधिकारी (भारतीय प्रशासनिक सेवा) बनने के लिए पर्याप्त हैं. उनकी मंशा भी इसी सेवा में काम करने की है. फिर भी उन्हें ओबीसी कोटे का लाभ नहीं दिया गया बल्कि सामान्य श्रेणी के तहत आईपीएस अधिकारी बनाया गया है.

मैत्रेयी के पिता मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में असिस्टेंट थे. उपभोक्ताओं की शिकायत पर फ्यूज बनाने का काम करते थे. उन्होंने अपनी बेटी को बड़ी मुश्किलों से पढ़ाया. ज्येष्ठा ने भी अपने पिता को निराश नहीं किया और वर्ष 2017 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण कर 156वीं रैंक हासिल की. इससे पहले कि ज्येष्ठा आईएएस अधिकारी बनकर अपने पिता का सपने पूरा कर पातीं, इसी साल 4 जनवरी को उनके पिता का निधन हो गया.

दरअसल, अन्य पिछड़ा वर्ग की मैत्रेयी के पिता एक लोक उपक्रम (पीएसयू) के कर्मचारी थे, इसलिए डीओपीटी ने उनके गैर क्रीमी लेयर होने पर सवाल खड़ा किया है. दिलचस्प बात यह है कि डीओपीटी उसी प्रमाण-पत्र को खारिज कर रहा है जो जिलाधिकारी द्वारा जारी किया गया है और कायदे से डीओपीटी को स्वीकार्य होना चाहिए.

सीलम साई तेजा भी ऐसे ही एक शख्स हैं जिन्हें क्रीमी लेयर प्रावधान पर डीओपीटी की मनमानी का शिकार होना पड़ा. इनके पिता की आर्थिक हैसियत ज्येष्ठा के पिता से अच्छी है और वह पीएसयू में असिस्टेंट इंजीनियर हैं. तेजा ने वर्ष 2017 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण की. उन्हें 43वां रैंक हासिल हुआ लेकिन नियुक्त अब तक नहीं हुई.

नवल किशोर कुमार फारवर्ड प्रेस हिंदी के संपादक हैं.

Keywords: IAS OBC BJP Narendra Modi
कमेंट