25 नवंबर को पीएम मोदी ने राजस्थान के अलवर में एक चुनावी रैली को संबोधित किया. इसी से उन्होंने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के अपने अभियान की शुरुआत की थी. उनके साथ स्टेज पर बीजेपी के विवादित नेता ज्ञानदेव अहूजा थे, जो रामगढ़ से पार्टी के विधायक हैं.
अहूजा ने गोरक्षकों का समर्थन किया है और उन्हें पैसों से मदद करने का भी दावा किया है. अहूजा ने कहा था, “यदि कोई गाय की तस्करी करता है और उसे मारता है तो उसको मार दिया जाएगा.” उन्होंने यह बयान दिसंबर 2017 की एक घटना के बाद दिया था जिसमें एक आदमी को कथित गो तस्करी के लिए पीटा गया था. विधानसभा चुनावों में टिकट दिए जाने से इनकार किए जाने के बाद उन्होंने हाल ही में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दायर किया था. फिर इसे वापस ले लिया और बीजेपी के राज्य उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद फिर से पार्टी में शामिल हो गए. एक भगवा कुर्ता और रंगीन साफा पहने हुए अहूजा भाषण के बाद प्रधानमंत्री के पास पहुंचे. मोदी ने उनका हाथ पकड़ लिया, कंधा थपथपाया और मंच छोड़ने से पहले उन्हें संबोधित किया. मूछों वाले विधायक मुस्कुराए और भीड़ की तरफ जीत का संकेत लहरा दिया. मेरे बगल में खड़े बीजेपी समर्थक राजवीर धुडी ने अहूजा को अलवर के हिंदू समुदाय का "गर्व" बताया. उन्होंने कहा, “रामगढ़ का बब्बर शेर है.”
राजस्थान के किसान अधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक पर्यावेक्षक दशरथ कुमार ने राजस्थान के मुख्यमंत्री का जिक्र करते हुए कहा, “अलवर में खास आदमी ज्ञानदेव आहूजा हैं न कि वसुंधरा (राजे). मंच पर उन्हें आमंत्रित करके मोदी ने ये संदेश दिया है कि उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के साथ कोई दिक्कत नहीं जिसने हिंदुओं और मुस्लिमों के ध्रुवीकरण में भूमिका निभाई है. अलवर में गायों और लिंचिंग के मुद्दों पर वोटिंग होगी.” राजस्थान में सात दिसंबर यानी कल वोटिंग होना है.
दिल्ली से 150 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर स्थित पूर्वोत्तर राजस्थान के अलवर जिले में कई मीओ लोगों का घर है जो कि पारंपरिक रूप से मेवात में बसा मुस्लिम समुदाय है- इस क्षेत्र में राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले और हरियाणा के नुहं जिले का कुछ हिस्सा शामिल है. 2011 की जनगणना के मुताबिक अलवर की आबादी का 14.9 प्रतिशत हिस्सा मुसलमानों का है जो कि राज्य की 9 प्रतिशत की औसत से अधिक है. डाटा-जर्नलिज्म वेबसाइट इंडियास्पेन्ड द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में गोरक्षा समूह द्वारा या गोमांस सेवन और मवेशी तस्करी की अफवाहों पर पुलिस की शूटिंग के कारण मेवात में कम से कम छह मौतें हुई हैं. इस क्षेत्र में भारत में गाय से संबंधित हिंसा की सबसे ज्यादा उग्रता देखने को मिली है.
2013 के राज्य चुनावों में बीजेपी ने अलवर में 11 विधानसभा क्षेत्रों में से 9 में और 2014 के आम चुनाव में उन्होंने अलवर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी. लेकिन इस साल की शुरुआत में हुए उपचुनाव में कांग्रेस से बीजेपी ये सीट हार गई जिससे लगा कि इस हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी से लोगों का भ्रम टूट रहा है. राजस्थान के लिए बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र 27 नवंबर को सीएम राजे और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा जारी किया गया. 2013 के घोषणापत्र के विपरीत इसमें मुसलमानों के लिए एक भी कल्याणकारी योजना का उल्लेख नहीं है, पिछली बार इसमें समुदाय के लिए 12 वादे शामिल थे. इसके अलावा पार्टी ने टोंक से सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार यूनूस खान को मैदान में उतारा है. मिओ समुदाय को ये बात आसानी से स्वीकार्य है कि मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को लेकर बीजेपी उदासीन है. अलवर और भरतपुर के बीच की मेरी यात्रा में समुदाय के कई लोगों ने मुझे बताया कि वे पार्टी के लिए वोट नहीं करेंगे. हालांकि, मीओ समुदाय की सुरक्षा और रोजगार को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर कांग्रेस की चुप्पी समुदाय को दुखी और परेशान किया है. हालांकि, कई मीओ समुदाय के जिन सदस्यों से मैंने बात की उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस को वोट देंगे लेकिन वे नहीं चाहते थे कि पार्टी इसे अपना समर्थन मान ले.
1 अप्रैल 2017 को हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले मीओ पहलू खान जयपुर में खरीदी गईं अपनी गायों के साथ एक ट्रक में घर लौट रहे थे और इसी दौरान बहरोड़ में राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर भीड़ ने उनकी गाड़ी को रोक दिया. उन्होंने मवेशियों की खरीद की रसीदें गोरक्षकों को दिखाने की कोशिश की लेकिन बजाय इसके उन्हें रॉड, लाठी और बेल्ट के अलावा लात और घूंसों से मार-पीटा गया. अपनी मौत से पहले खान ने छह लोगों का नाम लिया. इस लिंचिंग ने देश भर में सुर्खियां बटोरी. फिर 6 दिसंबर 2017 को एक और मीओ तालिम खान को अलवर शहर में पुलिस ने इसलिए गोली मार दी क्योंकि वह कथित तौर पर गायों की तस्करी कर रहे थे. इस साल जुलाई में गोरक्षकों ने रकबर खान की लिंचिंग कर दी. ये घटना तब हुई जब वह अलवर के लालवंडी गांव से पशु ले जा रहे थे. इसके बावजूद कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियान में इन मौतों या गाय संबंधित हिंसा का मुद्दा नहीं उठाया है.
मुहम्मद हनीफ 24 साल तक अलवर के जामा मस्जिद के इमाम थे. अपने क्लर्क के काम के साथ वह अलवर के नागरिक समाज के सदस्य रहे हैं और जिले में लिंचिंग को ट्रैक करने में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं. उन्होंने कहा, “हम मुगलों, अंग्रेजों और अलाउद्दीन खिलजी के खिलाफ लड़े हैं. जब भारत ने आजादी हासिल की तो हमें लगा कि ये हमारा देश और सरकार है. लिंचिंग और ध्रुवीकरण के हालिया दौर ने हमें दुखी और भ्रमित कर दिया है. समुदाय में बहुत गुस्सा है, लेकिन हम कानून को अपने हाथों में नहीं लेना चाहते हैं. हम शांतिपूर्ण और कानूनी साधनों के माध्यम से न्याय के लिए काम करेंगे.”
पहलू खान की लिंचिंग के बाद हनीफ ने सरकार के पास याचिका दायर की. इसमें पहलू के परिवार के लिए न्याय की मांग की और अलवर, जयपुर और दिल्ली में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए. जिस दिन रकबर खान की हत्या हुई थी उस दिन हनीफ ने परिवार के साथ मिलकर रकबर के गांव का दौरा किया. हनीफ कहते हैं, “बीजेपी सरकार में गाय के नाम पर कई सारे मीओ को मारा गया हैं. हम निश्चित रूप से बीजेपी के लिए वोट नहीं देंगे लेकिन कांग्रेस को हमारे वोटों को हल्के में नहीं लेना चाहिए.”
इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने राजस्थान में 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं. जिनमें अलवर लोकसभा सीट को बनाने वाले 11 विधानसभा क्षेत्रों में से दो भी शामिल हैं. सफिया जुबैर खान को रामगढ़ से टिकट मिला है और एमामुद्दीन अहमद खान तिजारा से चुनाव लड़ रहे हैं. 29 नवंबर को जारी पार्टी के घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों के लिए भी हिस्से हैं. इसमें लिखा है कि अगर कांग्रेस जीतती है तो पार्टी मदरसों को कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन देगी. मैंने घसौली की यात्रा की जो कि अलवर-तिजारा हाईवे पर ट्रकों के रुकने का अड्डा है और किशनगढ़-बास विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. 2011 की जनगणना के मुताबिक लगभग दो लाख निवासियों की जनसंख्या में 61.4 प्रतिशत हिंदू हैं, जबकि मुस्लिम 33.41 प्रतिशत हैं. गांव वालों का अनुमान है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में 45000 मीओ मुसलमान हैं. 2013 में बीजेपी के रामहेत सिंह ने ये विधानसभा सीट जीती थी.
रकबर खान की लालवंडी गांव और उमर मोहम्मद की गोविंदगढ़ में लिंचिंग हुई थी. ये जगह वहां से ज्यादा दूर नहीं है जहां मैं हिंदू-मुसलमानों के एक मिले-जुले वोटरों के एक समूह से मिली थी. जब मैंने पूछा कि पिछले पांच सालों में उन्हें किस मुद्दे का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने पानी की कमी, बिजली के बिलों और डीजल की कीमतों में वृद्धि के बारे में बात की. समूह के मुसलमान लिंचिंग के बारे में खुलेआम बोलने को लेकर अनिच्छुक लग रहे थे. घसोली निवासी दानिश खान पहले तो खूब बोल रहे थे लेकिन जब मैंने पूछा कि वह गोरक्षा और लिंचिंग के बारे में क्या सोचता हैं तो वह शांत हो गए. बाकी के गांव वालों ने बात की. अयूब खान ने कहा, “हम भाजपा से परेशान हैं और आशा करते हैं कि अलवर में सभी सीटें कांग्रेस जीते.” घसौली के एक अन्य निवासी इस्लाम-उल-हक ने कहा, “बीजेपी भावनाओं से खिलवाड़ करने की कोशिश करती है. वह जानते हैं कि अलवर में कांग्रेस का एक ठोस वोट बैंक है.”
फिर भी कई मुस्लिमों ने शिकायत की कि पार्टी उनके प्रमुख मुद्दों और चिंताओं की अनदेखा कर रही है. एक युवा व्यक्ति शाहरुख नूर जो कि स्थानीय स्कूल को चलाने में मदद करता है ने कहा, “बीजेपी कठोर हिंदुत्व का इस्तेमाल करती है जबकि कांग्रेस नरम हिंदुत्व का इस्तेमाल करती है.” जब मैंने पूछा कि सामान्य रूप से मुस्लिम और विशेष रूप से मीओ चुनाव में क्यों शामिल नहीं लग रहे, नूर ने कहा कि एक तरफ बीजेपी का मुस्लिमों की अनदेखा करके अपने कट्टर मतदाताओं को खुश करने का लक्ष्य है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी बहुत ज्यादा "मुस्लिम समर्थक" के रूप में नहीं दिखना चाहती है.
अलवर में जिला और सत्र अदालत में प्रैक्टिस करने वाले एक वकील कासिम खान ने भी ऐसी ही भावना प्रकट की. खान पहलू खान के मामले को बेहरोर से ट्रांसफर करने की कोशिश कर रहे हैं, ये अलवर जिले का एक छोटा सा शहर है और खान चाहते हैं कि मामला अलवर सिटी में चला जाए जहां को लेकर उन्हें उम्मीद है कि गवाहों को नहीं डराया जाएगा. उन्होंने कहा कि केवल कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह ने रकबर के परिवार से मुलाकात की. न ही कांग्रेस और अशोक गहलोत या सचिन पायलट जैसे दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने पहलू खान या उमर अहमद के परिवारों से मुलाकात की थी. कासिम ने कहा, “जीएसटी, नोटबंदी और भ्रष्टाचार कांग्रेस के मुख्य मुद्दे हैं. वे लिंचिंग, गोरक्षा या सुरक्षा और रोजगार के बारे में बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनके लिए ये सब बात करने के लायक नहीं हैं.” कासिम ने भविष्यवाणी की कि मीओ समुदाय का मतदान प्रतिशत औसत से कम होगा क्योंकि उनमें बहुत उत्साह नहीं है. उन्होंने कहा, “मीओ समुदाय को दो बुराइयों के बीच चुनना है और हम कम बुरे के लिए वोट करेंगे.”
एक एनओजी अलवर मेवात इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड डेवलपमेंट के साथ काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता नूर मोहम्मद ने कहा कि मीओ समुदाय ने खुद पर ध्यान जाने से बचने के लिए रेडार के नीचे छुप जाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, “मेवाती मुस्लिम प्रचार नहीं कर रहे हैं और चुपचाप कांग्रेस का समर्थन करने का फैसला किया है.” उन्होंने समझाया कि जब बीजेपी 2013 में सत्ता में आई तो सरकारी मशीनरी ने गोरक्षकों का पक्ष लेना शुरू कर दिया और तीन चीजें हुईं: गोरक्षकों की प्रतिष्ठा बढ़ी, मुसलमानों को आतंकित कर दिया गया और उगाही रैकेटों का जन्म हुआ. नूर मोहम्मद ने मुझे अलवर शहर के बाहरी इलाके में अपने ऑफिस में बताया, "इसी वजह से मुसलमान खामोश हैं."
यह देखने के लिए कि मेवात के अन्य हिस्सों में चुनाव अभियान कैसे चल रहा है, मैंने नगर विधानसभा क्षेत्र के हिस्से भरतपुर जिले में सीकरी की यात्रा की. 23 नवंबर को मैं दोपहर की नमाज के समय धूलदार, सिंगल-स्ट्रीट वाले गांव में पहुंची. पड़ोसी गांवों के मुस्लिम स्थानीय मस्जिद में इकट्ठा हुए थे और नमाज के बाद छोटे समूहों में बंट गए थे. उस दिन ये गांव सिख गुरु की जयंती गुरु नानक जयंती मना रहा था और सीकरी के सिख समुदाय ने इस मौके का जश्न मनाने के लिए रैलियां निकाली थीं. मुझे बताया गया कि नगर निर्वाचन क्षेत्र के बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार वाजीब अली प्रचार कर रहे थे और बाद में दोपहर में स्थानीय गुरुद्वारा में समारोह के लिए गांव आएंगे.
सीकरी में एक चाय दुकान में पास के गांव के पूर्व सरपंच तय्यैब खान मीओ समुदाय के एक समूह के साथ बैठे थे. उन्होंने अनुमान लगाया कि नगर में कुल 2.22 लाख वोटों में से 44000 वोट मीओ समुदाय के हैं. उन्होंने कहा, “नगर में एकमात्र सबसे बड़ा समुदाय होने के बावजूद न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी ने एक भी मीओ को टिकट दिया. हम बीएसपी को इसलिए वोट देंगे ताकि दोनों पक्षों को संदेश मिले.”
तय्यैब ने 70 साल के सीकरी निवासी ममरैद खान की ओर इशारा किया, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि उनके पास 10-12 दूध देने वाली गाय और भैंसें थीं. उन्होंने कहा, “उनकी पत्नी मवेशियों का दूध निकालती थी और उस पैसों से उन्होंने 4 बेटियों की शादी की थी. गायों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के डर से आज परिवार के पास चार मवेशी बचे हैं.” यहां भेदभाव को लेकर धारणा काफी मजबूत थी. एक और सीकरी निवासी शाहिद खान ने दावा किया कि नोटबंदी के बाद मुस्लिमों को बैंकों में प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी.
शाहिद मुझे कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में ले गए. नगर के उम्मीदवार मुरारी लाल गुज्जर तो चुनाव अभियान पर थे, लेकिन ब्लॉक प्रेसिंडेंट परशुराम गुज्जर वहां थे. उन्होंने मुझे बताया कि कांग्रेस के मुख्य मुद्दे पीने का पानी, सिंचाई और भ्रष्टाचार को रोकने का प्रावधान हैं. जब पूछा गया कि कांग्रेस मीओ समुदाय की समस्याओं पर चुप क्यों है तो उन्होंने जवाब दिया कि ये सच नहीं है. कार्यालय में बैठे चार लोगों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वे मुस्लिम हैं और मुस्लिम समुदाय के बीच पार्टी को मजबूत समर्थन हासिल है. शाहिद ने कहा कि मेवात में कांग्रेस को "मुस्लिम पार्टी" माना जाता है.
राजस्थान के लिए कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के सदस्य विभूति भूषण शर्मा ने मुझे बताया, “ऐसा नहीं है कि हमने लिंचिंग का मुद्दा नहीं उठाया है. मुझे लगता है कि सचिन और अशोक ने मुस्लिमों की सुरक्षा के बारे में बात की है. हालांकि, बेरोजगारी, राफेल, नोटबंदी और राजे के खराब कार्यकाल जैसे कई मुद्दे हैं, इन्हें भी हम हाइलाइट करना चाहते हैं. हमारे घोषणापत्र में, हमने अल्पसंख्यकों के लिए बहुत सारे उपाय शामिल किए हैं, जबकि बीजेपी का घोषणापत्र मुसलमानों पर चुप है. इसने मुसलमान को सिर्फ एक ही टिकट दिया है. बीजेपी हमसे धार्मिक मुद्दों पर बात करवाना चाहती है ताकि वह हमें 'मुस्लिम' पार्टी के रूप में चित्रित कर सकें और हम सावधान रह रहे हैं कि हम उस जाल में न फंसें.”
जब मैंने गोरक्षा के बारे में ज्ञानदेव अहूजा से बात की और कहा कि मीओ समुदाय के बीच इसने डर भर दिया है, तो उन्होंने कहा, “(मेवात में) एक भी दंगा नहीं हुआ है. मैंने जिहाद के खिलाफ हिंदू धर्म की रक्षा के बारे में खुलेआम बात करते हुए भी एक सांप्रदायिक दंगा की इजाजत नहीं दी है. दुनिया में केवल एक धर्म है और यह हिंदू धर्म है, इसलिए मैं हिंदुओं और गायों की रक्षा के बारे में बात करता हूं.” मैंने उनसे लिंचिंग के बारे में पूछा. उन्होंने कहा, “मेरे निर्वाचन क्षेत्र रामगढ़ में रकबर की सिर्फ इकलौती लिंचिंग की घटना हुई. रकबर को गायों की तस्करी के लिए भीड़ ने पीटा और पुलिस को सौंप दिया और हिरासत में उसकी मृत्यु हो गई. भीड़ ने रकबर को नहीं मारा. तीन पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए और न्यायिक जांच चल रही है.” जब मैंने उमर की हत्या के बारे में अहुजा को याद दिलाया जो रामगढ़ में हुई थी तो उसने अनिच्छा से इसे स्वीकार किया और कहा, “यह काफी पहले हुआ था. उमर और उसके दोस्तों को जब गायों की तस्करी के लिए रोक गया तो उन्होंने गोली चलाई जिसके जवाब में उनके ऊपर आत्मरक्षा में गोली चलाई गई.”
अहूजा ने दावा किया कि "भाजपा के पक्ष में चुनावी हवा बह रही है." उन्होंने कहा, "एक महीने पहले ऐसा लगता था कि कांग्रेस जीत रही है, लेकिन अलवर और राजस्थान में हवा बदल गई है. मैं पार्टी के लिए एक प्रचारक हूं और छह निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार कर रहा हूं. मैं विकास के बारे में बात कर रहा हूं. वह केवल प्रधानमंत्री की जाति पर सवाल उठाने जैसे गंदे आरोप लगाते हैं और इसीलिए लोग कांग्रेस से नाराज हैं. जाति और सांप्रदायिक मुद्दों के अलावा उनके पास कोई मुद्दा नहीं है."
भले ही बीजेपी और कांग्रेस राजस्थान में गाय से संबंधित हिंसा को संबोधित करे या नहीं, अलवर में लिंचिंग ने मीओ समुदाय के कुछ लोगों के बीच राजनीतिक सक्रियता को जन्म दिया है. 26 साल के अलवर के निवासी सद्दाम हुसैन इसका एक उदाहरण हैं. उन्होंने जयपुर से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री में एमए किया था और अलवर में घर वापस आ गए थे और तभी पहलू की लिंचिंग की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. उन्होंने मुझसे कहा, “जब मैंने वीडियो देखा, तो मेरा खून खौल उठा.” उन्हें मेवात युवा संगठन बनाने की प्रेरणा मिली. ये एक ऐसा युवा संगठन है जो लिंचिंग से संबंधित विरोध प्रदर्शनों को व्यवस्थित करने का लक्ष्य रखता है और जागरुकता बढ़ाने का काम करता है. उन्होंने कहा, “हमने पहलू के घर का दौरा किया और प्रशासन के सामने अर्ज़ी डाली. कुछ भी नहीं हुआ और हमने जयपुर और दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन के अलावा अलवर में एक मूक मार्च करने का फैसला किया.” हुसैन ने कहा कि उनका मानना है कि बीजेपी ने चुनावी लाभ के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति का सहारा लिया था. उन्होंने कहा, “जब चुनाव आते हैं तो बीजेपी गाय की राजनीति, राम मंदिर की राजनीति और हिंदू-मुस्लिम झगड़े की राजनीति पर वापस आ जाती है. गाय को राष्ट्रीय पशु बनाओ, हम मीओ इसका समर्थन करते हैं.”