हिंदू सांप्रदायिकता का बदलता स्वरूप है गुरुग्राम का नमाज विवाद

20 फ़रवरी 2023
गुरुग्राम में दिसंबर 2021 को हिंदू दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों के विरोध करने पहुंचने पर एक नमाज़ स्थल को खाली करते मुस्लिम समुदाय के लोग. 2018 के बाद से गुरुग्राम में हिंदू दक्षिणपंथ के विभिन्न गुट सामूहिक नमाज की सदियों पुरानी प्रथा पर हमला कर रहे थे, इसे काल्पनिक उद्देश्य बता रहे थे.
एएनआई फोटो
गुरुग्राम में दिसंबर 2021 को हिंदू दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों के विरोध करने पहुंचने पर एक नमाज़ स्थल को खाली करते मुस्लिम समुदाय के लोग. 2018 के बाद से गुरुग्राम में हिंदू दक्षिणपंथ के विभिन्न गुट सामूहिक नमाज की सदियों पुरानी प्रथा पर हमला कर रहे थे, इसे काल्पनिक उद्देश्य बता रहे थे.
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गुरुग्राम के अल्ताफ अहमद 17 सितंबर 2021 को अपने घर पर ही थे. उनका 45वां जन्मदिन था. सुबह सारा वक्त उन्हें रिश्तेदारों और दोस्तों के बधाई कॉल और संदेश आते रहे. उनको फोन करने वालों में से कुछ ने इस संयोग पर मजाक भी किया कि अहमद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन एक ही दिन आता है.

अहमद का जन्मदिन उस साल शुक्रवार को पड़ा था. वह नमाज के लिए निकलने की तैयारी कर ही रहे थे, उन्हें एक स्थानीय इमाम अब्दुल हसीब का फोन आया, जो अपनी बेटियों को अरबी सिखा रहे थे और वे एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे. हसीब ने उन्हें बताया कि गुरुग्राम के सेक्टर 47 में नमाज स्थल पर तनाव हो गया है. धुर दक्षिणपंथी संगठन भारत माता वाहिनी के संस्थापक दिनेश भारती बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ घटनास्थल पर मौजूद थे.

सेक्टर 47 नमाज स्थल अहमद के घर से करीब पांच किलोमीटर दूर है. जैसे ही अहमद वहां पहुंचे, उन्हें पांच फोन कॉल आईं. इमामों में हड़कंप मच गया. “ जल्दी आओ, जल्दी आओ,” उन्होंने अहमद से कहा. “ये लोग धमकी भरे नारे लगा रहे हैं.” अहमद ने इमामों से नमाज स्थल से नहीं हटने को कहा. "हमें वहां नमाज पढ़ने की इजाजत है और हमें सुरक्षा देना पुलिस का काम है."

जब तक अहमद घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक बूंदाबांदी शुरू हो चुकी थी. करीब 100 मीटर की दूरी पर भारती के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी माहौल को गर्मा रहे थे. “वे ऑटोवालों और राहगीरों को रोकते और उनसे कहते, ‘पाकिस्तान बना दिया है इस जगह को इन्होंने,''' अहमद ने मुझे बताया. उन्होंने कहा, 'प्रदर्शनकारी मुसलमानों को परेशान कर रहे थे. "मुझे लगा कि गुंडे किसी भी मिनट नमाजियों पर पत्थर फेंकना शुरू कर सकते हैं."

वैभव वत्स स्वतंत्र लेखक और पत्रकार है. न्यू यॉर्क टाइम्स और अल जज़िरा में प्रकाशित.

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