मुजफ्फरनगर में क्रांति सेना के पहले अधिवेशन में हावी मुस्लिम विरोध, त्रिशूल और भय

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1 जून 2022 को मुजफ्फरनगर में क्रांति सेना ने, जो एक कट्टर हिंदूवादी संगठन है और खुद को हिंदू हितेषी बताता है, अपना पहला कार्यकर्ता अधिवेशन किया. इस अधिवेशन में क्रांति सेना के करीब 500 सदस्यों ने भाग लिया जिनमें लगभग एक चौथाई महिलाएं थीं. इस अधिवेशन में वक्ताओं ने मुस्लिमों को लक्ष्य बना कर गलत जानकारियां और घृणा भरे भाषण दिए.

सम्मेलन में क्रांति सेना ने जो मांगे रखीं वे थीं, देश में “विस्फोटक रूप से बढ़ रही मुस्लिम आबादी पर अंकुश हेतु नसबंदी व्यवस्था को लागू किया जाए”, “देश में अवैध व वैध रूप से घुस आए करोड़ों बंगलादेशी रोहिंग्या घुसपैठियों को तत्काल देश से खदेड़ा जाए”, “पिछले तीस सालों से बाहर की ठोकरें खा रहे कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास का काम शीघ्र अमल में लाया जाए”, “देश को अविलंब हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए.”

क्रांति सेना की स्थापना 2020 में हुई थी. इसके अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा पहले शिव सेना से जुड़े थे और पश्चिम उत्तर प्रदेश शिव सेना के अध्यक्ष थे. लेकिन जब शिव सेना ने महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया तो शर्मा नाराज हो गए और उन्होंने अपने साथियों के साथ मिल कर क्रांति सेना का निर्माण कर लिया. पहले इसका नाम क्रांति शिव सेना रखा लेकिन फिर उन्होंने ने इसके नाम से शिव हटा कर सिर्फ क्रांति सेना कर लिया.

क्रांति सेना मुजफ्फरनगर में उस वक्त ज्यादा चर्चा में आई जब इसके कार्यकर्ताओं ने हिंदू पर्व तीज और करवा चौथ के अवसरों पर मुजफ्फरनगर के बाजारों में घूम-घूम कर लोगों को धमकाया कि कोई भी मुस्लिम लड़का किसी भी हिंदू महिलाओं को हाथों पर मेंहदी नहीं लगाएगा.

मुस्लिमों के खिलाफ कुप्रचार के अलावा अधिवेशन में हिंदू को डराया भी गया. अधिवेशन के पहले वक्ता राजेश ने कहा कि हिंदू कम बच्चे पैदा कर रहे हैं जो अच्छी बात नहीं हैं क्योंकि “अभी तो हम सुरक्षित है क्योंकि सभी प्रशासनिक सेवा में हिंदू हैं लेकिन पर जब कल हमारी जनसंख्या कम हो जाएगी और मुसलमानों की बढ़ जाएगी तो हम सुरक्षित नही रहेंगे.” इस “समस्या” का समाधान करने के लिए उन्होंने मांग की कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बने.” उपरोक्त दावा झूठा है और  उपलब्ध आंकड़ों से मेल नहीं खाता. समाचार वेबसाइट स्क्रॉल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, संख्या में मुसलमानों को हिंदुओं के बराबर होने के लिए कम से कम 220 साल लगेंगे.

कार्यक्रम का संचालन सेना के प्रदेश महासचिव मनोज ने किया. उनका कहना था कि “पहले हम निवेदन करते हैं, फिर आवेदन करते है अगर इन दोनों से बात नहीं बनती तो हम दे दना-दन करते हैं.”

मैंने कार्यक्रम में मोरना गांव से आए 25 वर्ष के नुकल सिंह से बात की. सिंह आईटीआई फिटर कोर का छात्र हैं और शादी-विवाह में वीडियोग्राफी करते हैं. उन्होंने कहा, “मुझे अपने संगठन की हिंदूवादी सोच अच्छी लगती है. हमारा संगठन हिंदुओं की बात करता है और उनकी रक्षा की बात करता है.”

वहीं रामगढ़वा के रहने वाले 28 साल के नीरज वर्मा, जो एक कपड़े की दुकान में नौकरी करते हैं, बताते हैं, “अभी तो यूपी में योगी जी वाली हिंदुओं की सरकार है तो थोड़ी गनीमत है. योगी की सरकार नहीं होती तो हमारे यहां हिंदुओं के साथ और दिक्कत होती. इस बार आप देखिएगा कावड़ यात्रा कितनी भव्य होगी. पिछले दो साल से नहीं हुई है. पहले हिंदू अपने तीज त्योहार को सही से नहीं मना पाता था लेकिन अब वह पूरे जोश से अपने त्योहार मनाता है.” वर्मा दवा करते हैं, “हमारे संगठन में कोई जात-पात नहीं है, हम सभी हिंदू हैं.”

क्रांति सेना ने अपने इस कार्यक्रम की एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें लिखा था कि “जनसंख्या नियंत्रण कानून, बंगलादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को देश से बाहर निकलने, कश्मीरी हिंदुओ के पुनर्वास, देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने व शिक्षित युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराए जाने के साथ-साथ सरकारी नौकरियों के लिए भरे जाने वाले फार्म को निशुल्क किया जाए.”

इसके साथ ही बंगलादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों की घुसपैठ का डर भी खूब बेचा गया. रिलीज में लिखा है कि देश में इस वक्त साढ़े तीन करोड़ बंगलादेशी व रोहिंग्या घुसपैठी व अवैध तरीके से घुसे हुए लोग हैं जो देश की आंतरिक व बाहरी सुरक्षा के लिए खतरा है ही साथ ही अवैध धंधों तथा आपराधिक वारदातों में इनकी संलिप्तता जगजाहिर है. सरकार अपने वादे के अनुसार इन घुसपैठियों को सख्ती से देश से बाहर निकालना चाहिए.

साथ ही दावा किया गया है कि पिछले लगभग तीन दशक यानी 30 वर्षों से करीब दस लाख कश्मीरी हिंदू अपना घरबार छोड़ कर देश के अन्य स्थानों पर विस्थापित हो कर जिंदगी बिता रहे हैं. किसी भी सरकार ने उनके जीवन-यापन, मुवावजे और पुनर्वास पर कोई खास ध्यान नहीं दिया. अब बीजेपी की केंद्र सरकार को कश्मीर हिंदुओं के पुनर्वास हेतु ठोस कार्रवाई अमल में लानी चाहिए.

अधिवेश में धर्मनिरपेक्षता को भारत का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया. रिलीज कहती है कि देश को हिंदू राष्ट्र घोषित होने भी तमाम समस्याओं का एक विकल्प हैं क्योंकि छद्म सेक्युलरवाद हिंदू समुदाय का सबसे बड़ा शत्रु है और तमाम राजनैतिक दल वोट बैंक की राजनीति के चलते धर्म निरपेक्षता का चोला ओढ़े हुए हैं.

बसंत कश्यप, जो क्रांति सेना के मुजफ्फरनगर उपाध्यक्ष हैं, ने मुझे बताया कि “क्रांति सेना के लोग पहले शिव सेना के साथ थे पर जब शिव सेना ने कांग्रेस जैसे दल के साथ मिल कर सरकार बनाई तो वह हम लोगों को हिंदू विरोधी लगने लगी. हम लोग मानते थे कि शिव सेना तो हिंदू कट्टरवादी संगठन है, वह कैसे इन दलों के साथ गठबंधन कर सकता है. हम लोगों को यह अच्छा नहीं लगा. हम लोग तो कट्टर हिंदू हैं, तो हम लोगों ने मिल-बैठ कर क्रांति सेना का निर्माण किया. पहले इसका नाम क्रांति शिव सेना रखा था. फिर हमने बीच से शिव हटा दिया और सिर्फ क्रांति सेना नाम कर दिया. बसंत सेना के बन जाने के बाद इससे जुड़े थे.” उनका कहना था, “मेरे पिता कालू राम कश्यप दो बार विधानसभा चुनाव लड़े : बुढ़ाना और खतौली विधानसभा से. इसके अलावा एक बार वह बसपा के टिकट से भी चुनाव लड़े थे. मैं भी बसपा का मुजफ्फरनगर का महानगर अध्यक्ष रहा हूं. जब मुझे लगने लगा कि अब बसपा अपना अस्तित्व खो रही है और ललित मोहन शर्मा से मेरे संबंध भी बहुत पुराने थे. पर तब वह शिव सेना में थे और उसको मैं गुंडों की पार्टी मानता था क्योंकि में बसपा का कार्यकर्ता था. 2007 में मैंने बसपा से विधानसभा के लिए टिकट मांगा था, चरथावल विधानसभा से, तो मुझसे पैसे की डिमांड की गई. इस के बाद बसपा से मेरा मोहभंग होने लगा था और 2015 कि एक घटना ने मुझे हिंदूवादी बना दिया. उस घटना में मीनाक्षी चौक पर, वह पूरा मोहल्ला मुसलमानों का है, एक मुस्लिम से मेरे झगड़ा हुआ और मुझे कुछ दिन जेल में भी रहना पड़ा.”

फिलहाल सबसे ज्यादा कश्यप और सैनी समाज के लोग ही तेजी से क्रांति सेना से जुड़ रहे हैं. मनोज सैनी और राजेश कश्यप दोनों इन समाजों को तेजी से संगठन से जोड़ रहे हैं. इन समाज के लोग उन गांव या शहरी क्षेत्र से जुड़े हैं जो मुसलमानों की आबादी के बीच हैं. इसलिए इनको एक डर भी बना रहता है. पर जब सबको पता चल जाता है ये क्रांति सेना से जुड़ गए तो कोई फिर इनके साथ कुछ करने की हिम्मत नहीं करता. हिंदू बोल नहीं सकता है. उन गांव में जैसे बसाना, लुहसना, बुढ़ाना ऐसे और भी कई नाम हो सकते हैं.

मेंहदी वाले प्रकरण के बारे में बसंत कश्यप ने बताया, “हमारे शहर में मेहंदी लगाने वाले मुस्लिम हैं. अब हिंदू महिलाएं, अच्छी मेहंदी लगाने वाले लड़कों से उनका नम्बर ले लेती हैं. फिर बात-चीत शुरू कर देती हैं. उस मेंहदी प्रकरण में ही क्रांति सेना के कार्यकर्ताओं के ऊपर मुकदमा किया गया था. हम लोगों ने एक ब्यूटीपार्लर वाले लड़के को जेल भी भेजा था, और उस क्षेत्र में 18 दुकानें, जो पार्लर की थीं, मुसलमानों की नई मंडी में उन सबको हम लोगो ने बंद करा दिया था.”

अधिवेशन में दंडी स्वामी महामंडलेश्वर विद्यापीठेश्वर ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, “ललित मोहन जी पहले सभी साथियों को व्हाट्सएप और अपने सोशल मीडिया पर जोड़िए. उसका महत्व समझिए. आज कोई बात या खबर पहुंचनी हो, हिंदुओं को जगाना हो, तो व्हाट्सएप पर ग्रुप बनाइए.” 2024 के लोकसभा चुनावों के बारे में महामंडलेश्वर ने कहा, “आज यहां जितने लोग बैठे हैं आपके पास 2024 लोकसभा चुनाव के लिए दो साल का समय है. इसलिए अब एक-एक कार्यकर्ता लग जाए और अपने जैसे 100 कार्यकर्ता पैदा करे. इस व्यवस्था में राजनितिक सत्ता में अपना अधिकार बनाना होगा क्योंकि अगर वह नहीं है तो आपका यह बलिदान व्यर्थ चला जाएगा.”

सजीव शंकर महामंडलेश्वर महाकाल घंटूश्याम ने अपने संबोधन में बताया कि क्रांति सेना की जरूरत क्यों है. उन्होंने बताया, “आज जब इतने हिंदूवादी संगठन काम कर रहे हैं, तो ऐसे में क्रांति सेना इसलिए जरूरी है क्योंकि हमारे मंदिरों तोड़ दिया जाता है लेकिन कोई बोलता नहीं है. और न बोलना हमारे लिए घातक होता जा रहा है. आप सोचते है आप डरा पा रहे हैं बिल्कुल नहीं डरा पा रहे हैं. त्रिशूल यात्रा की परमिशन प्रशासन नहीं दे रहा है. क्यों नहीं दे रहा है, इस पर विचार कीजिए. प्रसाशन कहेगा आप त्रिशूल ले कर निकलेंगे तो दूसरे प्रतिक्रिया करेंगे और हमें ही आघात पहुंचाएंगे, इस लिए परमिशन नहीं दे रहे हैं. त्रिशूल यात्रा की परमिशन तो चाहिए. क्या यहां किसी के पास त्रिशूल है? पर जिनके सामने आप यह त्रिशूल यात्रा निकलोगे उनके हर रेहड़ी में छुरा है. त्रिशूल यात्रा निकले या न निकले, लेकिन हर युवा के पास त्रिशूल हो. हम अपने मंदिर की बात करें, तो हम सांप्रदायिक कहलाते हैं, दूसरों को नहीं कहा जाता जबकि उनकी दाड़ी बढ़ी हुई है. हम कहते हैं कि सारे मुगल कालीन नाम बदलो.”

क्रांति सेना के अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने कहा, “त्रिशूल मार्च कार्यक्रम को राज्य की हिंदूवादी बीजेपी सरकार और उसके प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. इससे पहले भी महाराणा प्रताप की जयंती निकलने पर अजय को गिरफ्तार किया गया है. हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया. कल तक और लोगों की सरकारें थीं जिन्हें हम मुस्लिम परस्त पार्टी कहते थे लेकिन आज हिंदूवादी सरकारें राज्य और केंद्र दोनों में हैं, फिर भी हमको रोका जा रहा है. मुस्लिम जनसंख्या विस्फोटक तौर से बढ़ रही है. एक दिन हमें, जो एकमात्र देश है हिंदुओं का है, इससे भी पलायन करना पड़ेगा. आजादी के समय कितने मुस्लिम थे और आज कितने हैं.” हिंदूवादी लोगों को मजबूत रहना होगा. हिंदू हित के लिए हिंदू संगठन को एक होना होगा. जहां भी हिंदुओ पर हमला होगा, धर्म स्थल पर हमला होगा, गौहत्या, गोवंश का कटान होगा, वहां बीजेपी के लोग नहीं हिंदुओं के संगठन दिखाई देंगे.”