बदइंतज़ामी का उत्सव

योगी सरकार के कुप्रबंध के चलते हुआ कुंभ में हादसा

28 जनवरी, 2025 को प्रयागराज में मौनी अमावस्या की पूर्व संध्या पर त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाने के लिए उमड़ते श्रद्धालु. इसवर्ष के मुख्य धार्मिक आयोजन में 7.6 करोड़ से अधिक भक्तों ने भाग लिया. (दीपक गुप्ता/हिंदुस्तान टाइम्स)
28 जनवरी, 2025 को प्रयागराज में मौनी अमावस्या की पूर्व संध्या पर त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाने के लिए उमड़ते श्रद्धालु. इसवर्ष के मुख्य धार्मिक आयोजन में 7.6 करोड़ से अधिक भक्तों ने भाग लिया. (दीपक गुप्ता/हिंदुस्तान टाइम्स)

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हर 12 साल में होने वाला हिंदुओं की आस्था का कुंभ इस बार एक बहुत बड़ा आयोजन था. साथ ही यह आयोजन, जिसमें प्रचंड भीड़ जुटने वाली थी, भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद ख़ास था. 13 जनवरी से 26 फ़रवरी तक हुए इस मेले के लिए उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार ने तक़रीबन 7,500 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था. शहर में आख़िरी कुंभ मेला 2013 में लगा था. उस वक़्त समाजवादी पार्टी सत्ता में थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक आयोजन होने के चलते, कुंभ में लॉजिस्टिक्स का सवाल हमेशा अहम रहता है.

30 जनवरी 2025 को कुंभ प्रशासन ने कई हिदायतें जारी कीं. ऐलान किया गया कि भक्तों के लिए मार्गों को वन-वे बनाया जाएगा, गाड़ियों पर पाबंदी लगाई जाएंगी और कुंभ स्नान के ख़ास दिनों के लिए कोई वीआईपी पास जारी नहीं होंगे. ये हिदायतें उस हादसे के एक दिन बाद आईं जब कुंभ में हुई भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई. यह हादसा मौनी अमावस्या के दिन हुआ. इस साल 7.6 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री इस दिन नदी में डुबकी लगाने जुटे थे. त्रिवेणी संगम क्षेत्र में 1954 के बाद हुई यह पहली भगदड़ थी. उस भगदड़ में 316 लोगों की मौत हो गई थी. वह भगदड़ भी मौनी अमावस्या के दिन ही हुई थी.

भगदड़ रात 1 से 2 बजे के बीच हुई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ‘बीती रात लगभग 5.5 करोड़ लोगों ने नदी में डुबकी लगाई और रात भर यह संख्या बढ़ती गई.’ आदित्यनाथ सरकार ने बताया कि ​संगम घाट की ओर जाने वाली मुख्य सड़कों में एक, अखाड़ा मार्ग, पर तीर्थयात्रियों की भीड़ जमा हो गई थी. दबाव बढ़ने के साथ लकड़ी के बैरिकेड टूट गए और भीड़ आगे बढ़ गई. इस भीड़ ने दूसरी ओर डुबकी लगाने का इंतज़ार कर रहे भक्तों को कुचल दिया. अफ़रातफ़री कम होने के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज हर्ष कुमार की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग बैठाया. उस आयोग में पूर्व अधिकारी डी. के. सिंह और राज्य पुलिस के पूर्व महानिदेशक वी. के. गुप्ता भी शामिल थे.

हालांकि प्रशासन की नाकामियों का पता रिपोर्ट आने पर ही लग सकता है, लेकिन हादसे के बाद 24 घंटे के भीतर जारी हुए निर्देशों से एक बात साफ़ हो जाती है कि चाहे फ़ौरी वजह कुछ भी हो, तबाही के ये गहरे बादल इस कुंभ की शुरुआत से ही मंडरा रहे थे. इसे रोका जा सकता था अगर अधिकारियों ने 1954 की भगदड़ के बाद बनाई गई दशकों पुराने भीड़ प्रबंधन प्रॉटोकॉल पर अमल किया होता.

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