एक मस्जिद के पास पहरा दे रहे एक पुलिस जवान ने निर्देश दिया, “आप लोग यहां नहीं आ सकते.” गली में बैठे एक अन्य पुलिस वाले ने भी हमें अंदर न जाने का इशारा किया. हमने उनसे पूछा कि क्या हम मस्जिद देख सकते हैं. “नहीं, आप जगह नहीं देख सकते हैं, आपको पुलिस स्टेशन से इजाजत लेनी होगी,” पहले पुलिस जवान ने कहा.
पानीसागर जामे मस्जिद का निर्माण 1982 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने किया था. इसे अक्सर सीआरपीएफ मस्जिद भी कहा जाता है. और इसी के बगल में देवस्थान मंदिर भी है जिसे भी कथित तौर पर उसी साल बनाया गया था. शुक्रवार की नमाज से पहले 21 से 22 अक्टूबर की दरमियानी रात को अज्ञात हमलावरों ने मस्जिद में कथित तौर पर आग लगा दी. उस दिन की सुबह विश्व हिंदू परिषद ने पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का विरोध करने के लिए, लगभग पंद्रह किलोमीटर दूर धर्मनगर और राज्य की राजधानी अगरतला में रैलियां कीं. त्रिपुरा की सीमा बांग्लादेश से लगती है.
इस वर्ष अक्टूबर के मध्य में बांग्लादेश के कोमिला में एक दुर्गा पूजा पंडाल में पाई गई कुरान की एक प्रति के चलते देश में हुए सांप्रदायिक हमलों में सात लोग मारे गए. खबरों के मुताबिक हिंसा में अस्सी से अधिक दुर्गा पूजा पंडालों को नष्ट कर दिया गया. जैसे ही हिंसा की खबर सीमा पार से त्रिपुरा में फैलीं विहिप ने राज्य भर में रैलियां कर हमलों का विरोध करने का फैसला किया.
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