"ओई देख, टका पोरचे, टका पोरचे!" - देखो, पैसे गिर रहे हैं! पैसे गिर रहे हैं!
6 नवंबर 2019 के दिन कोलकाता की बेंटिंक स्ट्रीट पर एमके पॉइंट बिल्डिंग के नीचे जमा भीड़ एक अद्भुत नजारा देख रही थी. बिल्डिंग में ऊंचाई पर स्थित एक दफ्तर की खिड़कियों से उनके ऊपर 500 और 2000 के नोटों की बरसात हो रही थी. कुछ लोग अवाक खड़े थे, कुछ वीडियो बना रहे थे और कुछ में नोटों को हड़पने की गुत्थमगुत्था जारी थी. भीड़ बढ़ने के बाद भी नोटों की बौछार जारी रही. तभी खिड़की से फर्श साफ करने का वायपर थामे एक हाथ बाहर निकला और पास के छज्जे पर फंसे रुपयों के बंडलों को वहां से नीचे फेंकने लगा.
इस इमारत में कई दफ्तर थे. छठी और सातवीं मंजिल पर हक ग्रुप्स ऑफ कंपनीज के दफ्तर थे, जहां उस दिन राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने छापा मारा था. डीआरआई अधिकारियों ने बाद में कहा कि जब तक वो वहां पहुंचे, तब तक दफ्तर के अंदर ही एक कर्मचारी को अवैध नकदी को खिड़की से बाहर फेंकने का आदेश दिया जा चुका था. टाइम्स ऑफ इंडिया ने दो हफ्ते बाद लिखा कि डीआरआई के अधिकारियों के अनुसार उन्होंने दफ्तर से लगभग 7 लाख रुपए जब्त किए थे, जिनका मालिक, रिपोर्ट के मुताबिक, "कथित रूप से एक पशु तस्करी रैकेट में शामिल था." ये छापा, जैसा रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, "एक कथित इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी की जांच का हिस्सा था."
इस मामले का नाटकीय घटनाक्रम चौंकाने वाला था. इसके चलते भारत के मवेशी तस्करी नेटवर्क की एक दुर्लभ झलक भी स्पष्ट रूप से सामने आई. मवेशियों की तस्करी को अक्सर सीमावर्ती क्षेत्रों तक सीमित एक छिटपुट गतिविधि के रूप में देखा जाता है, जिसमें छोटे-मोटे अपराधी शामिल होते हैं. लेकिन बेंटिंक स्ट्रीट की घटना ने बताया कि शायद इस व्यवस्था के बड़े खिलाड़ी लंबे-चौड़े व्यावसायिक तानेबाने की शह में छिपे बैठे हैं.
इस छापे में जो एक नाम सामने आया, वो था होक मर्केंटाइल नामक कंपनी के निदेशकों में से एक- मोहम्मद इनामुल हक. शुरूआती खबरों में इस नाम का खुलासा नहीं किया गया था. कुछ दस्तावेजों में इसे 'होक' भी लिखा गया है. उसे पहले भी मार्च 2018 में जिबू डी मैथ्यू नामक सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट को पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश में मवेशियों की तस्करी के लिए घूस खिलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. मैथ्यू के खिलाफ एफआईआर में कहा गया है कि उसने "बीएसएफ कमांडेंट, 83 बटालियन के पद पर रहते हुए भारत-बांग्लादेश सीमाओं के तस्करों की मदद के एवज में" उनसे पैसा लिया था.
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