नरेंद्र दाभोलकर 18 अगस्त 2013 की शाम को गपशप के मूड में थे. 67 साल के तर्कवादी महाराष्ट्र के सतारा जिले के रहमतपुर शहर में अंधविश्वास के खिलाफ व्याख्यान देकर कार से अपने घर सतारा लौट रहे थे. यह शहर से लगभग आधे घंटे की दूरी पर था. रास्ते में दाभोलकर ने "लंबे दीर्घआयु के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और समय प्रबंधन के फायदों पर बात की." इस यात्रा में उनके साथ रहे एक पुराने मित्र और सूचना के अधिकार के एक्टिविस्ट शिवाजी राउत ने उन्हें याद करते हुए बताया.
दाभोलकर काफी देर से घर पहुंचे. फिर अगली सुबह जल्दी उठ कर पुणे जाने के लिए सुबह 6 बजे की बस पकड़ी. वह आम तौर पर हफ्ते पहले दो दिन शहर में बिताते, जहां वह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) के काम का निरीक्षण करते. यह समिति उन्होंने 1989 में बनाई थी. पुणे में दाभोलकर को 68 साल से चल रहे साप्ताहिक साधना के ताजा अंक पर भी काम करना होता जिसका उन्होंने 15 सालों तक संपादन किया.
दाभोलकर करीब साढ़े नौ बजे पुणे पहुंचे लेकिन इससे पहले कि वह अपने काम पर जा पाते उन्हें "जाति पंचायतों पर एक टेलीविजन बहस में भाग लेने के लिए फौरन मिली सूचना पर" मुंबई बुलाया गया. यह बात पुणे के एक पत्रकार और साधना के तत्कालीन कार्यकारी संपादक विनोद शिरसाथ ने मुझे बताई. जब तक दाभोलकर वापस लौटे, तब तक आधी रात हो चुकी थी और वह एक फ्लैट में रहने चले गए, जो साधना चलाने वाले ट्रस्ट से संबंधित था. उन्होंने अगले दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जिसमें उन्हें आगामी गणपति उत्सव के दौरान तालाबों, झीलों और नदियों में विसर्जन के लिए प्लास्टर की बजाए पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों का उपयोग करने की आवश्यकता के बारे में बोलना था.
दाभोलकर 20 अगस्त की सुबह उठे, एक साधारण बैंगनी खादी शर्ट और हल्का सूती पतलून पहन टहलने के लिए फ्लैट से बाहर निकल गए. वह लगभग एक किलोमीटर चल कर ओंकारेश्वर पुल पर पहुंचे, जो मुथा नदी पर बना है और एक किनारे पर ओंकारेश्वर मंदिर को दूसरे किनारे पर लोकप्रिय बाल गंधर्व सभागार से जोड़ता है. दाभोलकर ने मंदिर के छोर से पुल पार करना शुरू किया.
दो आदमी उनके इंतजार में इलाके में घूम रहे थे. दाभेलकर अभी आधा पुल भी नहीं पार कर पाए थे कि जब दोनों आदमी उनके पास आए और उन पर गोलीबारी शुरू कर दी. एक गोली उनकी दाहिनी आंख के ऊपर कनपटी में लगी और उनकी खोपड़ी में जा घुसी. दूसरी गोली उनकी गर्दन को चीरती हुई छाती में जा लगी. तीसरी उनके पेट को छूते हुए निकल गई. दाभोलकर मुंह के बल जमीन पर गिर पड़े. गोली चलाने वाले भाग निकले और पास में खड़ी एक मोटरसाइकिल पर चढ़कर पुराने शहर से गुजरने वाली छोटी गलियों में से एक में भाग निकले.
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