भोपाल के मेरियट होटल के अहाते में शोरशराबे के बीच, रणवीर सिंह के दरवाजे के बाहर मैं अन्य दर्जन भर लोगों के साथ खड़ी थी. यह नवंबर के अंत की बात थी और सुबह के 10 बजने वाले थे. रणवीर मुंबई से -सुबह की फ्लाइट से कुछ ही घंटे पहले पहुंचे थे. मैंने उन्हें हवाई जहाज में गर्दन के तकिये के साथ, ट्रैकसूट में देखा था. एक रात पहले ही उनके मैनेजर ने मुझे बताया था कि “वे कत्तई भी सुबह जल्दी उठने वाले आदमी नहीं हैं.”
हवाई जहाज में, फिल्मी सितारे की मौजूदगी ने बाकि के यात्रियों में कौतुहल मचा दिया था. दो लड़कियों पर तो दीवानगी इस कदर हावी हुए जा रही थी कि उन्होंने रणवीर के बॉडीगार्ड से उनके ऑटोग्राफ के लिए मिन्नतें करना शुरू कर दी. मेरी बगल में बैठे, एक अधेड़ उम्र के आदमी ने मुझसे जानना चाहा कि क्या कोई फिल्मी सितारा भी फ्लाइट में उनके साथ सफर कर रहा है? मैंने रणवीर का नाम लिया और मिलिट्री स्टाइल की नीली टोपी, जैकेट, रंगीन मैडल और तमगों के साथ बड़ा सा चश्मा पहने अखबार में उनकी छपी फोटो दिखाई. आदमी ने फोटो पर सरसरी नजर दौड़ाई और अखबार मुझे वापस थमा दिया.
सुबह की रोशनी में धूप का चश्मा लगाए, जब वे एयरपोर्ट पर उतरे तो उनका बहुत जोर-शोर से स्वागत किया गया. प्रशंसकों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया. मुंबई से कैमरा टीम उनके साथ आई थी, जो लगातार शूट किए जा रही थी. टर्मिनल से बाहर निकलकर सिंह कार में बैठ कर वहां से चल दिए. इस छोटे से प्रकरण ने, मौजूद लोगों के बीच खासी जिज्ञासा जगा दी थी. उनके वहां से निकलते ही सब अपने-अपने मोबाइल फोन पर तस्वीरें चेक करने लगे. सिंह के साथ आए उनके असिस्टेंट, कन्वेयर बेल्ट पर उनके सामान आने का इंतजार करने लगे. मुबई के मौसम की माफिक उन्होंने हलके-फुल्के गर्म कपड़े डाले हुए थे और अब भोपाल की सर्दी में वे बेतरह ठिठुर रहे थे.
सिंह के सहायकों और उनके मेक-अप मैन के साथ, मैं होटल पहुंची. दो घंटे बाद, मैं भी उनके कमरे के सामने जुटे इवेंट मैनेजर, मार्केटिंग के लोग, रिपोर्टर्स और बाकि के काफिले के साथ शामिल हो गई. ये सभी बॉलीवुड की प्रचार मशीन का हिस्सा थे. इस हलचल के केंद्र में, गले में प्लास्टिक के बैज पहने युवा लड़के-लड़कियों की एक छोटी सी टोली अपने स्मार्टफोन और लैपटॉप के साथ दिन के कार्यक्रम के इंतेजामातों में जुटी थी.
मुझे एक तुड़ामुड़ा सा कागज थमाया गया. ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्म, बाजीराव मस्तानी, जो कुछ ही हफ्तों में रिलीज होने वाली थी, के प्रचार के लिए सिंह भोपाल आए थे. उक्त फिल्म, अट्ठारवीं सदी में मराठा साम्राज्य के पेशवा, बाजीराव (रणवीर सिंह) और बुंदेलखंड की आधी मुसलमान राजकुमारी, मस्तानी (दीपिका पादुकोण) की मशहूर प्रेम कहानी पर आधारित है. भोपाल में सिंह का पूरा दिन, कार्यक्रमों से पटा पड़ा था. पहले उन्हें मीडिया और “पार्टनर” के कई समूहों को इंटरव्यू देने थे. उसके बाद उन्हें प्रेस कांफ्रेंस में हिस्सा लेना, एक स्थानीय प्रतिस्पर्धा के विजेताओं को पुरस्कार बांटना, सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम “मल्हारी” गाने का लोकार्पण करना और पास के मॉल में विजय यात्रा भी निकालनी थी. इस गाने को फिल्म की प्रचार सामग्री में, विजय-गान के रूप में प्रस्तुत किया गया था. इस बात की बहुत कम उम्मीद की जा रही थी कि सिंह मॉल या होटल से बाहर कहीं और भी जाएंगे क्योंकि उन्हें शाम चार बजे की फ्लाइट से मुंबई वापस लौटना था.
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