अगर सुशोभित करने वाले कपड़े, गंभीर चेहरे और मखमली कुर्सियां न होतीं तो डिजिटल इंडिया का शुभारंभ कार्यक्रम पॉप संगीत का दृश्य प्रस्तुत करता. जुलाई 2015 का पहला दिन था, प्रधानमंत्री के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम के प्रांगण में दाखिल होते ही भीड़ की ओर से जयकारे लगने लगे. उत्साह भरे प्रस्तुतिकरण से पहले बड़े परदे पर डिजिटल की जीवंतता के साथ-साथ प्रचंड इलेक्ट्रानिक संगीत बजने लगा. मंच कभी नीली, कभी पीली रोशनी से जगमगाता था. स्वंय मोदी चबूतरे पर बने मंच के बीच में बैठे, उनके दायें–बाएं वित्त मंत्री अरुण जेटली और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद थे और आसपास अधिकारियों का हुजूम था.
मोदी के पीछे ठीक दायीं तरफ पिछली कतार में लगभग अदृश्य व्यापारियों के बीच मुकेश अंबानी बैठे थे. जब इन लोगों के बोलने की बारी आई तो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चैयरमेन और भारत के सबसे धनी व्यक्ति अंबानी सबसे पहले गए. समारोह की ओर संकेत करते हुए अंबानी ने इसे “आधुनिक भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना” बताया और भारत के नेता की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, “भारत भाग्यशाली है कि उसके पास ऐसा प्रधानमंत्री है जो न केवल अत्यंत उत्तेजक और व्यापक नजरिया रखता है बल्कि उस नजरिए को वास्तविकता में ढालने का व्यक्तिगत नेतृत्व और ऊर्जा भी रखता है”. सफेद कलीदार जैकेट पहने हुए मोदी भावशून्य दृष्टि से आगे की तरफ नजर गड़ाए देखते रहे. अंबानी ने कहा “आमतौर पर उद्योग सरकार से तेज चलता है लेकिन डिजिटल इंडिया के साथ अब मामला भिन्न है. मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सरकार की रफ्तार तेज रही है”.
फिर अंबानी ने अपनी कंपनी की महत्वकांक्षा की बात की और बताया कि किस तरह इसने खुद को डिजिटल इंडिया के साथ जोड़ लिया है. रिलायंस दूरसंचार की पूरक कंपनी रिलायंस जियो की शुरूआत अभी नहीं हुई थी. फिर भी अंबानी ने सरकार के साथ साझेदारी करने और इसकी परियोजनाओं में 250000 करोड़ रुपए अथवा 39.29 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश करने का वादा किया. उन्होंने भारत के सभी राज्यों में अगली पीढ़ी के वायरलेस नेटवर्क बिछाने, 150000 खुदरा व्यापारियों को शामिल करते हुए राष्ट्रव्यापी कोशिकीय वितरण संजाल (सेल्यूलर डिस्ट्रीब्युशन नेटवर्क) का निर्माण करने, टेलीफोन निर्माताओं को देश में कारखाना स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने और छोटा व्यापार शुरू करने वालों की सहायता करने का वचन दिया. उन्होंने कहा “मेरा अनुमान है कि रिलायंस का डिजिटल इंडिया निवेश 500000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा”.
डिजिटल इंडिया कई परियोजनाओं का सम्मिश्रण है, जिसका उद्देश्य देश में संयोजन (कनेक्टिविटी) को बढ़ाना है. “डिजिटल सुविधा धारकों और वंचितों” के बीच के फर्क को समाप्त करने के प्रयास के तौर पर सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रोत्साहित यह पहलकदमी एक महत्वकांक्षी आधुनिकीकरण गतिविधि है.
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