नाथूराम गोडसे : नफरत का प्रचारक

ऐतिहासिक दस्तावेज साबित करते नाथूराम गोडसे और आरएसएस के संबंध

मोहनदास गांधी की हत्या के मुकदमे के दौरान नाथूराम गोडसे (बाएं) अपने वकील एलबी भोपटकर के साथ. एफपी
मोहनदास गांधी की हत्या के मुकदमे के दौरान नाथूराम गोडसे (बाएं) अपने वकील एलबी भोपटकर के साथ. एफपी

15 नवंबर 1949 की सुबह, फांसी लगने से पहले मोहनदास करमचंद गांधी का हत्यारा, हिंदू राष्ट्रवादी धर्मांध नाथूराम विनायक गोडसे एक प्रार्थना पढ़ रहा था :

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्.
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते.

(हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा नमन करता हूं.
तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है.
हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो.
मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूं.) 

संस्कृत में इन चार वाक्यों के पहले तीन वाक्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आधिकारिक प्रार्थना में इस्तेमाल होते हैं, जो आज तक संघ की शाखाओं में शारीरिक और वैचारिक प्रशिक्षण के दौरान पढ़ी जाती हैं.