सलमान खानः मासूम चेहरे के पीछे एक विवादास्पद शख्स

2017 में हल्की बूंदाबांदी में भीगी एक ठंडी शाम, मैं मुंबई के प्रख्यात यश राज फिल्म्स स्टूडियो (वाईआरएफ) के अंदर लगे कालीन वाले एक तंबू में बैठी इंतजार कर रही थी. तंबू स्टूडियो परिसर के एक कोने में लगा था और उसके बगल में एक वैनिटी वैन खड़ी थी. यह वैन उस आदमी की थी जिसका इंटरव्यू लेने मैं वहां आई थी. हिंदी फिल्म के इस सुपरस्टार ने आमिर और शाहरुख खान के साथ तीन दशकों तक फिल्म जगत पर राज किया है. जी हां, मैं सलमान का इंटरव्यू लेने वाली थी.

एक लंबी मेज पर आसन जमाए मैं बहुत देर से सलमान के आने का इंतजार कर रही थी कि अचानक आसपास हलचल होने लगी. मैंने अपने फोन से नजर हटाकर ऊपर देखा. सलमान तंबू के अंदर थे और मेरे सामने रखी एक कुर्सी पर बैठ गए. पांच-छह लोग उन्हें घेर कर खड़े हो गए. वे लोग उनसे कुछ पूछते, बाहर चले जाते, फोन पर बात करते और फिर अंदर आकर खड़े हो जाते.

सलमान की टीम के एक साथी ने मेरा परिचय देते हुए उन्हें याद दिलाया कि मैं उनका इंटरव्यू करने आई हूं. उसने सलमान को यह भी बताया कि मैं पहले भी उनसे मिल चुकी हूं. उनके चहरे का भाव पहले जैसा ही बना रहा. कहना मुश्किल था कि उन्हें मैं याद हूं या नहीं.

उस दिन वो यश राज स्टूडियो में बिग बॉस कार्यक्रम के 11वें संस्करण के प्रोमो की शूटिंग के लिए आए थे. इस कार्यक्रम को सलमान होस्ट करते हैं. यह अभी कलर्स चैनल पर चल रहा है. अभी मैं सोच रही थी कि इंटरव्यू कैसे शुरू किया जाए कि तभी एक प्रड्यूसर ने आकर सलमान को बताया कि वे लोग शूटिंग के लिए तैयार हैं और वो जब चाहे आ सकते हैं. तुरंत किसी को लगा कि सलमान को मेकअप की जरूरत है और एक मेकअप आर्टिस्ट आकर उनकी दाढ़ी और और मूंछों को संवारने लगा. मैं उनको देखती रही और फिर एक हल्की घबराहट के साथ मैंने पूछा, ‘‘क्या शुरू करें?’’ सलमान खान धीमे से मुस्कुराए और फिर अपने चेहरे की ओर दिखाते हुए इशारा किया कि मेकअप के साथ वह खुल कर मुझसे बात नहीं कर पाएंगे. एक मिनट या इससे थोड़ी देर बाद वह कुर्सी से उठे और मुझसे बिना कुछ कहे अपनी वैन के भीतर चले गए.

हिंदी फिल्मों के इतिहास में सबसे अधिक कमाई करने वाली 10 फिल्मों की फिल्म इंफोर्मेशन पत्रिका की सूची में 4 फिल्में सलमान खान की हैं. सलमान की इन चार फिल्मों की कुल कमाई 1042 करोड़ रुपए है. (आमिर खान की चार फिल्में भी इस सूची में है जिनकी कुल कमाई 1186 करोड़ रुपए है. सूची में एक फिल्म शाहरुख खान की है और शीर्ष स्थान हिंदी में डब तेलगू फिल्मी बाहुबली 2: द कन्क्लूजन को मिला है जिसकी अकेले की कमाई 510 करोड़ रुपए है.)

कमाई के साथ साथ सलमान की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. 2013 में एक कार्यक्रम में आमिर खान ने इस बात के बावजूद कि उनकी फिल्मों ने सलमान की फिल्मों से अच्छा प्रर्दशन किया है, यह घोषणा की थी कि सलमान ‘‘उनसे बड़े स्टार हैं. मुझे बहुत तैयारी करनी पड़ती है लेकिन सलमान को कुछ नहीं करना पड़ता. वह अपना बेल्ट हिलाएगा, चश्मा चढ़ा लेगा. बस फिल्म की सफलता के लिए इतना काफी है.’’ यह एकदम सही बात है. तीनों खानों में लोग सबसे अधिक सलमान की नकल करते हैं. लोग उनके जैसी टी-शर्ट, लेदर जैकेट और ब्रेसलेट पहनते हैं और ये लोग फिल्म में किसी बच्चे के पैदा होने पर, जो बड़ा होकर सलमान खान बनने वाला है, सिनेमा हॉल में शोर मचाने लगते हैं.

तो भी सलमान, आमिर और शाहरुख से अधिक विवादास्पद सुपरस्टार हैं. अपने करियर के पहले दो दशक तक तो उनकी पहचान एक बद्तमीज, बेअदब और गैर पेशेवर आदमी की थी. फिल्म जगत में आते ही सलमान खान ने प्रेस से दुश्मनी ले ली. उन्हें फिल्में मिलती रहीं क्योंकि उनका कोर फैन बेस वफादार बना रहा जिससे यह गारंटी रहती कि रिलीज वाले दिन फिल्म कमाई जरूर करेगी चाहे बाद में कमाई कम होने लगे.

लेकिन सलमान खान का गैर पेशेवर व्यवहार उनके साथ जुड़ी तीन घटनाओं के सामने बिलकुल फीका पड़ जाता है. इन घटनाओं में उन पर संभावित आपराधिक कृत के आरोप लगे. 1998 में हिरण के शिकार, जिसमें संरक्षित काले हिरण का शिकार भी शामिल है. इसके लिए पुलिस ने उन पर मामला दर्ज किया. सितंबर 2002 में मुंबई की एक बेकरी में कथित तौर पर उनकी कार की टक्कर के बाद उन पर हत्या का आरोप लगा. इस दुर्घटना में एक आदमी की मौत हो गई और चार अन्य घायल हुए. अभिनेत्री ऐश्वर्या राय ने उन पर गाली-गलौज करने और मारपीट करने का आरोप लगाया. यह एक मात्र ऐसी घटना है जिसमें महिलाओं के प्रति उनके हिंसक व्यवहार की अफवाहें बतौर तथ्य रिकॉर्ड में दर्ज हो पाईं. सलमान के खिलाफ शिकार करने और नशे की हालत में गाड़ी चलाने जैसे मामलों में केस दर्ज हुए. हालांकि इनमें से कई मामलों में वो बरी हो गए हैं लेकिन न्याय व्यवस्था के अलग अलग स्तरों में ये मामले विचाराधीन हैं या फैसले के खिलाफ अपील दायर है.

2000 और 2008 के बीच सलमान का करियर ढलान पर था. उस वक्त उनकी बहुत सी फिल्में बॉक्स आफिस पर पिट गईं. लेकिन उस दशक के अंत में उनकी किस्तम का सितारा चमकने लगा और इसकी शुरूआत हुई 2009 में रिलीज हुई फिल्म वॉन्टेड से.

2000 और 2008 के बीच सलमान का करियर ढलान पर था. कहा नहीं जा सकता कि इसकी वजह उनका गैर पेशेवराना व्यवहार, गलत फिल्मों का चयन और उनके गलत व्यवहार से प्रेस में उनका गलत चित्रण था या नहीं. उस वक्त उनकी बहुत सी फिल्में बॉक्स आफिस पर पिट गईं. लेकिन उस दशक के अंत में उनकी किस्तम का सितारा चमकने लगा और इसकी शुरूआत हुई 2009 में रिलीज हुई फिल्म वॉन्टेड से. अब वे अपनी फिल्मों का चयन बहुत सोच समझ कर करने लगे हैं और अपनी छवि को लेकर भी सतर्क हो गए हैं. इससे पहले वह अपने कामों के प्रबंधन के लिए पूरी तरह से परिवार पर निर्भर थे लेकिन अब उन्होंने इस काम के लिए पेशेवर टीम का सहारा लिया. साथ ही सलमान ने अपने नए चैरिटी बीइंग ह्यूमन- द सलमान खान फाउंडेशन- के बारे में धीरे धीरे लोगों को जगरुक करना शुरू किया. यह फाउंडेशन स्वास्थ्य उपचार और शिक्षा क्षेत्र में सक्रीय है और इसकी ब्रांडेड टी-शर्ट सलमान खान सार्वजनिक जगहों में पहनते हैं.

वाईआरएफ स्टूडियों में उन दो दिन जब मैं उनका इंटरव्यू ले रही थी, उनसे कभी एक मिनट बात होती और कभी 45 मिनट, तो मेरे मन में लगातार उनकी असहज करने वाली कथाएं आती रहतीं. मैंने इंटरव्यू कुछ सामान्य सवालों से शुरू किया. मैंने उनसे उनके सपनों, अकांक्षाओं और योजनाओं के बारे में जानना चाहा. ‘‘एक वक्त था जब हम लोग कहते थे पिक्चर मिलेगी तो मेहनत करेंगे. अब हम लोग कहते हैं कि मेहनत करेंगे तो पिक्चर मिलेगी.’’ वो आगे कहते हैं, ‘‘उनके साथी कलाकार अपने काम में इतने अच्छे थे कि लगता कि हमें तो कुछ आता जाता नहीं है. ऐसा लगता कि मैं सिर्फ किस्मत के दम पर चल सका और तब आपको को अपने हर शॉट को सम्मान देना पड़ता है.’’ फिर सलमान ने अधीर होने की अपनी छवि के बारे में बताया. अर्ध-दार्शनिक मुद्रा में सलमान ने बताया कि उनके कुछ साथी कलाकार मजाक मजाक में उन्हें ‘‘स्वामी सलमान’’ कहने लगे थे. ‘‘कभी कभी आप गुस्सा होते हैं, चिड़चिड़ाने लगते हैं लेकिन यदि खुद को कंट्रोल करते हैं और सोचते हैं कि यह अभी नहीं हुआ मेरे साथ, यह मेरे साथ एक साल पहले हुआ था तो अपने आप गुस्सा और निराशा खत्म हो जाती है. यह हासिल करना कठिन है लेकिन किया जा सकता है.

इससे पहले मैंने सलमान का इंटरव्यू टीवी के लिए किया था. आधे घंटे का वह इंटरव्यू सीधा सपाट, सवाल-जवाब वाला था. लेकिन वाईआरएफ स्टूडियो में मैंने उनको जो जी में आए कहने दिया. मैंने देखा कि कई बार सलमान वह सब भी बताने लगते थे जिसके बारे में पूछा ही नहीं गया. ‘‘अपने बुरे वक्त के लिए मैं खुद जिम्मेदार हूं कोई और नहीं’’ इंटरव्यू के दौरान एक बार उन्होंने अपने 2000 के दशक के बुरे वक्त को याद करते हुए कहा, ‘‘इसके लिए न खुदा, न मेरे चाहने वाले, कोई नहीं‘‘. उन्होंने आगे कहा, हर आदमी की अपनी किस्मत होती है और यह मेरा सफर है. न जाने यह कब तक जारी रहता है और जब यह खत्म होगा तो मान लेना पड़ेगा कि उतने ही वक्त तक के लिए ही था.’’ लेकिन उन्होंने जोर दे कर कहा कि ‘‘खुद की कामयाबी से मैं गाफिल नहीं बनूंगा और खुद को लगातार तरोताजा बनाए रखूंगा. थोड़ा सा कुछ और, थोड़ा सा कुछ और.’’

जो सलमान मेरे सामने बैठा था वह 9 साल पहले के सलमान से बहुत अलग था. उस सलमान का जो रवैया था वह उसकी बदनाम शोहरत से काफी मिलता था.

2008 के नवंबर में मैंने सलमान, कैटरीना, अनिल कपूर और जायद खान का साथ इंटरव्यू किया था. ये लोग निर्माता-निर्देशक सुभाष घई की फिल्म युवराज को प्रमोट कर रहे थे. यह इंटरव्यू दक्षिण दिल्ली के पांच सितारा होटल के लॉन में हो रहा था. उस वक्त मैं हेडलाइन्स टुडे के लिए काम करती थी जो आज इंडिया टुडे चैनल है.

इंटरव्यू के पहले 20 मिनट हंसी मजाक और गंभीर बातों में बीत गए. फिर मैंने सलमान से पूछा कि क्या पिछली फिल्म हिट न हाने की वजह से नई रिलीज को लेकर घबराए हुए हैं. जैसा कि अभी है जब युवराज रिलीज हो रही है और उनकी पिछली फिल्म गॉड तुस्सी ग्रेट हो बॉक्स ऑफिस में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी.

‘‘आप से ऐसा किसने कहा’’, भड़के सलमान ने मुझसे उलटा सवाल कर डाला. वहां का माहौल अचानक बदल गया. मेरी बगल में बैठीं कैटरीना कैफ ने फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘ओह नो’’. कपूर ने आगे झुक कर सलमान के कंधे पर अपना हाथ रखा दिया जैसे वह उन्हें शांत करना चाहते हों.

सलमान ने जोर देकर दोबारा पूछा, ‘‘आप से किसने कहा?’’

‘‘मैंने थिएटर के मालिकों से बात की है और व्यवसाय के जानकारों से भी,’’ मैंने धैर्य के साथ मुस्कुराते हुए जवाब दिया. डरी हुई कैटरीना ने अपना गला साफ किया.

फिर अचानक से सलमान के चहरे में लड़कों वाली नफरत फैल गई. सलमान ने चिढ़ाते हुए अपनी उंगली को होठों में रखा और झूठमूठ की शर्मिंदगी दिखाते हुए मुझे चुप हो जाने का इशारा किया. ऐसा लग रहा था कि वह मुझे डराने का प्रयास कर रहे हैं और उनको इस बात में मजा आ रहा था कि वे मुझे डराने में नाकामयाब रहे.

ऐसा होते वक्त आसपास के दूसरे कलाकार राहत महसूस करने लगे और एक साथ बातें करने लगे जैसे कि किसी संभावित टेंशन को खत्म करना चाहते हों. कैफ लंबा ‘‘ओहहहह’’ कहते हुए बोली, ‘‘कितनी बुरी बात है. तुम उसे रुला दोगी.’’ फिर सलमान की तरफ देखते हुए बोली, ‘‘मत रोओ, मत रोओ’’. जायद ने कहा, ‘‘मुंबई में वह बहुत बड़ी हिट थी’’. ‘‘गैइटी में’’- मुंबई का प्रसिद्ध सिनेमा हॉल- ‘‘यह फिल्म बहुत हिट हुई.’’ कपूर ने मजा लेते हुए कहा, ‘‘ये बहुत बड़ी हिट है, ये बहुत बड़ी हिट है.’’

इन लोगों की बातों के बीच में ही सलमान ने हंसते हुए लहराती आवाज में कहा, ‘‘हमारे दिमाग में, घर में ये बड़ी हिट है.’’

कैटरीन ने कहा, ‘‘अब बस, तुमने उसे रुला दिया. तुम बहुत बुरी हो, ऐना.’’ जब सलमान ने कहा कि ‘‘अर्रे, गॉड तुस्सी ग्रेट हो को गॉड भी नहीं चला सके’’ तो साफ था कि वे उस पल का मजा ले रहे हैं. बाकी के इंटरव्यू में सलमान खुशमिजाज रहे और सलमान और साथी कलाकारों ने बड़े ध्यान से जवाब दिए और इंटरव्यू का आनंद लिया.

1990 के दशक में सुभाष घई और सलमान के बीच हाथापाई की खबरों के बावजूद वो आज सलमान खान के सबसे बड़े समर्थकों में एक हैं. एएफपी/गैटी इमेजिस

इस गर्मी में जब मैं अनिल कपूर से उनके मुंबई के घर में मिली और उन्हें याद दिलाया कि कैसे वे लोग सलमान की आवभगत कर रहे थे. ‘‘सलमान में वो खासियत है कि आप उसका ख्याल रखना चाहते हैं’’, कपूर ने मुझसे कहा. (जब युवराज फिल्म रिलीज हुई थी तो सलमान की उम्र 42, कपूर की 52, कैटरीना की 25 और जायद की उम्र 28 साल थी.) ‘‘मैं आपको उंगली रखकर तो नहीं बता सकता कि ये बात है. उसके चहरे की मासूमियत, वो जैसा आदमी है, अपने कामों से वो जिस तरह की अच्छा व्यवहार बनाता है, उसका स्टाइल, शरारतें, बच्चों जैसी उसकी हरकतें. अपने को ज्यादा शाणा नहीं समझता है.’’

मानो सलमान को बच्चों जैसा कहना उस इंटरव्यू में उनके घमंड से भरे जवाबों की पर्याप्त सफाई है. लेकिन मेरे 23 साल के पत्रकारिता के करियर में न जाने कितनी मर्तबा सलमान के ऊलजलूल व्यवहारों और महिलाओं के साथ उनके संभावित आपराधिक व्यवहार के बचाव में यह सफाई दी गई है. उनके बचाव में दूसरी सफाई जो बार बार दोहराई जाती है वह है कि इस शख्स का ‘‘दिल सोने का है’’ और सलमान के बारे में राय उनके किए उपकारों से बनानी चाहिए न कि उनके कथित गलत व्यवहारों से. तीन दशकों से ये लोग यही बात कह रहे हैं और लगता है जैसे उन्हें दी गईं लाइनों से रट्टा लगा कर बोले जा रहे हैं.

सुभाष घई ऐसे ही लोगों में एक हैं. 2016 को सलमान खान ने जब कहा कि सुल्तान फिल्म की तैयारी के लिए शारीरिक व्यायाम इस कदर कठिन था कि उन्हें लगता था जैसे वह एक बलात्कार की शिकार औरत हैं, तो दुनिया भर में उनके इस बयान की आलोचना हुई. घई ने 51 साल के सलमान का बचाव यह कह कर किया कि ‘‘सलमान एक बच्चा है.’’ इस साल के शुरू में मुझसे बात करते हुए घई ने कहा, ‘‘जब मैं सलमान को बच्चा कहता हूं तो इस का मतलब है कि वो पॉलिटिकल करेक्ट होना नहीं जानता. वो नहीं समझ पाता कि उसके शब्दों का अंजाम होता है और कैसा अंजाम होगा.’’

शायद घई वह घटना भूल गए जो मेरे युवराज वाले के इंटरव्यू के बाद हुई थी और जिसमें वह खुद शामिल थे. जिससे मुझे इस बात के और सबूत मिले कि उनके आसपास के लोग उनसे कैसा व्यवहार करते हैं और उनको नाराज करने से डरते हैं. इंटरव्यू के बाद जब मैं अपने क्रू के पैकअप करने का इंतजार कर रही थी तब फिल्म का एक पब्लिसिस्ट सलमान को स्टार न्यूज (अब एबीपी न्यूज) के स्टूडियो में लाइव बातचीत के लिए चलने के लिए मनाने आया. साफ था कि बाकी के तीन कलाकार चलने को राजी थे और बस सलमान को मनाना पड़ रहा है. कैटरीना, जो उस वक्त सलमान की गर्लफ्रेंड थीं, उनको मनाने की कोशिश कर हार मान चुकी थीं.

वहां मौजूद रह कर मैंने देखा कि वह सलमान को कह रही थीं कि फिल्म के बारे में लोगों को बताने के लिए स्टूडियो में जाना अच्छा है. सलमान फिर भी नहीं माने. फिर घई आए. घई फिल्म जगत में बड़े आदमी हैं जो खुद अपनी सख्ती के लिए मशहूर हैं. घई कांपते हुए सलमान के सामने खड़े थे. उनके दोनों हाथ जुड़े हुए थे और वो सलमान को मान जाने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे. कर्ज जैसी अमर फिल्म और कालीचरण, हीरो, कर्मा, रामलखन, खलनायक और सौदागर जैसी कमाई करने वाली फिल्में बनाने वाले घई की 1999 में निर्देशित ताल के बाद कोई भी फिल्म हिट नहीं हुई थी और युवराज का हिट होना उनके लिए बेहद जरूरी बात थी. इसे उनकी बेचैनी ही कह सकते हैं कि एक पत्रकार की मौजूदगी की परवाह न करते हुए वे सलमान के आगे झोली फैलाए खड़े थे. ‘‘सलमान, प्लीज, हम लोगों को यह करना पड़ेगा. स्टूडियो जाने और यहां इंटरव्यू देने में बहुत फर्क है.’’ सलमान पर घई की बात का कोई असर नहीं हुआ. वो बोले, ‘‘जाओ जाकर स्टार न्यूज वालों को बोलो कि अपना स्टूडियो यहां होटल में लेकर आएं.’’ फिर मेरी ओर इशारा करते हुए बोले, ‘‘अगर ये यहां स्टूडियो लेकर आ सकती है तो वो लोग भी आ सकते हैं.’’

युवराज फिल्म में काम कर चुके फिल्म जगत से जुड़े एक आदमी से जब मैंने उस दिन घई के सलमान खान के आगे गिड़गिड़ाने वाली घटना का जिक्र किया तो उसने सलमान के बचाव में अक्सर दोहराया जाने वाली दूसरी दलील दीः जिनके साथ सलमान ऐसा करते हैं उन लोगों की ही गलती होती है. उस आदमी ने कहा, ‘‘सलमान घई को अच्छी तरह से जानते हैं. उनको अच्छी तरह मालूम है कि किसके साथ पंगा लेना चाहिए और किसके साथ नहीं. घई को भिखारियों की तरह नहीं गिड़गिड़ाना चाहिए. आखिर वो सुभाष घई है. जब तुम ऐसा व्यवहार करते हो तो फिर लोग आपके साथ ऐसे ही पेश आते हैं.’’

1999 में रिलीज हुई हम दिल दे चुके सनम की शूटिंग के दौरान ऐश्वर्या राय और सलमान करीब आए. राय एकमात्र महिला हैं जिन्होंने सार्वजनिक रूप से सलमान की मारपीट और गालीगलौज करने की बात मानी है.

पहले भी सलमान और घई बहुत बुरी तरह झगडे हैं. 1990 के आखिर में एक पार्टी में ढेर सारे लोगों के सामने दोनो ने हाथापाई की थी. यह लड़ाई अब बॉलीवुड की किवदंती बन चुकी है. इस उद्योग के बहुत सारे लोगों के साथ सलमान के संबंध ऐसे हैं जिसे स्टॉकहोम सिंड्रोम कहा जा सकता है. निर्देशक घई आज सलमान के सबसे बड़े समर्थक हैं जो सलमान की रेप वाली टिप्पणी के बाद भी उनका बचाव कर रहे हैं जब कि बाकी के लोग, बहुत कम ही ऐसा होता है, चुपचाप हैं.

ऐसे दशक में जब नारीवादी आंदोलन भारतीय मीडिया में थोड़ा बहुत दिखाई पड़ने लगा है, सलमान मर्दानगी की ऐसी मिसाल देते हैं जो समाज के अंदर अभी भी हावी है. जिस तरह सलमान के अंदर की बच्चों जैसी मासूमियत और चैरिटी के कामों की दुहाई देकर उनके दोस्त और साथी उनके गैर जिम्मेदाराना, हिंसक और अभद्र व्यवहार का बचाव करते हैं वह बताता है कि कितनी आसानी से ऐसे कृत्यों को माफ कर दिया जाता है और आम मान लिया जाता है. सलमान को समझना इस बात को देखना भी है कि वह संस्कृति जिसे नारीवादी ‘‘मर्दानगी का नशा’’ कहते हैं, भारत में कितने गहरे तक समाई हुई है और कैसे इस संस्कार को न केवल वो लोग जो इसके सबसे बड़े प्रतीक है फैला रहे हैं बल्कि चाहे-अनचाहे उनके दोस्त, परिवार वाले और साथी भी इसका प्रचार कर रहे हैं.

सलमान पर जब अपनी महिला दोस्तों के साथ मारपीट का आरोप लगा, उस वक्त उनके व्यवहार के प्रति लोगों की खामोशी घबरा देने वाली थी. सलमान की मारपीट की शिकार महिलाओं में संगीता बिजलानी और सोमी अली का नाम शामिल है. सोमी अली की आधिकारिक वेबसाइट में लिखा है कि सलमान के साथ उनका संबंध आठ साल तक- 1999 की दिसंबर तक चला. (इस आधिकारिक बायोग्राफी में जो तारीख बताई गई है उससे पता चलता है कि उस वक्त सोमी नाबालिग थीं और सलमान 25 साल के आसपास के थे.)

अली के साथ सलमान के हिंसक होने वाले किस्सों में वह किस्सा बहुत मशहूर है जिसमें लोगों के सामने ही सलमान ने अली के सिर पर कोक की बोतल तोड़ी थी. 2012 में न्यूयार्क टाइम्स के लिए सारा खान को दिए अपने इंटरव्यू में अली ने ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया लेकिन उस घटना के बारे में बहुत ही डरावनी जानकारी दी. अली ने बताया, ‘‘मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ बाहर गई थी और मैंने रम और कोक पी थी. सलमान को लगा कि मैं गलत लोगों की सोहबत में हूं और वो नहीं चाहते थे कि ड्रिंक करूं इसलिए उन्होंने टेबल पर उसे उड़ेल दिया. अब मैं सोचती हूं कि उन्होंने ठीक किया था.’’ अली ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि जो कुछ उन्होंने कहा है वह दिखाता है कि सलमान डराने वाले, नियंत्रण रखने वाले इंसान हैं और अली ने सलमान के उस ढोंग के बारे में भी कुछ नहीं जब नशे में मारपीट करने वाला एक इंसान अपनी गर्लफ्रेंड को ड्रिंक करने से रोक रहा है. उस इंटरव्यू में अली ने कहा, ‘‘वह मेरे प्रति हद से अधिक अच्छे थे...अगर उनकी धोखेबाजी को हटा कर उन्हें याद करूं तो.’’ इस साल के शुरू में टीवी एशिया के लिए, यह चैनल अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए है, एक साक्षत्कार में अदिती लांबा ने बिना अधिक सफाई दिए कहा, ‘‘सलमान के साथ मेरे संबंध बहुत अच्छे नहीं थे.’’

रोमांटिक संबंध में शारीरिक हिंसा के बारे में सलमान बहुत हल्के अंदाज में बातें करते हैं. यू ट्यूब में एक फैन क्लब ने सलमान ऐंग्री विद मीडिया 1998 नाम से एक वीडियो डाला है जिसमें सलमान कहते हैं, ‘‘क्या मैं तुम लोगों से पूछता हूं कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड कौन है और उसके साथ तुम्हारे संबंध कैसे हैं? तो तुम लोग मुझसे क्यों ये बात पूछते रहते हो. ये मेरा निजी जीवन है. मैं किसे मारता हूं, किसके साथ सोता हूं ये मेरी निजी समस्या है, तुम लोगों की नहीं.’’

जबकि इन संबंधों के बारे में बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है, ऐश्वर्या राय के साथ सलमान के संबंध के बारे में बहुत कुछ सामने आया है. खबरों के मुताबिक यह संबंध हम दिल दे चुके सनम की शूटिंग के वक्त बने थे. यह फिल्म 1999 में रिलीज हुई थी. यहां दो घटनाओं का उल्लेख जरूरी है. पहली घटना 2001 की है, जिसकी पुष्टि उस वक्त मुंबई पुलिस ने की थी. नशे में धुत्त सलमान ऐश्वर्या के घर उस वक्त गए थे जब वह अपने फ्लैट में नहीं थीं. सलमान ने फ्लैट की खिड़की के शीशे और फर्नीचर तोड़े. पुलिस ने इस बात की भी पुष्टि की कि राय के पिता ने सलमान के खिलाफ 27 दिसंबर को शिकायत दर्ज कराई है. एक दूसरी घटना में सलमान ने कुछ न कहो फिल्म की शूटिंग के दौरान अपनी कार से टक्कर मार कर राय की कार को तोड़ डाली थी. राय यह फिल्म अभिषेक बच्चन के साथ कर रही थीं जो 2003 में रिलीज हुई.

2002 में टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए एस. बालकृष्णन को दिए अपने एक इंटरव्यू में सलमान ने इन दोनों घटनाओं को माना है. उनका कहना था, ‘‘हां, हां, इन रिपोर्टों में सच्चाई है लेकिन बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताया गया है.’’ अपने व्यवहार के लिए उनका स्पष्टिकरण सकते में डालने वाला था. उन्होंने कहा, ‘‘अगर तुम लड़ते नहीं हो तो वहां प्यार नहीं हो सकता. मैं किसी बाहर वाले से नहीं लड़ सकता. जो भी लड़ाई और पॉजेसिवनेस मेरी और उनकी ओर से है वह प्यार के कारण है. कार को टक्कर मारना गलत था. लेकिन मैंने अपनी कार को टक्कर मारी. अब पुलिस कह रही है कि मैं उनके घर नहीं जा सकता.’’ सलमान ऐश्वर्या के साथ मारपीट करते हैं यह अफवाह तब और फैल गई जब एक अवॉर्ड कार्यक्रम में ऐश्वर्या हाथों में प्लास्टर लगाए और आंखों को काले चश्मे से ढके हुए पहुंचीं. लेकिन ऐश्वर्या ने यह कहा कि वह गिर पड़ी थीं जिससे उनको चोट आई है.

2002 में एक दूसरी घटना में अजीज मिर्जा की फिल्म चलते चलते के पुणे के नरायणगांव के सेट पर, जहां ऐश्वर्या शूटिंग कर रही थीं, सलमान पहुंचे और हंगामा मचा दिया. उस साल सितंबर में टाइम्स ऑफ इंडिया की अफसाना अहमद और स्मृति शर्मा से बातचीत में ऐश्वर्या ने स्वीकार किया कि मार्च में वह सलमान से अलग हो गईं हैं और तभी से सलमान उनका पीछा कर रहे हैं. उस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ‘‘सलमान को अजीज मिर्जा के सेट पर बुलाने की बात ऐश्वर्या ने नहीं मानी.’’ ‘‘बात दूसरी ही थी. सलमान ऐश्वर्या को लगातार फोन पर फोन कर रहे थे और वह जवाब नहीं दे रही थीं. ऐश्वर्या ने बताने से इनकार कर दिया कि वह कहां हैं लेकिन सलमान ने किसी को जगह का नाम बोलते सुन लिया. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि नशे में धुत्त सलमान सेट पर पहुंच गए और ऐश्वर्या को अपने साथ चलने के लिए कहने लगे. पहले तो उन्होंने इनकार किया फिर बाद में मान गईं.’’

राय का यह इंटरव्यू 27 सितंबर 2002 को प्रकाशित हुआ और दूसरे दिन सलमान की गाड़ी रात के अंधेरे में बांद्रा की अमेरिकन बेकरी से जा भिड़ी. सलमान के चाहने वाले किस कदर सलमान की हरकतों का बचाव करते हैं उसकी बानगी को जासिम खान की 2015 में प्रकाशित सलमान के गुणगान में लिखी किताब बीइंग सलमान में पढ़ा जा सकता है. किताब में लिखा है, ‘‘क्या यह महज एक इत्तेफाक था कि जिस दिन ब्रेकअप वाला ऐश्वर्या का इंटरव्यू टाइम्स ऑफ इंडिया में छपा उसके दूसरे दिन सलमान ने अपनी टोयोटा लैंड क्रूसर बांद्रा में भेड़ दी? इस हादसे में एक आदमी की जान गई और सलमान को इस गुनाह के लिए जेल जाना पड़ा. सलमान के बहुत से दोस्त और साथी उनके साथ अपनी एकता को दिखाने के लिए जेल पहुंचे लेकिन ऐश्वर्या नहीं आईं और इस तरह दोनों के रिश्ते का अंत हो गया.’’

सलमान के लिए इस बेचैन करने वाली दया को एक तरफ रखते हुए, किताब की लेखक ने यह तक नहीं देखा कि सलमान का हुड़दंग अगले साल तक जारी रहा. अप्रैल 2003 में उस वक्त के उभरते स्टार विवके ओबेराय ने जल्दबाजी में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को बताया कि सलमान ने नशे की हालत में उन्हें 41 बार फोन किया जिसमें वो विवके को गालियां दे रहे थे और धमका रहे थे. बताया जाता है कि विवेक उस वक्त ऐश्वर्या को डेट कर रहे थे. इसके कुछ दिनों बाद ऐश्वर्या ने विस्तार के साथ एक वक्तव्य जारी किया, बॉलीवुड के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था और सलमान के साथ अपने रिश्तों को दुःस्वप्न बताया और आरोप लगाया कि सलमान ने उनके साथ मौखिक और शारीरिक हिंसा की है.’’ अपने वक्तव्य में उन्होंने फिर पुष्टि की कि सलमान के साथ उनके संबंध दो साल पहले खत्म हो चुके हैं.

सलमान के सुप्रसिद्ध पटकथा लेखक पिता सलीम ने महिलाओं के साथ सलमान के व्यवहार का बचाव किया है. एपी

जैसा कि कहीं फसंने पर सलमान हमेशा करते हैं, उस वक्त भी सलमान ने मीडिया के सवालों का जवाब देने के लिए अपने परिवार को आगे कर दिया. वॉन्टेड की सफलता के थोड़े ही दिनों बाद जब मैं उनसे मुंबई के महबूब स्टूडियो में मिली तो मैंने उनसे पूछा कि राय के वक्तव्य के बारे में उनकी प्रतिक्रिया सालों बाद क्यों आई. प्रतिक्रिया देने में उन्होंने इतने साल क्यों लगा दिया? सलमान ने जवाब दिया, ‘‘आदमी को अपनी एक्स के बारे में कभी बात नहीं करनी चाहिए.’’ मैंने उनसे कहा कि उनके जैसे सार्वजनिक पहचान वाले आदमी को घरेलू हिंसा जैसे जरूरी सामाजिक विषयों पर जरूर बोलना चाहिए. सलमान के कहा, ‘‘तुम जब खुद को सही साबित करते हो तो दूसरे को गलत दिखाते हो.’’ आगे वे कहते हैं, ‘‘आदमी सफाई देने में किसी भी हद तक जा सकता है. लेकिन औरत एक सीमा में रह कर ही सफाई दे सकती है क्योंकि लोग बोलेंगे कि कितना बोलेगी? आदमी हद पार कर सकता है. मुझे नहीं लगता कि ऐसा करना ठीक है. तो फिर ऐसे मामलों में चुप हो जाना सबसे अच्छा है और मुझे यकीन है कि जिसने भी जो कुछ भी कहा है उसके पीछे कारण रहे होंगे.’’

लेकिन सलमान के सुप्रसिद्ध पटकथा लेखक पिता सलीम ने महिलाओं के साथ सलमान के व्यवहार का बचाव महिलाओं के प्रति अपमान भरे लहजे में किया है. पिंकवाला वेवसाइट ने 2001 में सिने ब्लिट्ज में प्रकाशित सलीम के इंटरव्यू के हवाले से कहा है कि सलीम कहते है ‘‘क्या लोग उस लड़के में एक भी अच्छाई नहीं देख पाते?’’ वो आगे कहते हैं, ‘‘सलमान ने बहुत सी लड़कियों के साथ अंतरंग प्रेम किया होगा. क्या कभी आपने उन लड़कियों के बारे में सलमान को कुछ गलत कहते सुना है? तब भी जब उसे भड़काया जाता है. हमारे परिवार में औरतों को सम्मान देने की परंपरा है. सलमान ने अपने अब्बा को ऐसा करते देखा है. अगर सलमान घर में कोई पार्टी देता है तो मैं खुद महिला मेहमानों को कार तक छोड़ने जाता हूं. और ऐसा ही सलमान करता है.’’ ‘‘उसकी एक्स गर्लफ्रेंड्स समाचार पत्रों में कहती हैं कि उसके साथ रहना मुश्किल है. मैं पूछता हूं कि ऐसा था तो उसके साथ सात साल क्यों रही.’’

2012 में जासिम खान को दिए एक इंटरव्यू में सलमान ने इस बारे में अपना ही जवाब दिया. यह इंटरव्यू को जासिम की किताब बीइंग सलमान में कोट किया गया है. वो कहते हैं, ‘‘जिन लड़कियों को सलमान ने दिल दिया उनमें से कोई भी लड़की उसका परिवार नहीं चलाना चाहती थी. ये उसके जीवन में आईं ताकि सलमान के सहारे ऊपर तक पहुंच सकें. उनको सिर्फ अपने करियर की पड़ी थी. ये सब सलमान के कंधे पर चढ़ कर शीर्ष में पहुंचना चाहती थीं. वो कितनी सफल हुई ये अलग मामला है. लेकिन उनको सिर्फ स्टारडम दिखाई देता था. तो ये लड़किया कभी सलमान के साथ घर बसाना नहीं चाहती थीं.’’ उनके ये शब्द सलमान को फिर एक बार पीड़ित की तरह पेश करते हैं न कि हिंसा के अपराधी की तरह.

इस साल जब मैंने निर्देशक शशिलाल नायर से बात की तो उन्होंने भी ऐश्वर्या राय के साथ सलामन की कथित मारपीट के पक्ष में बेचैन करने वाली दलील दी. ‘‘गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के बीच बहुत कुछ चलता है. किसी बात पर अगर आपका हाथ उठ जाए या आप की आवाज तेज हो जाए तो मैं नहीं मानता कि यह कोई बड़ी बात है. ये एक सामान्य सी बात है.’’ मैंने उनसे दोबारा पूछा कि क्या वो कहना चाहते हैं कि घरेलू हिंसा स्वीकार्य है, तो उन्होंने कहा, ‘‘एक पल के लिए आप आपा खो बैठते हैं लेकिन इससे यह नहीं मान लेना चाहिए कि वह आदमी महिलाओं को मारने पीटने वाला इंसान है.’’

नायर से अधिक संतुलित बात शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने की. शिल्पा ने सलमान के साथ छह फिल्में की हैं. शिल्पा ने सलमान के साथ जुड़ी महिलाओं पर सवालिया निशान नहीं लगाए और सलमान की भी निंदा नहीं की. शिल्पा ने बताया कि जब सलमान से उन्होंने अरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने हंस कर टाल दिया. ‘‘उसने कहा, ‘तुम्हें लगता है कि मैं औरतों पर हाथ उठाउंगा?’ वो सच में औरतों की इज्जत करता है. मैंने उसे अपनी मां, बहन और अन्य औरतों के साथ देखा है. वो औरतों का कुछ ज्यादा ही बचाव करता है.’’ शिल्पा आगे कहती हैं, ‘‘किसी भी संबंध के बारे में केवल वे ही लोग बता सकते हैं जिनके बीच यह संबंध होता है. मैं यकीनन उसके पक्ष में नहीं बोल रही. मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैंने कभी सलमान को औरतों को मारते-पीटते नहीं देखा. इससे अधिक मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती.’’

2003 की तेरे नाम सलमान के दीवानों के लिए उनके करियर की सबसे जबरदस्त फिल्म थी. देश भर में सलमान के लाखों चाहने वाले राधे की स्टाइल में बालों की मिडिल पार्टिंग करने लगे. वियोजयानंद गुप्ता/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

ऐसा लगता है कि 2003 में आई तेरे नाम फिल्म से, जिसका निर्देशन सतीश कौशिक ने किया था, सलमान खान अपनी इस छवि के लिए प्रेरणा लेते हैं. फिल्म की कहानी का नायक एक गुंडा राधे है जो एक कॉलेज में पढ़ने वाली परांपरिक लड़की के प्यार में पागल है. प्यार को हासिल करने के लिए वह उस लड़की का अपहरण कर लेता है. जब इस साल के शुरू में कौशिक से मैंने पूछा कि उन्होंने क्यों राधे की हिंसा को रूमानी ढंग से पेश किया और इस बात का उन चाहने वालों पर कैसा असर पड़ेगा, जो सलमान की हर बात की नकल करते हैं तो निर्देशक का कहना था, ‘‘फिल्म हिंसा को रूमानी तौर पर पेश नहीं करती बल्कि यह राधे के भीतरी जख्मों को दिखाती है.’’ वो आगे कहते हैं, ‘‘जब आप अंदर से जख्मी होते हो तब इसे जाहिर करने के लिए बाहर बहुत कुछ करते हो. राधे कभी भी निरंजना को नहीं मारता. वो मारने के लिए होता है लेकिन खुद को रोक लेता है और अपने आप को मारने लगता है.’’ कौशिक ने इस बात को नोट नहीं किया कि इस सीन से पहले राधे उस लड़की को कस कर पकड़ता है, उसे जबरदस्ती कार में डालता है, घसीटता है और एक जगह ले जा कर कुर्सी से बांध देता है और बदतमीजी करता है. इसके बाद वह लड़की पर हाथ उठाने को होता है लेकिन खुद को रोक लेता है.

नागपुर की ट्रैवल एजेंसी में काम करने वाली तेजतर्रार तृप्ति श्रीवास्तव से जब मैंने बात की तो मुझे तेरे नाम और बॉलीवुड का घरेलू हिंसा के बारे में जो उदासीन रुख है, उसका एहसास हुआ. श्रीवास्तव सलमान की जबरदस्त फैन हैं और उनके नाम पर बने एक चैरिटेबिल संस्था की कोषाध्यक्ष भी. यह संस्था अभी रजिस्टर नहीं हुई है. श्रीवास्तव ने मुझे शान घोष नाम नाम के सलमान के हमशक्ल से मिलाया जिस पर 2014 में बीइंग भाईजान नाम की डॉक्यूमेंट्री भी बनी है. श्रीवास्तव ने कहा कि उसे इस बात का पक्का विश्वास है कि गुस्सैल सलमान ने अपनी गर्लफ्रेंड्स को पीटा होगा. हालांकि वो मारपीट का समर्थन नहीं करती लेकिन कहती है कि गलती उन लड़कियों की भी है जो सलमान को नहीं रोकती या उनको नहीं छोड़ देतीं. वह कहती है, ‘‘जब तक उसकी जरूरत है तो मारपीट से कोई फर्क नहीं पड़ता. जब उसकी कोई जरूरत नहीं है तो दुनिया को बता रही हैं कि वो उनको मारता पीटता है.’’ फिर श्रीवास्वन ने कहा, ‘‘हमारे देश में ऐसे कितने परिवार हैं जहां आदमी अपनी औरतौं को पीटते हैं. इसमें बाहर वाले कुछ नहीं कर सकते. ये औरत और मारपीट करने वाले उस आदमी के घर वालों की जिम्मेदारी है कि उसे रोकें और बदलें.

श्रीवास्तव की यह टिप्पणी विशेष रूप से असहज करने वाली है क्योंकि सलमान के चाहने वालों के बीच ऐसे किस्सों की भरमार है जहां सलमान को अपना आदर्श मानने वाले, उनके हावभाव की नकल करने वाले प्रेमिकाओं के प्यार में पागल लोग सलमान के साथ यह मानते हुए सहानुभूति रखते है कि वे उस दुनिया के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे जो उन्हें समझा नहीं सकती- ये लोग मानते हैं कि दुनिया सलमान को समझने में असफल रही है. बॉक्स आफिस में तेरे नाम ने सामान्य से अधिक कमाई की लेकिन सलमान के दीवानों के लिए यह उनके करियर की सबसे जबरदस्त फिल्म थी. देश भर में सलमान के लाखों चाहने वाले राधे की स्टाइल में बालों की मिडिल पार्टिंग करने लगे. ये ठीक वैसा ही था जब प्यार किया तो डरना क्या के बाद सलमान के फैन्स बॉडीबिल्डिंग करने लगे थे. उस फिल्म में पहली दफा सलमान ने दुनिया के सामने अपने शर्ट उतार कर अपने जिस्म को दिखाया था. 

सलमान के पिता चाहते थे​ कि सोहेल खान एक्टर बने और सलमान निर्देशक. 1988 में बीवी हो तो ऐसी में एक्टिंग करने से पहले सलमान ने फिल्म निर्माता शशिलाल नायर के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया था. इंडियन एक्सप्रेस आर्काइव

सलमान का पूरा नाम अब्दुल राशीद सलीम सलमान खान है. उनका जन्म 27 दिसंबर 1965 को इंदौर में हुआ था. और उनके जन्म से 2 महीने पहले दिल्ली में शाहरुख खान और 9 महीने बाद में मुंबई में आमिर खान पैदा हुए थे. सलमान के पूरे नाम का एक हिस्सा परिवार से आता है. उनके दादा का नाम अब्दुल राशीद खान था. उनके पिता एक जमाने में एक्टर बनना चाहते थे. बाद में वह प्रसिद्ध पटकथा लेखक जोड़ी सलीम-जावेद के सलीम के नाम से मशहूर हुए. सलमान की मां का नाम सलमा खान है. शादी से पहले उनका नाम सुशीला चरक था. वह सलीम खान की पहली बीवी हैं. दोनों के और भी 3 बच्चे हैं अरबाज, सोहेल और अलवीरा. जब सलमान किशोर थे सलीम ने दूसरी बार शादी कर ली. उनकी दूसरी बीवी एक जमाने में बॉलीवुड की मशहूर डांसर हेलन हैं. इसके कुछ ही दिनों बाद इस परिवार ने एक बच्ची को गोद ले लिया. उसका नाम अर्पिता है.

सलमान ने ग्वालियर के सिधिंया स्कूल और मुंबई के सेंट स्टेनिस्लास में पढ़ाई की. बाद में उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन पढ़ाई बीच में छोड़ दी. यहीं से उनके औपचारिक अध्ययन का अंत हो गया. पढ़ाई में सलमान की कोई दिलचस्पी नहीं थी. उन्होंने मुझे बताया, ‘‘17 साल की उम्र में वह निर्माताओं के दफ्तरों के चक्कर लगाने लगे थे. वह एक्टिंग का काम मांगने नहीं जाते थे बल्कि निर्माताओं को पास अपनी लिखी स्क्रिप्ट दिखाने जाते जिन पर वह फिल्म बनाना चाहते थे. 35 साल पहले के अपने उन दिनों को याद करते हुए सलमान ने मुझे चालू हिंदी के छौंक वाली फर्राटेदार अंग्रेजी में बताया, ‘‘मैं बच्चा था, यार. तो कौन मुझ पर एक करोड़ रुपए की फिल्म का भरोसा करता. मैं जहां भी जाता लोग मुझे टरकाने के लिए कहते कि एक्टर बन जाओ’’. जल्द ही इस युवा को यह एहसास होने लगा कि कहीं उसके भाग्य में एक्टर बनना तो नहीं लिखा है. ‘‘जब 15-20 लोगों ने मुझे यही बात कही तो मुझे लगा कि लोग मेरे अंदर उन लोगों को कुछ दिखता है. बाद में मुझे समझ आया कि मुझे टालने के लिए वह ऐसा कह रहे थे. मैंने कहा ठीक है अब तो यही करूंगा देखता हूं. तब मैंने फैसला लिया कि अगर एक साल के अंदर हो जाता है तो ठीक है नहीं तो कुछ और करूंगा.’’

सलमान के सामने जो पहली बाधा थी वह खुद उनके पिता सलीम थे जो उन्हें अभिनेता के तौर पर नहीं देख पा रहे थे. वरिष्ठ पत्रकार राउफ अहमद खान के बांद्रा वाले घर का एक किस्सा सुनाते हैं जिसमें सलीम ने अपने बेटों के लिए उनकी योजनाओं के बारे में बताया था. परिवार सोहेल को एक्टर, अरबाज को एक्टर या निर्देशक और सलमान को निर्देशक बनाने की सोच रहा था. मई में राउफ से हुई मेरी बातचीत में उन्होंने बताया कि एक बार डिनर के वक्त सलमान ने राउफ की बीवी को अपनी तस्वीरें दिखाईं और बोले जब संजय दत्त हीरो बन सकता है तो मुझमें क्या कमी है. सलीम साहब ने उनको डांटते हुए कहा अपना वक्त बर्बाद मत करो. हमने तय कर लिया है कि तुम निर्देशक ही बनोगे.

अहमद ने सलीम की इस सोच के बारे में यह तर्क दिया कि ‘‘सलमान ठिगने कद के आदमी थे. उस वक्त सलमान का बदन आज की तरह नहीं था. और उस वक्त के बड़े सितारे- अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और उनके बाद के कलाकार लंबे कद के लोग थे.’’

1980 के दशक में जब सलमान 16 साल के थे तो उन्होंने अपना पहला टीवी विज्ञापन किया था. वह विज्ञापन उस वक्त के लोकप्रिय सॉफ्ट ड्रिंक कैम्पा कोला का था. फोटो साभार कैलाश सुरेन्द्रनाथ

एक्टिंग में हाथ आजमाइश से पहले सलमान ने एक मॉडल के रूप में कुछ हद तक सफलता पा ली थी. अहमद को ठीक से याद तो नहीं है लेकिन उन्होंने बताया कि जब सलमान केवल 14 साल का थे तब उन्होंने एक पांच सितारा होटल के एक कार्यक्रम में बैक-अप डांसर के काम से 75 रुपए कमाए थे. 1980 के दशक में जब वह 16 साल के थे तो उन्होंने अपना पहला टीवी विज्ञापन किया था. वह विज्ञापन उस वक्त के लोकप्रिय सॉफ्ट ड्रिंक कैम्पा कोला का था जिसे जानेमाने एड फिल्ममेकर कैलाश सुरेन्द्रनाथ ने अंडमान द्वीप में शूट किया था. कैलाश और तब की उनकी गर्लफ्रेन्ड आरती गुप्ता को ‘‘मुझे इंडस्ट्री में लाने का श्रेय जाता है’’, सलमान ने मुझे बताया. ‘‘उन लोगों ने कैमरे के सामने मुझे पहला काम दिया.’’

सलमान ने एक टीन ब्लॉगर हानी चवन को जून में बताया था कि बांद्रा के होटल सी रॉक के स्वीमिंग पूल के करीब से जब एक लड़की गुजर रही थी तो उसे इम्प्रेस करने के लिए वो स्वीमिंग पूल में कूद गए और पानी के नीचे एक छोर से दूसरे छोर तक तैरने लगे. वह महिला, आरती, सलमान के प्रदर्शन की कायल हो गई. कैलाश, अब आरती के पति, एक एड फिल्म में काम कर रहे थे जिसमें उनको पानी के नीचे तैर सकने वाले मॉडल की जरूरत थी.

सलमान को विज्ञापन के लिए 750 रुपए मिले थे. इसके बाद सलमान के कैलाश के साथ और भी विज्ञापन किए और इन विज्ञापनों के लिए सलमान को प्रति विज्ञापन 1500 रुपए मिलता था. प्रसाद गोरी/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

सुरेन्द्रनाथ परिवार इस घटना को थोड़ा अलग ढंग से बताता है जो सुनने में मजेदार तो है लेकिन ऐसा होना संयोग था नहीं लगता. उस दिन आरती सलमान से मिली तो थीं लेकिन वह उन्हें पहले से जानती थीं क्योंकि सी रॉक में एक क्लाब को चलाने वाले आरती के पिता सलमान के पिता सलीम के दोस्त थे और उन्होंने आरती को सलमान की पैरवी करने के लिए कहा था. जब मैंने आरती से मुंबई के उनके घर में फोन पर बातचीत की तो वो सलमान की इस ‘‘बढ़ी चढ़ी’’ और ‘‘नाटकीय’’ प्रस्तुति पर हंसने लगीं. आरती ने बताया कि कैलाश की टीम को अच्छे युवा गोताखोर मॉडल की बहुत जरूरत थी. एक दिन आरती उस लड़के को देखने गईं जिसके बारे में उनके पिता ने कहा था कि ‘‘वह बहुत स्वीट लड़का है.’’ आरती ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी जिसे पहन कर वह शूटिंग कर रही थीं. आरती के पिता ने सलमान को कहा था कि ‘‘मैं आ रही हूं और उन्हें मुझसे मिलना चाहिए’’. सीढ़ियों से उतरते वक्त, आरती बताती हैं, ‘‘मैंने एक वी-शेप वाले गोताखोर को देखा जिसने परफेक्ट छलांग मारी और जैसे ही मैं वहां से गुजरी वो पानी के अंदर एक सांस में यहां से वहां तैर गया. मैंने खुद से कहा, ‘चलो लड़का मिल गया’.’’

आरती पर सलमान ने अच्छा असर डाला लेकिन जब वह कैलाश से मिले तो कैलाश उनसे इंप्रेस नहीं हुए. आरती हंसते हुए याद करती है कि कैलाश ने उनसे कहा था, ‘‘तुमने एक बच्चे को भेजा है’’. आरती ने दृढ़ता से जवाब, ‘‘अरे तुम उसकी शर्ट उतरवाओ, उसकी बॉडी तैराकों वाली है’’. कैलाश ने ऐसा ही किया और वो भी मान गए.

सलमान याद करते हैं कि उन्हें इस विज्ञापन के लिए 750 रुपए मिले थे. इसके बाद सलमान के कैलाश के साथ और भी विज्ञापन किए और इन विज्ञापनों के लिए सलमान को प्रति विज्ञापन 1500 रुपए मिले. सलमान ने कैलाश के साथ जो विज्ञापन किए उनमें लखानी जूते-चप्पल के वो विज्ञापन भी थे जिसमें संगीता बिजलानी ने साथ काम किया था. कैलाश बताने हैं कि संगीता को अधिक पैसे मिले थे क्योंकि वह मिस इंडिया जीत चुकी थीं और एक स्थापित मॉडल थीं.

मॉडल के रूप में सलमान अच्छा काम कर रहे थे लेकिन उनके एक्टिंग करियर को लेकर सलीम अभी भी संशय में थे. सलमान ने मुझे बताया, ‘‘जब मैंने अपने पिता को कहा कि मैं एक्टिंग करना चाहता हूं तो उन्होंने पूछा, ‘तुम मोहल्ले के दादा बन सकते हो?’ मैंने कहा नहीं. ‘तुम पुलिसवाले बन सकते हो?’ तो मैंने कहा, नहीं. ‘जज?’ नहीं. ‘वकील?’ नहीं. उस वक्त ऐसी ही फिल्म बन रहीं थीं. ‘वो बन सकते हो कि 10 आदमियों को उठा के फेंक दो? नहीं. उस वक्त मेरा वजन 50 किलो था.’’

यह सोच कर कि कैमरे के पीछे रह कर काम करने से कैमरे के सामने काम करने के बारे में ज्यादा पता चलेगा 1980 के मध्य में सलमान शशिलाल नायर के असिस्टेंट डायरेक्टर बन गए. नायर ने मुझे अपनी तीन फिल्मों के बारे में बताया जिनमें सलमान ने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया था हालांकि फिल्म के क्रेडिट में उनका नाम नहीं है: परिवार (जिसमें मिथुन चक्रवर्ती और मीनाक्षी शेषाद्रि ने काम किया था यह फिल्म 1987 में रिलीज हुई थी), पलक (जिसे सलीम खान ने लिखा था और राखी गुलजार और जैकी श्रॉफ ने काम किया था. यह फिल्म 1988 में रिलीज हुई) और 1990 की में आई क्रोध (इस फिल्म में संजय दत्त, सनी देओल, अमृता सिंह, और सोनम ने काम किया था.) असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में सलमान का काम था कलाकारों को उनके मेकअप रूम से लेकर आना और दूसरे छोटे-मोटे काम. इन कामों के बाद सलमान खान की ‘‘पदोन्नति सीन में क्लैप देने और कंटिन्यूटी लिखने के काम में में गई’’. 

फोटो साभार कैलाश सुरेन्द्रनाथ

नायर सलमान को एक मेहनती युवा लड़के के रूप में याद करते हैं जिसे अच्छे कपड़े पहनने का शौक था. वह जींस की अच्छी पैंट और स्टाइलिश जूते पहनता था. इस वक्त तक सलमान रेग्युलर जिम जाने लगे थे. नायर अब याद करते हैं कि सलमान अक्सर उस वक्त की अपनी गर्लफ्रेंड संगीता बिजलानी को शूटिंग में लाया करते थे और ‘‘हीरोइन के रूप में उन्हें काम देने के लिए मुझसे कहा करते थे. उस वक्त भी उनके अंदर यह बात थी कि वह लोगों को प्रमोट करते थे.’’ इस युवा लड़के ने सेट पर अच्छी छाप छोड़ी. जब सनी और संजय के साथ शूटिंग चल रही थी तो क्रू के लोग सलमान को संजय दत्त समझ लेते थे. नायर बताते हैं कि “जब यह बात मैंने सलमान के पिता को बताई तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं सलमान को यह बात ना बताऊं ताकि उनका ध्यान न भटके और वह लगन के साथ काम में लगे रहे.”

नायर याद करते हैं कि फिल्म जगत में सलमान खान की शुरुआत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी. 1988 की बीवी हो तो ऐसी फिल्म के डायरेक्टर जेके बिहारी के साथ उनके संबंध ठीक नहीं रहे. इस फिल्म में रेखा और फारुख ने काम किया था और सलमान ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत इस फिल्म से की थी. शूटिंग के दौरान नायर बताते हैं कि निर्देशक अक्सर उनसे सलमान की शिकायत करते थे. बिहारी कहते थे कि यह लड़का सेट पर आता है और सो जाता है और जब उसका शॉट तैयार होता है तब जागता है. इसका किसी काम में मन नहीं है. वो बताते हैं कि उन्होंने जब सलमान खान से इस बारे में बात की तो सलमान का कहना था कि निर्देशक को कुछ नहीं पता वह जिस तरह से फिल्म बना रहे हैं मुझे नहीं लगता कि मुझे फिल्म में काम करना चाहिए.

फिल्म की शूटिंग के बाद भी सलमान खान और बिहारी के बीच नोक झोंक जारी रही और बिहारी ने सलमान खान की आवाज को डब करने के लिए एक दूसरे कलाकार को लगाया. नायर याद करते हैं कि उन्होंने डायरेक्टर से कहा था एक न्यूकमर के लिए तुम ऐसा नहीं कर सकते. उसके जवाब में निर्देशक ने कहा, ‘‘तुम उस लड़के की आवाज सुनो, ऐसा लगता है जैसे कोई लड़की बोल रही है. और मैं डायरेक्टर हूं मैं यह तय कर सकता हूं.’’ नायर बताते हैं कि सलमान को इस फिल्म में अपने काम को लेकर बहुत शर्मिंदगी थी.

बीवी हो तो ऐसी बन ही रही थी और उसी वक्त सलमान को एक ऐसे रोल में लेने का विचार चल रहा था जो उन्हें स्टारडम में पहुंचाने वाला था. वह रोल था प्रेम का, निर्देशक के रूप में सूरज बड़जात्या की पहली फिल्म मैने प्यार किया में. सलमान याद करते हैं कि एक्टर के रूप में उनका आत्मविश्वास खत्म हो चुका था. सलमान बताते हैं, ‘‘मैंने सूरज से कहा मैं अच्छा नहीं लगता, मैं तुम्हारा असिस्टेंट डायरेक्टर बन जाता हूं. लेकिन तुम अपनी फिल्म में मुझे लेकर इसे बर्बाद मत करो. बड़जात्या ने सलमान से कहा, ‘‘अरे तुम्हारी आंखें इतनी बड़ी बड़ी क्यों दिख रही हैं. मैंने कहा, ‘‘बॉस मुझे नहीं पता यह बात तुम्हें पता होनी चाहिए. डायरेक्टर ने सलमान से कहा, ‘‘तुम प्रेम हो और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. जब हमारी फिल्म आएगी वह अपने आप बोलेगी.’’ सलमान सूरज को ‘‘एक विनम्र लड़के के रूप में याद करते हैं जो मानसिक रूप से इस संसार का सबसे मजबूत आदमी था.’’ 2014 में मैंने प्यार किया की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक इंटरव्यू में बड़जात्या ने रिडेफ को बताया, ‘‘मुझे याद है सलमान रिसेप्शन में बैठे हुए थे. बहुत दुबले पतले थे. मैंने सोचा बहुत सामान्य सा आदमी है. फिर उसने मुझे अपनी तस्वीरें दिखाई. क्या शानदार तस्वीरें थीं. जिस तरह से वह पोज देने के बैठा था वह जादुई था. उनका ऑडिशन और नाचना बहुत खराब था लेकिन उनकी तस्वीरें सुंदर थीं.

बीवी हो तो ऐसी के बाद सलमान ने सूरज बड़जात्या की मैंने प्यार किया में काम किया. मीडिया ने सलमान खान के स्टारडम को सलमैनिया नाम दिया. इंडियन एक्सप्रेस आर्काइव

लेकिन बड़जात्या सलमान की प्रतिभा मात्र से इंप्रेस नहीं हुए थे. ‘‘वह अपने दोस्तों को मेरे पास भेजता और बोलता कि मैं अच्छा नहीं हूं इसे ले लो. उसकी अच्छाई के चलते हमने चांस लिया और उसको हीरो बना लिया.’’

सलमान याद करते हैं कि मैंने प्यार किया के लिए उन्हें 31000 रुपए का ऑफर मिला था जो फिल्म के बीच में ही 75000 रुपए कर दिया गया था. यशराज स्टूडियो में हम उनके विवादों की बात कर ही रहे थे कि कलर्स फिल्म्स का एक प्रतिनिधि आ गया जिसने सलमान को बताया कि क्रू ने बिग बॉस के प्रोमो की शूटिंग की तैयारी कर ली है. एक झटके में सलमान हमारी बातचीत के सम्मोहन से बाहर आ गए. वह कुर्सी से उठे और बिना कुछ कहे सेट की ओर चलने लगे. अब वो 1980 में नहीं खोए हुए थे. अपनी सफलताओं की यादों में डूबे हुए नहीं थे. वह वर्तमान के एक मेगास्टार थे जिसका वक्त बेहद कीमती है. इस हफ्ते उन्होंने एक जर्नलिस्ट के सवालों का जवाब दिया था, टेलिविजन के एक प्रोड्यूसर ने उन पर करोड़ों रुपए खर्च किए थे और शिकार के मामले में उन्हें कुछ दिन पहले जोधपुर की अदालत में पेश होना पड़ा था और बहुत सारी मीटिंग थी जो उन्हें अबू धाबी में कैटरीना कैफ के साथ टाइगर जिंदा है फिल्म कि 50 दिन की शूटिंग से पहले करनी थी.

1970 और 80 के दशक के भारतीय फिल्म जगत में गुस्सा हावी था. अमिताभ को आदर्श मानने वाले गुस्सैल एंग्री यंग मैन हीरो इस दौर फिल्मों में छाए हुए थे. जैकी श्रॉफ, संजय दत्त, सनी देओल और अनिल कपूर जैसे अन्य कलाकारों ने अमिताभ का अनुसरण किया. फिर 1988 में नासिर हुसैन ने अपने बेटे मंसूर खान के निर्देशन में बनने वाली पहली फिल्म कयामत से कयामत तक का निर्माण किया. यह फिल्म शेक्सपियर के नाटक रोमियो एंड जूलियट पर आधारित थी जिसमें उनके भतीजे आमिर और पूर्व मिस इंडिया जूही चावला ने काम किया था. मैंने प्यार किया इसके दूसरे साल आई. यह दूसरी फिल्म थी जो दो ऐसे प्रेमी जोड़े की कहनी कहती थी जो परिवार की बेड़ियों को चुनौती देते हैं. मैंने प्यार किया की सफलता के साथ 1990 में इंडिया टुडे ने अपनी कवर स्टोरी ‘यंग लव ब्लूम’ से फिल्म जगत में आए इस बदलाव का स्वागत किया. दो साल बाद 1992 में टेलीविजन से फिल्मी दुनिया में पधारे शाहरुख खान ने ऋषि कपूर की नाक के नीचे से दर्शकों का दिल जीत लिया. वो राज कंवर द्वारा निर्देशित फिल्म दीवाना में सहकलाकार थे जिसमें दिव्या भारती यह मानकर कि उसका पति मर चुका है एक बार फिर दिल दे बैठती है. 

बॉलीवुड में खानों का काल आ चुका था. जबकि शाहरुख खान का करियर शुरू से ही स्थिर रहा, आमिर खान ने 1990 के मध्य में लय और स्थिरता प्राप्त की. सलमान खान का फिल्मी सफर 2000 के अंत झटके खाता रहा.

मैंने प्यार किया की रिलीज के तत्काल बाद मान लिया गया था कि सलमान खान का स्टारडम टिके रहने वाला है. सलमान खान के फैन के दिलों में उनके लिए प्यार को देख कर मीडिया ने इसे सलमैनिया नाम दिया. मई 1990 में मुंबई की सबसे अधिक लोकप्रिय फिल्म मैगजीन फिल्मफेयर ने सलमान को अपने कवर पेज पर छापा और शीर्षक दिया, सलमान खान:  द न्यू क्रश. नवंबर 1991 में सलमान खान एक बार फिर फिल्मफेयर के कवर पर अकेले थे. उस साल के अचीवर्स वाले अंक में सलमान खान की फोटो मैगजीन के कवर पर प्रमुखता से छपी थी.

शायद यह इस की पूर्वसूचना ही थी कि सलमान खान कभी भी समीक्षकों की पसंद नहीं रहेंगे, इतने सारा कवरेज मिलने के बावजूद भी 1989 का फिल्मफेयर अवॉर्ड ने, जो हिंदी फिल्मों में सफलता के लिए मिलता है, सलमान के आगमन को अनदेखा कर दिया. मैंने प्यार किया की उनकी सह कलाकार भाग्यश्री को मोस्ट आउटस्टैंडिंग न्यू फेस की श्रेणी में यह पुरस्कार मिला और बड़जात्या को मोस्ट सेन्सेशनल डेब्यू ऑफ द ईअर का पुरस्कार मिला. यहीं से सलमान खान का मीडिया के हाथों पीड़ित होने की शुरुआत हुई. सोशल मीडिया में सलमान खान के चाहने वाले जिस तरह से बातें करते हैं उससे साफ है कि अपने हीरो को उस साल एक्टिंग के लिए पुरस्कार न देने के लिए इन लोगों ने पत्रिका को माफ नहीं किया है.

रउफ अहमद, जो उस वक्त मैगजीन के संपादक थे, ने स्पष्ट किया है, ‘‘सच्चाई तो यह है कि उस वक्त एक्टिंग डेब्यू जैसी को श्रेणी का पुरस्कार था ही नहीं. द मोस्ट सेन्सेशनल डेब्यू ऑफ द ईअर सिर्फ एक्टिंग के लिए नहीं दिया जाता था. उस श्रेणी के विजेता का नाम संपादक और उसकी टीम के बीच विचार विमर्श के बाद तय किया जाता था. ‘‘हमने यह पुरस्कार 1988 में कयामत से कयामत तक के लिए आमिर खान को दिया क्योंकि हमें लग था कि उसने अच्छा काम किया था.’’ 1989 में हमने यह पुरस्कार सूरज बड़जात्या को दिया क्योंकि हमें लगा कि उसने इस फिल्म के साथ धमाकेदार शुरुआत की है. हमें नहीं लगा कि सलमान का प्रदर्शन शानदार था. चूंकि एक साल पहले यह पुरस्कार आमिर खान को मिला था तो लोगों ने मान लिया कि इस बार सलमान को दिया जाएगा.’’ अहमद के अनुसार इसके अगले साल से पुरुष और महिला कलाकार श्रेणी में डेब्यू के लिए विशेष पुरस्कार की शुरुआत हुई. 1992 में शाहरुख खान को यह अवॉर्ड मिला.

सलमान को ये अपमान बहुत बुरा लगा. ‘‘उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया और उनका परिवार भी मेरे प्रति ठंडा हो गया और जब दूसरे साल जब उसे अवॉर्ड मिला तो वो लेने भी नहीं आया.’’

वे लोग नाराज थे क्योंकि उन्हें लगता था कि मैंने जानबूझकर सलमान खान को अवॉर्ड नहीं दिया. तो मैंने उनसे कहा कि अवॉर्ड कोई चैरिटी नहीं है कि मैं उसे दे दूं. उनका जो प्रदर्शन था वह अवॉर्ड पाने लायक नहीं था. आने वाले समय में मीडिया के साथ सलमान की शत्रुता बढ़ती चली गई. हालांकि सलमान ने एक प्रेम कथा के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी लेकिन किंग ऑफ रोमांस या रोमांस का बादशाह का खिताब  शाहरुख खान को मिला. करियर के पहले दशक में सलमान खान की फिल्में सभी तरह की थीं, यानी एक्शन, कॉमेडी, और रोमांस. दीपक शिवदासानी की बागी, मैंने प्यार किया के बाद उनकी पहली हिट फिल्म थी. स्टोरी आइडिया के लिए सलमान को क्रेडिट दिया गया है. फिल्म में सलमान का किरदार एक कॉलेज के छात्र का है जो अपनी प्रेमिका को वेश्यावृत्ति के धंधे से बाहर निकालने के लिए दलालों के साथ लड़ता है. 1996 में आई जीत में सलमान का किरदार एक हिटमैन (सनी देओल) की पूर्व प्रेमिका से शादी करता है. उस हिटमैन को सलमान खान को मारने की सुपारी मिली है. 1995 की करण-अर्जुन में सलमान का किरदार पूर्व जन्म के अपने और अपने भाई के हत्यारों से लड़ता है. यह एकमात्र ऐसा मौका है जब सलमान ने शाहरुख के साथ संयुक्त अभिनेता के बतौर काम किया है. इस फिल्म में सलमान खान की लड़ने की क्षमता का भरपूर इस्तेमाल किया गया है.

1997 में आई फिल्म जुड़वा के साथ सलमान और डेविड धवन की एक लंबी और सफल जोड़ी बनी. इस फिल्म में सलमान ने दो जुड़वा भाइयों का किरदार निभाया है जो पैदा होने के वक्त बिछड़ जाते हैं. बड़े होने के बाद जब शहर में वापस आते हैं तो चारों तरफ अफरातफरी मच जाती है. डेविड धवन द्वारा निर्देशित बीवी नंबर वन में सलमान का किरदार एक धोखेबाज पति है. अपनी बीवी के साथ किए धोखे को छिपाने के लिए झूठ बोलता है और झूठ के जाल में फंस जाता है.

सलमान को हम आपके हैं कौन जैसी रोमांटिक फिल्मों से बॉक्स आॅफिस में सफलता मिली लेकिन रोमांस के बादशाह का खिताब मिला शाहरुख खान को.

1991 में आई साजन सहित सलमान ने रोमांटिक फिल्मों में भी काम किया. इसमें सलमान के साथ सुपरस्टार माधुरी दीक्षित और संजय दत्त थे. इसके बाद 1994 में हम आपके हैं कौन आई. सलमान के चाहने वालों का दिल तोड़ते हुए इस फिल्म में दर्शकों की वाहवाही माधुरी दीक्षित ने बटोरी और 1999 में संजय लीला भंसाली हम दिल दे चुके सनम में 1994 की मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय के साथ उनकी केमिस्ट्री की बहुत तारीफ हुई.

शाहरुख खान ने जल्द ही अपनी रफ्तार पकड़ ली. वे यश राज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शन जैसे प्रतिष्ठित स्टूडियों के चहेते हीरो बन गए. दिनोदिया फोटो

फिल्मी दुनिया में तीनों खानों के सफर में बहुत साफ अंतर है. अपनी हर सफल फिल्म के बाद सलमान खान ढेरों फ्लाप फिल्में देते रहे. जबकि आमिर और शाहरुख बॉक्स ऑफिस में निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. शाहरुख खान ने जल्द ही अपनी रफ्तार पकड़ ली. शाहरुख ने डर और बाजीगर जैसी शुरुआती फिल्मों में एंटी हीरो का रोल करने का जोखिम उठाया. ये दोनों फिल्में 1993 में रिलीज हुईं. दोनों फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस में अच्छी कमाई की. वे यश राज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शन जैसे प्रतिष्ठित स्टूडियों के चहेते हीरो बन गए. दोनों स्टूडियों अपने तड़क-भड़क वाले प्रोजेक्ट के लिए प्रसिद्ध हैं. इन स्टूडियों के साथ शहरुख ने डर (1993), दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995), दिल तो पागल है (1997) और कुछ कुछ होता है (1998) जैसी फिल्में कीं. कुछ कुछ होता है में सलमान मेहमान कलाकार थे. कल्ट फिल्म जाने भी दो यारो जैसी फिल्म बनाने वाले कुंदन शाह ने जब एक दशक बाद फिल्म जगत में कभी हां कभी ना (1993) से वापसी की तो उन्होंने शहरुख खान का ही चयन किया. जब तमिल फिल्म निर्माता मणी रत्नम ने अपनी पहली फिल्म दिल से (1998) बनाई तो अपने मुख्य नायक के रूप में उन्होंने शहरुख को ही लिया.

कयामत से कयामत के बाद फिल्मी दुनिया में पैर जमाने में आमिर खान को थोड़ा वक्त लगा. 1990 के दशक के मध्य में आमिर चुन कर फिल्म करने वाले कलाकार बन गए.

कयामत से कयामत के बाद फिल्मी दुनिया में पैर जमाने में आमिर खान को थोड़ा वक्त लगा. उन्होंने ऐसी फिल्में की जो खास अच्छी नहीं थीं लेकिन उनकी ब्लॉकबस्टर दिल (1990) और दिल है कि मानता नहीं (1991) की यादों के सामने ठहर नहीं पातीं. आमिर ने मंसूर खान की जो जीता वही सिकंदर (1992) और राजकुमार संतोषी की अंदाज अपना अपना (1994) में भी काम किया जिसमें सलमान भी थे. जो जीता वही सिकंदर ने औसत कमाई की और अंदाज अपना अपना पिट गई. लेकिन आज इन दोनों ही फिल्मों के चाहने वाले लाखों में हैं.

1990 के दशक के मध्य में आमिर चुन कर फिल्म करने वाले कलाकार बन गए. जैसा कि आज उनके दर्शक उन्हें मानते हैं. उनके चयन का असर फिल्मोग्राफी की गुणवत्ता और बॉक्स ऑफिस पर ललचा देने वाली सफलता पर स्पष्ट दिखाई देता है.

इस बीच सलमान गोते लगाते दिखाई दिए. उन्होंने सूर्यावंशी (1992) और मझधार (1996) जैसी कई फिल्मों के लिए हां कहा जो कला और कमाई की दृष्टि से तबाही साबित हुईं. शिल्पा शेट्टी कुंद्रा मानती हैं कि उन दिनों सलमान अपनी फिल्म के चयन को लेकर सही फैसला नहीं कर पा रहे थे. जुलाई में लंदन से फोन पर शिल्पा ने बताया, ‘‘सलमान बहुत जज्बाती है.’’ ‘‘वह अपने दिमाग से ज्यादा अपने दिल से काम करता था. सलमान ने ऐसे लोगों के साथ बुरी फिल्में की जिनके बारे में उसको लगता था कि दोस्ती की खातिर उनका फर्ज है कि इनके साथ फिल्म की जाए. कोई भी आदमी इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा वाले उद्योग में यह जोखिम नहीं उठा सकता.’’

सलमान के कई साथियों का कहना है कि ‘‘बड़े दिल के बावजूद’’, उन दिनों सलमान के साथ काम करना एक सजा के समान काम था. दिसंबर 2013 को लोकप्रिय टॉक शो काफी विद करण के एपिसोड में आम तौर पर चुप रहने वाले अमीर खान ने शो के मेजबान- निर्माता और निर्देशक- करण जौहर को यहां तक कहा कि “अंदज अपना अपना में सलमान के साथ काम करना एक बुरा अनुभव था. मैंने उसे पसंद नहीं किया और मैंने उसे उज्जड़ और बेलिहाज पाया.’’ इसके बाद आमिर ने सलमान के साथ सौहार्दपूर्ण लेकिन दूर का रिश्ता रखा. ‘‘इन सालों में मैं उनसे मिलता रहा हूं और आदर के साथ पेश आता हूं. मैं कहता हूं कि अंदाज अपना अपना में उनके साथ काम करके जो मेरा अनुभव है कि मुझे लगता है, ‘‘बस मैं इस लड़के से दूर रहना चाहता हूं.’’

अनिल कपूर भी याद करते हैं कि उस वक्त के अपने सेक्रिटरी रिक्कू राकेशनाथ की 1993 की फिल्म दिल तेरा आशिक के सेट पर जब वह सलमान से मिले तो उन्हें वह ‘‘आकर्षक बच्चा’’ जो ‘‘थोड़ा घमंडी है’’ लगे थे. इस फिल्म में सलमान के साथ माधुरी दिक्षित ने काम किया था. उन्होंने कहा, ‘‘वह एक युवा, नया एक्टर था और मैं फिल्म में स्टार अनिल कपूर की मेहमान भूमिका कर रहा था. वह मास्तिखोर था और मुझे लगा कि वह मेरे साथ कुछ ज्यादा ही दोस्ताना हो रहा है.’’

आमिर और अनिल आज सलमान के भीतर की अच्छाईयों का हवाला देते हैं. कॉफी विद करण के एक एपिसोड में आमिर ने बताया कि कैसे 2002 में अपनी पहली पत्नी रीना दत्ता खान के साथ तलाक के बाद सलमान के साथ उनका समीकरण बदल गया. आमिर कहते हैं, ‘‘डेढ़ साल तक मैं अपने घर में बंद रहा. मैं डाउनस्लाइड पर था. इसी वक्त एक बार मैं सलमान से टकराया. सलमान ने कहा, “मैं मिलने आउंगा.” वो मिलने आया और हम दोनों पीने लगे. उस वक्त मैं बहुत पी रहा था. वहीं हम दोनों के बीच कुछ जुड़ गया. यह जुड़ाव फिर बढ़ता ही गया. हमने साथ ज्यादा समय बिताना शुरू किया.’’ आमिर ने महसूस किया कि ‘‘सलमान अंदाज अपना अपना के मुकाबले अधिक परिपक्व हो गए हैं. अब वो उस वक्त के सलमान की तरह बिगडैल नहीं थे.’’ आमिर ने सलमान को ‘‘उदार’’ और ‘‘शानदार’’ आदमी बताया.

कपूर ने भी कहा कि बाद में उनको ऐहसास हुआ कि सलमान खुले दिल का आदमी है. अपने परिवार के प्रोडक्शन में बनी फिल्म नो एंट्री (2005) के निर्माण का बेबाक किस्सा सुनाते हुए सलमान के बारे में इस बात को कपूर बयान करते हैं. ‘‘हमारी कंपनी का बुरा वक्त चल रहा था’’, उन्होंने कहा. ‘‘बोनी’’ - अनिल कपूर के बड़े भाई और फिल्म के निर्माता- ‘‘नो एंट्री बनाने की कोशिश कर रहे थे. फिल्म चले इसके लिए मेरे अलावा उनको सलमान खान जैसे किसी बड़े सितारे की जरूरत थी.’’ लेकिन जब बोनी आखिरकार सलमान से संपर्क करने में कामयाब हुए ’’तो उसने हास्यास्पद किस्म की बड़ी राशि की मांग की. सलमान फिल्म करने से बच रहा था. चूंकि मैं उसे जानता था, मैंने उसे बुलाया, और वह तुरंत मेरे घर आ गया.’’ कपूर ने सलमान को दो भूमिकाओं के बारे में बताया. पहला लीड रोल, जिसमें 50 दिनों के काम की आवश्यकता होगी और दूसरा, मेहमान कलाकार की भूमिका, जिसके लिए आठ से 10 दिनों के काम की जरूरत थी. कपूर ने बताया, ‘‘वह तुरंत मेहमान वाली भूमिका निभाने के लिए राजी हो गया.’’ ‘‘इससे पहले कि मैं उसे बता पता कि अगर वो फिल्म में काम नहीं करेगा तो यह फिल्म नहीं बनेगी. लगता है कि उसको इस बात का ऐहसास हो गया था. वह इतना संवेदनशील तो था कि मुझसे हाथ न जुड़वाए. अगर उसने हां नहीं कहा होता तो नो एंट्री कभी नहीं बनती.’’

तो भी इसका मतलब यह नहीं था कि सलमान के साथ काम करना आसान था. कपूर ने कहा, ’’फिल्म बनने के दौरान मैं सलमान को और ज्यादा जान पाया. उसका व्यवहार, उसकी आदत को समझ पाया.’’ वो आगे कहते हैं, ‘‘उस वक्त तक भी वह पूरी तरह से प्रोफेशनल नहीं था. सुबह मैं उसके कमरे में पहुंचता. उसे उठाने के लिए नहीं बल्कि वहां उसके करीब बैठ कर उसके जागने का इंतजार करता. ऐसा इसलिए करता क्योंकि निर्माता की हैसियत से मैं फिल्म के लिए जिम्मेदार था. हमारे पास पैसा बहुत कम था, नाजुक हालात थे.’’ कपूर आगे बताते हैं, ‘‘सलमान उठेगा, नाश्ता ऑर्डर करेगा, बिस्तर पर कॉफी पिएगा. इस पूरे वक्त मैं उस के आसपास घूम घूम कर उसे मनाता रहता ताकि जितनी जल्दी हो सके शूट शुरू हो जाए.’’ “और जब सलमान अंततः सेट पर आता तो मैं उनसे कहा करता, ‘‘बेनचो, तू पूरी रात नहीं सोया. बिल्कुल खत्म लग रहा है- हम लोग ऐसे ही बात करते हैं. जवाब में सलमान कहता, ‘‘तुम भाड़ में जाओ, बस मेरा शॉट देखो.’’ फिर कपूर बताते हैं, ‘‘सलमान चश्मा चढ़ाता, अपना शॉट देता और जब मैं अपने मॉनिटर पर देखता तो कह पड़ता, ‘‘कसम से इस लड़के पर ऊपर वाले का हाथ है. ये पूरी रात जागा था और कैमरे में आते ही जैसे कोई जादू हो जाता है.’’ फिल्म के बाद भी दोनों की दोस्ती बनी रही. कपूर कहते हैं, ‘‘नो एंट्री के बड़ी हिट होने के कारण दोस्ती बनी रही. हर संबंध के लिए सफलता बहुत जरूरी है.’’

शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने मुझे बताया कि कैसे सलमान ने रेवती की फिर मिलेंग में एक सहायक भूमिका पुनीत इस्सार की फिल्म गर्वः प्राइड एंड ऑनर (2004) की राजस्थान में चल रही शूटिंग के दौरान एक अनौपचारिक बातचीत में स्वीकारी थी- कुंद्रा द्वारा अभिनीत यह फिल्म एक महिला की कहानी है जिसे अपने प्रेमी से एचआईवी संक्रमण होता है. सलमान उस वक्त बड़े स्टार थे जबकि शिल्पा का करियर ढलान पर था. शिल्पा ने बताया, ‘‘किसी को भी फिर मिलेंग में दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि यह महिला केंद्रित फिल्म थी और कोई मनोरंजक फिल्म नहीं थी.” ‘‘मैंने सलमान को इस फिल्म के बारे में यूंही बताया और ‘मैं करुंगा.’ मैंने कहा, ‘क्या तुम सिरिअस हो?’ और उसने जवाब दिया, ‘हां, यह एक अच्छा विषय है. मैं इसे जरूर करुंगा?’ यह बहुत अजीबो गरीब बात थी. हममें से किसी भी कलाकार ने इस फिल्म के लिए कुछ नहीं मांगा. निर्माता शैलेंद्र सिंह ने कहा था कि ‘‘अगर यह फिल्म अच्छी चली तो उसमें से जो कमाई होगी उसका हिस्सा सलमान को देंगे. यहां तक कि सलमान ने भी फिल्म के लिए कुछ भी नहीं लिया. हम सभी ने इस फिल्म को अच्छे काम के रूप में किया. अपने चैरिटेबल ब्रांड के साथ सलमान अपने मानवीय जिम्मेदारी को पूरा करने के काम में बहुत आगे बढ़ गए हैं और मुझे लगता है उस फिल्म के साथ ही उन्होंने मानवीय कार्यों का बीज बोया था.’’

ऐसा लगता है कि 2007 के बाद सलमान जीवन की डोर को अपने हाथों में लेने लगे थे. उस साल उनका एनजीओ, बीइंग ह्यूमन, पंजीकृत हुआ. एक था टाइगर, बजरंगी भाईजान और ट्यूबलाइट जैसी फिल्मों के निर्देशन कबीर खान का मानना है कि बीइंग ह्यूमन ने सलमान के उन परपोपकारी कामों को ‘‘औपचारिक और संस्थागत’’ रूप दिया जिन्हें वो हमेशा से करते आए थे.” “उन्हें हमेशा उन दबे कुचलों की मदद करने में आनंद आता है जिन्हें दुनिया कुछ नहीं समझती.’’ 2008 सलमान ने गेम शो दस का दम के साथ टीवी में सफल प्रवेश किया. इस शो ने जनता के साथ सलमान को बिना जर्नलिस्टों की मध्यस्थता के सीधे बात करते देखने का मौका सलमान को दिया. उपरोक्त दोनों बातों ने सलमान के पुराने चाहने वालों से इतर जनता का ध्यान उनकी और खींचा.

उन्होंने स्क्रिप्ट को अधिक सावधानी से चुनना शुरू किया. इस बदलाव के बारे में सलमान का कहना है, ‘‘एक समय था जब मैं सही तरीके से सोच रहा था लेकिन मेरी वो सोच दोस्तों के लिए थी, उनके साथ काम करना चाहता था, उनकी मदद करना चाहता था. लेकिन दर्शकों ने उन फिल्मों को पसंद नहीं किया और फिर दोस्त आपको भी फॉर ग्रांटेड लेने लगते हैं.’’ अपने बदले हुए व्यवहार के बारे में सलमान कहते हैं, ‘‘अगर आपको अपने दोस्त के साथ फिल्म करनी है तो स्क्रिप्ट जबरदस्त होनी चाहिए. बस इतनी भर बात नहीं होनी चाहिए कि ‘हां करेंगे, बना लेंगे.’ वो वक्त गुजर गया.’’

16 जुलाई 2008 को मुंबई के ओलिव रेस्तरां में कैटरीना कैफ की जन्मदिन की पार्टी के दौरान शाहरुख के साथ सलमान का बड़ा झगड़ा हुआ. उनके दोस्तों का कहना है कि उस झगड़े के बाद सलमान ने अपने करियर को और ऊंचा ले जाने को दृढ़ संकल्प दिया. मीडिया के साथ सालों के शत्रुतापूर्ण रवैये के बाद सलमान ने अधिक उदारता से बातचीत करनी शुरू की और सक्रियता के साथ अपने काम को प्रमोट करना शुरू किया जबकि इससे पहले पी.आर. वालों को उनका इंटरव्यू कराने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी.

उनके काम में यह ऊर्जा और रणनीति तेजी से दिखाई देने लगी. 2009 में आई वॉन्टेड सलमान के करियर के इस नए चरण की पहली रिलीज थी जिसने औसत से अधिक कमाई की और समीक्षकों और जनता ने इसे उनकी पुरानी फिल्मों से ज्यादा पसंद किया. दबंग 2010 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी. तब से सलमान के पास ऐसी कई हिट फिल्में हैं जिसने उन्हें बॉक्स ऑफिस के चार्ट पर प्रभावशाली स्थान दिया है. फिल्म इन्फॉर्मेशन की सबसे अधिक घरेलू कमाई करने वाली 10 फिल्मों की सूची में जो चार फिल्में सलमान की हैं उनके नाम हैं: चौथे नंबर पर बजरंगी भाईजान (318 करोड़ रुपए), पांचवे नंबर पर सुल्तान (300 करोड़ रुपए), सातवें पर किक (226 करोड़ रुपए) और दसवें पर एक था टाइगर (198 करोड़ रुपए). ब्रांड एंबेसडर के रूप में सलमान हर दिन 2.5 करोड़ रुपए से 3.5 करोड़ रुपए के बीच की कमाई करते हैं.

सलमान के प्रशंसकों ने मोदी के साथ उनकी मुलाकात को सहज नहीं माना. फिल्म इनफॉर्मेशन के संपादक कोमल नाहटा का मानना हैं, ‘‘जय हो इसलिए पिटी क्योंकि सलमान के मुस्लिम प्रशंसक नाराज हो गए थे." अजीत सोलंकी/एपी

सफलता अपने साथ खास किस्म की परेशानियां भी लाती है. सलमान के मामले में इसका मतलब है कि क्योंकि उनकी फिल्में काफी मंहगे दामों वितरित होती हैं इसलिए 125 करोड़ रुपए और 130 करोड़ रुपए के बीच कमाई करने वाली ट्यूबलाइट को हिट फिल्म नहीं माना जाता. सलमान ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘‘वे इसे फ्लॉप कह रहे हैं. मैं दुआ करता हूं कि जितनी बड़ी फ्लॉप ये है, बाकी के स्टारों की भी इतनी बडी फ्लॉप हो’’. ट्रेड समाचारों के अनुसार जिन लोगों को घाटा हुआ उन्हें सलमान ने पैसा लौटा दिया.

उनकी बढ़ती प्रतिष्ठा के सामने कई अप्रत्याशित चुनौतियां भी खड़ी थीं. ऐसी ही एक चुनौती का समाना सलमान को जनवरी 2014 के मध्य में करना पड़ा, जब उन्होंने अपनी फिल्म जय हो को प्रमोट करने के लिए, यह फिल्म उस महीने के अंत में रिलीज होने वाली थी, उत्तरायन पर्व के मौके पर अहमदाबाद का दौरा किया. योजना एकदम सरल थी- उन्हें समारोह में भाग लेना, मीडिया के लिए फोटो खिंचवाना था, और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर फिल्म के लिए मनोरंजन कर की छूट मांगनी थी.

उस वक्त तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था और वो एक महीने तक भारत के अलग अलग हिस्सों में भ्रमण कर ऐसी मार्केटिंग कर चुके थे जिसने विपक्ष की बोलती बंद कर दी थी. ज्यादातर ओपिनिअन पोल प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को आगे बता रहे थे.

लेकिन मोदी पर लगा एक दाग अब तक नहीं मिटा था. 2002 में एक समुदाय को लक्षित कर गुजरात में हुई हिंसा का दाग जिसमें, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1,000 से ज्यादा लोग, उनमें से अधिकतर मुस्लिम थे, मारे गए थे. मोदी उस वक्त मुख्यमंत्री थे और आलोचकों ने मोदी पर हिंसा के दौरान निष्क्रीय रहने और उसको सहयोग देने जैसे तमाम आरोप लगाए. जैसा कि उन्होंने आम चुनाव के लिए तैयार किया था, भारत के सबसे लोकप्रिय मुस्लिम व्यक्तित्वों में से एक के साथ एक उपस्थिति और यहां तक कि एक समर्थन भी, उनकी मुस्लिम विरोधी छवि को दूर करने में मदद करने में शक्तिशाली साबित हो सकता है. मोदी चुनावों की तैयारी कर रहे थे और भारत के किसी लोकप्रिय मुस्लिम व्यक्तित्व के साथ दिखाई देना, उसके द्वारा मोदी का समर्थन करना, मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि को कमजोर करने में मदद हो सकता था. ऐसी उपस्थिति का महत्व तब और भी बढ़ गया था क्योंकि संयोग से सलमान की यह यात्रा ईद-ए-मिलाद (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन) को हो रही थी जो इस्लाम के अनुयाइयों के लिए साल के महत्वपूर्ण दिनों में एक है.

सलमान के परिवार और मोदी के बीच कुछ साल पहले कनेक्शन बन चुका था. इसे बनाया था गुजरात की पृष्ठिभूमी वाले व्यापारी जफर सरेशवाला ने. दंगों के बाद जफर ने मोदी के खिलाफ बात की थी लेकिन 2003 में लंदन में मोदी के साथ मुलाकात करने के बाद वो समर्थक बन गए थे. सरेशवाला, जो 2005 में ब्रिटेन से अहमदाबाद लौट आए थे, ने मुझे सितंबर में फोन पर बताया कि 2009 में, उन्होंने मोदी को सलमान के पिता से मिलाया. सरेश्वाला ने कहा कि उस वक्त से सलीम और मोदी नियमित रूप से संपर्क में थे. सलमान ने मुझे बताया कि उनके पिता ने उन्हें जनवरी 2014 में अहमदाबाद की यात्रा के दौरान मोदी से मिलने का आग्रह किया था.

मोदी और सलमान ने शहर में शाहीबाग के इलाके के सरकारी गेस्ट हाउस में एक साथ भोजन किया. बैठक में मीडिया के आने पर रोक थी और उस बैठक की मौजूद फोटो में सलमान और मोदी सोफे पर बैठे दिखाई दे रहे हैं.

लेकिन दूसरी ही फोटों टेलीविजन चैनलों और समाचार पत्रों पर हावी रहीं. ये तस्वीरें दोनों के बीच दोस्ताना रिश्तों को दिखाने में सफल रहीं. ये बाद की तस्वीरें थीं जिनमें मोदी और सलमान एक घर की छत पर चश्मा पहन कर पतंग उड़ा रहे हैं और उनके चाहने वालों की भीड़ जोश बढ़ा रही है.

अतीत में भी सलमान का कुछ राजनीतिक जुड़ाव रहा है. 2009 के चुनावों में चुनाव-पर्यवेक्षकों भौचक्का करते हुए सलमान ने नासिक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के समीर भुजबल के लिए प्रचार किया, वडोदरा में कांग्रेस के सत्यजीत गायकवाड़ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में अन्नू टंडन और पंजाब के गुरदासपुर में अभिनेता से बीजेपी के नेता बने विनोद खन्ना का प्रचार किया. हर जगह उन्होंने साफ किया कि वो अपने दोस्त का प्रचार कर रहे न कि किसी राजनीतिक संगठन का. अब अहमदाबाद में मीडिया की दिलचस्पी इस बात पर थी कि वो मोदी का समर्थन करते हैं या नहीं. इस तरह का कोई भी कदम देश भर में सुर्खियां बनाना तय था.

पतंग उड़ने के बाद, सलमान और मोदी दोनों मंच पर खड़े हो गए और कैमरों और माइक्रोफोन ने उन्हें घेर लिया. जैसी उम्मीद थी वैसा सवाल सलमान से पूछा गया, ‘‘सलमान जी, क्या आप प्रधानमंत्री के पद के लिए मोदी का समर्थन करेंगे?’’

अगर मोदी को सलमान से अपने समर्थन में स्पष्ट बयान की उम्मीद थी, तो वह शायद निराश हुए. पहले तो सलमान अजीब तरह से हंसने लगे. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है देश के लिए सबसे अच्छे आदमी, हम सभी के लिए सबसे अच्छा आदमी, भारत के लिए सबसे अच्छा आदमी कौन है यह बात भगवान को तय करनी चाहिए.’’ फिर उन्होंने कहा, ‘‘और हमारे देश के लिए सबसे अच्छा आदमी इस देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए.’’

मीडिया के लोगों ने सलमान से फिर पूछा, ‘‘क्या नरेंद्र मोदी को मानते हैं बेस्ट मैन?’’

सलमान दवाब में आने वाले नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘‘देखो, एक अच्छा आदमी मेरे सामने खड़ा है.’’ सलमान फिर कहते हैं, ‘‘मैं नौ साल पहले यहां आया था और दोबारा चार साल पहले यहां आया. मैंने यहां बहुत विकास होते देखा है. तुम मुझे बताओ, क्योंकि मैं गुजरात से नहीं हूं, इसलिए मैं मानता हूं या नहीं इस बात से फर्क नहीं पड़ता. आप क्या मानते हैं ये जरूरी बात है.’’ मोदी नकली मुस्कुराहट के साथ उनके पास खड़े रहे.

कुछ सवालों बाद में एक आवाज आई कि क्या मोदी के लिए सलमान चुनाव प्रचार करेंगे. सलमान ने जवाब दिया, ‘‘देखो, जहां तक चुनावों का सवाल है, यह निर्वाचन क्षेत्र पर निर्भर करता है.’’ सलमान ने आगे जोड़ा, ‘‘आपको अपने निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अच्छे व्यक्ति के लिए मतदान करना चाहिए. यहां आपके लिए सबसे अच्छा आदमी कौन है?’’

‘‘मोदी, मोदी’’ भीड़ ने चिल्लाना शुरू किया. सलमान ने पूछा, ‘‘क्या मोदी-साहब आपके लिए सबसे अच्छा आदमी है?’’ आगे जो सलमान ने कहा वह बीजेपी के नेता मोदी खुश करने वाली बात नहीं थी. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे निर्वाचन क्षेत्र में, बांद्रा में, जहां मैं अपना वोट डालता हूं, वहां बाबा सिद्दीकी और प्रिया दत्त हैं.’’ ये दोनों कांग्रेस के नेता हैं जो उस वक्त क्रमशः महाराष्ट्र विधानसभा और लोकसभा के सदस्य थे. सलमान ने कहा, ‘‘तो आपको मोदी-साहब को वोट देना चाहिए और मुझे अपने लोगों को वोट देना चाहिए.’’ सलमान की इन टिप्पणियों से मोदी को हो रही असुविधा साफ दिखाई पड़ रही थी क्योंकि कुछ सवालों के बाद उन्होंने जल्दी से कहा ‘‘चलें?’’

लेकिन सलमान दूसरे सवाल का जवाब देने लगे. शब्दों के खेल के बाद सलमान ने कहा, “मुझे मोदी-साहब बहुत पसंद है. मैंने आज पहली बार उनसे मुलाकात की है. मुझे आशा है कि हम मिलते रहेंगे और दोस्ती जारी रहेगी.’’ मुख्यमंत्री मोदी के लिए अभी भी कोई स्पष्ट समर्थन नहीं था. इस समय तक मोदी माइक्रोफोन से पहले ही दूर हो गए थे. शायद यह मान कर कि बहुत हो गया, वो जाने लगे और प्रेस कॉन्फ्रेन्स समाप्त हो गई.

फिल्म उद्योग के सलमान के करीबी एक सदस्य ने मुझे उस वक्त की उनकी मुश्किल परिस्थिति के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘‘पतंग उड़ाने की वाली बात मोदी के दिमाग की उपज थी और उन्होंने इस कार्यक्रम को हाईजैक कर लिया था.’’ इस व्यक्ति ने मुझे बताया कि सलमान को उम्मीद थी कि वह मोदी के साथ भोजन करेंगे और उसके बाद दोनों अपने अपने रास्ते चले जाएंगे. सलमान पतंग उड़ाने जाने वाले थे जो गुजरात में एक बड़ा सार्वजनिक आयोजन है.’’ मोदी की वहां मौजूदगी बड़े अचरज की बात थी. इसकी योजना मोदी की पीआर एजेन्सी ने बनाई थी लेकिन सलमान को इस बारे में नहीं बताया था.’’ (हिन्दी फिल्म जगत के तीन खान सितारों में सलमान एक मात्र ऐसे हैं जो हिंदूवादी समूहों से नहीं भिड़े हैं. आमिर और शाहरुख पहले ही बीजेपी और उसके सहयोगियों के पंगा ले चुके थे. 2006 में आमिर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन का समर्थन करके मोदी समर्थकों के विरोध को झेला था. 2010 में शाहरुख के इंडियन प्रीमियर लीग में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को लेने की बात कहने के बाद शिवसेना की माफी मांगने की मांग को ठुकरा दिया था.)

सलमान के इस दोस्त ने समझाया, ‘‘जब सलमान मीडिया से बात कर रहे है तो आप देख सकते हैं कि उनको पता नहीं है कि क्या कहना है. यदि यह पहले से तय पीआर कार्यक्रम होता तो उन्होंने इसकी तैयारी की होती. तो वो अटक गए.” इस दोस्त ने बताया, ‘‘सलमान बहुत परेशान थे क्योंकि उनको पता था कि इस मुलाकात से मोदी को कितना फायदा होने वाला है. उन्होंने मुझे बताया कि जिस पल मोदी वहां आए उन्होंने सोचा, ‘‘क्या बकवास है, मुझे सब पता है कि यहां क्या चल रहा है. मोदी के साथ इतनी बड़ी सार्वजनिक सभा में दिखाई देने के बारे में सलमान को कुछ नहीं बताया गया था.’’ जब मैंने बीजेपी की सदस्य और इवेन्ट मेनेजर ग्रिष्मा त्रिवेदी से बात की, जिन्होंने उस मुलाकात को आयोजित करने में मदद की थी और उस साल अपने पति के साथ नरेन्द्र मोदी फैन क्लब की स्थापना की थी, तो त्रिवेदी ने सलमान की जानकारी के बिना यह मुलाकात कराने की बात से इनकार किया.

मैंने सलमान के इस दोस्त को बताया कि जब मैंने इस मुलाकात को टीवी पर लाइव देखा था तो मुझे ऐसा लगा था कि सलमान और मोदी दोनों की ही पीआर एजेन्सियों के लिए अपने अपने ग्राहकों (मोदी और सलमान) के लिए यह फायदेमंद विचार लगा होगा- मोदी को एक हाईप्रोफाइल मुस्लिम के साथ दिखने से फायदा था और चूंकि टीवी में मोदी देश के किसी भी अन्य व्यक्ति से अधिक दिखाई देते हैं तो सलमान की फिल्म को भी इसका फायदा मिलता. सलमान के दोस्त ने असहमत होते हुए कहा, ‘‘सलमान की पीआर एजेन्सी उन्हें ऐसे किसी भी कार्यक्रम की सलाह क्यों देगी जो यह उल्टा पड़ सकता है.’’ ‘‘मुस्लिम आबादी के मजदूर तबके के लिए सलमान एक कल्ट हैं. वो लोग उन्हें भगवान मानते हैं. मोदी का समर्थन उनकी नजरों में ठीक नहीं होता. इसलिए सलमान के लोगे निश्चित रूप से इस तरह की योजना नहीं बना सकते.’’

मैंने सलमान से मोदी के साथ अहमदाबाद की मुलाकात के बारे में पूछा और यह संभावना व्यक्त की कि मोदी को इस मुलाकात से फायदा हुआा. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जय हो फिल्म को मनोरंजन कर मुक्त कराने के लिए सभी राज्य के मुख्यमंत्रियों से मिल रहा था. अगर किसी राज्य में कोई मुख्यमंत्री मुझसे मिलना चाहता है तो मैं उनसे मिलूंगा. मुझे नहीं लगता कि मेरे साथ एक फोटो खिचांने से फर्क पड़ता है. इसका मतलब तो ये हुआ कि मैं जिन लोगों से मिलता हूं वो लोग इतने ताकतवर बन जाएंगे.’’

मैंने सलमान से कहा कि एक ऐसा नेता जिसकी छवि मुस्लिम विरोधी है उसे सलमान के साथ दिखाई पड़ने से फायदा होगा. सलमान का कहना था, ‘‘अगर वो मेरे साथ फोटो खिंचा रहा है तो वह मुस्लिम विरोधी कैसे है?’’ उसके बाद उन्होंने अजीब सा तर्क दिया, ‘‘जब यहां महाराष्ट्र में दंगे हुए तो क्या किसी को पता था कि यहां का मुख्यमंत्री कौन है?’’ यह तर्क देते हुए कि जांच एजेंसियों ने मोदी को दोषी पाया है सलमान ने कहा, ‘‘मैं कौन होता हूं कुछ कहने वाला.’’

लेकिन सलमान के प्रशंसकों ने मोदी के साथ उनकी मुलाकात को सहज नहीं माना. मुंबई स्थित व्यापार पत्रिका फिल्म इनफॉर्मेशन के संपादक कोमल नाहटा का भी वही मानना है जो बहुत से दूसरे लोग मानते हैं, ‘‘जय हो इसलिए पिटी क्योंकि सलमान के मुस्लिम प्रशंसक नाराज हो गए थे. जय हो की टीम यह बात नहीं मानेगी लेकिन फिल्म इसलिए फ्लाप हो गई क्योंकि सलमान का परांपरिक मुस्लिम दर्शक, जो प्रतिबद्धता के साथ उनकी फिल्म देखता है, जय हो देखने नहीं गया.’’ फोन पर नाहटा ने मुझसे कहा, ‘‘वो लोग मोदी के साथ उनकी मुलाकात से दुखी थे. भारत भर के फिल्म प्रदर्शकों ने मुझसे कहा, ‘मुसलमान नहीं आए फिल्म देखने’.’’

नाहटा मानते हैं कि फिल्म की कहानी ऐसी नहीं थी कि ‘‘लोग प्रशंसा करें तो भी शुरू में ही फिल्म ने धीमा व्यापार किया इससे पहले कि लोगों इसके बारे में बाते करना शुरू करते. इस फिल्म को अच्छी ओपनिंग तक नहीं मिली जो बात सलमान की फिल्मों के लिए अनोखी बात थी. और ये इसलिए हुआ क्योंकि मुस्लिम समुदाय फिल्म देखने नहीं आया.’’ फिर नाहटा ने कहा, ‘‘पहली नजर में, अगर सिर्फ आमदानी की बात की जाए तो, फिल्म उस साल की शीर्ष 10 कमाई करने वाली फिल्मों में है लेकिन किसी सही हिट को ऐसे नहीं परखा जाता.’’ उन्होंने बताया, ‘‘जय हो बड़े बजट में बनी थी और इरोस ने लगभग 100 करोड़ रुपए में इस फिल्म के प्रड्यूसर-सलमान के भाई सोहेल- से फिल्म के वितरण और प्रमोशन का अधिकार खरीदा था. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ये लोग अपनी लागत नहीं वसूल पाए. खान भाइयों ने बतौर निर्माता गजब कमाई की लेकिन वितरकों को घाटा लगा.’’

रात हो रही थी और सलमान वाईआरएफ स्टूडियो के तंबू में लौट आए थे. वो कुर्सी पर निढाल बैठ गए और हम लोग फिल्म ट्यूबलाइट पर बात करने लगे. उनके स्टाफ के एक आदमी ने खाने के बर्तन मेज पर सजा दिए. ‘‘आओ खाना खा लें’’, सलमान ने कहा. तुम्हें भूख लगी होगी. खाकर देखो, घर का बना खाना है.’’ मैंने पूछा कि क्या मैं बातचीत जारी रखूं. नहीं, नहीं, मैं आराम करना चाहता हूं.’’ वह रुके और फिर कहा, ‘‘खाओ’’. ‘‘आप आराम कीजिए.’’ मुझे एहसास हुआ कि कितनी बेवकूफी वाली बात होगी अगर मैं सलमा के हाथों का मशहूर खाना न खाउं जिसके बारे में सलमान के दोस्त और फिल्म जगत के दूसरे लोग इतनी बाते करते हैं.

सलमान खान पर औपचारिक तौर पर दो मामलों में आरोप लगे हैं. 1998 में काले हिरण के शिकार और 2002 में नशे की हालत में गाड़ी चलाने और एक्सीडेंट का आरोप. इस एक्सीडेंट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. पुरुषोत्तम दिवाकर/दी इंडिया टुडे/गैटी इमेजिस

आज सलमा ने चिकन का सालन, फ्राइड फिश, पालक और चावल और दूसरी चीजें भेजी थीं. मैंने सोचा कि दूसरे कलाकारों की तरह सलमान भी अपनी प्लेट में खाना लेंगे और अपनी वैन में चले जाएंगे. लेकिन सलमान हमारे साथ ही बैठे रहे और खाना खाने लगे. मैं अपनी प्लेट में खाना लगा रही थी कि सलमान की टीम के एक सदस्य ने कहा, ‘‘अब तुम सच में कह सकती हो कि तुमने सलमान का इंटरव्यू लिया है.’’

ये सलमान की नरम छवि है जिसे फिल्म जगत के भीतर और बाहर के लोगों ने साल 2000 के बाद काम के प्रति उनकी ज्यादा शिद्दत के साथ साथ ज्यादा देखा है. अनिल कपूर ने मुझे बताया था कि ‘‘सलमान अब काम के प्रति अधिक गंभीर हैं क्योंकि वो अपने काम, सफलता, स्टारडम और पैसे को एनजॉय कर रहे हैं.’’ कपूर ने कहा था, ‘‘इससे पहले उनको लगता था कि उनको वह सब नहीं मिल रहा है जो उन्हें मिलना चाहिए.’’

इस बदलाव के साथ ही इस अभिनेता के बारे में सकारात्मक कहानियां भी अधिक बाहर आने लगी हैं. दस का दम की निर्माता अनीता कौल बासू ने मुझे एक किस्सा सुनाया जब दस का दम में एक दिहाड़ी मजदूर आया था और उसने कहा था कि उसे अपनी गिरवी रखी जमीन को छुड़ाने के लिए पैसे की जरूरत है तो सलमान ने सुबह 4 बजे अपने एक स्टाफ को भेज कर 2-3 लाख रुपए इस मजदूर के लिए लेकर आने को कहा था. बजरंगी भाईजान फिल्म की बाल कलाकार हर्षाली मल्होत्रा की मां काजल मल्होत्रा बच्चों के प्रति सलमान के सच्चे प्यार के बारे में बताती हैं और कहती हैं कि शूटिंग के दौरान सलमान उनकी छह साल की बेटी के साथ लंबा समय बिताते थे.

बीइंग ह्यूमन के डॉ संदीप चोपड़ा से मुझे पता चला कि जिस जगह सलमान शूटिंग के लिए जाते हैं वहां के आस पास के गरीब लोगों के लिए चिकित्सा कैंप लगाया जाता है. वॉलंटियर डॉक्टरों के साथ लगाया जाने वाला यह कैंप मुख्य रूप से आंखों की जांच के लिए होता है. और अगर ऑपरेशन की जरूरत हो तो हम लोग स्थानीय अस्पताल में करा भी देते हैं.’’

अभिनेत्री सोनम कपूर ने मुझे सलमान के उस वक्त के धैर्य के बारे में बताया जब वह अपनी पहली फिल्म सांवरिया की शूटिंग कर रहीं थी जिसमें सलमान की छोटी सी भूमिका थी. सोनम ने कहा कि वो अपनी लाइनें नहीं कह पाती थी और ’’सलमान के टेक बेकार हो जाते थे तो भी सलमान ने एक बार भी गुस्सा नहीं दिखाया.’’ सुल्तान और आने वाली टाइगर जिंदा है के निर्देशक अली अब्बास जफर सलमान की उस आदत के कायाल हैं जब वो शूटिंग के पहले ही दिन लाइट बॉय या मेकअप आर्टिस्ट या जूनियर कलाकार के मेकअप आर्टिस्ट का नाम याद कर लेना चाहते हैं. सोनम कपूर के साथ 2015 की प्रेम रतन धन पायो में सलमान खान की सह-कलाकार स्वरा भास्कर सलमान की नेकी की दीवानी हैं. ‘‘जब वो लोग शूटिंग कर रहीं थी तब फॉक्स स्टूडियो के हेड सलमान से मिलने आए.’’ स्वरा के सुपरस्टार साथी ने कहा कि उनके पास समय नहीं है और वो स्वरा से जाकर मिले और अनारकली अरावाली प्रोजेक्ट के बारे में उनसे बात करे. यह फिल्म एक छोटे बजट की फिल्म थी जिसकी मुख्य भूमिका में स्वरा हैं. (यह फिल्म इस साल अनारकली ऑफ आरा के नाम से रिलीज हुई है.) स्वरा बताती हैं, ‘‘सलमान ने इस फिल्म की पूरी सिनोप्सिस उस आदमी को दी और मुझसे मिलने की सिफारिश की. क्योंकि सलमान ने उससे कहा था मिलने को तो बेचारे को इस फिल्म के बारे में सुनना पड़ा. इस बात ने मुझे छू लिया.’’

सलमान के पूरे करियर में उनकी अच्छी और बुरी बातें सामने आती रहीं हैं. लेकिन आज जो बदलाव देखने को मिल रहा है वह यह है कि ऐसा हो रहा है कि बुरी बातें हाशिए पर चली गईं हैं और उनकी अलोचना के स्वर धीमे पड़ गए हैं. लेकिन बीच बीच में प्रकट होने वाले विवाद- जैसा कि हाल में उनके बलात्कृत महिला वाली टिप्पणी- हमें यह याद दिलाता रहता है कि हिंसा और महिला विरोधी इतिहास वाला सलमान हमारे आसपास आज भी मौजूद है. उनकी इस टिप्पणी के जवाब में राष्ट्रीय महिला आयोग ने सलमान को नोटिस भेज कर माफी मांगने को कहा. आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम के साथ बीजेपी की उनकी सहयोगी सायना एनसी एनडीटीवी पर सलमान की निंदा करने के लिए जब आए तो सायना ने निंदा को हल्का करते हुए यह कहना शुरू किया कि ‘‘हम सभी जो सलमान को जानते हैं वे लोग मानते हैं कि वह अच्छे आदमी हैं और महिलाओं की इज्जत करते हैं.” सलमान ने ‘‘गलत शब्दों का चयन किया...लेकिन उनका इरादा गलत नहीं था.’’ ऐसा कहते हुए उन्होंने समझाया कि ‘‘सलमान ने गलती से ऐसा कहा होगा.’’

सायना, जो बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता भी है, इससे पहले हिट एंड रन मामले में सलमान के पक्ष में बोलने के लिए भी टीवी पर आ चुकी हैं. तब उन्होंने कहा था कि वह सरकार या पार्टी प्रतिनिधि की हैसियत से नहीं बल्कि सलमान की दोस्त की हैसियत से वहां मौजूद हैं. मई में जब मैंने सायना का इंटरव्यू किया तो उनसे पूछा कि उनके डिसक्लेमर के बावजूद जब वो टीवी पर दिखाई दे रही थीं तो न्यायिक अधिकारियों और इस मामले से जुड़े अन्य लोगों को यह संदेश जा रहा था कि बीजेपी की प्रवक्ता सलमान का बचाव कर रही हैं. उन्होंने एक राजनीतिज्ञ की तरह जवाब दिया, ‘‘जब मामला अदालत में लंबित है तो मुझे नहीं लगता कि मुझे या आपको या किसी को भी फैसला सुनाना चाहिए.’’ फिर उन्होंने कहा, ‘‘अदालत को इसका फैसला करने दीजिए, अदालत की एक प्रक्रिया होती है. और यह प्रक्रिया साक्ष्यों पर आधारित होनी चाहिए न कि भावनाओं, आवेश और विरोधी विचारों पर.’’

सलमान के वकीलों ने राष्ट्रीय महिला आयोग के नोटिस के जवाब में एक पत्र भेजा था जिसके बारे में कुमारमंगलम ने मीडिया को बताया था कि “यह समाधान की कोशिश वाला नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उसमें माफी का संकेत तक नहीं है.’’ ‘‘सच तो यह है कि इस मुद्दे को उठाने के लिए सलमान के वकीलों ने महिला आयोग को गलत दिखाने की कोशिश की थी.’’

आयोग ने सलमान को पेश होने के लिए समन भेजा लेकिन उन्होंने इस आदेश को नजरअंदाज कर दिया. इस बात के महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कुमारमंगलम की खिंचाई की. ‘‘हम कुछ हासिल नहीं कर सके क्योंकि किसी को पेश करने के लिए मजबूर करने का अधिकार हमारे पास नहीं है.’’ मंत्री को लगा था कि इतने हाईप्रोफाइल शख्सियत को नोटिस भेजना एक गलती थी क्योंकि उसके पेश होने से इनकार करने से एक गलत मिसाल कायम होती है.’’ कुमारमंगलम बताती है कि उन्हें हटाते वक्त गांधी ने कहा था, ‘‘तुम्हें अपनी लड़ाई चुन कर लड़नी चाहिए. उनके इस जवाब से मैं निराश हुई थी और कहा था, ‘ये कोई ऐसी लड़ाई नहीं है जहां मैं चुनाव कर सकती हूं. मुझसे आशा की जाती है कि मैं नारी के अपमान या निरादर की किसी भी घटना पर प्रतिक्रिया दूं.’’

जिस तरह सलमान के दोस्त और साथी उनके गैर जिम्मेदाराना, हिंसक और अभद्र व्यवहार का बचाव करते हैं वह बताता है कि वह संस्कृति जिसे नारीवादी ‘‘मर्दानगी का नशा’’ कहते हैं, भारत में कितने गहरे तक समाई हुई है. शॉन करी/एएफपी/गैटी इमेजिस

आयोग की आलोचना पर सलमान की उदासीनता के बावजूद कुमारमंगलम का मानना है कि उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है क्योंकि महिला आयोग की कार्रवाई ने जेंडर के विषय पर लोगों के बीच बहस शुरू की है. उन्होंने कहा, ‘‘महिला आयोग सलमान खान से ये तो नहीं कह रहा की वो पैरों में पड़ कर माफी मांगें. वो सिर्फ यह मान लेते कि उनसे गलती हुई है तो भी इतने सारे लोगों के चहेते आदमी के लिए बड़ी बात होती.’’

साक्षात्कार के ऑडियो में, जिसने इस विवाद को हवा दी, जो ऑनलाइन उपलब्ध है, सुना जा सकता है कि सलमान ‘‘बलात्कृत महिला’’ के कहते ही चुप हो जाते हैं, फिर कुछ बुदबुदाते हैं. फिर आवाज आती है, ‘‘ऐसा नहीं कहना चाहिए’’. क्योंकि यह एक आधा-अधूरा वाक्य है और कोई वीडियो भी नहीं है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि उनके कहने का क्या मतलब है. सुल्तान फिल्म में सलमान के साथियों का कहना है कि वह अपना कथन वापस ले रहे थे और वहां मौजूद पत्रकारों को इस कथन को ना छापने के लिए बोल रहे थे. चूंकि टेप में बाते साफ नहीं थी तो सलमान को बस इतना की करना था कि वो सोशल मीडिया में और राष्ट्रीय महिला आयोग को अपनी सफाई दे देते. बजाए ऐसा करने के उनके वकीलों ने राष्ट्रीय महिला आयोग से ही पूछ लिया कि उसने किस अधिकार से यह नोटिस भेजा. उन लोगों ने आयोग पर आरोप लगाया कि उसने प्रेस में छपी रिपोर्ट को सच मान लिया और यह भी मान लिया कि जो छपा है वह उनके मुवक्किल का पूर्ण कथन है.’’ एक थका देने वाली लंबी भाषा में दिए गए जवाब में कहा गया था कि यदि जो भी छपा वो सही है तो उस रिकॉर्डिंग से साफ है कि सलमान ने तुरंत ही अपनी बात से पीछे हट गए थे. उस जवाब में ‘‘गलती करने वाले उस पत्रकार’’ के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है जिसने यह खबर छापी थी.

नाम न छापने की शर्त पर एक निर्देशक के कहा, ‘‘ओह ऐसा इसलिए है क्योंकि सलमान सफाई देने में विश्वास नहीं करते.’’ ‘‘उन्हें लगता है कि कुछ गलत नहीं है. या तो लोग आपको समझ पाते हैं या नहीं.’’

लेकिन यह सफेद झूठ है. 2015 में 1993 के मुंबई श्रंख्लाबद्ध विस्फोटों के आरोप में दोषी ठहराए जाने और मौत की सजा मिलने वाले याकूब मेमन के समर्थन में ट्वीट करने के बाद पैदा हुए विवाद पर सलमान ने ट्विटर पर विस्तृत स्पष्टीकरण दिया, अपनी बातों से पीछे हटे और माफी मांगी. जाहिर है, ‘‘बलात्कृत महिला’’ टिप्पणी के मामले में सोच समझने के बाद उनको यह भरोसा हो गया था कि सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है.

यदि जरूरत से ज्यादा पढ़ने की कोशिश की जाए तो यह समझ आता है कि मोदी के साथ अहमदाबाद में सलमान खान को एहसास हुआ है कि उन्हें उन बीजेपी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं का बहुत सर्मथन मिला है जिन्होंने मेमन वाले ट्वीट के बाद उन पर हमला किया था. इसके अलावा बीजेपी की जीत के बाद किसी भी कलाकार के लिए पार्टी या समर्थकों के खिलाफ बोलना जोखिम भरा काम हो गया है. वो उदारवादी, जिन्होंने ने बलात्कार वाली टिप्पणी के बाद सलमान की आलोचना की थी, उनके फैन नहीं हैं और न इन लोगों के पास राजनीतिक शक्ति ही है. चूंकि ऐसे मामलों में सलामान से बहुत अधिक सवाल नहीं किए जा सकते तो उनके चाहने वालों को ही उनके उद्देश्य के बारे में समझने के लिए छोड़ दिया गया है. लेकिन लगता है कि 2014 की उनकी फिल्म किक में सलमान का किरदार उनकी चालाकी तब दिखा देता है जब वह सीधे दर्शकों से मुखातिब हो कर यह कहता है कि वह बहुत जटिल आदमी नहीं है. वह किरदार कहता है, ‘‘मेरे बारे में इतना मत सोचो, मैं दिल में आता हूं समझ में नहीं.’’