We’re glad this article found its way to you. If you’re not a subscriber, we’d love for you to consider subscribing—your support helps make this journalism possible. Either way, we hope you enjoy the read. Click to subscribe: subscribing
हिंदू दक्षिणपंथी विमर्श में प्राचीन भारत का महिमामंडन करने की परंपरा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल में विवादास्पद वैज्ञानिक दावे मीडिया में छाए रहे. मोदी ने सुझाव दिया था कि हिंदू देवता गणेश का सिर हाथी का है जो 2000 वर्ष पूर्व भारत में प्लास्टिक सर्जरी के अस्तित्व का साक्ष्य है. वहीं भारतीय जनता पार्टी की प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने दावा किया था कि गौमूत्र से कैंसर का इलाज हो सकता है. पिछले 5 सालों में इसी तरह के कई दावे किए गए. नीचे 2014 और 2019 के बीच छद्म वैज्ञानिक दावों की सूची है.
गौमूत्र से कैंसर का इलाज
अप्रैल 2019 में इंडिया टुडे के साथ एक बातचीत में भारतीय जनता पार्टी की सांसद और 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने दावा किया कि “गौमूत्र और अन्य गौ तत्वों के मिश्रण” से उनका ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) ठीक हो गया और गाय का दूध, गाय का गोबर और गौमूत्र से उन्होंने अपने कैंसर का इलाज किया है. कर्करोग विशेषज्ञों ने उनके दावे का खंडन किया है. प्रज्ञा ने यह भी दावा किया था कि गाय पर हाथ फेरने से रक्तचाप कम होता है.
हिंदुओं ने स्टेम सेल (कोशिका) पर शोध किया
जनवरी 2019 में 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में वक्ताओं ने दावा किया कि हिंदुओं ने प्राचीन समय में स्टेम सेल शोध की शुरुआत की थी. आंध्रा विश्वविद्यालय के उपकुलपति जी. नागेश्वर राव ने महाभारत का उदाहरण देकर दावा किया कि “स्टेम सेल और टेस्ट ट्यूब तकनीक से एक मां ने 100 कौरवों को जन्म दिया था”. उन्होंने आगे कहा, “यह कुछ हजार साल पहले हुआ था. इस देश में तब विज्ञान की दशा यह थी.” लेकिन कांग्रेस के आयोजकों ने राव की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण कह कर पल्ला झाड़ लिया.
प्राचीन भारत में गाइडेड मिसाइल और वायुयान
क्या भगवान विष्णु गाइडेड मिसाइल चलाते थे? जी. नागेश्वर राव तो यही कहते हैं. भारतीय विज्ञान कांग्रेस में राव ने दावा किया कि “विष्णु चक्र” गाइडेड मिसाइल ही थी जिसे लक्ष्य पर निशाना साध कर चलाया जाता था और लक्ष्य को नष्ट करने के बाद वह वापस लौट आती थी. उपकुलपति ने दावा किया कि रामायण के रावण के पास 24 तरह के वायुयान और कई हवाई अड्डे थे.
ब्रह्मा ने ढूंढा डायनासोर
जनवरी 2019 में आयोजित 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में पंजाब विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और भूविज्ञानी आशु खोसला ने अपने शोध पेपर में बताया कि हिंदू देवता ब्रह्मा ने सबसे पहले डायनासोर ढूंढा था. उन्होंने लिखा है कि “राजासुर नाम का डायनासोर भारत में मिला था”. उन्होंने दावा किया कि देवताओं की ऐसी खोजों को भारतीय धर्मग्रंथों में पाया जा सकता है.
प्राचीन भारतीयों ने किया इंटरनेट का अविष्कार
अप्रैल 2018 में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने महाभारत का एक उदाहरण देकर दावा किया कि हजारों साल पहले प्राचीन भारतीयों ने इंटरनेट का अविष्कार कर लिया था. उन्होंने बताया कि महाभारत के पात्र संजय ने कुरुक्षेत्र में जारी युद्ध का सिलसिलेवार ब्यौरा दूर से ही राजा धृतराष्ट्र को सुनाया था जो भारत में इंटरनेट और उपग्रह प्रणाली होने का सबूत है.
वेदों के सिद्धांत सापेक्षता के सिद्धांत से महान
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री हर्ष वर्धन ने दावा किया कि वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि हिंदुओं के वेदों में जो सिद्धांत है वह आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत से महान है. मार्च 2018 में आयोजित 105वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते हुए मंत्री वर्धन ने यह टिप्पणी की थी.
डार्विन मतखंडन
जनवरी 2018 में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने दावा किया कि चार्ल्स डार्विन का क्रम-विकास का सिद्धांत “वैज्ञानिक दृष्टि” से गलत है. असम के एक विश्वविद्यालय के भ्रमण के क्रम में मंत्री महोदय ने कहा, “मेरे पास विश्व के 10-15 महान वैज्ञानिकों की सूची है जो कहते हैं कि क्रम-विकास के सिद्धांत के सही होने का कोई सबूत नहीं है.” उन्होंने कहा कि इसी के अनुरूप स्कूल के पाठ्यक्रम में भी फेरबदल किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “जब से मानव पृथ्वी पर आया है तब से ही वह मनुष्य है. हमारे पूर्वज अथवा किसी ने भी लिखित या मौखिक कभी किसी बंदर को मानव बनते देखने की बात नहीं की है.
मोर के आंसू पीकर ही गर्भवती हो जाती है मोरनी
मई 2017 में राजस्थान हाई कोर्ट के जज महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि मोर सहवास नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि मोर ताउम्र ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं. उन्होंने दावा किया, “मोरनियां मोर के आंसू पीकर गर्भवती होती हैं”. शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण मोर का पंख अपने सिर पर लगाते थे. जज शर्मा ने इससे पहले अपने एक आदेश में कहा था कि गाय को भारत का राष्ट्रीय जानवर घोषित कर दिया जाना चाहिए.
यज्ञ से जलवायु की शुद्धि
अक्टूबर 2016 में भारतीय पुजारियों ने टोक्यो में जलवायु की शुद्धि के लिए यज्ञ किया. इस यज्ञ में लकड़ियों पर घी छिड़क कर आहुति दी गई. इस तरह कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. इसी तरह का महायज्ञ उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी किया गया. मार्च 2018 को तकरीबन 350 हिंदू पुजारियों ने 50 टन आम की लकड़ी जला कर प्रदूषण नियंत्रण के लिए यज्ञ किया था.
गौमूत्र से निकला सोना
जून 2016 को जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दावा किया कि गुजरात के गिर क्षेत्र की 400 गायों के मूत्र के नमूने में प्रत्येक एक लीटर गौमूत्र में 3 से 10 मिलीग्राम स्वर्ण मिला है. वैज्ञानिक डॉ बी. ए. गोलाकिया ने न्यूज18 को बताया, “गौमूत्र में 5100 तत्व पाए गए हैं जिनमें से 388 में औषधीय गुण हैं.” उन्होंने आगे बताया, “गौमूत्र में स्वर्ण की मात्रा गौधन की उम्र और उसे दिए जाने वाले भोजन पर निर्भर होती है. गाय के सुबह के पेशाब में शाम के नमूने से बेहतर स्वर्ण तत्व होता है. बछड़े के पेशाब में अधिकतम स्वर्ण तत्व होता है.” वहीं द वायर में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि गायें किसी भी प्रकार का धातु उत्पादन नहीं कर सकतीं.
ज्योतिषशास्त्र विज्ञान से महान
दिसंबर 2014 में हाल के मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने संसद में एक चर्चा में भाग लेते कहा था, “ज्योतिषशास्त्र के सामने विज्ञान बौना है”. उन्होंने कहा, “ज्योतिषशास्त्र सबसे बड़ा विज्ञान है. सच तो यह है कि यह विज्ञान से ऊपर की चीज है. हमें इसे प्रोत्साहन देना चाहिए.” निशंक ने यह भी दावा किया कि हिंदू संतों ने एक लाख वर्ष पूर्व परमाणु परीक्षण कर लिया था.
गणेश देवता प्राचीन भारत में प्लास्टिक सर्जरी का प्रमाण
अक्टूबर 2014 में मुम्बई के अस्पताल में चिकित्सकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की कि प्लास्टिक सर्जरी का अस्तित्व प्राचीन भारत में था. उन्होंने कहा, “हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि एक समय में हमारे देश के चिकित्सा विज्ञान ने ऊंचाई हासिल की थी. हम गणेश देवता की पूजा करते हैं. उस समय कोई प्लास्टिक सर्जन रहा होगा जिसने हाथी के सिर को मानव शरीर पर जड़ दिया और इस तरह प्लास्टिक सर्जरी का श्रीगणेश हुआ.”
Thanks for reading till the end. If you valued this piece, and you're already a subscriber, consider contributing to keep us afloat—so more readers can access work like this. Click to make a contribution: Contribute