1990 से 1993 तक भारतीय नौसेना के प्रमुख रहे सेवानिवृत्त एडमिरल लक्ष्मी नारायण रामदास ने 14 फरवरी को पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर हुए हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई पर कारवां की वेब संपादक सुरभि काँगा से फोन पर बात की. 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले में 40 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी. पुलवामा हमले के 12 दिन बाद, भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमला किया. अगले दिन पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के दौरान भारतीय वायु सेना के पायलट को पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट के पास के एक गांव में पकड़ लिया गया. रामदास ने भारत की कार्रवाई को सही नहीं माना और सरकार से तनाव कम करने का आह्वान किया. "युद्ध से कुछ हासिल नहीं होता," उन्होंने कहा. उन्होंने कहा कि युद्ध से केवल हथियारों के कारोबारियों को फायदा होता है. "हम उन युद्ध की आग भड़काने वालों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं ... जो हमें अपने हथियार और शस्त्र बेचते हैं."
भारत में इस समय जो हो रहा है उससे मैं बहुत निराश हूं. 26 फरवरी को खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट पर हवाई आक्रमण करते वक्त क्या हमें पता नहीं था कि इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है. यह हमला पाकिस्तान की सीमा के भीतर किया गया न कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में. हम लोगों ने तनाव बढ़ाया है न कि पाकिस्तान ने. और इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता.
हमने पाकिस्तान पर आक्रमण यह कहकर किया कि हमारे पास सटीक गुप्तचर सूचना है कि जैश-ए-मोहम्मद पुलवामा जैसे हमले करने वाला है. इसी तरह पाकिस्तान भी भारतीय इलाकों में ऐसे ही तर्कों के आधार पर हमला कर सकता है. इस बात की क्या गारंटी है कल को पाकिस्तान मुंबई या दिल्ली के एक्स-वाई-जेड इलाके में या अन्य स्थानों पर हमला नहीं करेगा.
पुलवामा का हमला एक दुखद घटना है और ऐसा कभी नहीं होना चाहिए. इसके गुनहगारों को सजा मिलनी ही चाहिए. लेकिन पुलवामा की आड़ में हम लोग इसकी सजा कश्मीरी जनता को दे रहे हैं, खासकर इस देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले कश्मीरी विद्यार्थियों को. पुलवामा हमले के तुरंत बाद मैंने 20 फरवरी को भारत के राष्ट्रपति को एक पत्र लिखकर उनसे कहा था कि “हमें नैतिक साहस दिखाना चाहिए” और “इस हमले की विस्तृत जांच तक गोलीबारी रोक देनी चाहिए”. मैंने अपने पत्र में यह भी सिफारिश की थी कि प्रधानमंत्री और शीर्ष नेताओं को निर्दोष कश्मीरियों के खिलाफ भारत भर में चल रहे मीडिया युद्ध को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए.
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