9 मार्च की देर शाम पाकिस्तान में सर्वाधिक पढ़े जाने वाले अखबार डॉन की आरंभिक रिपोर्टें भरमाने वाली थीं. खबर थी कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शहर चन्नू मियां में एक निजी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है लेकिन उसका पायलट बच गया है. विमान में और कोई यात्री नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया कि, "पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी और बचाव अधिकारियों को भी जेट के करीब नहीं जाने दिया. सबूत इकट्ठा करने के लिए सेना के अधिकारियों के पहुंचने पर ही बचाव कर्मियों को विमान के निकट जाने दिया गया. बाद में सेना के अधिकारियों ने जांच कर जेट के अवशेष इकट्ठे किए.”'
पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता की अगले दिन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्थिति ज्यादा साफ हुई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी वायु सेना (पीएफए) ने पता लगाया है कि भारत, हरियाणा के सिरसा शहर से दगी गई एक भारतीय मिसाइल पाकिस्तान में 124 किलोमीटर तक घुस आई. यह मिसाइल कुल 406 सेकेंड हवा में रही और पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में यह 224 सेकेंड तक रही. पीएफए ने मिसाइल के मार्ग को दर्शाता एक नक्शा जारी किया जिसमें बताया गया है कि "अपनी शुरुआती उड़ान से अचानक मिसाइल पाकिस्तानी क्षेत्र की ओर बढ़ी और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए शाम 6.50 बजे मियां चन्नू के पास गिरी.” उन्होंने दावा किया कि पीएएफ ने मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुसार अपेक्षित सामरिक कार्रवाई शुरू कर दी थी.
तब तक वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी मान रहे थे कि भारत ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का परीक्षण कर रहा था जिसे राजस्थान पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में गिरना था लेकिन कुछ खराबी के चलते वह पाकिस्तान में घुस गई. पीएफए की भारतीय मिसाइल का जवाब देने में काबीलियत और भारतीय मिसाइलों की खराबियों के दावे से इतर, जो हुआ उसका झटका दिमाग में पड़ने लगा.
मार्च की उस शाम दुनिया अपने किस्म की इस तरह की पहली घटना की गवाह बनी जब एक परमाणु क्षमता वाले राज्य ने दूसरे परमाणु क्षमता वाले राज्य के क्षेत्र में कोई क्रूज मिसाइल दागी हो.
इस बीच भारत ने पत्रकारों के बार-बार पूछे जाने के बावजूद पूरी तरह चुप्पी साधे रखी. दक्षिण एशिया से संबंधित अमेरिकी कांग्रेस समितियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस घटना के बारे में पूछताक्ष शुरू कर दी. ऐसे ही एक कर्मचारी ने मुझे बताया कि वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने पाकिस्तानी दावे को मनगढ़ंत बताकर खारिज कर दिया था. पाकिस्तानी सेना का कॉन्सप्रेसी थियरी को फैलाने और अजीबोगरीब दावों का रिकॉर्ड रहा है. इसके अलावा अब जबकि अमरीका अफगानिस्तान से वापस जा चुका है और उसके लिए पाकिस्तान की उपयोगिता कम हो गई है इसलिए भी अमरीका ने पाकिस्तान के इस दावे पर जल्द विश्वास नहीं किया.
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