म्यांमार और अफगानिस्तान में भारतीय कूटनीति से संवैधानिक मूल्य नदारद

16 मार्च 2023
दिल्ली में एक शरणार्थी शिविर में आग लगने के बाद 14 जून 2021 को रोहिंग्या शरणार्थी आधी जली हुई मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ते हुए.
दानिश सिद्दीकी/रॉयटर्स
दिल्ली में एक शरणार्थी शिविर में आग लगने के बाद 14 जून 2021 को रोहिंग्या शरणार्थी आधी जली हुई मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ते हुए.
दानिश सिद्दीकी/रॉयटर्स

20 दिसंबर को भारतीय नौसेना के पांच जहाजों ने एक नाव से संपर्क किया, जो भारतीय जलक्षेत्र में घुस आई थी. 4 दिसंबर को इसके दोनों इंजन खराब हो जाने के बाद से नाव कई हफ्तों से भटक रही थी. इसमें म्यांमार के लगभग 200 रोहिंग्या शरणार्थी थे जिनकी हालत गंभीर थी. इनमें से 26 की मौत हो गई थी. शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त द्वारा बार-बार शरण चाहने वालों की मदद करने के लिए भारतीय और इंडोनेशियाई अधिकारियों से अपील के बाद भारतीय नौसेना ने कथित तौर पर इससे संपर्क किया था. इसने शरणार्थियों को भोजन और पानी दिया लेकिन उन्हें इंडोनेशिया की ओर धकेल दिया जिसने आखिरकार नाव को उतरने की इजाजत दी.

अपने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ म्यांमार का अमानवीय रवैया भारत सरकार को प्रभावित नहीं करता है, जो उन्हें केवल एक सुरक्षा खतरे के रूप में देखती है. सरकार अनुमानित 40000 रोहिंग्या शरणार्थियों को "अवैध अप्रवासी" कहती है और नियमित रूप से उन्हें निर्वासित करने की धमकी देती है. इनमें से 16000 शरणार्थी यूएनएचसीआर द्वारा पंजीकृत हैं.

कूटनीति की रचनात्मकता इस बात में है कि भारत अपने रणनीतिक हितों का त्याग किए बिना अपने संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा दे. म्यांमार में निंदनीय शासन के साथ संवाद करते हुए भी दिल्ली वहां की जुंटा को सही काम करने के लिए फटकार लगा सकती है. लेकिन म्यांमार में, अफगानिस्तान की तरह, भारत ने अपने हितों को कमतर करते हुए अपनी नैतिकता को जाया जाने दिया है.

ऐसा लगता है कि जब चिन विद्रोहियों को निशाना बनाने के लिए म्यांमार वायु सेना ने भारतीय क्षेत्र में बम गिराए तो मोदी सरकार ने उस पर सवाल भी नहीं उठाया क्योंकि वह जुंटा के साथ करीबी रिश्तों की इच्छा रखता है. सीमा से लगभग दस किलोमीटर दूर स्थित मिजोरम के चम्फाई जिले के एक कस्बे फारकॉन के स्थानीय लोगों ने दि गार्जियन को बताया कि 11 जनवरी को सीमा के भारतीय हिस्से में दो बम गिरे थे. अन्य चश्मदीदों और स्थानीय पुलिस प्रमुख ने इसकी पुष्टि की है.

सरकार ने दस दिन बाद जाकर इस घटना को स्वीकार किया लेकिन फिर भी इस बात पर कायम रही कि भारतीय हवाई क्षेत्र का कोई उल्लंघन नहीं हुआ. "हमने इस मामले को म्यांमार के समक्ष उठाया है", क्षेत्रीय संप्रभुता के इस घोर उल्लंघन पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की सतही प्रतिक्रिया यही थी. जुंटा ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पिछले जुलाई में थाई सरकार, जिसके म्यांमार के सशस्त्र बलों के साथ मधुर संबंध हैं, ने जुंटा सरकार को माफी मांगी के लिए तब मजबूर कर दिया जब म्यांमार का एक जेट विमान करेन राज्य में बमबारी करते हुए थाई हवाई क्षेत्र को पार कर गया था. जब भारत ने 2015 में म्यांमार के भीतर एक नागा विद्रोही शिविर पर "सर्जिकल स्ट्राइक" की थी, तो तत्कालीन आंग सान सू की सरकार ने भारतीय मीडिया से कहा था कि "म्यांमार क्षेत्र में किसी भी विदेशी सैन्य अभियान की इजाजत नहीं है" और भारत को याद दिलाया था कि "हर देश को दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान करना ही चाहिए."

सुशांत सिंह येल यूनि​वर्सिटी में हेनरी हार्ट राइस लेक्चरर और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में सीनियर फेलो हैं.

Keywords: Myanmar Bangladesh Indian Navy Rohingya
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