30 अक्टूबर को न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने पुष्टि की कि तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र पर साइबर हमला हुआ था. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "एनपीसीआईएल प्रणाली में मैलवेयर की पहचान सही है." यह स्वीकारोक्ति एनपीसीआईएल द्वारा साइबर हमले से इनकार किए जाने के एक दिन बाद आई. एनपीसीआईएल ने पहले कहा था कि ऐसा होना "संभव नहीं है." इस घटना की जानकारी सबसे पहले साइबर सुरक्षा वेबसाइट, वायरसटोटल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से सामने आई थी, जिसमें पता चला था कि डीट्रैक नामक एक वायरस ने नाभिकीय संयंत्र प्रणाली में सेंधमारी की थी. इसके बाद, साइबर खुफिया विशेषज्ञ पुखराज सिंह ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने ट्वीट किया कि "बेहद संवेदनशील लक्ष्यों पर हमला किया गया था" और सरकार को "बहुत पहले सूचित कर दिया गया था.” सिंह पहले एक तकनीकी-खुफिया एजेंसी, नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के साथ थे. उन्होंने कहा कि उन्हें पहली बार घुसपैठ का पता एक "थर्ड पार्टी" द्वारा संपर्क किए जाने पर हुआ जिसने इस घुसपैठ का पता लगाया था. सिंह ने ट्वीट किया कि उन्होंने 4 सितंबर को साइबर सुरक्षा और ई-निगरानी एजेंसी, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक को इस बारे में सूचित किया था. एनपीसीआईएल ने हमले के प्रारंभिक खंडन और फिर सिंह के सार्वजनिक खुलासे के चलते मजबूरन इसे स्वीकारना, एनपीसीआईएल के काम करने के तरीके की अपारदर्शिता को दर्शाता है.
2002 में जब से कुडनकुलम नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र का निर्माण शुरू हुआ था तब इसे स्थानीय ग्रामीणों के निरंतर विरोध का सामना करना पड़ा था. इनमें से अधिकांश लोग मछुआरे हैं. उनका दावा है कि संयंत्र से निकलने वाली दूषित चीजों के बहाव से स्थानीय पर्यावरण, समुद्री जीवन को नुकसान होगा और उनकी आजीविका को खतरा होगा. एसपी उदयकुमार ने एक समुदाय-आधारित नागरिक-अधिकार समूह, पीपुल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी की स्थापना की, जिसने संयंत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया और इसे बिना शर्त बंद करने की मांग की. अतीत में, पुलिस ने विरोध प्रदर्शनों पर नकेल कसी और कई ग्रामीणों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया.
प्लांट पर साइबर हमले के बाद, उदयकुमार ने कारवां की रिपोर्टिंग फेलो आतिरा कोनिक्करा से बात की. उन्होंने संयंत्र की निरंतर सुरक्षा के बारे में अधिकारियों से कोई भी आश्वासन न दिए जाने के बारे में चर्चा की. "परियोजना उससे कहीं ज्यादा असुरक्षित है जिसकी हमने वास्तव में कल्पना की थी," उन्होंने कहा. "पहले दो रिएक्टरों को तुरंत बंद करना और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ एक स्वतंत्र जांच कराना ही सबसे समझदारी भरा होगा."
आतिरा कोनिक्करा: अब जब कुडनकुलम संयंत्र पर साइबर हमले की आधिकारिक पुष्टि हो गई है, तो परमाणु-विरोधी आंदोलन में स्थानीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले के बतौर आपका डर और चिंताएं क्या हैं?
एसपी उदयकुमार: एक, आप देख सकते हैं कि वे पूरे सुरक्षा मुद्दे को लेकर कितने उदासीन हैं. वे न केवल साइबर सुरक्षा, बल्कि पूरे संस्थान की सुरक्षा को लेकर आत्मसंतुष्ट हैं. दूसरा, वे परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कमजोरियों और स्थानीय लोगों की समग्र सुरक्षा को लेकर आंखें मूंदे हुए हैं.
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